खुशखबरी! रेलवे में नौकरी का इंतजार खत्म, असिस्टेंट लोको पायलट के 18799 पदों पर जल्द निकलेगी भर्ती

 नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर राहुल गांधी ने लोको पायलट से मुलाकात की थी. लोको पायलट ने भी ये समस्या पर मुक्त मंच से उठाई थी. वहीं, ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन ने भी इस समस्या को लेकर रेल मंत्री से मुलाकात की थी. फेडरेशन के मुताबिक 18799 असिस्टेंट लोको पायलट के पदों पर भर्ती निकलने की तैयारी की गई है. बता दें रेलवे में रनिंग स्टाफ की लंबे समय से वैकेंसी चल रही है. असिस्टेंट लोको पायलट और लोको पायलट की कमी के कारण स्टॉफ को पर्याप्त आराम नहीं मिल पा रहा है जो रेल हादसे का एक कारण बन रहा है.

बीती 5 जुलाई को संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर ट्रेन चालकों (लोको पायलट) से मुलाकात की थी. लोको पायलटो ने शिकायत की थी कि रेलवे में लोको पायलट के हजारों पद खाली है जिसकी वजह से स्टाफ की कमी है और उन्हें ज्यादा काम होने के चलते पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता है, जो रेल हादसे का एक प्रमुख कारण भी है. राहुल गांधी के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद से इसको लेकर राजनीतिक सियासत भी तेज हो गई थी.

18799 असिस्टेंट लोको पायलट के पदों पर भर्ती की है तैयारी

लोको पायलेट्स की इन समस्याओं को लेकर ईटीवी भारत ने ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी शिवगोपाल मिश्रा से बात की तो उन्होंने बताया कि हाल ही में इस समस्या को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात हुई थी. रेलवे में पहले 5600 असिस्टेंट लोको पायलट के पदों पर भर्ती निकलने की तैयारी की थी लेकिन अब 18799 असिस्टेंट लोको पायलट के पदों पर भर्ती करने की तैयारी की गई है. जल्द ही इन पदों पर असिस्टेंट लोको पायलट की भर्ती होने से राहत मिलेगी.

ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव एमपी देव का कहना है कि देश में 98000 रनिंग स्टाफ की जरूरत है. इसमें से करीब 78000 स्टाफ है. 18799 पदों पर भर्ती होने के बाद कुछ समय के लिए राहत मिलेगी, लेकिन 2024, 25 और 26 में बड़ी संख्या में लोको पायलट रिटायर हो रहे हैं. इससे फिर से लोको पायलट की कमी हो जाएगी. एमपी देव का कहना है कि लोको पायलट की कमी के कारण रेलवे प्रशासन द्वारा 14 घंटे ड्यूटी के लिए दबाव बनाया जाता है. ऐसे में लोको पायलेट्स को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता है.

असिस्टेंट लोको पायलट की भर्ती के लिए योग्यता

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, रेलवे के असिस्टेंट लोको पायलेट्स की भर्ती के लिए आवेदन करने वालों की शैक्षिक योग्यता कम से कम दसवीं पास होनी चाहिए. इसके साथ ही आईटीआई डिप्लोमा पास होने चाहिए. आवेदन करने वाले की उम्र 18 से 42 वर्ष हो. लोग रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड की साइट पर जाकर असिस्टेंट लोको पायलट की भर्ती के लिए आवेदन कर सकेंगे.

ज्ञानवापी मामले से जुड़ी 8 याचिकाओं पर सुनवाई आज, व्यास जी के तहखाने के सर्वे पर भी होगी बहस

ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर कोर्ट में सुनवाई जारी है. वाराणसी के न्यायालय में आज यानी सोमवार को श्रृंगार गौरी ज्ञानवापी मामले के मूल वाद से जुड़े मामलों की अलग-अलग कोर्ट में सुनवाई होगी. जिला जज संजीव पांडेय पांच वादिनी महिलाओं के केस में समेकित किए गए मामलों समेत 8 याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे.

ज्ञानवापी मामले के मूल वाद में जिला जज की अदालत में श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन को लेकर सुनवाई आगे बढ़ाई जाएगी. सर्वेक्षण की मांग को राखी सिंह व काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की याचिका के दृष्टिगत सुना जाएगा और उस पर भी न्यायालय सुनवाई आगे बढ़ाएगी.

