बजट पर आज लोकसभा में बोल सकते हैं राहुल गांधी, नेता प्रतिपक्ष के संबोधन के लिए पार्टी सांसदों ने बनाया दबाव

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कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आज यानी सोमवार को संसद में अपनी बात रख सकते हैं। माना जा रहा है कि राहुल गांधी दोपहर 2 बजे लोकसभा में अपनी बात रखेंगे।कांग्रेस सांसदों का मानना है कि राहुल को निचले सदन को संबोधित करना चाहिए, विपक्ष के नेता के तौर पर उनके संबोधन का काफी असर पड़ेगा। हालांकि, राहुल गांधी ने अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया है। दरअसल, राहुल गांधी का कहना है कि वह संसद के विशेष सत्र के दौरान बोल चुके हैं। ऐसे में उनका मानना है कि रोटेशनल आधार पर अन्य लोगों को भी बोलने का मौका मिलना चाहिए।

राहुल गांधी ने कांग्रेस लोकसभा सांसदों की बैठक में कहा था कि मैं संसद के विशेष सत्र में बोल चुका हूं। इसलिए हर बार मैं ही ना बोलूं बल्कि रोटेशन के आधार पर सभी को मौका मिलना चाहिए। राहुल की इस बात को लेकर अब पार्टी सांसदों का कहना है कि बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बोलने से प्रभाव पड़ेगा, इसलिए उनका बोलना जरूरी है।सांसदों के दबाव चलते आज सुबह वो फैसला लेंगे और बोलने का फैसला किया तो 2 बजे बोलेंगे।

इससे पहले, राहुल गांधी ने मंगलवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट को लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह भारत के संघीय ढांचे की गरिमा पर हमला है। राहुल ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "यह बजट भारत के संघीय ढांचे की गरिमा पर हमला है। सत्ता बचाने के लालच में देश के अन्य राज्यों की उपेक्षा की गई है। उनके साथ भेदभाव हुआ है।" कांग्रेस सांसद ने शुक्रवार को संसद परिसर में बजट के खिलाफ इंडिया ब्लॉक के विरोध प्रदर्शन में भाग भी लिया था।

वहीं, बजट सत्र से पहले संसद के विशेष सत्र के दौरान राहुल गांधी ने सत्ता पक्ष पर जमकर हमला बोला था। तब राहुल गांधी ने अपने संबोधन में सत्ताधारी पार्टी पर हिंदू धर्म में हिंसा और नफरत फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि पिछले 10 सालों में भारत के संविधान, उसके विचारों पर सत्ताधारी पार्टी की विचारधारा का विरोध करने वाले हर व्यक्ति पर बड़े पैमाने पर हमला किया गया।

दिल्ली की महिला ने किया दावा, ‘अयोध्या में मस्जिद के लिए दी गई जमीन है मेरी...', इस्लामिक ट्रस्ट ने क्या दिया जवाब?

डेस्क: दिल्ली की एक महिला रानी पंजाबी ने दावा किया कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए निर्धारित जमीन उसके परिवार की है। वह इस पर कब्जा पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। रानी पंजाबी के इस दावे के बाद अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए दी गई जमीन को लेकर हलचल मच गई है।

हालांकि, मस्जिद के निर्माण के लिए गठित इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रमुख जुफर फारूकी ने रानी पंजाबी के दावों का खंडन किया है। ट्रस्ट के प्रमुख जुफर फारुकी ने कहा कि रानी पंजाबी के दावों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2021 में ही खारिज कर दिया था। साथ ही उन्होंने बताया कि मस्जिद के निर्माण सहित पूरी परियोजना पर काम इस साल अक्टूबर से शुरू होगा।

बता दें कि दिल्ली की रहने रानी पंजाबी का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के 2019 के आदेश के बाद अयोध्या के धन्नीपुर गांव में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को प्रशासन द्वारा दी गई पांच एकड़ जमीन उनके परिवार की 28.35 एकड़ जमीन का हिस्सा है। रानी ने बताया कि उनके पास जमीन के स्वामित्व के सभी दस्तावेज हैं। वह अपनी जमीन पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी। 

