16 बच्चों को छोड़ भागे समधी और समधन, कुछ ही दिनों में होने वाली थी बेटे-बेटी की शादी, यूपी से सामने आया अनोखा मामला





उत्तर प्रदेश के कासगंज से एक अनोखा मामला सामने आया है जहां एक व्यक्ति अपनी ही समधन को भगा कर अपने साथ ले गया है. समधी एवं समधन अपने परिवार में कुल मिलाकर 16 बच्चों को छोड़ गए हैं. जिसमें समधी के 10 बच्चे हैं तथा समधन के 6 बच्चे हैं. इसकी शिकायत समधन पक्ष से पुलिस में की गई है. पुलिस ने अपराधी के विरुद्ध आरोप नामजद कर लिया है. फिलहाल पूरे मामले की तहकीकात की जा रही है.


जानकारी के अनुसार, जिले के डुंडवारा थाना इलाके के एक गांव की है. गांव के रहने वाले पप्पू की बेटी की शादी शकील नाम के व्यक्ति के बेटे के साथ तय हुई. शकील पहले से ही पप्पू के घर आता जाता रहता था. दोनों बच्चों की शादी की तैयारियां निरंतर चल रही थीं. दोनों पक्षों की तरफ से कैटरिंग, टेंट एवं अन्य चीजों की बुकिंग भी चल रही थी. इसी बीच अचानक से शकील एवं लड़की की मां दोनों घर से गायब हो गए. पप्पू ने पुलिस को दी शिकायत में शकील पर गंभीर इल्जाम लगाए हैं. पप्पू ने बताया कि उसकी बेटी और शकील के बेटे की शीघ्र ही शादी होने वाली थी. पप्पू ने पुलिस को बताया कि शकील उसके घर आता-जाता रहता था. बच्चों की शादी से पहले ही शकील उनकी पत्नी को बहला-फुसला कर अपने साथ ले गया है. पुलिस ने शकील के विरुद्ध फिलहाल मुकदमा दर्ज किया है तथा अब आगे की कार्रवाई की जा रही है.

वही इस घटना के पश्चात् क्षेत्र के लोग का प्रकार की बातें कर रहे हैं. वहीं स्थानीय लोग कह रहे है कि दोनों के बीच पहले से ही प्रेम प्रसंग चल रहा था. इसके कारण ही यह रिश्ता हो रहा है. किन्तु किसी को भी इस बात की खबर नहीं थी कि दोनों इतना बड़ा कदम उठा लेंगे. दोनों का भरा पूरा परिवार है. शकील के 10 बच्चे बताए जा रहे हैं जबकि उसकी होने वाली समधन के 6 बच्चे हैं. वहीं पप्पू ने शकील पर अपनी पत्नी को अपहरण करने के इल्जाम लगाए हैं.
अखाड़ा परिषद से निष्कासित हुए 13 महामंडलेश्वर, महाकुंभ से भी किए गए प्रतिबंधित, 112 अन्य संतों को नोटिस देकर मांगा जवाब



उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड के बाद, हिंदू सनातन धर्म के साधु संतों का सर्वोच्च संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद सक्रिय हो गया है। परिषद ने 13 महामंडलेश्वरों एवं संतों को अनुशासन के उल्लंघन की वजह से संत समाज से बाहर निकालने का फैसला लिया है। साथ ही, 112 अन्य साधु संतों को नोटिस जारी कर 30 सितंबर तक लिखित जवाब देने के लिए कहा गया है। अगर संत संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि हाथरस की घटना में पता चला कि कुछ संत स्वयं को स्वयंभू घोषित कर रहे थे। इस सिलसिले में कई संतों की गोपनीय जांच की गई, जिसमें पाया गया कि उनकी कार्यप्रणाली सनातन धर्म और अखाड़े की रीति-नीति के खिलाफ है। अखाड़ा परिषद ने 13 संतों को निष्कासित किया है तथा अन्य 112 को नोटिस दिया गया है।