वादी पक्ष के वकील की तरफ से न्यायालय से दक्षिणी तहखाना में चल रही पूजा पाठ के स्थान के जर्जर छत की मरम्मत के साथ ही अन्य स्थानों के मरम्मत की अनुमति मांगी गई है. काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी की तरफ से भी इस याचिका में विरोध किया गया है कि पुजारी की सुरक्षा के लिए जल्द से जल्द ऊपरी हिस्से और बीम की मरम्मत कराई जाए, ताकि कोई अनहोनी ना हो.

इस दौरान मुस्लिम पक्ष के प्रवेश को छत पर रोकने की भी मांग की गई है. परिसर के हिस्से में आने वाले और तहखानों के सर्वे की भी मांग की गई है. जिस पर भी आज सुनवाई होगी. इस मामले में कोर्ट ने काशी विश्वनाथ न्यास से जवाब मांगा था जो आज संभवत न्यास की तरफ से प्रस्तुत किया जाएगा.

जिला जज की अदालत में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले के मुख्य मुकदमे की सुनवाई के साथ ही साथ अन्य समेकित किए गए मुकदमों का शेड्यूल भी आज तय किया जाएगा. किसी मुकदमे की कब सुनवाई होगी और कैसे यह आगे बढ़ाया जाएगा, इसे लेकर भी आज कोर्ट शेड्यूल जारी कर सकता है. इसके अलावा विश्वनाथ मंदिर न्यास की तरफ से मांगे गए मरम्मत के प्रकरण में जवाब को भी आज न्यास सबमिट कर सकता है.

भगवान जगन्नाथ ने बचाई डोनाल्ड ट्रंप की जान', 1976 की न्यूयॉर्क रथ यात्रा से कनेक्शन जोड़ रहा इस्कॉन

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले डोनाल्ड ट्रंप पर गोली चली। इस गोलीकांड में डोनाल्ड ट्रंप बाल-बाल बच गए। अब डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले को लेकर इस्कॉन ने बड़ा बयान दिया है।इस्कॉन का कहना है कि इस जानलेवा हमले में ट्रंप की जान दैवीय कृपा की वजह से बची है। इस्कॉन ने डोनाल्ड ट्रंप के न्यूयॉर्क में लगभग आधी सदी पहले की पहली रथयात्रा से जुड़ाव को याद किया है। बता दे कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे उम्मीदवार को पेनसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली में एक बंदूकधारी ने हमला किया। कथित तौर पर हत्या के प्रयास में गोली मारी गई। हमले के दौरान गोली ट्रंप के कान के पास से गुजर गई। ट्रंप इस हमले में बाल-बाल बच गए।

इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने ट्रंप के बाल-बाल बचने को दैवीय हस्तक्षेप बताया।राधारमण दास ने एक्स पर लिखा, 'ठीक 48 साल पहले डोनाल्ड ट्रंप ने जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव को बचाया था। आज, जब दुनिया फिर से जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है, ट्रंप पर हमला किया गया, और जगन्नाथ ने उन्हें बचाकर एहसान का बदला चुकाया।'

दास ने कहा कि न्यूयॉर्क में फिफ्थ एवेन्यू एवेन्यू के पास एक विशाल खाली जगह ढूंढना, जहां रथों का निर्माण किया जा सके, कभी भी आसान नहीं था। इस्कॉन के भक्त, जो न्यूयॉर्क में एक भव्य रथयात्रा के साथ संगठन के 10वें उत्सव को एक बड़े जोरशोर के साथ मनाने की योजना बना रहे थे, उन्होंने हर संभव व्यक्ति के दरवाजे खटखटाए, लेकिन सब व्यर्थ रहा। कुछ दिनों बाद, इस्कॉन के भक्तों को पता चला कि डोनाल्ड ट्रम्प ने पुराने रेलवे यार्ड को खरीद लिया है।

राधारमण दास ने कहा, 'जुलाई 1976 में, डोनाल्ड ट्रंप ने रथों के निर्माण के लिए मुफ्त में अपना ट्रेन यार्ड प्रदान करके इस्कॉन भक्तों को रथयात्रा आयोजित करने में मदद की। आज, जब दुनिया 9 दिवसीय जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव मना रही है, उन पर यह भयानक हमला और उनका बाल-बाल बचना, जगन्नाथ के हस्तक्षेप को दर्शाता है।'

