आतंकियों से एनकाउंटर में वीरगति को प्राप्त हुए 5 जवान, आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली जिम्मेदारी



केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में सोमवार (15 जुलाई) को भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में एक अधिकारी समेत चार सैन्यकर्मी और एक पुलिसकर्मी वीरगति को प्राप्त हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के एक छद्म समूह 'कश्मीर टाइगर्स' ने ली है।

यह मुठभेड़ उस समय हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (SoG) के जवानों ने सोमवार देर शाम डोडा शहर से करीब 55 किलोमीटर दूर देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरारबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया। सैन्य अधिकारियों ने बताया कि कुछ देर की गोलीबारी के बाद आतंकवादियों ने भागने का प्रयास किया, लेकिन एक अधिकारी के नेतृत्व में जवानों ने चुनौतीपूर्ण इलाके और घने जंगल के बावजूद उनका पीछा किया, जिसके बाद रात करीब 9 बजे जंगल में फिर से गोलीबारी हुई।

अधिकारियों ने पुष्टि की है कि मुठभेड़ में पांच जवान गंभीर रूप से घायल हो गए और उनमें से चार, जिनमें एक अधिकारी भी शामिल था, ने बाद में दम तोड़ दिया। आतंकी समूह 'कश्मीर टाइगर्स' ने एक बयान में कहा कि मुठभेड़ और गोलीबारी तब हुई जब सुरक्षा बल 'मुजाहिदीन' की तलाश में तलाशी अभियान चला रहे थे। 'कश्मीर टाइगर्स' वही समूह है जिसने 9 जुलाई को कठुआ में सेना के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी ली थी।
'पुतिन के साथ अपने रिश्तों का इस्तेमाल कर यूक्रेन युद्ध रुकवाए भारत', पीएम मोदी के रूस दौरे के बाद अमेरिका की बड़ी अपील
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रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इस बीच अमेरिका ने भारत से युद्ध को लेकर बड़ी अपील की है।अमेरिका ने नई दिल्ली से आग्रह किया है कि वह अपने रिश्ते का इस्तेमाल कर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को समाप्त करने की अपील करे।अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने ये अपील की।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत के रूस के साथ बहुत पुराने संबंध हैं। मुझे लगता है कि यह बात सभी को पता है। हमने भारत को प्रोत्साहित किया है कि वह रूस के साथ इन पुराने संबंधों, अपनी अनूठी स्थिति का इस्तेमाल करे और राष्ट्रपति पुतिन से युद्ध को समाप्त करने, इस संघर्ष में न्यायपूर्ण एवं स्थायी शांति हासिल करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर, यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता का सम्मान करने का आग्रह करे।’’

मिलर ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, हम भारत सरकार के समक्ष इस बात पर लगातार जोर देते रहेंगे। भारत रूस के साथ संबंधों के मामले में हमारा एक महत्वपूर्ण साझेदार है। मिलर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस से रवाना होने के तुरंत बाद नौ जुलाई को भी इसी तरह की टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि भारत को यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए प्रयास करना चाहिए। एक बार फिर उन्होंने इसी बात को दोहराया है।

बता दें कि नरेंद्र मोदी 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आठ और नौ जुलाई को रूस में थे।  इस दौरान उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी।यूक्रेन में जारी संघर्ष के बीच उनकी इस यात्रा पर पश्चिमी देशों की भी करीबी नजर रही। यह दो साल से अधिक समय पहले यूक्रेन पर किए गए रूस के आक्रमण के बाद मोदी की पहली रूस यात्रा थी। प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन में युद्ध की पृष्ठभूमि में 9 जुलाई को पुतिन से कहा था कि बम, बंदूकों एवं गोलियों के बीच शांति वार्ता सफल नहीं होती और किसी संघर्ष का कोई समाधान युद्धक्षेत्र में संभव नहीं है।
जम्मू कश्मीर के डोडा में हुए आतंकी हमले पर राहुल गांधी ने सरकार को घेरा, बीजेपी सरकार की नीतियों को ठहराया जिम्मेदार
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जम्मू के डोडा में सोमवार रात हुई मुठभेड़ में सेना के कैप्टन सहित चार जवान शहीद हो गए। बीते कुछ महीनों से जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकी वारदातें हो रही हैं।इसे लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा है।नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गाटी में एक के बाद एक हो रही घटनाओं के लिए बीजेपी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।

लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी जम्मू-कश्मीर में हो रहे आतंकी हमलों पर सरकार को घेरा है। राहुल ने कहा है कि एक के बाद एक ऐसी घटनाएं बेहद दुखद और चिंताजनक हैं। उन्होंने मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए एक्स पर लिखा है कि 'जम्मू कश्मीर में फिर से एक आतंकी मुठभेड़ में हमारे जवान शहीद हो गए। शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक संतप्त परिजनों को गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। एक के बाद एक ऐसी भयानक घटनाएं बेहद दुखद और चिंताजनक है।'

आगे कहा, 'लगातार हो रहे ये आतंकी हमले जम्मू कश्मीर की जर्जर स्थिति बयान कर रहे हैं। भाजपा की गलत नीतियों का खामियाजा हमारे जवान और उनके परिवार भुगत रहे हैं।
हर देशभक्त भारतीय की यह मांग है कि सरकार बार-बार हो रही सुरक्षा चूकों की पूरी जवाबदेही ले कर देश और जवानों के गुनहगारों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे। दुख की इस घड़ी में पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता से खड़ा है।'

वहीं, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद के अभिशाप को खत्म करने और क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, 'डोडा (जम्मू-कश्मीर) में आतंकवाद विरोधी अभियान में हमारे बहादुर और साहसी भारतीय सेना के जवानों के शहीद होने पर मुझे गहरा दुख हुआ है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। राष्ट्र हमारे उन सैनिकों के परिवारों के साथ मजबूती से खड़ा है जिन्होंने कर्तव्य निभाते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। आतंकवाद विरोधी अभियान जारी हैं और हमारे सैनिक आतंकवाद के अभिशाप को खत्म करने और क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'

बता दें कि जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल हुए एक अधिकारी समेत सेना के चार जवानों की मंगलवार को शहीद हो गए। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह के जवानों ने सोमवार देर शाम देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया।जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई।
आईआईटी बॉम्बे ने मुंबई के लिए हाइपरलोकल मौसम पूर्वानुमान प्रणाली शुरू की, ऐप हुआ उपलब्ध

मुंबई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (आईआईटी-बी) की एक टीम ने मुंबई के लिए एक हाइपरलोकल मौसम पूर्वानुमान प्रणाली विकसित की है, जो शहर भर के विशिष्ट मोहल्लों, सड़कों और क्षेत्रों के लिए सटीक पूर्वानुमान प्रदान करती है। एमसीजीएम सेंटर फॉर म्यूनिसिपल कैपेसिटी बिल्डिंग एंड रिसर्च (एमसीएमसीआर) के सहयोग से यह परियोजना अब एंड्रॉइड डिवाइस पर मुंबई फ्लड ऐप के माध्यम से जनता के लिए उपलब्ध है।

यह नई प्रणाली भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की कोलाबा, सांताक्रूज़ और मरीन लाइन्स में मुख्य वेधशालाओं के साथ-साथ मुंबई और उसके उपनगरों में 60 से अधिक स्वचालित मौसम स्टेशनों और वर्षा निगरानी स्टेशनों से मौजूदा मौसम डेटा को बढ़ाती है।

यह पूर्वानुमान मॉडल अगले 24 घंटों के लिए प्रति घंटे वर्षा की भविष्यवाणी और अगले तीन दिनों के लिए दैनिक पूर्वानुमान प्रदान करता है। आईआईटी-बॉम्बे  के दस छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की एक टीम ने इस प्रणाली को विकसित किया है।

जलवायु अध्ययन कार्यक्रम के संयोजक सुबिमल घोष ने कहा, "हमने आईआईटीबी में इसके लिए एक मॉडल विकसित किया है। अब यह ऐप के साथ-साथ https://mumbaiflood.in/ इस वेब पोर्टल पर भी जनता के लिए उपलब्ध है।"