महंत रविंद्र पुरी के मुताबिक, अखाड़ा परिषद नियमित रूप से संतों की कार्यप्रणाली की जांच करता है। संदिग्ध कार्यप्रणाली वाले संतों को नोटिस जारी कर उत्तर मांगा जाता है। संत का उद्देश्य धार्मिक तत्वों को बढ़ावा देना है, न कि खुद को ईश्वर के समान दिखाना। जांच के बाद जूना अखाड़े से 54, निरंजनी से 24 और निर्मोही अखाड़े से 34 संतों को नोटिस जारी किया गया है। निष्कासित संतों में कुछ प्रमुख नाम सम्मिलित हैं, जैसे जैनेंद्र दास और हरेंद्रानंद। अन्य संतों को भी नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है।
'मंदिर आए तो वाहन जब्त कर लेंगे..', कांग्रेस सरकार ने 3 दिवसीय लोधी मल्लैया उत्सव पर लगाया प्रतिबंध तो विरोध में उतरे हिन्दू संगठन

विश्व हिंदू परिषद (VHP), तेलंगाना ने हिंदू समुदाय के धार्मिक अधिकारों और भावनाओं पर निर्णय के प्रभाव पर गहरी चिंताओं का हवाला देते हुए लोधी मल्लैया उत्सव पर प्रतिबंध को तत्काल हटाने का आह्वान किया है। यह उत्सव, जो सालाना हजारों भक्तों को आकर्षित करता है, जो पारंपरिक रूप से पहली एकादशी के दिन से शुरू होकर तीन दिनों तक आयोजित किया जाता है। इस साल, यह उत्सव 17 जुलाई, 2024 को शुरू होने वाला है। प्रसिद्ध लोधी मल्लैया मंदिर महबूबनगर जिले के मन्नानूर चेकपोस्ट श्रीशैलम रोड के पास नल्लमल्ला वन में स्थित है।

हालाँकि, राज्य की कांग्रेस सरकार के अंतर्गत आने वाले तेलंगाना वन विभाग और अचंपेट वन रेंज अधिकारी ने एक बयान जारी कर उत्सव को स्थगित करने की घोषणा की है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि मंदिर में आने वाले भक्तों को वन कानूनों के तहत दंड का सामना करना पड़ सकता है और उनके वाहन जब्त किए जा सकते हैं। इस घोषणा ने भक्तों, विहिप और हिंदू संगठनों की ओर से कड़ी निंदा की है। राज्य की कांग्रेस सरकार पर सवाल उठाते हुए, विहिप ने कहा कि हिंदू समुदाय ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस को वोट दिया था, जिससे उन्हें सत्ता हासिल करने में मदद मिली। अब सरकार बनने के बाद विहिप ने सवाल उठाया है कि कांग्रेस हिंदू मान्यताओं का ख्याल क्यों नहीं रख रही है और क्या वे इस तरह से किसी अन्य समुदाय के त्योहारों पर प्रतिबंध लगाएंगे।


विहिप तेलंगाना के संयुक्त सचिव डॉ. शशिधर ने कहा, "कांग्रेस सरकार द्वारा त्योहार पर प्रतिबंध लगाने का फैसला न केवल हिंदू मान्यताओं को कमजोर करता है, बल्कि समुदाय के मूल अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।" उनका तर्क है कि अगर पर्यटकों को पर्यटन पैकेज के तहत पूरे साल इस क्षेत्र में आने की अनुमति दी जाती है, तो तीन दिनों के लिए आने वाले भक्तों के लिए कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। विहिप तेलंगाना ने यह भी उजागर किया कि वार्षिक उत्सव ने बाघों के प्रजनन को कभी प्रभावित नहीं किया है, जैसा कि बाघों की बढ़ती आबादी से संकेत मिलता है।