बता दें कि तब डोनाल्ड ट्रंप की उम्र 30 साल थी। उस वक्त वह एक रियल एस्टेट कारोबारी के तौर पर उभर रहे थे। डोनाल्ड ट्रंप की मदद से ही 1976 में न्यूयॉर्क के फिफ्थ एवेन्यू पर भगवान जगन्नाथ की पहली रथयात्रा निकाली जा सकी थी।

केपी शर्मा ओली चौथी बार बने प्रधानमंत्री, भारत-नेपाल रिश्तों पर कितना होगा असर

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नेपाल में एक अहम घटनाक्रम में रविवार को केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त कर दिया गया है। 72 साल के ओली तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यानी सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष खड्ग प्रसाद (केपी) शर्मा ओली को नेपाल के नए प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ़ से जारी एक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने रविवार शाम नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार, ओली को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। ओली ने दो दिन पहले सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के समर्थन से बहुमत का दावा पेश किया था।

ओली ने पुष्प कमल दाहाल 'प्रचंड' की जगह ली है। प्रचंड शुक्रवार को विश्वास मत हार गए थे। इसके बाद संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार नई सरकार गठित करने की प्रक्रिया शुरू हुई। राष्ट्रपति राम चंद्र ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनिस्ट (CPN-UML) के नेता केपी शर्मा ओली को नेपाल का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। 

केपी शर्मा ओली को चीन समर्थक माना जाता है। उनके पहले कार्यकाल में भारत के साथ उनके रिश्ते तल्ख रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और नेपाल के संबंधों पर थोड़ा असर पर सकता है। ओली 11 अक्टूबर 2015 से तीन अगस्त 2016 तक देश के प्रधानमंत्री रहे, जिसके दौरान काठमांडू के नयी दिल्ली के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे। इसके बाद ओली पांच फरवरी 2018 से 13 मई 2021 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रहे। बाद में राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के चलते वह 13 मई से 13 जुलाई 2021 तक पद पर बने रहे। अपने पहले कार्यकाल के दौरान ओली ने भारत पर नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और नयी दिल्ली पर उनकी सरकार को गिराने का आरोप लगाया था। नेपाल के नए संविधान को लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव के कारण 2015 में सीमा नाकाबंदी के दौरान ओली ने भारत के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। 

अने दूसरे कार्यकाल में मई 2020 में ओली की सरकार ने बीजिंग के साथ संबंधों को भी मजबूत किया और एक अपडेटेड मानचित्र प्रकाशित किया जिसमें उत्तराखंड में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल के क्षेत्र के रूप में दावा किया गया था। भारत ने इस दावे को "एकतरफा" बताते हुए खारिज कर दिया था और बाद में दोनों देशों ने बातचीत की थी। इसके बाद हाल ही में नेपाल ने उसी नक्शे को एक नोट में भी डाल दिया, तो इसे लेकर भी भारत में हलचल हुई थी।

क्या भारत के साथ रिश्तों पर पड़ेगा असर?

ऐसे में विशेषज्ञों की माने तो केपी शर्मा ओली के सत्ता में आने के बाद भारत के लिए चुनौती साबित हो सकती है। लेकिन ये गठबंधन (सीपीएन-यूएमएल और नेपाली कांग्रेस) की सरकार होगी। नेपाली कांग्रेस का भारत से अच्छा संबंध है। नेपाली कांग्रेस का ज़ोर कूटनीतिक रास्तों के ज़रिए समस्या का समाधान ढूंढने पर होता है। नेपाली कांग्रेस संतुलित और तटस्थ नज़रिया रखते हुए काम करने को कह सकती है, ऐसे में दोनों के रिश्तों में अधिक बदलाव नहीं आना चाहिए।

भारत-नेपाल एक-दूसरे की जरूरत

माना जाता है कि नेपाल से भारत का रोटी-बेटी का संबंध है। सदियों से नेपाल के साथ भारत का भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध और रहा है। ऐसे में भारत और नेपाल को एक-दूसरे की जरूरत भी हैं। इसकी कई वजहें भी हैः-

