आतंकवाद का रास्ता छोड़ने के बाद जम्मू कश्मीर के इस संगठन ने किया चुनाव लड़ने का ऐलान
कश्मीर घाटी में आतंकवाद का नेतृत्व करने के साढ़े तीन दशकों के पश्चात्, जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर (JeI J-K) ने चुनावी राजनीति में वापसी का निर्णय लिया है। उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की है। संगठन के नेताओं ने बताया कि वे फरवरी 2019 में लगाए गए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंध हटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके लिए कथित तौर पर सरकार के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है।
अगर जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर से प्रतिबंध हटा दिया जाता है, तो संगठन के नेताओं ने बताया कि वे आगामी विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेने की योजना बना रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में सितंबर तक चुनाव कराने की योजना है, और अगर सब कुछ ठीक रहा तो चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव की दिनांकों का ऐलान कर सकता है। जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर ने 1998 में आतंकवाद से स्वयं को अलग कर लिया था। अगर यह संगठन चुनाव में भाग लेता है, तो यह नीतियों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाएगा। इसके फैसले के बाद, कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी ने 2004 में तहरीक-ए-हुर्रियत (TeH) का गठन किया था।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, JeI J&K के मामलों को प्रबंधित करने के लिए गठित आठ सदस्यीय पैनल के एक वरिष्ठ सदस्य ने संगठन पर प्रतिबंध हटाने के लिए केंद्र सरकार के साथ बातचीत की पुष्टि की है। पैनल के सदस्य ने कहा कि वे "मूल दस्तूर (जमात का संविधान), 1987 से पहले की स्थिति" पर लौटना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि अल्ताफ बुखारी, जो JeI J-K और केंद्र सरकार के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं, इस प्रक्रिया में सहायता कर रहे हैं। बुखारी को केंद्र सरकार के करीबी माना जाता है। सरकार की पहली शर्त थी कि संगठन के सदस्य वोट करें, जिसके जवाब में संगठन के नेताओं ने कहा कि उन्होंने कभी चुनाव का बहिष्कार नहीं किया, और यदि ऐसा किया भी तो अन्य लोगों के बहिष्कार के कारण।
जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर ने 30 जून को एक बैठक में आगामी चुनाव लड़ने का फैसला लिया था। इस के चलते, संगठन द्वारा बनाए गए पैनल ने सरकार से बातचीत में तेजी लाने की उम्मीद जताई। पैनल के सदस्य गुलाम कादिर लोन ने कहा कि संगठन "लोगों से फिर से जुड़ना चाहता है" और यह फैसला लिया गया कि किसी पार्टी का समर्थन करने से बेहतर है कि संगठन खुद चुनाव लड़े। रिपोर्टों के मुताबिक, पैनल के एक सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि JeI J-K "धार्मिक मामलों पर समझौता नहीं करेगा," किन्तु चुनाव से पहले या बाद में गठबंधन करने के लिए तैयार है। संगठन के सदस्य ने संकेत दिया कि यदि पार्टी इस दिशा में आगे बढ़ती है, तो गठबंधन के लिए उनकी पार्टी पहली पसंद होगी। इसके साथ ही, पार्टी नेता फारुक अब्दुल्ला की अगुवाई वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ भी 'पहले की दुश्मनी को भूलकर' गठबंधन की इच्छा व्यक्त की जा रही है।
Jul 27 2024, 14:16