डॉ. शशिधर ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और वरिष्ठ वन अधिकारियों से त्योहार को हमेशा की तरह जारी रखने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करने का आह्वान किया है। विहिप तेलंगाना ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में मांग की है कि अचंपेट वन रेंज अधिकारी को हिंदू विरोधी एजेंडे के लिए जवाबदेह ठहराया जाए। संगठन ने अधिकारियों से अचंपेट वन क्षेत्र के भीतर प्रमुख तीर्थ स्थलों पर जाने वाले भक्तों को अधिकारी द्वारा कथित रूप से जानबूझकर बाधा डालने की जांच करने और उसका समाधान करने का भी आग्रह किया। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि अगर तेलंगाना सरकार प्रतिबंध लागू करती है, तो वे भक्तों के साथ मिलकर सीधे विरोध प्रदर्शन करेंगे। डॉ. शशिधर ने कहा, "हम अधिकारियों को लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने के खिलाफ चेतावनी देते हैं।" उन्होंने समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता और परंपराओं को बनाए रखने के लिए इस मुद्दे को हल करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
'पढ़ाई से कुछ नहीं होगा, पंचर की दुकान से चलेगा घर', भरी सभा में BJP विधायक ने दी युवाओं को सलाह


मध्य प्रदेश के गुना से भाजपा MLA पन्नालाल शाक्य, जो अपनी विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते हैं, एक बार फिर ख़बरों में आ गए हैं। एक कार्यक्रम के चलते उन्होंने युवाओं को सलाह देते हुए कहा कि पढ़ाई-लिखाई कर डिग्री हासिल करने से कुछ नहीं मिलेगा, बल्कि मोटरसाइकिल पंचर की दुकान खोलने से ही जीवन यापन होगा। इस बयान पर लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल करना आरम्भ कर दिया है।


दरअसल, पन्नालाल शाक्य पर्यावरण संरक्षण को लेकर भाषण दे रहे थे। इसी के चलते उनकी जुबान फिसल गई। कार्यक्रम के चलते पहले तो भारतीय जनता पार्टी MLA ने चिंता जताते हुए कहा कि सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण हो गया है, पेड़-पौधे काटे जा रहे हैं तथा समाप्त किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज हम पीएम कॉलेज का शुभारंभ कर रहे हैं, किन्तु पेड़-पौधों की सुरक्षा की ओर ध्यान नहीं दे रहे।

आगे बोलते हुए उनकी जुबान फिसल गई तथा उन्होंने युवाओं को अजीबो-गरीब सलाह दे डाली। उन्होंने कहा कि पढ़ाई-लिखाई करके डिग्री हासिल करने से कुछ भी नहीं होगा। मोटरसाइकिल पंचर की दुकान खोल लो, कम से कम इससे जीवन यापन तो चलता रहेगा। पन्नालाल शाक्य बहुत ही सामान्य जीवन जीते हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के चलते गुना में प्रचार करते वक़्त भी उनका यह अंदाज देखने को मिला था। गुना में चुनाव प्रचार के चलते उन्होंने कहा था कि चुनाव के पश्चात् या चुनाव के दौरान मंदिर जाना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं है। जनता के बीच रहने वाला व्यक्ति हमेशा जनता के बीच ही रहता है।
आतंकियों से एनकाउंटर में वीरगति को प्राप्त हुए 5 जवान, आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली जिम्मेदारी



केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में सोमवार (15 जुलाई) को भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में एक अधिकारी समेत चार सैन्यकर्मी और एक पुलिसकर्मी वीरगति को प्राप्त हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के एक छद्म समूह 'कश्मीर टाइगर्स' ने ली है।

यह मुठभेड़ उस समय हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (SoG) के जवानों ने सोमवार देर शाम डोडा शहर से करीब 55 किलोमीटर दूर देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरारबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया। सैन्य अधिकारियों ने बताया कि कुछ देर की गोलीबारी के बाद आतंकवादियों ने भागने का प्रयास किया, लेकिन एक अधिकारी के नेतृत्व में जवानों ने चुनौतीपूर्ण इलाके और घने जंगल के बावजूद उनका पीछा किया, जिसके बाद रात करीब 9 बजे जंगल में फिर से गोलीबारी हुई।

