दिल्ली: कोचिंग सेंटर में पानी भरने से सिविल सेवा के 3 उम्मीदवारों की मौत, भाजपा ने आप को ठहराया जिम्मेदार, जानिए

शनिवार को दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में एक कोचिंग सेंटर के बाढ़ग्रस्त बेसमेंट में फंसने से सिविल सेवा के तीन उम्मीदवारों की मौत हो गई। पुलिस के अनुसार, दिल्ली अग्निशमन विभाग को शाम करीब 7 बजे राव आईएएस स्टडी सेंटर में जलभराव के बारे में सूचना मिली, जिसके बाद उन्होंने बचाव अभियान शुरू किया। पुलिस ने छात्रों की मौत के मामले में आपराधिक मामला दर्ज किया है।

दिल्ली कोचिंग घटना के बारे में ताजा अपडेट इस प्रकार हैं:

1. शुरू में, एनडीआरएफ, स्थानीय पुलिस और अग्निशमन विभाग द्वारा बचाव अभियान के दौरान एक छात्रा का शव घटनास्थल से बरामद किया गया। कुछ घंटों बाद, दो अन्य छात्रों के शव भी बरामद किए गए।

2. पुलिस ने कहा कि जब कोचिंग सेंटर में पानी भरना शुरू हुआ, तब वहां करीब 30 छात्र थे। उनमें से 13 से 14 को बचा लिया गया और अस्पताल ले जाया गया, जबकि अन्य छात्र घटनास्थल से भाग गए।

3. फायर ऑफिसर अतुल गर्ग ने कहा कि बाढ़ की सूचना मिलने के बाद पांच दमकल वाहन मौके पर पहुंचे।

4. डीसीपी सेंट्रल एम हर्षवर्धन के अनुसार, बचाव अभियान अभी भी जारी है और पानी को बाहर निकाला जा रहा है। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "बेसमेंट में अभी भी करीब सात फीट पानी है।" हालांकि, पुलिस ने कहा कि बचाव अभियान निष्कर्ष की ओर बढ़ रहा है क्योंकि तलाशी का केवल एक अंतिम दौर बाकी है। 

5. इस बीच, तीन छात्रों के शव बरामद होने के बाद छात्रों के एक समूह ने घटनास्थल पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। रविवार की सुबह, छात्रों को 'हमें न्याय चाहिए' के ​​नारे लगाते देखा गया। छात्रों में से एक के अनुसार, बारिश के 10 मिनट के भीतर केंद्र में पानी भर जाता है। छात्र ने कहा, "80 फीसदी लाइब्रेरी कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में हैं...एमसीडी ने इस पर कार्रवाई नहीं की है।"

6. हालांकि, पुलिस ने छात्रों से विरोध प्रदर्शन न करने का आग्रह किया क्योंकि इससे बचाव अभियान में बाधा आएगी। "मैं छात्र समुदाय से अनुरोध करता हूं कि वे यहां न आएं और बचाव सेवाओं में बाधा न डालें। हम उनका दर्द समझते हैं, लेकिन यहां मौके पर आना समाधान नहीं है। इससे बचाव सेवाओं में बाधा आएगी,” डीसीपी सेंट्रल एम हर्षवर्धन ने कहा। 

7. इस बीच, दिल्ली पुलिस ने एक आपराधिक मामला दर्ज किया है और दो लोगों को हिरासत में लिया है। डीसीपी ने जोर देकर कहा कि पुलिस इस दुखद घटना में सच्चाई का पता लगाने के लिए दृढ़ है, जिसमें तीन लोगों की जान चली गई। “हमने एक आपराधिक मामला दर्ज किया है। हमारी फोरेंसिक टीमें यहां हैं। फोरेंसिक साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया चल रही है। हम इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि हमें उचित जांच करनी चाहिए। हम एक मजबूत मामला दर्ज करने और सच्चाई का पता लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं,” उन्होंने कहा।

8. दिल्ली भाजपा प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने आप सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि एमसीपी में “भ्रष्टाचार” की जांच होनी चाहिए। “अरविंद केजरीवाल, आतिशी और उनकी सरकार के भ्रष्टाचार की जांच होनी चाहिए। दिल्ली नगर निगम के भ्रष्टाचार की जांच होनी चाहिए। इस बात की जांच होनी चाहिए कि नाले की सफाई क्यों नहीं की गई। क्या वे इसकी जांच का आदेश देंगे?”