1. भारत के साथ नेपाल 1751 किमी बॉर्डर शेयर करता है। भारत के कुल पांच राज्य हैं जो नेपाल की सीमा से लगे हुए हैं। ये राज्य उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, सिक्किम और पश्चिम बंगाल हैं।

2. नेपाल के कुल 75 जिलों में से 23 ऐसे जिले हैं जो भारत की सीमा से लगते हैं। बिहार के साथ नेपाल के 12 जिले, उत्तर प्रदेश के साथ 8, पश्चिम बंगाल के साथ 2 जिसमें एक बिहार जिसमें से एक बिहार सीमा के भी साथ साझा करता है। उत्तराखंड के साथ चार जिसमें दो पश्चिम बंगाल, एक सिक्किम और उत्तर प्रदेश के साथ भी लगते हैं। ऐसे में सीमा सुरक्षा को ध्यान रखते हुए नेपाल से दोस्ती भारत की जरूरत है।

3. भारत सरकार के 2019 के एक आंकड़े के मुताबिक, नेपाल के लगभग 60 लाख लोग भारत में रहते हैं और यहीं पर अपनी आजीवका भी चलाते हैं यानी काम करते हैं। एक तरह से देखा जाए तो नेपाल की करीब 20 फीसदी आबादी भारत में रहती है और भारत पर ही उनकी आजीविका निर्भर है।

4. भारत सरकार की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 6 लाख भारत के लोग नेपाल में रहते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग बिजनेस के उद्देश्य से नेपाल जाते हैं। इसके आलावा सीमा से सटे इलाकों के कई ऐसे लोग भी हैं जो रहते तो भारत में हैं लेकिन उनकी जीविका नेपाल से चलती हैं।

5. सुरक्षा की दृष्टि से देखें तो भारतीय सेना में भी नेपाल के लोगों की भर्ती होती है। वर्तमान में 32,000 गोरखा सैनिक भारतीय सेना में तैनात हैं। साथ ही करीब 3,000 करोड़ रुपए पेंशन के तौर पर हर साल करीब सवा लाख पूर्व गोरखा सैनिकों को दी जाती है।

6. विदेशों में काम कर रहे नागरिकों में सबसे ज्यादा लोग भारत में ही हैं, क्योंकि दोनों देशों की सीमाएं एक-दूसरे के लिए खुली हुई हैं। जहां किसी तीसरे देश में काम करने के लिए नेपालियों को लेबर परमिट के लिए आवेदन करना पड़ता है, वहीं भारत में काम करने के लिए ऐसे किसी परमिट की जरूरत भी नहीं पड़ती है।

7. भारत की कई प्राइवेट और सरकारी कंपनियां भी नेपाल में काम करती हैं। एक रिपोर्ट की मानें तो, नेपाल के FDI में 30 फीसदी हिस्सा भारत से आता है।

8.यही नहीं भारत अपने 6 पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान के साथ कुल 90 हजार करोड़ रुपए का सीमा व्यापार करता है। भारत जिन 6 पड़ोसी देशों से व्यापार करता है, उनमें नेपाल शीर्ष पर है।

अमेरिका में इस तरह की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं”, ट्रंप पर हमले के बाद बोले बाइडन

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अमेरिकी में इस साल नवंबर में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। इससे पहले रविवार को दुनिया के सबसे शक्तिशाली मुल्क में एक पूर्व राष्ट्रपति पर जानलेवा हमला हुआ। पेंसिलवेनिया हमले में डोनाल्ड ट्रंप बाल-बाल बच गए। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने डोनाल्ड ट्रंप की हत्या के प्रयास के एक दिन बाद रविवार को देशवासियों को संबोधित किया। वॉइट हाउस के ओवल ऑफिस से दिए संबोधन में बाइडन ने कहा, अमेरिका में इस तरह की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। हम इस हिंसा को सामान्य नहीं बनने दे सकते।

व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस से करीब पांच मिनट तक देशवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अभियान को पूरे जोश से आगे बढ़ाने का समय आ गया है और वह इसके लिए पूरे देश की यात्रा करने वाले हैं, हालांकि उन्होंने ने अपने शॉर्ट संबोधन में ट्रेंप पर हमले का भी जिक्र किया। उन्होंने ट्रंप पर हत्या के प्रयास पर कहा कि अमेरिका में, राजनीतिक हिंसा के रास्ते पर हम बिलकुल नहीं जा सकते और हमें जाना भी नहीं चाहिए।