अधिकारियों ने पुष्टि की है कि मुठभेड़ में पांच जवान गंभीर रूप से घायल हो गए और उनमें से चार, जिनमें एक अधिकारी भी शामिल था, ने बाद में दम तोड़ दिया। आतंकी समूह 'कश्मीर टाइगर्स' ने एक बयान में कहा कि मुठभेड़ और गोलीबारी तब हुई जब सुरक्षा बल 'मुजाहिदीन' की तलाश में तलाशी अभियान चला रहे थे। 'कश्मीर टाइगर्स' वही समूह है जिसने 9 जुलाई को कठुआ में सेना के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी ली थी।
'पुतिन के साथ अपने रिश्तों का इस्तेमाल कर यूक्रेन युद्ध रुकवाए भारत', पीएम मोदी के रूस दौरे के बाद अमेरिका की बड़ी अपील
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रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इस बीच अमेरिका ने भारत से युद्ध को लेकर बड़ी अपील की है।अमेरिका ने नई दिल्ली से आग्रह किया है कि वह अपने रिश्ते का इस्तेमाल कर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को समाप्त करने की अपील करे।अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने ये अपील की।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत के रूस के साथ बहुत पुराने संबंध हैं। मुझे लगता है कि यह बात सभी को पता है। हमने भारत को प्रोत्साहित किया है कि वह रूस के साथ इन पुराने संबंधों, अपनी अनूठी स्थिति का इस्तेमाल करे और राष्ट्रपति पुतिन से युद्ध को समाप्त करने, इस संघर्ष में न्यायपूर्ण एवं स्थायी शांति हासिल करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर, यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता का सम्मान करने का आग्रह करे।’’

मिलर ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, हम भारत सरकार के समक्ष इस बात पर लगातार जोर देते रहेंगे। भारत रूस के साथ संबंधों के मामले में हमारा एक महत्वपूर्ण साझेदार है। मिलर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस से रवाना होने के तुरंत बाद नौ जुलाई को भी इसी तरह की टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि भारत को यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए प्रयास करना चाहिए। एक बार फिर उन्होंने इसी बात को दोहराया है।

बता दें कि नरेंद्र मोदी 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आठ और नौ जुलाई को रूस में थे।  इस दौरान उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी।यूक्रेन में जारी संघर्ष के बीच उनकी इस यात्रा पर पश्चिमी देशों की भी करीबी नजर रही। यह दो साल से अधिक समय पहले यूक्रेन पर किए गए रूस के आक्रमण के बाद मोदी की पहली रूस यात्रा थी। प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन में युद्ध की पृष्ठभूमि में 9 जुलाई को पुतिन से कहा था कि बम, बंदूकों एवं गोलियों के बीच शांति वार्ता सफल नहीं होती और किसी संघर्ष का कोई समाधान युद्धक्षेत्र में संभव नहीं है।
जम्मू कश्मीर के डोडा में हुए आतंकी हमले पर राहुल गांधी ने सरकार को घेरा, बीजेपी सरकार की नीतियों को ठहराया जिम्मेदार
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जम्मू के डोडा में सोमवार रात हुई मुठभेड़ में सेना के कैप्टन सहित चार जवान शहीद हो गए। बीते कुछ महीनों से जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकी वारदातें हो रही हैं।इसे लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा है।नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गाटी में एक के बाद एक हो रही घटनाओं के लिए बीजेपी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।

लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी जम्मू-कश्मीर में हो रहे आतंकी हमलों पर सरकार को घेरा है। राहुल ने कहा है कि एक के बाद एक ऐसी घटनाएं बेहद दुखद और चिंताजनक हैं। उन्होंने मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए एक्स पर लिखा है कि 'जम्मू कश्मीर में फिर से एक आतंकी मुठभेड़ में हमारे जवान शहीद हो गए। शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक संतप्त परिजनों को गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। एक के बाद एक ऐसी भयानक घटनाएं बेहद दुखद और चिंताजनक है।'

आगे कहा, 'लगातार हो रहे ये आतंकी हमले जम्मू कश्मीर की जर्जर स्थिति बयान कर रहे हैं। भाजपा की गलत नीतियों का खामियाजा हमारे जवान और उनके परिवार भुगत रहे हैं।
हर देशभक्त भारतीय की यह मांग है कि सरकार बार-बार हो रही सुरक्षा चूकों की पूरी जवाबदेही ले कर देश और जवानों के गुनहगारों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे। दुख की इस घड़ी में पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता से खड़ा है।'