रानी के अनुसार, उनके पिता ज्ञान चंद पंजाबी को आजादी के समय विभाजन के बाद पाकिस्तान के पंजाब छोड़ना पड़ा था। पाकिस्तान से वे फैजाबाद (अब अयोध्या जिला) आ गए थे। जहां उन्हें 28.35 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। 

उन्होंने कहा कि उनका परिवार 1983 तक खेती के लिए जमीन का इस्तेमाल करता था। जब उनके पिता की तबीयत खराब हो गई तो परिवार पिता के इलाज के लिए दिल्ली आ गया। उन्होंने दावा किया कि तब से जमीन पर धीरे-धीरे अतिक्रमण होता रहा। रानी का कहना है कि उन्हें मस्जिद के निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह चाहती हैं कि प्रशासन उनके साथ न्याय करे। इस्लाम में किसी भी विवादित भूमि पर मस्जिद बनाना जायज नहीं है।

 

इसी मामले पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष व मस्जिद के ट्रस्टी प्रमुख जुफर फारूकी ने कहा, 'परियोजना में कोई बाधा नहीं है। जहां तक भूमि पर महिला के दावे का सवाल है। वह इलाहाबाद हाई कोर्ट में पहले ही 2021 में इसे खारिज कर चुका है। कुछ छोटे-मोटे मुद्दे हैं, जिन्हें सुलझाया जा रहा है और उम्मीद है कि अक्टूबर तक मस्जिद बनने की परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा।

कश्मीर में जुलाई के महीने में रिकॉर्ड गर्मी, मानसून के सीजन में भी आसमान से बरस रही आग

डेस्क: जम्मू-कश्मीर में इस बार रिकॉर्ड गर्मी पड़ी है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में तापमान ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए। मानसून के सीजन में जहां एक ओर कई राज्यों में मौसम सुहावना हो गया है। कश्मीर में इसके विपरीत भीषण गर्मी पड़ रही है। मौसम केंद्र श्रीनगर ने बताया कि रविवार (28 जुलाई) को इस महीने में तीसरा सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया है। 

मौसम विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो श्रीनगर में जुलाई महीने में सबसे अधिक तापमान 38.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। ये तापमान 10 जुलाई 1946 को दर्ज किया गया था। इसके बाद दूसरा सबसे अधिक तापमान 9 जुलाई 1999 को 37 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इसके बाद आज यानी 28 जुलाई, 2024 को श्रीनगर में तीसरा सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया। रविवार को श्रीनगर में 36.2 डिग्री सेल्सियस तापमान पहुंच गया। 

काजीगुंड में 36 सालों बाद सबसे अधिक तापमान

कश्मीर के अनंतनाग जिले के काजीगुंड इलाके में भी भीषण गर्मी पड़ रही है। यहां रविवार (28 जुलाई, 2024) को अब तक का सबसे अधिकतम तापमान दर्ज किया गया है। रविवार को काजीगुंड में 35.6 डिग्री सेल्सियस तापमान पहुंच गया। इसके पहले यहां 11 जुलाई, 1988 को अधिकतम तापमान 34.5 डिग्री सेल्सिय दर्ज किया गया था। रविवार को यहां 36 सालों बाद एक डिग्री ज्यादा तापमान पहुंच गया।

कोकरनाग में 34.1 डिग्री सेल्सियस पहुंचा तापमान

अनंतनाग के कोकरनाग में भी रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया है। श्रीनगर के मौसम केंद्र ने बताया कि कोकरनाग में रविवार को (28 जुलाई, 2024) को अब तक का सबसे अधिक तापमान 34.1 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया है। इसके पहले 3 जुलाई, 2024 को यहां 33.3 डिग्री और 8 जुलाई, 1993 को 33 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था।

मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में पीएम मोदी ने सीएम योगी की खूब की तारीफ, दे दिया ये बड़ा टास्क

