चाँदीपुरा वायरस से दहशत में गुजरात!अब तक 19 बच्चों की मौत,जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय
गुजरात में इन दिनों इंसेफ्लाइटिस से मिलता जुलता वायरस चांदीपुरा वायरस से मौतों में इजाफा ने हर किसी की चिंता बढ़ा दी है। जानकारी के मुताबिक अब तक इस वायरस से 19 लोगों की मौत हो चुकी हैं। अब तक यह वायरस गुजरात के 10 से ज्यादा जिलों में फैल चुका है।
वहीं, संदिग्ध मामलों की संख्या भी बढ़कर 29 के करीब पहुंच गई है। डॉक्टर्स और सरकार का कहना है कि आने वाले दिनों में चांदीपुरा वायरस के मामलों में और बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। ऐसे में समय रहते इसके लक्षणों को पहचानकर इसका इलाज शुरू करना जरूरी हो गया है ।
क्या है यह वायरस
चांदीपुरा वायरस एक इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी से जुड़ा है। यह वायरस बुखार का कारण बनता है। यह एक ऐसा वायरस है, जो मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है। अगर इस बीमारी की लाक्षण की बात करें तो,चांदीपुरा वायरस के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इससे दिमाग में सूजन (ए्नसेफेलाइटिस) की समस्या होने लगती है। तेज बुखार, दस्त, उल्टी, दौरे और चेतना की हानि इसके लक्षणों में शामिल है।
इस वायरस से कौन हो सकते हैं प्रभावित
चांदीपुरा वायरस 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को प्रभावित करता है। डॉक्टर्स के मुताबिक यह वायरस मक्खियों से ज्यादा फैलता है। पहले 24 से 72 घंटे इसमें बेहद अहम होते हैं। यह मुख्य रूप से 9 महीने से 14 साल की उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है।
इस वायरस बचने का उपाय
जो मक्खियां रेत में पाई जाती हैं, उनसे बचाव करना ही चांदीपुरा वायरस से बचाव है। इससे बचने के लिए आप कीटनाशक का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। मक्खी और मच्छरों से बचाव के लिए फुल आस्तीन के कपड़े पहनें और मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
चांदीपुरा वायरस का इलाज क्या है?
कोविड की तरह कोई खास एंटीवायरस इलाज या वैक्सीन नहीं है। लक्षणों को पहचानकर, सावधानी बरत कर ही इससे बचा जा सकता है।
चांदीपुरा वायरस गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराएं।
चांदीपुरा वायरस में शरीर को हाइड्रेट करना जरूरी होता है।
गंभीर न्यूरोलॉजिकल लक्षणों में इंटेंसिव केयर की जरूरत होती है।
चांदीपुरा वायरस का सबसे पहला केस
चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है। यह मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है। इसके फैलने के पीछे मच्छर में पाए जाने वाले एडीज जिम्मेदार होते हैं। साल 1965 में इस वायरस का पहला मामला महाराष्ट्र में दर्ज किया गया था। साल 2004 से 2006 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में इस वायरस को रिपोर्ट किया गया था। हर साल गुजरात में इसके मामले दर्ज किए जाते हैं।
Jul 22 2024, 10:47