वहीं, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद के अभिशाप को खत्म करने और क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, 'डोडा (जम्मू-कश्मीर) में आतंकवाद विरोधी अभियान में हमारे बहादुर और साहसी भारतीय सेना के जवानों के शहीद होने पर मुझे गहरा दुख हुआ है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। राष्ट्र हमारे उन सैनिकों के परिवारों के साथ मजबूती से खड़ा है जिन्होंने कर्तव्य निभाते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। आतंकवाद विरोधी अभियान जारी हैं और हमारे सैनिक आतंकवाद के अभिशाप को खत्म करने और क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'

बता दें कि जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल हुए एक अधिकारी समेत सेना के चार जवानों की मंगलवार को शहीद हो गए। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह के जवानों ने सोमवार देर शाम देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया।जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई।
आईआईटी बॉम्बे ने मुंबई के लिए हाइपरलोकल मौसम पूर्वानुमान प्रणाली शुरू की, ऐप हुआ उपलब्ध

मुंबई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (आईआईटी-बी) की एक टीम ने मुंबई के लिए एक हाइपरलोकल मौसम पूर्वानुमान प्रणाली विकसित की है, जो शहर भर के विशिष्ट मोहल्लों, सड़कों और क्षेत्रों के लिए सटीक पूर्वानुमान प्रदान करती है। एमसीजीएम सेंटर फॉर म्यूनिसिपल कैपेसिटी बिल्डिंग एंड रिसर्च (एमसीएमसीआर) के सहयोग से यह परियोजना अब एंड्रॉइड डिवाइस पर मुंबई फ्लड ऐप के माध्यम से जनता के लिए उपलब्ध है।

यह नई प्रणाली भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की कोलाबा, सांताक्रूज़ और मरीन लाइन्स में मुख्य वेधशालाओं के साथ-साथ मुंबई और उसके उपनगरों में 60 से अधिक स्वचालित मौसम स्टेशनों और वर्षा निगरानी स्टेशनों से मौजूदा मौसम डेटा को बढ़ाती है।

यह पूर्वानुमान मॉडल अगले 24 घंटों के लिए प्रति घंटे वर्षा की भविष्यवाणी और अगले तीन दिनों के लिए दैनिक पूर्वानुमान प्रदान करता है। आईआईटी-बॉम्बे  के दस छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की एक टीम ने इस प्रणाली को विकसित किया है।

जलवायु अध्ययन कार्यक्रम के संयोजक सुबिमल घोष ने कहा, "हमने आईआईटीबी में इसके लिए एक मॉडल विकसित किया है। अब यह ऐप के साथ-साथ https://mumbaiflood.in/ इस वेब पोर्टल पर भी जनता के लिए उपलब्ध है।"

मौसम पूर्वानुमान के अलावा, ऐप नागरिकों को बाढ़ की चेतावनी भी देता है, जिसमें मीठी नदी और वकोला नाला जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर सेंसर से जल स्तर माप का उपयोग किया जाता है। सिस्टम में क्राउडसोर्स्ड डेटा भी शामिल है। इसके अलावा, ऐप केवल नागरिकों से डेटा एकत्र करेगा। ऐप पर बाढ़ डेटा अपलोड करने के लिए,  लिए भी  एक प्रावधान किया है। इस ऐप के साथ, उपयोगकर्ता एक स्थान, उपयोगकर्ता की ऊंचाई और जल स्तर अपलोड कर सकते हैं। जल स्तर का चयन करने के लिए चार विकल्प देते हैं। जैसे ही उपयोगकर्ता यह डेटा अपलोड करेंगे, इसे तुरंत जनता के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा," घोष ने बताया।