9. बीजेपी लीडर शेह्ज़ाद पूणवाला ने कहा, "यह आपराधिक लापरवाही है...सवाल यह है कि इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा...कई मौतें हो चुकी हैं। क्या दिल्ली के लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है? अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार की प्राथमिकता प्रेस कॉन्फ्रेंस, विज्ञापन और आरोप-प्रत्यारोप है...इसके लिए आप जिम्मेदार है। आप की प्राथमिकता केजरीवाल को शराब घोटाले से बचाना है, लेकिन उन्हें दिल्ली के लोगों की जान की कोई परवाह नहीं है।"

10. इस बीच, दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा कि जो भी इस घटना के लिए जिम्मेदार है, उसे "बख्शा नहीं जाएगा"। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "मैं घटना की हर मिनट अपडेट ले रही हूं। यह घटना कैसे हुई, इसकी जांच के लिए मजिस्ट्रेट को आदेश दिया गया है।"

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में दिया करारा जवाब, सुनता रह गया विपक्ष, मामा ने लूट ली महफिल!

 केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने MSP की कानूनी गारंटी के सवाल पर राज्यसभा में तगड़ा जवाब दिया है. शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में MSP गारंटी कानून लेकर विपक्ष के सवालों का दमदार ढंग से जवाब दिया. इस दौरान शिवराज सिंह चौहान काफी आक्रामक नजर आए. उन्होंने कहा कि विपक्ष घड़ियाली आंसू बहा रहा है.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा- मोदी सरकार ने किसानों को यूपीए सरकार से दोगुना एसएसपी दिया है, किसान हित में सरकार लगातार फैसले ले रही है. विपक्ष घड़ियाली आंसू बहा रहा है और किसान के नाम पर केवल राजनीति कर रहा है."

शिवराज ने जवाब देते हुए आगे कहा- "मनमोहन सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया. तत्कालीन कृषि मंत्री पवार, भूरिया और थॉमस ने एमएसपी पर खरीद को खारिज करने के वक्तव्य सदन में कहे. किसानों की तुअर, मसूर, उड़द की पूरी उपज सरकार खरीदेगी. किसानों को एमएसपी उपलब्ध कराने, व्यवस्था को और प्रभावी बनाने और पारदर्शी बनाने पर सुझाव देने जैसे विशिष्ठ उद्देश्यों के लिए समिति का गठन हुआ है. उन्होंने कहा, एमएसपी की दरें किसान को ठीक दाम देने के लिए लगातार बढ़ाई गई हैं."

कृषि मंत्री ने कहा, "स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट में जब ये कहा गया कि, लागत पर 50% मुनाफा देकर समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए. तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, उन्होंने साफ तौर पर कैबिनेट नोट में कहा कि, एमएसपी को उत्पादन की भारित औसत लागत से 50% अधिक तय करने की सिफारिश पर यूपीए की सरकार ने कैबिनेट में ये कहते हुए स्वीकार नहीं किया कि, सीएसीपी द्वारा प्रासंगिक कारकों की व्यवस्था पर विचार करते हुए एक वस्तुनिष्ठ मानदंड के रूप में एमएसपी की सिफारिश की गई है. इसलिए लागत पर कम से कम 50% की वृद्धि निर्धारित करना बाजार को विकृत कर सकता है."

कृषि मंत्री 28 जुलाई 2007 के कैबिनेट बैठक का नोट भी पटल पर रखा. उन्होंने कहा- "इन्होंने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश स्वीकार करने से इंकार कर दिया. तत्कालीन कृषि मंत्री कांतिलाल भूरिया जी ने अपने जवाब में कहा, स्वीकार नहीं किया जा सकता. सरकार में मंत्री शरद पवार जी ने भी अपने जवाब में कहा कि, सरकार सीएसीपी की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय करती है और इसलिए पहचानने की अवशयकता है कि, उत्पादन लागत और एमएसपी के बीच कोई आंतरिक संबंध नहीं हो सकता और उन्होंने इंकार कर दिया. उसे स्वीकार नहीं किया. ये किसान के नाम पर केवल राजनीति करना चाहते हैं. ये देश को अराजकता में झोंकना चाहते हैं."

शिवराज सिंह चौहान ने सदन में जानकारी देते हुए बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में ये सरकार निरंतर किसानों के कल्याण के काम में जुटी हुई है. किसान को ठीक दाम देने के लिए सरकार की 6 सूत्रीय रणनीति है. चौहान ने गिनाते हुए बताया... किसानों को उचित दाम देने के लिए समिति की रिपोर्ट आएगी. तब हम कार्रवाई करेंगे, लेकिन तब तक हम चुप नहीं बैठे हैं, हमारी सरकार लगातार किसानों के हित में काम कर रही है. 

यूपीए की सरकार में वर्ष 2013-14 तक बाजरा का समर्थन मूल्य 1250 था, मोदी जी की सरकार ने 2625 रूपये घोषित किया. मक्का के जो 1100 रुपये थे, हमने बढ़ाकर 1850 रुपये किए. रागी की एमएसपी 1310 रुपये थी, लेकिन हमने इसे 2225 रुपये किया. गेहूं के 1500 रुपये थे, हमने इसे बढ़ाकर 2275 रुपये किया. तुअर के 4300 रुपये थे लेकिन हमने इसे बढ़ाकर 7550 रुपये किए. 

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- एमएसपी पर खरीद अधिकतम हुई और इस साल भी तुअर, मसूर और उड़द, किसान जितनी भी पैदा करेगा, सरकार खरीदेगी. समृद्धि पोर्टल हमने बनाया है, किसान रजिस्ट्रेशन करवाए उसकी पूरी उपज सरकार खरीदेगी. आंकड़े गवाह हैं कि, जब यूपीए सरकार थी, तब खरीदी कितनी होती थी और जब हमारी सरकार है, तब कितनी खरीदी होती है. विपक्ष केवल घड़ियाली आंसू बहा रहा है.

 सदन में रखे खरीदी के तुलनात्मक आंकड़े 

- साल 2004-05 से 2013-14 के बीच केवल 45 करोड़ 90 लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई. 

- जबकि 2014-15 से लेकर 2023-24 के बीच 69 करोड़ 18 लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई. 

- गेहूं की खरीदी 2004-05 से 2013-14 के बीच 21 करोड़ मीट्रिक टन थी, जो अब बढ़कर 35 करोड़ 38 लाख मीट्रिक टन हो गई है. 

- दलहन की खरीद 2004-05 से 2013-14 तक केवल 6 लाख मीट्रिक टन थी, जो अब बढ़कर 1 करोड़ 67 लाख मीट्रिक टन हो गई है. 

- तिलहन की खरीद जब इनकी सरकार थी तब केवल 50 लाख मीट्रिक टन थी, जो बढ़कर 87 लाख मीट्रिक टन हो गई है. 

- कपास की गांठ ये खरीदते थे केवल 26 लाख हमने बढ़ाकर 31.17 लाख कपास की गांठ खरीदी है. 

- धान की एमएसपी से खरीद से लाभान्वित किसान केवल 78 लाख थे, जो अब बढ़कर 1 करोड़ 3 लाख 83 हजार 248 हो गए हैं.

- गेहूं की खरीद के लिए लाभान्वित किसान केवल 20 लाख थे, जो अब बढ़कर 22 लाख 69 हजार 264 हो गए हैं.

आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी, जेल में है CM, अब पत्नी के हाथ में पार्टी की कमान

आम आदमी पार्टी ने सुनीता केजरीवाल को हरियाणा में अपना स्टार प्रचारक बनाया है. पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव को देखते हुए वहां चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर दिया है. सुनीता केजरीवाल 27 जुलाई से 2 दिन के हरियाणा दौरे पर रहेंगी. वहां अलग-अलग जगहों पर चुनावी सभा करेंगी.

यह पहला मौका नहीं है आम आदमी पार्टी के लिए सुनीता केजरीवाल चुनाव प्रचार की अहम हिस्सा रही है. लोकसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल को जमानत नहीं मिल रही थी तो सुनीता केजरीवाल ने रोड शो करके पार्टी के लिए वोट मांगा था. अब फिर अरविंद केजरीवाल जेल में है तो बीते दिनों उन्होंने हरियाणा चुनाव के प्रचार अभियान व केजरीवाल की गारंटी की घोषणा करते हुए प्रचार अभियान की शुरूआत की थी. हरियाणा चुनाव प्रचार के लिए 27 और 28 जुलाई को फिर जा रही हैं.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शुक्रवार को सुनीता केजरीवाल से मुलाकात करने सिविल लाइंस स्थित मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचीं. CM केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद पहली बार उनके परिवार से मिलने पहुंची थीं. सुनीता केजरीवाल से मुलाकात करके उन्हें इस लड़ाई में साथ होने का आश्वासन दिया. उन्होंने CM केजरीवाल के माता-पिता से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया. इस दौरान आप के पंजाब से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढ़ा भी मौजूद रहे. इससे पहले पंजाब से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद हरभजन सिंह ने भी सुनीता केजरीवाल से उनके आवास पर मुलाकात की.

IAF हुई और भी ताकतवर! दुश्मनों के 80 प्रतिशत हमलावर लड़ाकू विमानों और मिसाइलों को किया नष्ट

भारत का सुदर्शन एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम ने अपनी तकनीकी दक्षता का बेहतरीन प्रदर्शन किया है। हाल ही में एक अभ्यास सत्र में सुदर्शन ने दुश्मन के 80 प्रतिशत हमलावर लड़ाकू विमानों एवं मिसाइलों को नष्ट कर दिया और 20 प्रतिशत विमानों को हमले को रोकने और पीछे हटने पर विवश कर दिया। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, यह अभ्यास भारतीय वायुसेना द्वारा एक विशेष थिएटर में किया गया था, जहां एक स्क्वाड्रन एस-400 मिसाइल सिस्टम को तैनात किया गया था। इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय वायुसेना द्वारा मिसाइल प्रणाली के पूर्ण एकीकरण को प्रदर्शित करना था। एस-400 मिसाइल सिस्टम एक उन्नत मल्टीफंक्शन रडार के साथ आता है, जो लक्ष्यों की पहचान कर उन्हें नष्ट करने में सक्षम है। इसमें एंटी-एयर मिसाइल लॉन्चर और कमांड एवं कंट्रोल मिसाइल सम्मिलित हैं, जो स्तरित रक्षा के लिए मिसाइलों को फायर कर सकते हैं।

भारतीय वायुसेना ने इस प्रणाली को पौराणिक संदर्भ में ‘सुदर्शन’ नाम दिया है, जो भगवान कृष्ण के प्रमुख हथियार के तौर पर जाना जाता है। सुदर्शन एक बार लॉन्च करने पर किसी भी लक्ष्य को पूर्ण रूप से नष्ट कर देता है। भारतीय वायुसेना ने अब इस प्रणाली को पूर्ण रूप से एकीकृत कर लिया है, जिसमें तीन स्क्वाड्रन पहले से सम्मिलित हैं तथा 2026 तक दो और की आपूर्ति होने की उम्मीद है। हालांकि, इस सौदे की आपूर्ति इस साल पूरी होनी थी, मगर अब इसकी डिलीवरी अगस्त 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है।

भारत ने 2018-19 में रूस के साथ एस-400 के पांच स्क्वाड्रन के लिए 35,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का समझौता किया था। वर्तमान में, भारत को तीन स्क्वाड्रन मिल चुके हैं एवं दो और आने की उम्मीद है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण एस-400 सिस्टम की डिलीवरी में कुछ देरी हुई है, मगर दोनों देशों के बीच समझौते के अनुसार, 2026 तक सभी पांच सिस्टम्स की आपूर्ति कर दी जाएगी। इस बीच, भारतीय रक्षा अधिग्रहण परिषद ने हाल ही में प्रोजेक्ट कुशा के तहत भारतीय लॉन्ग रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम की खरीद को अनुमति दी है। इसके अतिरिक्त, स्वदेशी एमआर-एसएएम एवं आकाश मिसाइल सिस्टम के साथ-साथ इजरायली स्पाइडर क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम भी भारतीय सेना को प्राप्त हुए हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में दिया करारा जवाब, सुनता रह गया विपक्ष, मामा ने लूट ली महफिल

! केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने MSP की कानूनी गारंटी के सवाल पर राज्यसभा में तगड़ा जवाब दिया है. शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में MSP गारंटी कानून लेकर विपक्ष के सवालों का दमदार ढंग से जवाब दिया. इस दौरान शिवराज सिंह चौहान काफी आक्रामक नजर आए. उन्होंने कहा कि विपक्ष घड़ियाली आंसू बहा रहा है. शिवराज सिंह चौहान ने कहा- मोदी सरकार ने किसानों को यूपीए सरकार से दोगुना एसएसपी दिया है, किसान हित में सरकार लगातार फैसले ले रही है. विपक्ष घड़ियाली आंसू बहा रहा है और किसान के नाम पर केवल राजनीति कर रहा है." शिवराज ने जवाब देते हुए आगे कहा- "मनमोहन सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया. तत्कालीन कृषि मंत्री पवार, भूरिया और थॉमस ने एमएसपी पर खरीद को खारिज करने के वक्तव्य सदन में कहे. किसानों की तुअर, मसूर, उड़द की पूरी उपज सरकार खरीदेगी. किसानों को एमएसपी उपलब्ध कराने, व्यवस्था को और प्रभावी बनाने और पारदर्शी बनाने पर सुझाव देने जैसे विशिष्ठ उद्देश्यों के लिए समिति का गठन हुआ है. उन्होंने कहा, एमएसपी की दरें किसान को ठीक दाम देने के लिए लगातार बढ़ाई गई हैं." कृषि मंत्री ने कहा, "स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट में जब ये कहा गया कि, लागत पर 50% मुनाफा देकर समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए. तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, उन्होंने साफ तौर पर कैबिनेट नोट में कहा कि, एमएसपी को उत्पादन की भारित औसत लागत से 50% अधिक तय करने की सिफारिश पर यूपीए की सरकार ने कैबिनेट में ये कहते हुए स्वीकार नहीं किया कि, सीएसीपी द्वारा प्रासंगिक कारकों की व्यवस्था पर विचार करते हुए एक वस्तुनिष्ठ मानदंड के रूप में एमएसपी की सिफारिश की गई है. इसलिए लागत पर कम से कम 50% की वृद्धि निर्धारित करना बाजार को विकृत कर सकता है." कृषि मंत्री 28 जुलाई 2007 के कैबिनेट बैठक का नोट भी पटल पर रखा. उन्होंने कहा- "इन्होंने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश स्वीकार करने से इंकार कर दिया. तत्कालीन कृषि मंत्री कांतिलाल भूरिया जी ने अपने जवाब में कहा, स्वीकार नहीं किया जा सकता. सरकार में मंत्री शरद पवार जी ने भी अपने जवाब में कहा कि, सरकार सीएसीपी की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय करती है और इसलिए पहचानने की अवशयकता है कि, उत्पादन लागत और एमएसपी के बीच कोई आंतरिक संबंध नहीं हो सकता और उन्होंने इंकार कर दिया. उसे स्वीकार नहीं किया. ये किसान के नाम पर केवल राजनीति करना चाहते हैं. ये देश को अराजकता में झोंकना चाहते हैं." शिवराज सिंह चौहान ने सदन में जानकारी देते हुए बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में ये सरकार निरंतर किसानों के कल्याण के काम में जुटी हुई है. किसान को ठीक दाम देने के लिए सरकार की 6 सूत्रीय रणनीति है. चौहान ने गिनाते हुए बताया... किसानों को उचित दाम देने के लिए समिति की रिपोर्ट आएगी. तब हम कार्रवाई करेंगे, लेकिन तब तक हम चुप नहीं बैठे हैं, हमारी सरकार लगातार किसानों के हित में काम कर रही है. यूपीए की सरकार में वर्ष 2013-14 तक बाजरा का समर्थन मूल्य 1250 था, मोदी जी की सरकार ने 2625 रूपये घोषित किया. मक्का के जो 1100 रुपये थे, हमने बढ़ाकर 1850 रुपये किए. रागी की एमएसपी 1310 रुपये थी, लेकिन हमने इसे 2225 रुपये किया. गेहूं के 1500 रुपये थे, हमने इसे बढ़ाकर 2275 रुपये किया. तुअर के 4300 रुपये थे लेकिन हमने इसे बढ़ाकर 7550 रुपये किए. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- एमएसपी पर खरीद अधिकतम हुई और इस साल भी तुअर, मसूर और उड़द, किसान जितनी भी पैदा करेगा, सरकार खरीदेगी. समृद्धि पोर्टल हमने बनाया है, किसान रजिस्ट्रेशन करवाए उसकी पूरी उपज सरकार खरीदेगी. आंकड़े गवाह हैं कि, जब यूपीए सरकार थी, तब खरीदी कितनी होती थी और जब हमारी सरकार है, तब कितनी खरीदी होती है. विपक्ष केवल घड़ियाली आंसू बहा रहा है. सदन में रखे खरीदी के तुलनात्मक आंकड़े - साल 2004-05 से 2013-14 के बीच केवल 45 करोड़ 90 लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई. - जबकि 2014-15 से लेकर 2023-24 के बीच 69 करोड़ 18 लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई. - गेहूं की खरीदी 2004-05 से 2013-14 के बीच 21 करोड़ मीट्रिक टन थी, जो अब बढ़कर 35 करोड़ 38 लाख मीट्रिक टन हो गई है. - दलहन की खरीद 2004-05 से 2013-14 तक केवल 6 लाख मीट्रिक टन थी, जो अब बढ़कर 1 करोड़ 67 लाख मीट्रिक टन हो गई है. - तिलहन की खरीद जब इनकी सरकार थी तब केवल 50 लाख मीट्रिक टन थी, जो बढ़कर 87 लाख मीट्रिक टन हो गई है. - कपास की गांठ ये खरीदते थे केवल 26 लाख हमने बढ़ाकर 31.17 लाख कपास की गांठ खरीदी है. - धान की एमएसपी से खरीद से लाभान्वित किसान केवल 78 लाख थे, जो अब बढ़कर 1 करोड़ 3 लाख 83 हजार 248 हो गए हैं. - गेहूं की खरीद के लिए लाभान्वित किसान केवल 20 लाख थे, जो अब बढ़कर 22 लाख 69 हजार 264 हो गए हैं.
पहले रूस गए और अब युद्ध के बाद पहली बार यूक्रेन जाएंगे PM मोदी, काफी अहम माना जा रहा है प्रधानमंत्री का ये दौरा

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में दो दिन के दौरे पर रूस गए थे, जिसके बाद अब पीएम मोदी यूक्रेन का दौरा करेंगे. दिल्ली में यूक्रेन एंबेसी के हवाले से सामने आई जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी अगले महीने यूक्रेन की राजधानी कीव का दौरा करेंगे, जहां वो यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे. इससे पहले पीएम मोदी 8-9 जुलाई को रूस के दौरे पर थे, वो भारत-रूस के वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे.

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद यह पीएम मोदी का यूक्रेन का पहला दौरा होगा. सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी का यह दौरा यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस के आस पास होगा. यूक्रेन में 24 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. रूस-यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से चल रहे युद्ध के बीच पीएम मोदी के इस दौरे को काफी अहम माना जा रहा है. दरअसल, भारत के रूस से भी रिश्ते काफी अच्छे हैं, जिसके बाद माना जा रहा है कि हो सकता है कि पीएम मोदी के इस दौरे के बाद दोनों देशों के बीच युद्धविराम की कोई राह सामने आए.

रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से युद्ध चल रहा है, इस युद्ध को अब 882 दिन से ज्यादा का समय हो गया है. इस युद्ध में अब तक हजारों लोगों की मौत हो गई हैं और कई घायल हो गए हैं. रूस- यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बाद पीएम मोदी की यह यूक्रेन की पहली यात्रा होगी. इससे पहले पीएम मोदी 8- 9 जुलाई को रूस दौरे पर गए थे और उन्होंने वहां पर राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थीं. अपने रूस दौरे के दौरान पीएम मोदी ने पुतिन से शांति की बात कही थी.

अब पीएम मोदी अगले महीने यूक्रेन की यात्रा करेंगे और राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है पीएम मोदी की इस यात्रा के बाद दोनों देशों रूस और यूक्रेन के बीच शांति समझौते पर सहमति हो सकती है. हालांकि पीएम मोदी युद्ध रोकने का समर्थन पहले ही कर चुके हैं. पीएम मोदी जुलाई में रूस गए जिसके बाद अब वो अगस्त में यूक्रेन का दौरा करेंगे और संभावित है इस कि इस दौरे के अगले महीने पीएम मोदी अक्टूबर में एक बार फिर रूस की यात्रा करेंगे.

प्रधानमंत्री मोदी के यूक्रेन दौरे के लिए तैयारियां तेज कर दी गई है. इससे पहले 13 से 15 जून के बीच इटली में हुए जी-7 समिट के दौरान पीएम मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादीमर जेलेंस्की की मुलाकात हुई थीं. उन्होंने यूक्रेन में मौजूदा स्थिति पर चर्चा की थीं, जिसमें पीएम मोदी ने कहा था कि भारत शांति से समाधान करने का समर्थन करना जारी रखेगा. इससे पहले अक्तूबर 2022 में पीएम मोदी और राष्ट्रपति जेलेंस्की की फोन पर भी रूस-यूक्रेन दौरे को लेकर बातचीत हुई थी. फोन पर हुई बातचीत के दौरान राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पीएम मोदी को यूक्रेन आने के लिए आमंत्रित किया था.

शाह के ‘भ्रष्टाचार का सरगना’ बोलने पर शरद पवार का पलटवार, दिलाई सुप्रीम कोर्ट के फैसले की याद

#sharadpawarhitsbackatamitshah

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीते दिनों अपने एक बयान में एनसीपी (एससीपी) प्रमुख शरद पवार को राजनीति में भ्रष्टाचार का सरगना करार दिया था। अब ये मामला तूल पकड़ता दिख रहा है। आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब शरद पवार ने खुद अमित शाह पर निशाना साधा है। शरद पवार ने अमित शाह पर पलटवार किया है। शरद पवार ने कहा कि ये हैरानी की बात है कि एक व्यक्ति जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात से बाहर किया गया था, वो देश का इतना अहम मंत्रालय संभाल रहा है। 

पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान एनसीपी चीफ ने कहा कि जब वो(शाह) गुजरात में थे तो कानून का गलत इस्तेमाल करने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तड़ीपार कर दिया था। अब जिस आदमी को सुप्रीम कोर्ट ने तड़ीपार किया था उसे आज देश की होम मिनिस्ट्री की जिम्मेदारी दी गई है। 

शरद पवार ने आगे कहा कि जिनके हाथ में सत्ता है, उन्होंने अपनी सोच नहीं बदली है। हम सभी को सावधान रहना चाहिए, नहीं तो देश गलत दिशा में आगे बढ़ सकता है। बता दें कि अमित शाह को सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में 2010 में दो साल के लिए राज्य से बाहर किया गया था। बाद में उन्हें 2014 में इस मामले में बरी कर दिया गया था।

अमित शाह ने क्या कहा था?

पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शरद पवार पर बड़ा हमला बोला था। उन्होंने पवार को देश में भ्रष्ट लोगों का सरगना बताया था। शाह ने कहा था कि विपक्ष हम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाता है, लेकिन देश की राजनीति में भ्रष्टाचार के सबसे बड़े सरगना शरद पवार हैं। अगर किसी राजनेता ने सरकार में भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाया तो वे शरद पवार थे और मुझे ये कहने में जरा भी संकोच नहीं है। वे हम पर क्या आरोप लगाएंगे, अब हम उन पर आरोप लगा रहे हैं।

भारी बारिश ने उत्तराखंड में मचाया हाहाकार! भागीरथी और अलकनंदा का जलस्तर बढ़ा, एसडीआरएफ और पुलिस टीम तैनात

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में शुक्रवार को जमकर बारिश हुई। इस के चलते अलकनंदा एवं भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ा रहा। देर शाम गंगोत्री घाटी के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में वर्षा की वजह से गंगोत्री धाम में अचानक भागीरथी का जलस्तर बढ़ने से अफरा तफरी मच गई। हालांकि वक़्त रहते सभी भक्त सुरक्षित जगहों पर पहुंच गए, जिससे बड़ी दुर्घटना होने से टल गई। जल स्तर बढ़ने की वजह से धाम के स्नान घाट जलमग्न हो गए हैं।

वहीं सुरक्षा को देखते हुए SDRF एवं पुलिस टीम मौके पर तैनात है। पूर्व व्यापार मंडल अध्यक्ष सतेन्द्र सेमवाल ने कहा कि जलस्तर बढ़ा था, किन्तु अब स्तिथि दोबारा सामान्य हो गई है। खतरे की अब कोई बात नहीं है. उपरी क्षेत्रों में हो रही भारी वर्षा की वजह से श्रीनगर एवं देवप्रयाग में अलकनंदा नदी का जल स्तर खतरे के निशान से लगभग एक से दो मीटर नीचे रहा। 

श्रीनगर में अलकेश्वर घाट एवं कीर्तिनगर में ढुंडप्रयाग स्नान घाट जलमग्न रहा। जबकि देवप्रयाग में अलकनंदा नदी के उफान पर रही। दोपहर को अलकनंदा नदी का जल स्तर 460.30 मीटर तक पहुंच गया। इसके चलते गंगा का जल स्तर बढ़ने से यहां संगम स्थल का निचला हिस्सा, रामकुंड घाट, फुलेडी घाट आदि पूरी तरह जलमग्न हो गया। वहीं भागीरथी नदी क्षेत्र में लगभग 2 किलोमीटर तक अलकनंदा का पानी भर गया।

आतंकवाद का रास्ता छोड़ने के बाद जम्मू कश्मीर के इस संगठन ने किया चुनाव लड़ने का ऐलान

कश्मीर घाटी में आतंकवाद का नेतृत्व करने के साढ़े तीन दशकों के पश्चात्, जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर (JeI J-K) ने चुनावी राजनीति में वापसी का निर्णय लिया है। उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की है। संगठन के नेताओं ने बताया कि वे फरवरी 2019 में लगाए गए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंध हटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके लिए कथित तौर पर सरकार के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है।

अगर जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर से प्रतिबंध हटा दिया जाता है, तो संगठन के नेताओं ने बताया कि वे आगामी विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेने की योजना बना रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में सितंबर तक चुनाव कराने की योजना है, और अगर सब कुछ ठीक रहा तो चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव की दिनांकों का ऐलान कर सकता है। जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर ने 1998 में आतंकवाद से स्वयं को अलग कर लिया था। अगर यह संगठन चुनाव में भाग लेता है, तो यह नीतियों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाएगा। इसके फैसले के बाद, कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी ने 2004 में तहरीक-ए-हुर्रियत (TeH) का गठन किया था।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, JeI J&K के मामलों को प्रबंधित करने के लिए गठित आठ सदस्यीय पैनल के एक वरिष्ठ सदस्य ने संगठन पर प्रतिबंध हटाने के लिए केंद्र सरकार के साथ बातचीत की पुष्टि की है। पैनल के सदस्य ने कहा कि वे "मूल दस्तूर (जमात का संविधान), 1987 से पहले की स्थिति" पर लौटना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि अल्ताफ बुखारी, जो JeI J-K और केंद्र सरकार के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं, इस प्रक्रिया में सहायता कर रहे हैं। बुखारी को केंद्र सरकार के करीबी माना जाता है। सरकार की पहली शर्त थी कि संगठन के सदस्य वोट करें, जिसके जवाब में संगठन के नेताओं ने कहा कि उन्होंने कभी चुनाव का बहिष्कार नहीं किया, और यदि ऐसा किया भी तो अन्य लोगों के बहिष्कार के कारण।

जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर ने 30 जून को एक बैठक में आगामी चुनाव लड़ने का फैसला लिया था। इस के चलते, संगठन द्वारा बनाए गए पैनल ने सरकार से बातचीत में तेजी लाने की उम्मीद जताई। पैनल के सदस्य गुलाम कादिर लोन ने कहा कि संगठन "लोगों से फिर से जुड़ना चाहता है" और यह फैसला लिया गया कि किसी पार्टी का समर्थन करने से बेहतर है कि संगठन खुद चुनाव लड़े। रिपोर्टों के मुताबिक, पैनल के एक सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि JeI J-K "धार्मिक मामलों पर समझौता नहीं करेगा," किन्तु चुनाव से पहले या बाद में गठबंधन करने के लिए तैयार है। संगठन के सदस्य ने संकेत दिया कि यदि पार्टी इस दिशा में आगे बढ़ती है, तो गठबंधन के लिए उनकी पार्टी पहली पसंद होगी। इसके साथ ही, पार्टी नेता फारुक अब्दुल्ला की अगुवाई वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ भी 'पहले की दुश्मनी को भूलकर' गठबंधन की इच्छा व्यक्त की जा रही है।

नीति आयोग की बैठक बीच में ही छोड़कर निकली बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बोली-मुझे बोलने नहीं दिया गया

#wb_cm_mamata_banerjee_said_i_was_not_allowed_to_speak_on_niti_aayog_meeting

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक जारी है। देश भर के मुख्यमंत्री इस बैठक में भाग ले रहे हैं। इस बैठक में इंडिया गठबंधन से सिर्फ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही शामिल हुईं। हालांकि, नीति आयोग की बैठक में शामिल हुईं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेहद नाराज हो गईं और मीटिंग छोड़कर बाहर निकल गईं हैं।उन्होंने माइक बीच में ही बंद करने और सिर्फ 5 मिनट बोलने देने का आरोप लगाया।

ममता बनर्जी ने बताया, मैंने बैठक में कहा कि आपको (केंद्र सरकार) राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। मैं बोलना चाहती थी, लेकिन मुझे केवल पांच मिनट बोलने की अनुमति दी गई। मुझसे पहले लोगों ने 10-20 मिनट तक बात की। विपक्ष की ओर से केवल मैं ही इस कार्यक्रम में भाग ले रही थी, लेकिन फिर भी मुझे बोलने नहीं दिया गया। यह अपमानजनक है।

बंगाल सीएम ने आगे आरोप लगाया, जब मैं बोल रहीं थी उस समय मेरा माइक बंद कर दिया गया। मैंने पूछा कि मुझे क्यों बोलने से रोका गया। मेरे साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। आपको अपनी पार्टी और सरकार को अधिक अवसर देने के बजाय इस पर खुश होना चाहिए कि मैं बैठक में शामिल हुईं। विपक्ष की ओर से केवल मैं हूं और आप मुझे बोलने से रोक रहे हैं। यह केवल बंगाल का अपमान नहीं बल्कि यह सभी क्षेत्रीय दलों का अपमान है।

नीति आयोग की बैठक छोड़कर ममता बनर्जी बाहर निकली गई हैं। बाहर निकलने के बाद मीडिया से बातचीत में ममता ने कहा कि मुझे बोलने नहीं दिया गया। फंड मांगने पर मेरा माइक बंद कर दिया गया। मुझे केवल 5 मिनट बोलने दिया गया। केंद्र सरकार बंगाल के साथ भेदभाव कर रही है। गैर एनडीए शासित राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। अब नीति आयोग की बैठक में कभी नहीं आऊंगी। ये पूरे विपक्ष का अपमान है। नीति आयोग की जगह प्लानिंग कमिशन लाया जाए।