डेस्क: दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की पीएम मोदी के साथ दो दिवसीय मुख्यमंत्री परिषद की बैठक हुई, जहां सभी मुख्यमंत्रियों को उनके राज्यों में सुशासन को लेकर मिशन मोड में काम करने के लिए कहा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में ये बैठक दो दिनों तक चली, जिसमें पहले दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यूपी के दोनों डिप्टी सीएम सहित भाजपा शासित प्रदेशों के कई मुख्यमंत्री शामिल हुए।

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में अपेक्षित रिजल्ट नहीं आने के कारण चल रही सियासी हलचल के बीच भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि योगी सरकार राज्य में एक ऐसी योजना चला रही है जिसको देश के अन्य राज्यों को भी अपने यहां लागू करना चाहिए। 

 आदित्यनाथ ने ग्राम सचिवालय डिजिटलाइजेशन और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को लेकर प्रस्तुतिकरण दिया और कहा कि राज्य के अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर करने का लक्ष्य है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी मुख्यमंत्री परिषद में क्लीन गंगा मिशन और स्वच्छ भारत अभियान पर और ज्यादा ध्यान दिए जाने की बात को दोहराया गया।

पीएम मोदी ने खास निर्देश दिए और सभी राज्यों को जल जीवन मिशन के तहत 'हर घर नल से जल' योजना पर जोर दिए जाने की बात कही और केंद्र सरकार और राज्य सरकार की जारी योजनाओं को जल्द पूरा किया जाने की भी बात कही। बैठक में सभी मुख्यमंत्री से संगठन के साथ बेहतर तालमेल बनाकर रखने को कहा गया और इस बात पर भी जोर दिया गया की कार्यकर्ताओं के साथ सम्मान किया जाए।

बैठक में राज्य के मुख्यमंत्रियों से कहा गया कि सरकार निरंतरता के साथ काम कर रही है। आप सभी लोकसभा चुनाव में आए नतीजे को लेकर हैरान ना हों, सभी आंकड़े सरकार की बढ़त में है और चुनाव में सीट कम आने के बावजूद भी हम आगे बढ़ रहे हैं। बैठक में सीएम से कहा गया है कि हताश होने की जरूरत नहीं है बल्कि अब और ज्यादा उत्साह के साथ काम करना है और जनता के विश्वास पर खरा उतरना है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार को बैठक के खत्म होने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता ने यूपी के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बृजेश पाठक के साथ बात की और प्रदेश में आने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर जोरदार तरीके से ताकत जुटाने को कहा।

पेरिस ओलंपिक 2024: मनु भाकर ने जीता ब्रॉन्ज मेडल, शूटिंग में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज

डेस्क: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत की मनु भाकर ने कमाल का प्रदर्शन किया है। उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल में भारत की मनु भाकर ने ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है और पेरिस में तिरंगा लहरा दिया है। वह शूटिंग में भारत के लिए ओलंपिक मेडल जीतने वाली भारतीय महिला निशानेबाज हैं। पेरिस ओलंपिक 2024 में भी भारत का ये पहला पदक है। 

10 मीटर एयर पिस्टल में मेडल के लिए 8 महिला शूटर मैदान में थीं। मनु ने तीसरा स्थान हासिल किया और पदक जीत लिया। मनु ने कुल 221.7 का स्कोर किया। उन्होंने पहले स्टेज में 50.4 का स्कोर और फिर दूसरे स्टेज में उनका स्कोर 101.7 तक पहुंच गया। 

पहले दो स्थानों पर कोरियाई प्लेयर्स का कब्जा रहा। साउथ कोरिया की ओह ये जिन ने 243.2 का स्कोर किया। वह पहले नंबर पर रही और गोल्ड मेडल जीता। दूसरे नंबर पर किम येजी थीं, जिनका स्कोर 241.3 रहा।

चीन में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में 11 लोगों की मौत, शंघाई में तूफान ने भी मचाई तबाही