बाइडन ने कहा, मैं आज रात आपसे अपनी राजनीति में तापमान कम करने की आवश्यकता के बारे में बात करना चाहता हूं और याद रखना चाहता हूं कि जब हम असहमत होते हैं, तो हम दुश्मन नहीं होते हैं, हम पड़ोसी होते हैं, हम दोस्त होते हैं, सहकर्मी होते हैं, नागरिक होते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम साथी अमेरिकी होते हैं। हमें एक साथ खड़ा होना चाहिए।' बाइडन ने आगे कहा, 'कल पेंसिल्वेनिया में डोनाल्ड ट्रम्प की रैली में हुई गोलीबारी हम सभी से एक कदम पीछे हटने, यह जायजा लेने का आह्वान करती है कि हम कहां हैं, हम यहां से आगे कैसे बढ़ेंगे।

इस दौरान उन्होंने कहा कि अभी तक ट्रंप पर हमले का कोई मोटिव पता नहीं चला है। बाइडेन ने कहा, अभी तक हमें शूटर के मकसद के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हम जानते हैं वह कौन है। आप सभी से मेरी यही अपील है कि हमलावर के मकसद को लेकर ज्यादा धारणा न बनाएं। जांच के आदेश दे दिए गए हैं। FBI को अपना काम करने दें।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले पर राहुल गांधी ने जताई चिंता, बीजेपी बोली- 'इन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ हिंसा को दिया बढ़ा

डेस्क: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर पेंसिल्वेनिया में एक रैली के दौरान हत्या के प्रयास की घटना को लेकर बीजेपी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा. बीजेपी ने राहुल गांधी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. वहीं, राहुल गांधी के ट्रंप पर हमले की निंदा करने के बाद बीजेपी के आईटी प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि यह 'राहुल गांधी के कपट भरे शब्द हैं'.

दरअसल, राहुल गांधी ने रविवार को राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि इस तरह के कृत्यों की कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए. इस दौरान बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने लिखा कि तीसरी बार विफल राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दिया है और उसे उचित ठहराया है, जिसके कारण वे कई बार चुनाव हार चुके हैं.

भारत ये भूल नहीं सकता- अमित मालवीय

अमित मालवीय ने आगे कहा कि भारत यह कैसे भूल सकता है कि पंजाब पुलिस ने, जो उस समय कांग्रेस के अधीन थी, जानबूझकर प्रधानमंत्री की सुरक्षा से समझौता किया था, जब उनके काफिले को फ्लाईओवर पर फंसा दिया गया था.

PM मोदी के खिलाफ भी राहुल ने की 'तानाशाह' की बयानबाजी

बीजेपी आईटी सेल चीफ अमित मालवीय ने कहा कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कई बार तानाशाह कहकर पीएम मोदी के खिलाफ बयानबाजी की है. जैसे डेमोक्रेटिक नेता और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्रंप के साथ की. ट्रंप के कई समर्थकों ने आरोप भी लगाया है कि उनके खिलाफ नफरत का माहौल पैदा किया जा रहा है. अमित मालवीय ने एक्स पर एक और पोस्ट में कहा कि आज अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 'लोकतंत्र खतरे में है' थीम है, ठीक उसी तरह जैसे भारत में विपक्ष का नारा ' संविधान को बचाना है ' था.

उन्होंने कहा कि अमेरिका में नस्ल की तरह जाति को भी भारतीय समाज में दरार डालने के लिए हथियार बनाया गया. वहीं, विरोधियों को शैतान बताना और उन्हें तानाशाह कहना भी संयोग नहीं है.