मौसम पूर्वानुमान के अलावा, ऐप नागरिकों को बाढ़ की चेतावनी भी देता है, जिसमें मीठी नदी और वकोला नाला जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर सेंसर से जल स्तर माप का उपयोग किया जाता है। सिस्टम में क्राउडसोर्स्ड डेटा भी शामिल है। इसके अलावा, ऐप केवल नागरिकों से डेटा एकत्र करेगा। ऐप पर बाढ़ डेटा अपलोड करने के लिए,  लिए भी  एक प्रावधान किया है। इस ऐप के साथ, उपयोगकर्ता एक स्थान, उपयोगकर्ता की ऊंचाई और जल स्तर अपलोड कर सकते हैं। जल स्तर का चयन करने के लिए चार विकल्प देते हैं। जैसे ही उपयोगकर्ता यह डेटा अपलोड करेंगे, इसे तुरंत जनता के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा," घोष ने बताया।

वर्तमान में केवल एंड्रॉइड पर उपलब्ध, ऐप का उद्देश्य मुंबई के निवासियों को डेटा संग्रह प्रयासों में शामिल करना है। घोष ने परियोजना की समुदाय-संचालित प्रकृति पर जोर देते हुए कहा, "यह मुंबईकरों द्वारा मुंबईकरों के लिए बनाया गया एक ऐप है। इस ऐप के ज़रिए हम जो डेटा एकत्र करेंगे, उससे सरकारी निकायों को अगले सीज़न के लिए बाढ़ प्रबंधन योजना तैयार करने में मदद मिलेगी।"

यह पहल भारत की वित्तीय राजधानी के लिए स्थानीय मौसम पूर्वानुमान और बाढ़ प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो शहरी लचीलापन बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीक और सामुदायिक भागीदारी दोनों का लाभ उठाती है।
दिल्ली में केदारनाथ पर क्यों मचा है बवाल, जानें क्या है पूरा मामला

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दिल्ली के बुराड़ी में तीन एकड़ में मंदिर का निर्माण हो रहा है। ये मंदिर केदारनाथ धाम के नाम पर बनाए जा रहा है। श्रीकेदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक निर्माण को लेकर बवाल शुरू हो गया है।तीर्थपुरोहित समाज द्वारा इसका जमकर विरोध किया जा रहे हैं। वहीं शंकराचार्यों द्वारा भी इसका विरोध किया जा रहा है। 

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण के विरोध में केदारनाथ में तीर्थपुरोहित, हक-हकूकधारी और अन्य लोगों का आंदोलन तीन दिन से जारी है। तीर्थपुरोहितों ने दिल्ली में केदारनाथ धाम नाम से मंदिर का निर्माण बंद होने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर भी धाम की उपेक्षा का आरोप लगाया है। केदार सभा के पूर्व अध्यक्ष किशन बगवाड़ी, विनोद शुक्ला, आचार्य संतोष त्रिवेदी आदि का कहना था कि प्रदेश सरकार ने भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक केदारनाथ की उपेक्षा की है, जो माफीलायक नहीं है।

केदारनाथ धाम से जुड़े पंडित-पुरोहितों का कहना है कि केदारनाथ धाम से करोड़ों हिंदुओं की आस्था जुड़ी हुई है, ऐसे में बाबा केदारनाथ का मंदिर कहीं और बनाना यह तीर्थ की मर्यादा के खिलाफ है, साथ ही धामों के प्रति लोगों की आस्था पर प्रहार भी है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी दिल्ली में बन रहे इस मंदिर का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि केदार हिमालय में हैं तो आप दिल्ली में कैसे बना सकते हैं। जब पता सबको मालूम है तो उसे क्यों बदलना चाहते हैं। लोगों को क्यों भ्रमित किया जा रहा है।

बता दें कि दिल्ली के बुराड़ी में बन हे केदारनाथ मंदिर का 10 जुलाई को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भूमिपूजन किया था। तीन एकड़ में मंदिर का निर्माण हो रहा है। तीन साल में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। विपक्ष कांग्रेस द्वारा दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर सरकार को घेरा जा रहा है। हालांकि श्रीकेदारनाथ धाम ट्रस्ट द्वारा यह साफ कर दिया गया है कि दिल्ली में केदारनाथ धाम नहीं, बल्कि केदारनाथ मंदिर बनाया जा है। जिसका उत्तराखंड सरकार से कोई लेना-देना नहीं है।

बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि जब किसी धाम के स्वरूप में मंदिर का निर्माण किया जा रहा हो। 2015 में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धानी ने मुंबई में बद्रीनाथ मंदिर का उद्घाटन किया था। मुंबई के वसई में ये मंदिर बना है। 11 करोड़ की लागत से ये मंदिर बना है। मध्य प्रदेश के इंदौर में भी बद्रीनाथ धाम की तर्ज पर मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। वहीं सैफई में केदारनाथ मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव इसका निर्माण करवा रहे हैं। 20 जनवरी, 2024 को अखिलेश ने एक्स पर वीडियो शेयर कर इसकी जानकारी दी थी।

ट्रंप ने जेडी वेंस को बनाया रिपब्लिकन पार्टी के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार, जानें भारत से क्या है कनेक्शन?*
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने अपना पत्ता खोल दिया है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने रनिंग मेट यानी रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद के कैंडिडेट के नाम पर मुहर लगा दी है। ट्रंप ने ओहियो के सीनेटर जेडी वेंस को अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुन लिया है। एक समय वेंस पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के आलोचक रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे वह ट्रंप के करीबी बन गए और उनका भरोसा जीत लिया। यही वजह है कि ट्रंप ने देश की दूसरे नंबर की पोस्ट का उम्मीदवार बनाया है। जेडी वेंस का भारत से खास कनेक्शन है। दरअसल, 39 साल के जेडी वेंस की पत्नी भारतीय मूल की हैं। जेडी वेंस की पत्नी का नाम उषा वेन्स यानी उषा चिलुकुरी है। ओहायो से सीनेटर जेडी वेन्स की पत्नी उषा वेन्स सोमवार को उस समय सुर्खियों में आ गईं, जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनके पति को अपना रनिंग मेट चुना। जेडी वेंस अपनी इस उपलब्धि का क्रेडिट पत्नी उषा को देते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उषा चिलुकुरी भारत के आंध्र प्रदेश के भारतीय प्रवासियों की बेटी हैं, जो कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में बस गए थे। उषा का जन्म कैलिफोर्निया में ही हुआ था। वह सैन डिएगो के उपनगरीय इलाके में पली-बढ़ी हैं। उनके पिता एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं और मां एक जीवविज्ञानी हैं। 38 वर्षीय उषा चिलुकुरी वैंस अमेरिका में एक राष्ट्रीय लॉ फर्म में वकील हैं। वह एक हिंदू हैं और उनके पति जेडी रोमन कैथोलिक हैं। डोनाल्ड ट्रंप के रनिंग मेट के रूप में अमेरिकी चुनाव में ताल ठोकने वाले जेडी वेंस मानते हैं कि वह अपनी पत्नी उषा वेंस के समर्थन और मार्गदर्शन की वजह से ही यहां तक पहुंच पाए हैं। जैसे ही रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में डोनाल्ड ट्रंप ने यह ऐलान किया जेडी वेंस और उनकी पत्नी उषा ने एक-दूसरे को किस कर इस जश्न को सेलिब्रेट किया। ये लॉ स्कूल में इन दोनों के आखें चार हुई। सहपाठी उषा ने वेंस को उस ग्रुप डिस्कशन आयोजित करने में मदद की। इस दौरान दोनों की नजदीकियां बढ़ीं और एक-दूसरे को डेट करने लग गए थे। कई सालों तक डेट करने के बाद इस कपल ने आखिरकार 2014 में शादी करने का फैसला कर लिया। बताया जाता है कि एक हिंदू पंडित ने शादी को संपन्न कराया था। जेडी वेंस की उस समय अमेरिका में पहचान बन गई जब उन्होंने साल 2016 में अपने संस्मरण “हिलबिली एलेजी” बुक को प्रकाशित किया। इसी से उन्हें राष्ट्रीय पहचान मिली। उन्होंने फिर राजनीति में एंट्री मारी और साल 2022 में सीनेट के लिए चुने गए। जेडी वेंस एक रिपब्लिकन के तौर पर साल 2016 में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी का विरोध किया था। हालांकि उनका मत 2021 आते-आते बदल गया था। उन्होंने ट्रंप को राष्ट्रपति पद के लिए खतरनाक और अनफिट करार दिया था। यहां तक कि ट्रंप की नस्लवादी भाषा की भी निंदा कर चुके हैं और उनको लेकर आशंका जाहिर की थी कि वह अमेरिका के हिटलर बन सकते हैं। हालांकि, जब मन बदला तो राष्ट्रपति की उपलब्धियों की जमकर प्रशंसा की। यही नहीं, साल 2021 में वेंस कैपिटल हिल पर ट्रंप के कट्टर समर्थक बनकर उभरे और बिना किसी हिचकिचाहट के लगातार पूर्व राष्ट्रपति के कार्यों और नीतियों का बचाव करते दिखाई दिए।
स्वाति मालीवाल मामला: दिल्ली पुलिस आज केजरीवाल के सहयोगी के खिलाफ 1,000 पन्नों की चार्जशीट कर सकती है दाखिल