डेस्क: चीन में भारी बारिश और बाढ़ के साथ तूफान भी कहर बनकर टूटा है। इसमें कई लोगों की मौत हो गई है। साथ ही काफी संख्या में लोग घायल हुए हैं। बताया जा रहा है कि चीन के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में भारी बारिश के कारण भूस्खलन होने से एक मकान ढह गया, जिससे 11 लोगों की मौत हो गई। चीनी मीडिया की खबर से यह जानकारी मिली। चीन की डिजिटल न्यूज वेबसाइट 'द पेपर' में प्रकाशित खबर में बताया गया है कि एक अन्य घटना में, चीन के शंघाई में तूफान के कारण एक पेड़ के गिर जाने से एक कंपनी के प्रतिनिधि की मौत हो गई। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि चीन में ये मौतें संभवत: उष्णकटिबंधीय चक्रवात 'गेमी’ के कारण हुई। चीन की सरकारी मीडिया 'सीसीटीवी' की खबर में बताया गया है कि हुनान प्रांत के हेंगयांग शहर के पास स्थित युएलिन गांव में सुबह करीब आठ बजे भूस्खलन होने से एक घर ढह गया। पहले की एक खबर में बताया गया था कि भूस्खलन होने से 18 लोग फंस गए हैं और छह घायल व्यक्तियों को निकाल लिया गया है। भूस्खलन की इस घटना में कई व्यक्ति घायल हुए हैं। हालांकि नवीनतम खबर में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या एक अन्य व्यक्ति अभी भी लापता है। इस बात की कोई जानकारी नहीं है इस घटना में घायल हुए लोगों को गंभीर या मामूली चोटें आई हैं। खबर में बताया गया कि भूस्खलन भारी बारिश के कारण पहाड़ों से बह रहे पानी के कारण हुआ। राहत और बचाव टीमें मौके पर हैं। (एपी)
US की संसद में चीन-पाकिस्तान विरोधी विधेयक पेश, भारत को मिलेगा 'नाटो' जैसा दर्जा

डेस्क: अमेरिका के रिपब्लिकन सांसद मार्को रुबियो ने शुक्रवार को अमेरिकी सीनेट में पाकिस्तान और चीन विरोधी विधेयक पेश किया है. इसके पारित हो जाने के बाद भारत को नाटो देशों के समान दर्जा प्राप्त हो जाएगा, साथ ही अमेरिका भारत की मदद के लिए मजबूर रहेगा. इस विधेयक का उद्देश्य चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटना है. साथ ही पाकिस्तान से पैदा होने वाले कथित खतरे से पार पाने के लिए भारत की मदद करना है. इस विधेयक में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की तरफ से दी जाने वाली धमकियों के खिलाफ पाकिस्तान की मदद को रोकना है.  

कोऑपरेशन एक्ट भारत को 'प्रौद्योगिकी हस्तांतरण' करने का समर्थन करता है. इसके अलावा प्रशासन से 'भारत के साथ वैसा ही व्यवहार करने का आग्रह करता है, जैसे कि अमेरिका- इजरायल, दक्षिण कोरिया और नाटो सदस्य देशों के साथ रखता है. इस विधेयक को फ्लोरिडा सीट से रिपब्लिकन पार्टी के सांसद मार्को रूबियो ने किया है. रूबियो इस सीट पर साल 2011 से काबिज हैं और देश के पॉवरफुल सांसद हैं. 

साल 2013 में रूबियो ने बराक ओबामा के स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन पर रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से प्रतिक्रिया दी थी. साल 2015 में रुबियो राष्ट्रपति पद के चुनाव में भी शामिल हो चुके हैं. कई जगहों से वे प्राइमरी चुनाव भी जीते, लेकिन साल 2016 में वे राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर हो गए. अमेरिका सांसद ने चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका-भारत साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रस्ताव रखा है. उनका कहना है कि चीन से मुकाबला करने के लिए नई दिल्ली के साथ रणनीतिक, आर्थिक और सैन्य संबंधों को बढ़ाना आवश्यक है.