वर्तमान में केवल एंड्रॉइड पर उपलब्ध, ऐप का उद्देश्य मुंबई के निवासियों को डेटा संग्रह प्रयासों में शामिल करना है। घोष ने परियोजना की समुदाय-संचालित प्रकृति पर जोर देते हुए कहा, "यह मुंबईकरों द्वारा मुंबईकरों के लिए बनाया गया एक ऐप है। इस ऐप के ज़रिए हम जो डेटा एकत्र करेंगे, उससे सरकारी निकायों को अगले सीज़न के लिए बाढ़ प्रबंधन योजना तैयार करने में मदद मिलेगी।"

यह पहल भारत की वित्तीय राजधानी के लिए स्थानीय मौसम पूर्वानुमान और बाढ़ प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो शहरी लचीलापन बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीक और सामुदायिक भागीदारी दोनों का लाभ उठाती है।
दिल्ली में केदारनाथ पर क्यों मचा है बवाल, जानें क्या है पूरा मामला

#delhi_burari_kedarnath_temple_issue

दिल्ली के बुराड़ी में तीन एकड़ में मंदिर का निर्माण हो रहा है। ये मंदिर केदारनाथ धाम के नाम पर बनाए जा रहा है। श्रीकेदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक निर्माण को लेकर बवाल शुरू हो गया है।तीर्थपुरोहित समाज द्वारा इसका जमकर विरोध किया जा रहे हैं। वहीं शंकराचार्यों द्वारा भी इसका विरोध किया जा रहा है। 

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण के विरोध में केदारनाथ में तीर्थपुरोहित, हक-हकूकधारी और अन्य लोगों का आंदोलन तीन दिन से जारी है। तीर्थपुरोहितों ने दिल्ली में केदारनाथ धाम नाम से मंदिर का निर्माण बंद होने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर भी धाम की उपेक्षा का आरोप लगाया है। केदार सभा के पूर्व अध्यक्ष किशन बगवाड़ी, विनोद शुक्ला, आचार्य संतोष त्रिवेदी आदि का कहना था कि प्रदेश सरकार ने भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक केदारनाथ की उपेक्षा की है, जो माफीलायक नहीं है।

केदारनाथ धाम से जुड़े पंडित-पुरोहितों का कहना है कि केदारनाथ धाम से करोड़ों हिंदुओं की आस्था जुड़ी हुई है, ऐसे में बाबा केदारनाथ का मंदिर कहीं और बनाना यह तीर्थ की मर्यादा के खिलाफ है, साथ ही धामों के प्रति लोगों की आस्था पर प्रहार भी है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी दिल्ली में बन रहे इस मंदिर का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि केदार हिमालय में हैं तो आप दिल्ली में कैसे बना सकते हैं। जब पता सबको मालूम है तो उसे क्यों बदलना चाहते हैं। लोगों को क्यों भ्रमित किया जा रहा है।

बता दें कि दिल्ली के बुराड़ी में बन हे केदारनाथ मंदिर का 10 जुलाई को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भूमिपूजन किया था। तीन एकड़ में मंदिर का निर्माण हो रहा है। तीन साल में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। विपक्ष कांग्रेस द्वारा दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर सरकार को घेरा जा रहा है। हालांकि श्रीकेदारनाथ धाम ट्रस्ट द्वारा यह साफ कर दिया गया है कि दिल्ली में केदारनाथ धाम नहीं, बल्कि केदारनाथ मंदिर बनाया जा है। जिसका उत्तराखंड सरकार से कोई लेना-देना नहीं है।

बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि जब किसी धाम के स्वरूप में मंदिर का निर्माण किया जा रहा हो। 2015 में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धानी ने मुंबई में बद्रीनाथ मंदिर का उद्घाटन किया था। मुंबई के वसई में ये मंदिर बना है। 11 करोड़ की लागत से ये मंदिर बना है। मध्य प्रदेश के इंदौर में भी बद्रीनाथ धाम की तर्ज पर मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। वहीं सैफई में केदारनाथ मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव इसका निर्माण करवा रहे हैं। 20 जनवरी, 2024 को अखिलेश ने एक्स पर वीडियो शेयर कर इसकी जानकारी दी थी।