कौन हैं बाबा वेंगा, जिन्होंने पहले ही कर दी थी ट्रंप पर हमले की भविष्यवाणी, एक-एक बात निकली सच तो दुनिया हुई हैरान

डेस्क : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति पर पेन्सिलवेनिया की रैली में हुए जानलेवा हमले से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है। वह तो किस्मत सही थी कि डोनॉल्ड ट्रंप इस खतरनाक हमले में बाल-बाल बच गए। मगर ट्रंप पर हमले के बाद अब बाबा वेंगा की वह भविष्यवाणी बेहद चर्चा में आ गई है, जिसमें उन्होंने पहले ही ट्रंप पर हमले की बात बता दी थी। बाबा वेंगा ने पूर्व में ही ट्रंप पर हमले की भविष्यवाणी कर दी थी। अब बाबा वेंगा की यह भविष्यवाणी भी 100 फीसदी सच निकली है। इससे पूरी दुनिया हैरान रह गई। आइए आपको यह भी बताते हैं कि बाबा वेंगा कौन हैं, जिनकी कई विश्वस्तरीय भविष्यवाणियां 100 फीसदी सच साबित हुई हैं। 

ट्रंप पर हमले से पूर्व भविष्यवाणी करके बाबा वेंगा एक बार फिर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुके हैं। बाबा वेंगा ने अपनी भविष्यवाणी में कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप की जान खतरे में पड़ जाएगी। बाबा वेंगा बुल्गारिया के अंधे फकीर हैं। ट्रंप पर हमले की बात सच होने की घटना ने बाबा वांगा की भयानक भविष्यवाणियों में फिर से दिलचस्पी जगा दी है। ट्रंप पर हमले से पहले बाबा वेंगा ने भविष्यवाणी कर दी थी कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति का जीवन खतरे में होगा। अब शनिवार को पेंसिल्वेनिया के बटलर में एक कार्यक्रम में बोलते वक्ट डोनाल्ड ट्रम्प को 20 वर्षीय एक व्यक्ति ने गोली मार दी। हालांकि इस हमले में ट्रंप बाल-बाल बच गए। 

डोनाल्ड ट्रम्प की रैली में कैसे हुई गोलीबारी की घटना

अमेरिकी की प्रमुख जांच एजेंसी एफबीआई के अनुसार पेंसिल्वेनिया के बेथेल पार्क में कार्यक्रम के दौरान ट्रंप पर उनकी हत्या के इरादे से हमला किया गया। हमलावर की पहचान थॉमस मैथ्यू क्रुक्स के रूप में की गई, जिसने ट्रंप पर कई गोलियां चलाईं। जिनमें से एक गोली ट्रम्प के दाहिने कान में लगी। अमेरिका की सीक्रेट सर्विस ने बताया कि सुरक्षाकर्मियों ने हमलावर क्रुक्स को गोली मार दी, जबकि ट्रंप पर हमले के दौरान रैली में भाग लेने वाले एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए।

सोशल मीडिया पर ट्रंप ने कहा-मुझे गोली मारी गई

घटना के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने इस घटना को संबोधित करते हुए सोशल मीडिया पर कहा, ''मुझे गोली मार दी गई। उन्होंने बताया कि "मुझे एक गोली मारी गई जो मेरे दाहिने कान के ऊपरी हिस्से को छेदती हुई निकल गई।" सीक्रेट सर्विस ने नोट किया कि एआर-स्टाइल राइफल का उपयोग करके सुरक्षित क्षेत्र के बाहर एक ऊंचे स्थान से गोलियां चलाई गईं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि घटना के निकट एक छत पर शूटर को राइफल से लैस देखा गया था, जिससे हमले से कुछ क्षण पहले ही सुरक्षा को सतर्क कर दिया गया था।

बाबा वेंगा की अशुभ भविष्यवाणियां

वुल्गारिया वाले बाबा वेंगा को अक्सर 'बाल्कन के नास्त्रेदमस' के रूप में जाना जाता है। वेंगा भी दुनिया में चौंकाने वाली भविष्यवाणियां करने के लिए जाने जाते थे। जिनका 1996 में निधन हो गया था। इसके बावजूद उनकी भविष्यवाणियां कई लोगों के लिए जिज्ञासा और चिंता का विषय बनी हुई हैं। अपनी कई भविष्यवाणियों के बीच, वेंगा ने भविष्यवाणी की थी कि व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रम्प दोनों का जीवन खतरे में होगा। बाबा वेंगा की भविष्यवाणियों के अनुसार, ट्रम्प को एक रहस्यमय बीमारी का सामना करना पड़ेगा, जिससे वह बहरे हो जायेंगे और ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित हो जाएंगे। जबकि ट्रम्प ने इन विशिष्ट स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव नहीं किया है, हाल ही में हत्या का प्रयास उनके जीवन के खतरे में होने की उनकी भविष्यवाणी में एक चौंकाने वाली परत जोड़ता है। क्योंकि गोली से उनके कान को ही नुकसान पहुंचा है। 