इस प्रस्ताव में यह भी शामिल है कि यदि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधि अपनाता है तो पाकिस्तान की मदद को रोकना चाहिए. इस विधेयक में ऐसे एडवांस हथियार भारत को देने की बात कही गई है, जो सिर्फ नाटो देशों के लिए आरक्षित हैं. ऐसे में यदि यह विधेयक अमेरिका में पास हो जाता है तो पाकिस्तान को बड़ा झटका लग सकता है. साथ ही चीन और पाकिस्तान के खिलाफ भारत को बड़ी मदद मिल सकती है. हालांकि, विशेषतज्ञों का मानना है कि यह विधेयक अमेरिकी सदन में इस बार पास नहीं हो सकता है, क्योंकि जल्द ही सदन का सत्र समाप्त होने वाला है. लेकिन भारत-अमेरिका संबंधों को बढ़ाने के लिए दोनों दलों का समर्थन है, ऐसे में इसे अगली कांग्रेस में फिर से पेश किया जा सकता है.

पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे को लेकर कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने पूछा- कब जाएंगे मणिपुर?

डेस्क: कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने पीएम नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित यूक्रेन दौरे को लेकर उन पर तंज कसा है. जयराम रमेश ने रविवार (28 जुलाई 2024) को पीएम मोदी से पूछा कि क्या वह यूरोपीय राष्ट्र की अपनी यात्रा से पहले या बाद में जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर राज्य का दौरा करेंगे.

जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, “मणिपुर के मुख्यमंत्री नई दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में भाग लेते हैं, जिसकी अध्यक्षता स्वयंभू गैर-जैविक प्रधानमंत्री करते हैं. फिर मणिपुर के मुख्यमंत्री उसी देवता की अध्यक्षता में भाजपा के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों की बैठक में भाग लेते हैं. मणिपुर के लोग जो सरल प्रश्न पूछ रहे हैं, वह यह है कि क्या एन. बीरेन सिंह ने नरेंद्र मोदी से अलग-अलग मुलाकात की और मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की, जो 3 मई 2023 की रात से जल रहा है.”

जयराम रमेश ने आगे पूछा कि क्या एन बीरेन सिंह ने नरेंद्र मोदी को यूक्रेन की यात्रा से पहले या बाद में मणिपुर आने के लिए आमंत्रित किया था? बता दें कि कांग्रेस लगातार प्रधानमंत्री पर इस बात को लेकर हमले कर रही है कि उन्होंने अभी तक राज्य का दौरा नहीं किया है.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 24 अगस्त को यूक्रेन का दौरा प्रस्तावित है. बताया जा रहा है कि इस दौरे पर वह यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे और कई मुद्दों पर बात करेंगे. फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से यह पीएम मोदी का पहला यूक्रेन दौरा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की उन विश्व नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने जून में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री मोदी के जीतने पर उन्हें बधाई दी थी. प्रधानमंत्री के तीसरे कार्यकाल की पहली द्विपक्षीय यात्रा रूस की थी, जिसे ज़ेलेंस्की ने 'शांति प्रयासों के लिए विनाशकारी झटका' बताया था. पश्चिमी देशों ने यूक्रेन युद्ध के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी

नीति आयोग की बैठक में हुई भारत को विकसित बनाने की चर्चा शून्य गरीबी,जनसांख्यिकी प्रबंधन रहे अहम मुद्दे

शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक ‘विकसित भारत 2047’ थीम पर हुई, जिसमें राज्यों के लिए निवेश-अनुकूल चार्टर इंडेक्स तैयार करने, शून्य गरीबी लक्ष्य निर्धारित करने, जनसांख्यिकी प्रबंधन योजनाओं और नदी ग्रिडों को जोड़ने सहित कुछ महत्वपूर्ण चर्चाएँ हुईं।

बैठक में प्रधानमंत्री का ध्यान “विकास और विकसित भारत के मार्ग के प्रमुख चालक के रूप में राज्यों” पर था और कहा कि राज्य “ऊर्जा, आत्मविश्वास और क्षमता से भरपूर हैं।”