दिल्ली पुलिस राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के खिलाफ मारपीट के मामले में मंगलवार को स्थानीय अदालत में चार्जशीट दाखिल कर सकती है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि दिल्ली पुलिस इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार के खिलाफ आरोपों की सूची तैयार करेगी। सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने जांच लगभग पूरी कर ली है और 'तीस हजारी कोर्ट' में बिभव कुमार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए तैयार है। पुलिस ने मामले के संबंध में 1,000 पन्नों की चार्जशीट भी तैयार की है, जिसमें घटना के समय केजरीवाल के आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को भी शामिल किया गया है।

पुलिस ने अरविंद केजरीवाल के आवास से डीवीआर जब्त कर लिया है और आरोपी बिभव कुमार के दो मोबाइल फोन समेत कई गैजेट जब्त कर लिए हैं। कुमार को उनके मोबाइल फोन से कथित रूप से डिलीट किए गए डेटा को रिकवर करने के लिए पुलिस हिरासत के दौरान दो बार मुंबई ले जाया गया था।

स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया कि 13 मई को जब वह मुख्यमंत्री से मिलने अरविंद केजरीवाल के आवास पर गई थीं, तब कुमार ने उन पर हमला किया था। उन्होंने 16 मई को कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई और 18 मई को दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। राज्यसभा सांसद द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर, दिल्ली पुलिस ने सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में कुमार के खिलाफ धारा 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 341 (गलत तरीके से रोकना), 345बी (महिला के कपड़े उतारने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (किसी महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए किसी शब्द, हाव-भाव या वस्तु का प्रयोग) के तहत मामला दर्ज किया।

मामले की जांच फिलहाल दिल्ली पुलिस की एक महिला एडिशनल डीसीपी स्तर की अधिकारी के नेतृत्व में हो रही है। इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कुमार को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि आरोपी का इस मामले में "काफी प्रभाव" है। सुनवाई के दौरान जज ने कहा, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाता है तो गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है या सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है।" अदालत ने पुलिस की इस दलील को भी दर्ज किया कि महत्वपूर्ण सबूतों को दबाने की कोशिश की गई थी क्योंकि जांच के दौरान सीएम आवास पर लगे सीसीटीवी फुटेज के केवल चुनिंदा हिस्से ही सौंपे गए थे।

यूपी में बड़े पैमाने पर हिन्दू अपनाएंगे इस्लाम, मौलाना तौकीर रजा के संगठन ने किया ऐलान, मचा हड़कंप

#maulana_tauqeer_raza_said_on_21_july_5_hindu_boys_and_girls_will_be_converted_to_islam

योगी राज में सामूहिक धर्म परिवर्तन का ऐलान हुआ है।बरेली दंगे के मास्टरमाइंड इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा के एक बयान ने फिजा में जहर घोलने का काम का है।आईएमसी के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि कई हिंदू लड़के और लड़कियां उनके संपर्क में हैं, जो सनातम धर्म छोड़कर इस्‍लाम कबूल करना चाहते हैं। इतना ही नहीं अपने पसंद के मुस्लिम लड़के और लड़की से शादी करना चाहते हैं। इसको लेकर 21 जुलाई को सामूहिक विवाह समारोह की अनुमति मांगी है।

सामूहिक विवाह कार्यक्रम के लिए मांगी अनुमति

रजा ने कहा 21 जुलाई को सुबह 11 बजे खलील हायर सेकेंडरी स्कूल में पहले चरण में 5 जोड़ों का धर्म परिवर्तन और निकाह होगा।तौकीर रजा ने अपने दरगाह आला हजरत स्थित आवास पर प्रेस कांफ्रेंस कर ये ऐलान किया। रजा ने कहा कि पहले 5 हिन्दू लड़के और लड़कियों का मुस्लिम रीति रिवाज से कलमा पढ़वाकर और नमाज पढ़वाकर इस्लाम कबूल करवाया जाएगा और उन्हें मुसलमान बनाया जाएगा। जिसके बाद पांचों जोड़ों का निकाह करवाया जाएगा। रजा ने कहा कि हमने तो परमीशन मांगी है, हिन्दू तो वो भी नहीं मांगते है।