ट्रंप ने जेडी वेंस को बनाया रिपब्लिकन पार्टी के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार, जानें भारत से क्या है कनेक्शन?*
#who_is_jd_vance_vice_president_candidate
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने अपना पत्ता खोल दिया है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने रनिंग मेट यानी रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद के कैंडिडेट के नाम पर मुहर लगा दी है। ट्रंप ने ओहियो के सीनेटर जेडी वेंस को अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुन लिया है। एक समय वेंस पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के आलोचक रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे वह ट्रंप के करीबी बन गए और उनका भरोसा जीत लिया। यही वजह है कि ट्रंप ने देश की दूसरे नंबर की पोस्ट का उम्मीदवार बनाया है। जेडी वेंस का भारत से खास कनेक्शन है। दरअसल, 39 साल के जेडी वेंस की पत्नी भारतीय मूल की हैं। जेडी वेंस की पत्नी का नाम उषा वेन्स यानी उषा चिलुकुरी है। ओहायो से सीनेटर जेडी वेन्स की पत्नी उषा वेन्स सोमवार को उस समय सुर्खियों में आ गईं, जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनके पति को अपना रनिंग मेट चुना। जेडी वेंस अपनी इस उपलब्धि का क्रेडिट पत्नी उषा को देते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उषा चिलुकुरी भारत के आंध्र प्रदेश के भारतीय प्रवासियों की बेटी हैं, जो कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में बस गए थे। उषा का जन्म कैलिफोर्निया में ही हुआ था। वह सैन डिएगो के उपनगरीय इलाके में पली-बढ़ी हैं। उनके पिता एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं और मां एक जीवविज्ञानी हैं। 38 वर्षीय उषा चिलुकुरी वैंस अमेरिका में एक राष्ट्रीय लॉ फर्म में वकील हैं। वह एक हिंदू हैं और उनके पति जेडी रोमन कैथोलिक हैं। डोनाल्ड ट्रंप के रनिंग मेट के रूप में अमेरिकी चुनाव में ताल ठोकने वाले जेडी वेंस मानते हैं कि वह अपनी पत्नी उषा वेंस के समर्थन और मार्गदर्शन की वजह से ही यहां तक पहुंच पाए हैं। जैसे ही रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में डोनाल्ड ट्रंप ने यह ऐलान किया जेडी वेंस और उनकी पत्नी उषा ने एक-दूसरे को किस कर इस जश्न को सेलिब्रेट किया। ये लॉ स्कूल में इन दोनों के आखें चार हुई। सहपाठी उषा ने वेंस को उस ग्रुप डिस्कशन आयोजित करने में मदद की। इस दौरान दोनों की नजदीकियां बढ़ीं और एक-दूसरे को डेट करने लग गए थे। कई सालों तक डेट करने के बाद इस कपल ने आखिरकार 2014 में शादी करने का फैसला कर लिया। बताया जाता है कि एक हिंदू पंडित ने शादी को संपन्न कराया था। जेडी वेंस की उस समय अमेरिका में पहचान बन गई जब उन्होंने साल 2016 में अपने संस्मरण “हिलबिली एलेजी” बुक को प्रकाशित किया। इसी से उन्हें राष्ट्रीय पहचान मिली। उन्होंने फिर राजनीति में एंट्री मारी और साल 2022 में सीनेट के लिए चुने गए। जेडी वेंस एक रिपब्लिकन के तौर पर साल 2016 में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी का विरोध किया था। हालांकि उनका मत 2021 आते-आते बदल गया था। उन्होंने ट्रंप को राष्ट्रपति पद के लिए खतरनाक और अनफिट करार दिया था। यहां तक कि ट्रंप की नस्लवादी भाषा की भी निंदा कर चुके हैं और उनको लेकर आशंका जाहिर की थी कि वह अमेरिका के हिटलर बन सकते हैं। हालांकि, जब मन बदला तो राष्ट्रपति की उपलब्धियों की जमकर प्रशंसा की। यही नहीं, साल 2021 में वेंस कैपिटल हिल पर ट्रंप के कट्टर समर्थक बनकर उभरे और बिना किसी हिचकिचाहट के लगातार पूर्व राष्ट्रपति के कार्यों और नीतियों का बचाव करते दिखाई दिए।