दिल्ली में हुई बैठक में 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के नेताओं ने हिस्सा लिया, जबकि केंद्रीय बजट में कथित भेदभाव को लेकर बैठक का “बहिष्कार” करने वाले इंडिया ब्लॉक के नेताओं समेत 10 राज्य अनुपस्थित रहे। नीति आयोग के सीईओ बीवी सुब्रमण्यम ने शनिवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “हमारे 10 राज्य अनुपस्थित और 26 प्रतिभागी थे। केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पुडुचेरी से हमारे पास लोग अनुपस्थित थे।” 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल-यूनाइटेड भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है। सुब्रमण्यम ने कहा कि कुमार बैठक में शामिल नहीं हुए क्योंकि बिहार विधानसभा का सत्र शुक्रवार को देर तक चला। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अचानक वापस चले जाने पर सुब्रमण्यम ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव मौजूद थे लेकिन सोरेन नहीं आए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो बैठक में भाग लेने वाली एकमात्र विपक्षी नेता थीं, लेकिन बीच में ही चली गईं, उन्होंने भेदभाव का आरोप लगाया, जिसका सुब्रमण्यम ने खंडन किया, क्योंकि उन्होंने कहा कि परिषद बनर्जी के प्रति “समायोज्य और सम्मानजनक” थी।

नीति आयोग की बैठक से बनर्जी ने यह आरोप लगाते हुए वॉकआउट किया कि पाँच मिनट के बाद उनका माइक्रोफोन बंद कर दिया गया, जबकि अन्य मुख्यमंत्रियों को लंबे समय तक बोलने की अनुमति दी गई। भारत के नेताओं द्वारा बहिष्कार का जवाब देते हुए, सुब्रमण्यम ने कहा, “यह उन राज्यों का नुकसान है जो ऐसा करना चुनते हैं, लेकिन आयोग फिर भी प्रत्येक राज्य के बारे में समान रूप से सोचेगा।”

बैठक में हुई चर्चा के बारे में विस्तार से बताते हुए, सुब्रमण्यम ने कहा कि सदस्यों को एक “दृष्टिकोण पत्र” वितरित किया गया जिसमें कई प्रमुख एजेंडों पर चर्चा की गई। “पीएम ने कहा कि विकसित भारत के विजन को विकसित राज्यों के माध्यम से साकार किया जा सकता है और प्रत्येक राज्य और जिले को विकसित को साकार करने के लिए 2047 के लिए एक विजन बनाना चाहिए।”

सुब्रमण्यम ने कहा कि बैठक में प्रधानमंत्री ने नीति आयोग को राज्यों में निवेश आकर्षित करने के लिए एक 'निवेश-अनुकूल चार्टर' तैयार करने और एक "सूचकांक" बनाने का निर्देश दिया, जिसमें निवेश अनुकूलता के मामले में राज्यों को 100 अंकों में से रैंक किया जा सके। आयोग के सदस्यों के अनुसार, इस विचार के पीछे का उद्देश्य राज्यों को अधिक "स्वतंत्र और विश्वसनीय" बनाना था।

सुब्रमण्यम ने कहा कि प्रधानमंत्री ने गांवों से शुरू करके "शून्य गरीबी" का लक्ष्य निर्धारित करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जल संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए राज्य स्तर पर नदी ग्रिड के निर्माण को भी "प्रोत्साहित" किया, जिससे सूखे का सामना कर रहे राज्यों को अधिशेष जल उपलब्ध कराया जा सके। परिषद ने राज्यों से "भविष्य में जनसंख्या वृद्धावस्था" के मुद्दों को संबोधित करने के लिए जनसांख्यिकी प्रबंधन योजनाएँ शुरू करने के लिए भी कहा।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करने के लिए उन्हें कौशल और प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