बड़ी संख्या में हिन्दू मुसलमान बनना चाहते हैं-रजा

मौलाना तौकीर रजा ने ये ऐलान किया है कि दो सालों से उन्होंने धर्म परिवर्तन पर रोक लगा रखी थी, लेकिन अब मौलानाओं का बहुत ज्यादा प्रेशर पड़ रहा है क्योंकि बड़ी संख्या में हिन्दू मुसलमान बनना चाहते हैं, जिस वजह से अब हिंदुओं को मुसलमान बनाने की बंदिशों को खत्म कर दिया गया है।

रजा के बयान पर भड़के वीएचपी नेता

तौकीर रजा के बयान पर वीएचपी के केंद्रीय प्रबंधन समिति के सदस्य राजकमल गुप्ता ने कहा कि डीएनए करा लें अपना और घर वापसी कर लें। हिन्‍दू धर्म में उनका हम स्वागत करेंगे। उन्‍होंने कहा कि तौकीर रजा मानसिक रूप से बीमार हो गए हैं। उन्‍होंने कहा कि ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा। हम विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता किसी को भी धर्म परिवर्तन नहीं करने देंगे।वीएचपी नेता की यूपी सरकार और केंद्र सरकार से मांग है कि तौकीर रजा की तुरंत गिरफ्तारी की जाए।

जम्मू-कश्मीर के डोडा में सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़, सेना के एक अफसर समेत 4 जवान शहीद

#encounter_between_army_and_terrorists_in_doda

जम्मू-कश्मीर एक बार फिर आतंकवाद की चपेट में हैं। कुछ समय की शांति के बाद आतंकी फिर घाटी की शांति भंग करने की फिराक में हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर के डोडा में बीती रात से आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ जारी है। जंगल में दोनों तरफ से लगातार फायरिंग हो रही है। एनकाउंटर में सेना के एक अधिकारी समेत 4 जवान शहीद हो गए हैं। मुठभेड़ में पांच जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां इलाज के दौरान चार जवानों ने दम तोड़ दिया।

अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह के जवानों ने रात करीब पौने आठ बजे देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया। इसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई। अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ तब हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह के जवानों ने सोमवार देर शाम डोडा शहर से लगभग 55 किलोमीटर दूर देसा वन क्षेत्र में धारी गोटे उरारबागी में एक संयुक्त घेरा और तलाशी अभियान शुरू किया।भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हुए एक अधिकारी सहित चार सैनिकों ने मंगलवार तड़के दम तोड़ दिया।

हाल ही में कठुआ जिले में हुए आतंकी हमले के बाद से सुरक्षाबलों की टीमें जम्मू रीजन के अलग-अलग इलाकों में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। इसी कड़ी में डोडा के घने जंगलों में सुरक्षाबलों का सर्च ऑपरेशन जारी है। इसी दौरान आतंकियों ने फायरिंग की। जवाबी कार्रवाई के साथ मुठभेड़ शुरू हो गई है।जानकारी के अनुसार, सुरक्षाबलों को डोडा के जंगल में आतंकियों के दल के छिपे होने की सूचना मिली थी। इस पर क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष दस्ते (एसओजी) और सेना के जवानों ने सर्च ऑपरेशन चलाया था और इसी बीच में आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई।

वहीं, उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में 24 घंटे पहले ही सुरक्षा बलों ने तीन आतंकियों को मार गिराया था। मारे गए तीनों आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए हैं। नियंत्रण रेखा के पास हुई मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादी बड़े हमले की तैयारी में थे। लेकिन इससे पहले पुलिस औ र सेना के सतर्क जवानों ने उनके नापाक इरादों को मिट्टी में मिला दिया।

जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में आतंकी हमलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 9 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ली थी, उसी दिन दहशतगर्दों ने रियासी में तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर हमला किया था। इससे बस खाई में गिरने से नौ लोगों की मौत हो गई थी। आतंकियों की ओर से 9 से 11 जून के बीच चार हमले किए गए हैं। इसके बाद जुलाई महीने की शुरुआत में, 8 जुलाई को कठुआ के बदनोटा इलाके में सेना के गश्ती दल पर भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक समूह ने घात लगाकर हमला किया था। हमले में पांच जवान बलिदान हो गए थे।

गुजारा भत्ता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में मुस्लिम संगठन, क्या राजीव गांधी की तरह झुकेगी मोदी सरकार
#will_muslim_organizations_be_able_to_bow_down_modi_govt_on_alimony_to_muslim-womens
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (10 जुलाई) को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि एक मुस्लिम महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है। अदालत ने कहा कि सीआरपीसी का ये प्रावधान सभी शादीशुदा महिलाओं पर लागू होता है, फिर वे किसी भी धर्म को मानती हों। अदालत ने ये भी साफ कर दिया कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 को धर्मनिरपेक्ष कानून पर तरजीह नहीं मिलेगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में बने एक बेहद विवादित कानून को बड़ा झटका दिया है।

*शाह बानो केस को पलटने राजीव सरकार ने लाया था कानून*
दरअसल, राजीव गांधी सरकार ने शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के इसी तरह के आदेश को पलटने के लिए नया कानून बना दिया था। शाह बानो नाम की मुस्लिम महिला को जब सुप्रीम कोर्ट ने पति से गुजारा भत्ता लेने का हकदार बताया था तब 1985 में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत गुजारा भत्ते के हकदार माने जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सड़क से सदन तक जबरदस्त लड़ाई लड़ी थी। मुस्लिम समुदाय के आक्रोश के आगे झुककर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद से मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 कानून पारित करवा दिया था। इस अधिनियम ने तलाक के बाद केवल 90 दिनों तक मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं को अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता पाने के अधिकार को प्रतिबंधित कर दिया।

*सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुस्लिम संगठनों में उत्तेजना*
इसी मसले पर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले ने बोर्ड और मुस्लिम संगठनों को फिर उत्तेजित कर दिया है। ताजा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 सभी धर्म की महिलाओं पर लागू होता है यानी यह एक धर्मनिरपेक्ष प्रावधान है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कह दिया है कि यह फैसला हर धर्म की महिलाओं पर लागू होगा और मुस्लिम महिलाएं भी इसका सहारा ले सकती हैं। इसके लिए उन्हें सीआरपीसी की धारा 125 के तहत कोर्ट में याचिका दाखिल करने का अधिकार है।

*38 साल पहले वाला वाकया दोहराने की कोशिश*
पहली नजर में सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला एक तलाकशुदा जोड़े अब्दुल समद और उसकी पत्नी के बीच की कानूनी लड़ाई के निपटारे तक सीमित है, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई मुस्लिम संगठनों का नजरिया इसे लेकर जुदा है। वे इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ में सीधा हस्तक्षेप मानते हैं और इस फैसले के दूरगामी प्रभावों को लेकर फिक्रमंद हैं। स्वाभाविक है कि वे चाहेंगे कि यह पलटा जाए। ठीक वैसे ही जैसे करीब 38 साल पहले शाह बानो मामले में हुआ था।

*विरोध का कानूनी रास्ता तलाश रहे मुस्लिम संगठन*
अब फैसले से असंतुष्ट होने के बाद भी बोर्ड सधे कदमों के साथ आगे बढ़ रहा है और कानूनी रास्तों पर जोर दे रहा है।जिस तरह से देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की मांग तेज हुई है, उसने भी मुस्लिम संगठनों की चिंता बढ़ा दी है। उन्हें लगता है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के पूरे किले के ही ढह जाने का खतरा पैदा हो गया है। तीन तलाक जैसे मामलों में मोदी सरकार के रुख को देखते हुए मुस्लिम संगठन सार्वजनिक तौर पर विरोध के बजाय अंदरखाने रणनीति बनाने में जुटे हैं।
दबाव की राजनीति की जगह आंतरिक बैठकों में विरोध का कानूनी रास्ता तलाशा जा रहा है। जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाएं डाली जा सकती हैं। कांग्रेस, सपा व द्रमुक जैसे विपक्षी दलों को भी साथ आने का आह्वान किया जा सकता है, जिससे देश में राजनीतिक हलचल तेज हो सकती है।