बाबा वेंगा की विरासत और संशयवाद

बाबा वेंगा की भविष्यवाणियों ने अक्सर आकर्षण और संदेह दोनों को जगाया है। जबकि उनकी कुछ भविष्यवाणियां जैसे 9/11 के हमले और कुर्स्क पनडुब्बी दुर्घटना, को उनकी दूरदर्शिता के प्रमाण के रूप में उद्धृत किया गया है। अन्य भविष्यवाणियां जैसे कि 2016 तक यूरोप का अंत और 2010 और 2014 के बीच परमाणु युद्ध सामने नहीं आईं। सत्यापन योग्य दस्तावेज़ों की कमी के बावजूद उनकी भविष्यवाणियां दुनिया भर के लोगों को मंत्रमुग्ध करती रहती हैं।

कारगिल विजय दिवस पर सेना की अच्छी पहल, जम्मू-कश्मीर में गांव की लड़कियों के लिए किया यह काम

डेस्क: कारगिल विजय दिवस के मौके पर भारतीय सेना ने जम्मू कश्मीर में लड़कियों के लिए शूटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस खास कार्यक्रम का आयोजन पलनवाला सेक्टर में हुआ। प्रतियोगिता में एयर राइफल और पिस्टल शूटिंग शामिल थी। कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर आयोजित अनूठी प्रतियोगिता के दौरान प्रतिभागियों को हथियार चलाने और फायरिंग तकनीक की मूल बातें सिखाई गईं।

 

इस पहल का मुख्य उद्देश्य लड़कियों में आत्मविश्वास और आत्मरक्षा की भावना पैदा करना था, साथ ही उन्हें भविष्य में देश की रक्षा में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करना था। प्रतियोगिता सात दिनों के प्रशिक्षण के बाद आयोजित की गई, जिसमें बच्चों ने अपने हाथों से फायरिंग की।

प्रतियोगिता में 50 लड़कियां हुईं शामिल

सेना की इस पहल ने ग्रामीण लड़कियों में जबरदस्त उत्साह भर दिया। नतीजतन, प्रतियोगिता में लगभग 50 लड़कियों ने भाग लिया और अपने उल्लेखनीय कौशल का प्रदर्शन किया। अपनी खुशी जाहिर करते हुए एक प्रतिभागी ने कहा, "सेना की इस पहल से मैं बहुत उत्साहित हूं। इस कार्यक्रम ने मुझे आत्मविश्वास दिया है और अपने अंदर एक नई प्रतिभा को पहचानने में मदद की है। मैं इस हुनर को और आगे बढ़ाना चाहती हूं और राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाना चाहती हूं।" 

ये थे प्रतियोगिता के दो मुख्य उद्देश्य

सेना के अधिकारियों के अनुसार, इस पहल के दो मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और एक मजबूत और सक्षम नागरिक तैयार करना है जो देश की रक्षा और उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। प्रतियोगिता के दौरान कुछ लड़कियों ने एयर राइफल और पिस्टल शूटिंग में असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया। अगर सही समय पर सही संसाधन और मार्गदर्शन प्रदान किया जाए तो ये लड़कियां राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती हैं।

शी जिनपिंग ने अचानक किया PLA आर्मी में बड़ा फेरबदल, कई जनरलों को हटाया; जानें क्या है वजह

डेस्क: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश के सशस्त्र बलों को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए जोरदार अभियान चला रहे हैं. उन्होंने मेजर मिलिट्री रिफॉर्म्स को भी लागू किया है. इसी क्रम में शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में बड़े स्तर पर सफाई अभियान चलाया है. इसके साथ ही उन्होंने टॉप के अधिकारियों और रक्षा मंत्रियों को भी बर्खास्त किया है.