सुब्रमण्यम ने कहा कि राज्यों ने “उत्साहपूर्वक” भाग लिया और कृषि, शिक्षा और कौशल विकास, उद्यमिता, पेयजल, अनुपालन में कमी, शासन, डिजिटलीकरण, महिला सशक्तिकरण और साइबर सुरक्षा पर सुझाव दिए। सुब्रमण्यम ने कहा कि थिंक टैंक पांच साल और 25 साल की ‘विकसित भारत’ योजना के अंतिम संस्करण भी लेकर आएगा, जैसा कि निकाय के सदस्यों ने बताया है।

खुशखबरी! टेलीकॉम इंडस्ट्री में नया मोड़, पहले से भी ज्यादा सस्ते होने वाले है रिचार्ज प्लान्स! देखें TRAI का नया प्रस्ताव

 भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में एक बड़ा और नया मोड़ आ सकता है, जिसके कारण यूज़र्स महंगे रिचार्ज प्लान्स के लिए बहुत ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे. दरअसल, दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई ने एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसके तहत मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स सिर्फ वॉइस कॉल और एसएमएस वाले प्लान्स को पेश कर सकती है, जैसा कि पुराने जमाने में हुआ करता था.

आजकल भारत की लगभग सभी टेलीकॉम कंपनियां अपने ज्यादातर प्लान्स में इंटरनेट डेटा पर फोकस करती है. अगर यूज़र्स को इंटरनेट डेटा की जरूरत ना भी हो तब भी उनके प्लान में इंटरनेट डेटा रहता है, जिसके लिए उन्हें अतिरिक्त पैसा भी देना पड़ता है, जबकि वो इंटरनेट डेटा का इस्तेमाल नहीं करते हैं. इस कारण ट्राई ने अब एक नया प्रस्ताव पेश किया है, जिसके तहत टेलीकॉम कंपनियों को सिर्फ वॉइस कॉल्स और एसएमएस वाले प्लान्स को लॉन्च करने कहा है, जैसा कि पुराने जमाने के रिचार्ज प्लान्स होते थे.

ट्राई ने इसके लिए एक कंसल्टेशन पेपर रिलीज किया है. ट्राई ने इस कंसल्टेशन पेपर को रिव्यू ऑफ टेलीकॉम कंज्यूमर प्रोटेक्शन रेगुलेशन 2012 पर रिलीज किया है. ट्राई ने इस प्रस्ताव पर अपने स्टेकहोल्डर्स से उनकी राय मांगी है. ट्राई का यह प्रस्ताव आम यूज़र्स के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है. ट्राई एक बार फिर से वॉयस कॉलिंग और एसएमएस वाले प्लान्स पर टेलीकॉम कंपनियों के विचार जानना चाहती है.

जियो, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया या बीएसएनएल जैसे तमाम टेलीकॉम कंपनियों के सभी रिचार्ज प्लान्स ज्यादातर इंटरनेट डेटा, अनलिमिटेड कॉलिंग, एसएमएस और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की सुविधा ऑफर करते हैं. ऐसे में बहुत सारे यूज़र्स को इंटरनेट डेटा और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की जरूरत नहीं होती है. उन्हें सिर्फ अनलिमिटेड वॉइस कॉलिंग और एसएमएस की सुविधा चाहिए होती है, लेकिन फिर भी उन्हें इन सभी बेनिफिट्स वाले प्लान्स को खरीदना पड़ता है, जिसके लिए उन्हें काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं. 

अब अगर ट्राई का यह प्रस्ताव पारित हो जाता है तो इससे आम ग्राहकों का काफी फायदा हो सकता है. आम लोगों को रिचार्ज प्लान्स के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं, क्योंकि हाल ही में जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने अपने-अपने प्रीपेड और पोस्टपेड प्लान्स की कीमत में 35% तक की बढ़ोतरी कर दी है. इस कारण यूज़र्स की जेब बहुत ज्यादा ढीली हो रही है. अब अगर ट्राई का यह प्रस्ताव पारित होता है, तो बहुत सारे यूज़र्स के काफी पैसे बच सकते हैं.