भदोही: बाढ़ प्रभावित 193 गावों में अलर्ट, 22 चौकियां सक्रिय
नितेश श्रीवास्तव ,भदोही।मानसूनी बारिश शुरू होने के साथ ही जिले में जल प्लावन से प्रभावित होने वाले 193 गांवों में बचाव को लेकर प्रशासन ने अलर्ट घोषित कर दिया है। 22 बाढ़ चौकियों के माध्यम से चौकसी रखने की कवायद शुरू हो गई है। सभी को सक्रिय कर दिया गया है। राजस्व विभाग को जहां नजर रखने के लिए कहा गया है वहीं स्वास्थ्य, आपूर्ति, कृषि समेत अन्य सरकारी विभागों को हर समय तैयार रहने की हिदायत दी गई है।जिले में अबकी बार मानसून की बारिश अभी रफ्तार नहीं पकड़ सकी है, लेकिन आने वाले समय में स्थितियां बदलेगी।
बारिश से गंगा का जहां जलस्तर बढ़ेगा वहीं छिछली वरुणा और मोरवा का पानी फैलना शुरू हो जाता है। इससे नदियों से सटे गावों में समस्याएं भी शुरू हो जाती है। बारिश का सीजन शुरू होने से ज्ञानपुर, सुरियावां, भदोही, डीघ और औराई ब्लॉक के 193 गांवों के लोगों की धड़कन बढ़ गईं हैं। जल प्लावन होने से ग्रामीणों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। एक ओर जहां पशुओं के चारा की दिक्कत हो जाती है, वहीं कच्चे मकान जमींदोज हो जाते हैं। करीब दो महीने के अंदर जिलाधिकारी विशाल सिंह ने बाढ़ नियंत्रण से जुड़े विभागों की बैठक लेकर तैयारी करने के निर्देश दिया था। जिसको अब अमली जामा पहनाने की कवायद भी शुरू हो गई है। बाढ़ प्रभावित गांव के लोगों को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन ने निविदा भी जारी कर दिया है। जिसमें प्रभावित लोगों के लिए नाश्ता, भोजन, प्रकाश की सुविधा, पशुओं के लिए चारा आदि शामिल हैं।
यहां स्थापित हुई हैं बाढ़ चौकियां
ज्ञानपुर। विकास खंड औराई में डेरवां, खमरिया, द्वारिकापुर, सहसेपुर तथा विकास खंड डीघ में धनतुलसी, लखनपुर, भदरांव, कटरा, इटहरा, कलिजरा, इनारगांव, बिहरोजपुर में बाढ़ चाैकियां बनेंगी। सुरियावां में करियांव, अबरना, सांडा, रामनगर और भदोही में सर्रोई, मुंसीलाटपुर, तुलसीचक, मईहरदोपट्टी तथा ज्ञानपुर विकास खंड में रमईपुर, मतेथु, कसियापुर, श्रीकांतपुर और भगवानपुर आदि गांवों में बाढ़ चौकियां स्थापित की गई है।
कारगर नही हुई कटान रोधी व्यवस्था
सीतामढ़ी। छेछुआ और भुर्रा में गंगा कटान रोकने के लिए तीन करोड़ रुपए खर्च किया गया लेकिन सरकार की इस व्यवस्था से कटान से राहत नहीं मिल सकी है। गंगा में करीब दो किलोमीटर के दायरे में जिओ टेक्सटाइल ट्यूब कटर लगवाया गया। लेकिन यह व्यवस्था सफल नहीं हुई। किसानो का कहना है कटान रोकने के लिए जहां पर टेक्सटाइल ट्यूब स्थापित किए गए थे उससे अब लगभग 20 मीटर तक गंगा पश्चिम में बहने लगी है, यह व्यवस्था जरा भी कारगर साबित नहीं हुई।
कटान से विस्थापित हो चुके है कई परिवार
सीतामढी। गंगा से सटे 46 गांव में प्रशासन की नजर रहती है, हालांकि सबसे अधिक छेछुआ, भुर्रा, मवैयाथान सिंह, नारेपार, इटहरा जैसे गांव प्रभावित होते हैं। छेछुआ, भुर्रा में कई परिवार तो दो दशक में विस्थापित हो चुके हैं। 50 बिंद और 20 दलित परिवार भूमिहीन हो कर बेघर हो गए। छेछुआ के राजमणि बिंद, कल्लू बिंद, बुद्ध बिंद, रंगू बिंद, राधे बिंद शिवराज आदि दूसरे गांव में जाकर बस चुके हैं। वर्तमान में कमला बिंद का एक मात्र परिवार छेछुआ में रहता है। किसानों की खेती का बड़ा भू भाग गंगा ने विलीन हो चुका है। छेछुआ गांव के बिनोद सिंह, रामू सिंह, जितेंद्र सिंह, श्यामू सिंह, धर्मेंद्र सिंह, यज्ञ वासिनी सिंह आदि की बहुत अधिक जमीन जा चुकी है। हर साल आने वाली बाढ़ में एक से दो बीघे उपजाऊ जमीन गंगा में समा जाती है।
बाढ़ प्रभावित 193 गांव में 22 चौकियां सक्रिय कर दी गई हैं। जिलाधिकारी के निर्देश पर सभी विभागों से समन्वय स्थापित कर तैयारी को अंतिम रूप दिया गया है। जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए निविदा भी जारी हो चुकी है।- पुष्पेंद्र सिंह, एक्सईएन नहर
Jul 13 2024, 18:21