15 नवंबर, 2012 को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में बड़े पैमाने पर सफाई अभियान चलाया है. इस दौरान, उन्होंने भ्रष्टाचार, अक्षमता, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और पीएलए में सुधारों का विरोध करने के कारण बड़ी संख्या में शीर्ष अधिकारियों के अलावा दो रक्षा मंत्रियों और सीएमसी के कम से कम दो उपाध्यक्षों को बर्खास्त कर दिया.  

2014 से अब तक 52 जनरलों को हटाया गया

19 जून को यानान में एक राजनीतिक-सैन्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए जिनपिंग ने स्वीकार किया कि चीनी सेना की राजनीति, विचारधारा, कार्यशैली और अनुशासन में “गहरी समस्याएं” हैं. सरकारी सीसीटीवी ने उनके हवाले से कहा, “सेना में भ्रष्ट तत्वों के लिए कोई छिपने की जगह नहीं होनी चाहिए.” हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 से अब तक करीब 52 शीर्ष जनरलों को हटाया गया है.

इसके अलावा, 2012 से अब तक पीएलए के 65 से अधिक शीर्ष अधिकारियों, कमांडरों और निदेशकों को हटाया जा चुका है, जबकि आठ अन्य जनरलों के खिलाफ भ्रष्टाचार और इससे संबंधित आरोपों की जांच की जा रही है. हालांकि इन लोगों को अभी सजा नहीं दी गई है.  

4 हजार से ज्यादा अधिकारी भ्रष्टाचार विरोधी जांच के दायरे में

दरअसल, 2015 में पीएलए डेली में छपी एक रिपोर्ट से पता चला कि 2013 से लेकर अब तक सिर्फ दो सालों में लेफ्टिनेंट कर्नल और उससे ऊपर के रैंक के 4,024 अधिकारी भ्रष्टातार विरोधी जांच के दायरे में आए. इनमें 82 जनरल शामिल भी हैं. इसके बाद 21 कमांडरों और 144 अधिकारियों को डिमोशन किया गया और कम से कम 77 को फटकार लगाई गई.

मणिपुर में नहीं थम रहा हिंसा का दौर! उग्रवादियों ने घात लगाकर किया हमला, 1 CRPF जवान शहीद

डेस्क: मणिपुर के जिरीबाम जिले में हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां पुलिस के साथ संयुक्त पैट्रोलिंग टीम पर संदिग्ध उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया. इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का एक जवान शहीद हो गया जबकि, पुलिस के कमांडो घायल हो गए. फिलहाल, तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.

मणिपुर पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि असम की सीमा से लगे जिले में संयुक्त गश्ती दल पर संदिग्ध उग्रवादियों ने भारी गोलीबारी की. उस दौरान सीआरपीएफ का जवान गश्ती एसयूवी के पास चल रहा था, तभी संदिग्ध उग्रवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमने भी जवाबी कार्रवाई की. जिसके बाद उग्रवादियों ने जंगल की आड़ लेकर घटनास्थल से भागने में कामयाब हो गए. फिलहाल, पुलिस का तलाशी अभियान चल रहा है.

CM ने कुकी उग्रवादियों के हमले पर की कड़ी निंदा

इस दौरान सूबे के मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह ने पुलिस पर हुए हमले को लेकर एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मैं आज जिरीबाम जिले में कुकी उग्रवादियों के संदिग्ध एक सशस्त्र समूह द्वारा किए गए हमले में सीआरपीएफ के एक जवान की हत्या की कड़ी निंदा करता हूं. उन्होंने आगे कहा कि कर्तव्य की राह पर उनका सर्वोच्च बलिदान बेकार नहीं जाएगा. सीएम ने कहा कि मैं मृतक जवान के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं, साथ ही हमले के दौरान घायल हुए लोगों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं.

मणिपुर में एक साल से जारी है हिंसा 

बता दें कि, मणिपुर में पिछले साल से मई से जारी हिंसा से अब तक जिरीबाम अप्रभावित रहा है. यहां भी मेइती, मुस्लिम, नागा, कुकी और गैर-मणिपुरी लोग रहते हैं. वहीं, इंफाल घाटी में रहने वाले मेइती और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी लोगों के बीच पिछले साल मई से जारी जातीय हिंसा में कई सैंकड़ों से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और हजारों लोग बेघर हो गए थे. वहीं, पिछले साल मई महीने में लगी हिंसा की आग के बाद से लगातार गोलीबारी और हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं.