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Jul 12 2024, 20:02

ईरान में मसूद पेजेश्कियान के आने के बाद भारत के साथ रिश्‍तों पर क्‍या होगा असर?

#indiairanrelationsafternewpresidentmasoud_pezeshkian 

इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्‍टर हादसे में मौत के बाद ईरान को नया राष्‍ट्रपति मिल गया है। ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में सुधारवादी नेता मसूद पेजेश्कियान ने रूढ़िवादी सईद जलीली पर जीत दर्ज की है।मसूद अकेले सुधारवादी उम्मीदवार थे, जिनको चुनाव लड़ने की इजाजत दी गई थी। हार्ट सर्जन से राजनीति में आए अनुभवी सांसद और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मसूद पेजेश्कियान ने आश्चर्यजनक रूप से विरोधियों को पीछे छोड़ते हुए जीत दर्ज की है। मसूद को ईरान के लॉ प्रोफोइल और चमक-दमक से दूर रहने वाले राजनेताओं में गिना जाता है।

ईरान-भारत के रिश्तों पर क्या होगा असर

69 साल के मसूद के चुनाव जीतने के बाद ये सवाल है कि क्या उनके आने से ईरान और भारत के रिश्तों में क्या कोई बदलाव देखने को मिल सकता है? ईरान की सत्ता संभालने वाले पेजेश्कियान की जीत भारत के लिए काफी अहम मानी जा रही है। रईसी के वक्त भी भारत और ईरान के बीच संबंध काफी अच्छे रहे। भारत और ईरान के बीच मजबूत आर्थिक संबंध रहे हैं। अब जब ईरान की सत्ता पेजेश्कियान के हाथ में जा रही तो दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होने की संभावना है।

कहा जाता है कि ईरान और भारत के बीच संबंध क्षेत्रीय सुरक्षा पर आधारित रहा है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर भी अहम डील हो चुकी है। चाबहार पोर्ट को ग्वादर पोर्ट के लिए चुनौती के तौर पर देखा जाता है। इस पोर्ट के जरिए भारत-ईरान और अफगानिस्तान जुड़ेंगे। माना जा रहा है कि ईरान के नए राष्ट्रपति पेजेश्कियान भी भारत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाते रहेंगे। चाबहार पोर्ट को लेकर भारत और ईरान की जो रणनीति रही है वो भी आगे बढ़ती रहेगी। चाबहार पोर्ट एक ऐसा प्रोजेक्ट है जहां भारत ने बड़ा निवेश किया है। इस प्रोजेक्ट से भारत को जो फायदा होगा वो तो होगा ही, लेकिन ईरान को उससे कहीं ज्यादा लाभ मिलने वाला है। इसलिए नए राष्ट्रपति के आने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत ही होंगे।

ईरान के राजदूत पहले ही दे चुके हैं ये संदेश

इस पर भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही पहले ही अपनी राय जता चुके हैं। उन्होंने कहा है कि भारत और ईरान के रिश्ते मजबूत हैं और आगे इनको और भी बेहतर किया जाएगा। इलाही ने कहा कि किसी भी के राष्ट्रपति बनने से भारत के साथ ईरान की विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं होगा।

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Jul 12 2024, 19:23

नेपाल में पुष्प कमल दहल की सरकार गिरी, संसद में साबित नहीं कर सके बहुमत

#nepal_pushpa_kamal_dahal_loses_vote_of_confidence 

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड को बड़ा झटका लगा है। दहल संसद में विश्वास मत हार गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। दरअसल, सीपीएम-यूएमल ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। 275 सदस्यों वाले हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव (एचओआर) में प्रचंड के विश्वास मत के खिलाफ 194 और समर्थन में 63 वोट पड़े। विश्वास मत हासिल करने के लिए 138 मतों की आवश्वयकता थी। इसके साथ ही के पी शर्मा ओली का नया पीएम बनना लगभग तय हो गया है। 

पुष्प कमल दहल ने पीएम बनने के डेढ़ साल बाद संसद में बहुमत साबित ना कर पाने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया।नेपाली कांग्रेस के साथ एक नए गठबंधन के गठन के लिए समझौते के बाद सीपीएन-यूएमएल के सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के बाद प्रधानमंत्री दहल ने संविधान के अनुच्छेद 100(2) के अनुसार फ्लोर टेस्ट का विकल्प चुना लेकिन वह बहुमत साबित नहीं कर सके। संसद में विश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी संविधान को कमजोर नहीं करेगी और ना ही दूसरों को ऐसा करने की अनुमति देगी।

दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की अगुवाई वाली सीपीएन-यूएमएल गठबंधन द्वारा सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद प्रचंड को विश्वासमत का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। गठबंधन इस बात पर सहमत हुआ है कि कम्युनिस्ट पार्टी के नेता के.पी. ओली नए प्रधानमंत्री होंगे। दहल 25 दिसंबर 2022 को प्रधानमंत्री नियुक्त होने के बाद चार फ्लोर टेस्ट का सामना कर चुके थे, जिनमें उनको कामयाबी मिली लेकिन इस दफा यानी पांचवें फ्लोर टेस्ट में वह फेल हो गए।

वर्तमान में नेपाली कांग्रेस के पास सदन में 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं। उनकी संयुक्त ताकत 167 है जो निचले सदन में बहुमत के लिए आवश्यक 138 सीटों से कहीं ज़्यादा है। प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) के पास 32 सीटें हैं।

प्रचंड के विश्वासमत हसिल नहीं कर पाने के बाद ओली शनिवार को प्रधानमंत्री बन सकते हैं और रविवार को वह पद और गोपनीयता की शपथ ले सकते हैं। पार्टी सचिवालय में ओली ने कहा कि दो बड़े राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन नेपाल के विकास के लिए जरूरी था।

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Jul 12 2024, 18:55

जो करेगा जाति की बात, उसे पड़ेगी कसकर लात’, आखिर किस पर भड़के नितिन गडकरी?*
#nitin_gadkari_caste_politics
भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। इस बार गडकरी ने जातिवाद की राजनीति को लेकर बड़ा और सख्त बयान दिया है। महाराष्ट्र के पुणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं जात-पात को नहीं मानता। जो जात की बात करेगा, उसे मैं कसकर लात मार दूंगा। बीजेपी सांसद नितिन गडकरी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने लगातार मतदाताओं का भरोसा जीता है। उन्होंने भाजपा नेताओं से यह भी कहा कि वो गलती न दोहराएं, जिस वजह से कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई है। गडकरी ने स्पष्ट रूप से कहा, अगर हम कांग्रेस की तरह काम करते रहेंगे तो कांग्रेस का सत्ता से बाहर जाने का कोई फायदा नहीं और हमारा सत्ता में आने का भी कोई फायदा नहीं है। अपने संबोधन में गडकरी पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के ‘भाजपा अलग सोच वाली पार्टी है’ वाले बयान को भी याद किया। भाजपा नेता ने कहा, ‘आडवाणी कहते थे कि भाजपा अलग सोच वाली पार्टी है। हम जानते हैं कि हम दूसरे दलों से कितने अलग हैं।’ गडकरी ने आगे कहा कि जनता ने भाजपा को इसलिए चुना है क्योंकि कांग्रेस ने गलतियां कीं थीं। उन्होंने भाजपा नेताओं को चेताया कि पार्टी इसी तरह की गलतियों को दोहरा रही है। भाजपा नेता ने कहा,‘आने वाले दिनों में भाजपा नेताओं को यह समझना होगा कि राजनीति समाज और आर्थिकी में बदलाव का एक जरिया है।’ उन्होंने कहा कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में 40% मुसलमान हैं। मैंने उनको पहले ही कहा है, मैं आरएसएस वाला हूं, हाफ चड्ढी वाला हूं। किसी को वोट देने से पहले सोच लो कि बाद में पछताना ना पड़े। जो वोट देगा, मैं उसका काम करूंगा और जो नहीं देगा, मैं उसका भी काम करूंगा।

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Jul 12 2024, 18:25

संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाया जाएगा 25 जून, केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना*
#constitution_assassination_day_will_be_celebrated_every_year_on_25th_june
देश में आपातकाल की घोषणा 25 जून, 1975 में की गई थी।अब केंद्र की मोदी सरकार ने 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का फैसला किया है।केंद्र सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है। खुद केंद्रीय मंत्री ने अधिसूचना की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सरकार के फैसले पर कहा कि यह उन हर व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले हैं। केंद्र की ओर से जारी अधिसूचना में कहा है कि 25 जून 1975 में देश में आपातकाल लगाया गया था, ऐसे में अब भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था। अधिसूचना में कहा है, आपातकाल की घोषणा की मौजूदा सरकार की ओर से सत्ता का घोर दुरुपयोग किया गया और भारत के लोगों पर ज्यादतियां और अत्याचार किए गए थे। और जबकि भारत के लोगों को भारत के संविधान पर और भारत के मजबूत लोकतंत्र पर दृढ़ विश्वास है। अधिसूचना में आगे कहा गया है कि इसलिए भारत सरकार ने आपातकाल की अवधि के दौरान सत्ता के घोर दुरुपयोग का सामना और संघर्ष करने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया है और भारत के लोगों को भविष्य में किसी भी तरह से सत्ता के घोर दुरुपयोग का समर्थन नहीं करने के लिए फिर से प्रतिबद्ध किया है। *अमित शाह ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट* केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में ट्वीट भी किया है। गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए देश पर आपातकाल लागू करके हमारे लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को बिना किसी गलती के जेलों में डाल दिया गया था और मीडिया की आवाज भी दबा दी गई थी।उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है। इस दिन उन सभी लोगों के योगदान का याद किया जाएगा जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को सहन किया था। *पीएम मोदी ने भी किया ट्वीट* 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने के सरकार के निर्णय पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को रौंदा गया था, तब क्या हुआ था। यह प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले, जो भारतीय इतिहास का एक काला दौर था।

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Jul 12 2024, 17:15

नए आपराधिक कानूनों के जरिए मोदी सरकार ने तय समय सीमा में सभी को न्याय मिल सके यह सुनिश्चित करने का काम किया है : बीजेपी

डेस्क : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक सेवा और कल्याण पर केन्द्रित कानूनों से एक नए युग की शुरुआत की हैं। न्याय एक शब्द भर नहीं, बल्कि विशालता समेटे हुए सभ्य समाज की नींव डालता है। नए कानून में दंड नहीं, समय पर न्याय मिले यह अंतर्निहित है। नए आपराधिक कानून दंड केन्द्रित न होकर, समय पर न्याय केन्द्रित हैं। 

उन्होंने कहा है कि तारीख पे तारीख नहीं, समय-सीमा में निर्णय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता यह सुनिश्चित करता है कि देश में न्याय प्राप्त करने में गरीबों के लिए कोई आर्थिक बाधा न हो। पुलिस द्वारा कार्रवाई को लेकर सीआरपीसी में कोई समय निर्धारित नहीं है। अगर कोई शिकायत देता है तो उसका संज्ञान 10 साल बाद भी ले सकते हैं लेकिन अब तीन दिनों के भीतर ही एफआईआर दर्ज करनी होगी। अगर प्राथमिक जांच हो चुकी है तो 3 से 7 साल तक की सजा में 14 दिनों के अंदर प्रारंभिक जांच करके बताना होगा कि आरोप सही है या गलत। 

इतना ही नहीं, जांच रिपोर्ट जो जिला मजिस्ट्रेट को भेजनी है, जिसके लिए कोई समय का प्रावधान नहीं था। लेकिन अब 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसको न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा। साथ ही, पहले 60 से 90 दिन में चार्जशीट करने का एक कानूनी प्रावधान था, लेकिन उसके बाद भी री- इन्वेस्टीगेशन, जांच चालू है जैसी बात करके चार्जशीट लटकाई जाती थी। लेकिन अब नए कानून में 60 से 90 दिन का समय तो रहेगा, लेकिन 90 दिन के बाद आगे की जांच के लिए न्यायालय से आदेश लेना पड़ेगा और चार्जशीट को 180 दिनों के बाद लंबित नहीं रखा जा सकता है। ऐसा करके नए कानून में ट्रायल जल्दी हो, इसकी शुरुआत कर दी गई है।

श्री अरविन्द ने कहा की मोदी सरकार ने सभी को समय पर न्याय मिल सके वह इन तीन नए अपराधी कानून में प्रावधान करके सुनिश्चित करने का काम किया है। इस कानून के संपूर्ण अमल के बाद से 'तारीख पे तारीख' का जमाना बीते सदी की बात होगी। तीन साल में किसी भी पीड़ित को न्याय मिल जाए, ऐसी न्याय प्रणाली इस देश के अंदर प्रस्थापित हो गई है और कानून में न्याय के लिए प्रावधान किए गए है। 

जजमेंट पहले सालों-साल नहीं आते थे लेकिन अब मुकदमे की समाप्ति के बाद जज साहब को 45 दिनों के अंदर ही जजमेंट देने पड़ेंगे। इससे अधिक देरी नहीं कर सकते। साथ ही सजा-निर्णय के सात दिनों के अंदर ही फैसले की कॉपी अपलोड करनी होगी।

बार-बार स्थगन से होने वाली देरी को कम करने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के सेक्शन 346 में व्यवस्था की गई है कि न्यायालय, विरोधी पक्ष की आपत्तियों पर विचार करने के बाद, लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए दो से अधिक स्थगन नहीं दे सकते हैं।

मोदी सरकार ने नए कानूनों के जरिए यह सुनिश्चित करने का काम किया है कि हमारे समाज के गरीबों, हाशिए पर रहने वाले और कमजोर वर्गों को समय पर बेहतर सुरक्षा मिले। नए आपराधिक कानून समय पर न्याय की सुगमता का एक नया युग की शुरुआत हैं।

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Jul 12 2024, 16:32

आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम जगन मोहन की बढ़ी मुश्किलें, हत्या का केस दर्ज

#andhra_police_book_ex_cm_jagan_in_attempt_to_murder_case 

आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में वाईएस जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसी को करारी हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद जगन मोहन को मुख्‍यमंत्री की कुर्सी भी गंवानी पड़ी। अब आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी एक और गंभीर संकट में घिरते दिख रहे हैं।आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ है। इस केस में चार अन्य आरोपी हैं।आंध्र प्रदेश पुलिस ने तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) विधायक की शिकायत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी, दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों और दो सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया है।

इस संबंध में उंडी विधानसभा क्षेत्र से आंध्र में सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक के. रघुराम कृष्ण राजू ने शिकायत दर्ज कराई है।हाई-प्रोफाइल मामले की जानकारी देते हुए अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी के अलावा वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पीवी सुनील कुमार और पीएसआर सीतारमणजनेयुलु के साथ ही रिडायर्ड पुलिस अधिकारी आर विजय पॉल और गुंटूर सरकारी अस्पताल की पूर्व अधीक्षक जी. प्रभावती के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अधिकारी ने बताया कि राजू ने एक महीने पहले ई-मेल के जरिए पुलिस को शिकायत भेजी थी और कानूनी परामर्श लेने के बाद गुरुवार शाम 7 बजे पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि राजू ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें हिरासत में यातना दी गई।

विधायक ने अपनी शिकायत में कहा है, आंध्र प्रदेश सरकार की सीबीसीआईडी ने मेरे खिलाफ फर्जी मामला दर्ज किया। ।राजू ने अपनी शिकायत में कहा कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुनील कुमार और सीतारमणजनेयुलु, पुलिस अधिकारी विजय पॉल और सरकारी डॉक्‍टर जी. प्रभावती उस साजिश का हिस्सा थे। उन्हें मई 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान गिरफ्तार किया गया था। राजू ने शिकायत में कहा, आंध्र प्रदेश सरकार के अपराध जांच विभाग (सीबीसीआईडी) ने मेरे खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया। मुझे बिना किसी उचित प्रक्रिया के 14 मई 2021 को गिरफ्तार किया गया, धमकाया गया, अवैध रूप से पुलिस वाहन के अंदर खींचा गया और उसी रात जबरन गुंटूर ले जाया गया।

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Jul 12 2024, 15:49

स्मृति ईरानी के बचाव में क्यों उतरे राहुल गांधी? बीजेपी नेता के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने वालों को दी चेतावनी

#rahul_gandhi_tweet_for_smriti_irani 

लोकसभा चुनाव 2024 में अमेठी सीट से हार का सामना करने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया है।पूर्व केंद्रीय मंत्री को लुटियंस दिल्ली में 28 तुगलक क्रिसेंट बंगला मिला हुआ था। इस बार लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी को कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा को शिकस्त मिली थी। जिसके बाद स्मृति ईरानी के सरकारी बंगला खाली करने पर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने टिप्पणी की। अब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं को सख्त हिदायत दी है कि वो स्मृति ईरानी के खिलाफ कोई टिप्पणी न करें।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता स्मृति ईरानी भद्दे और अभद्र कमेंट करने वालों को रायबरेली से सांसद राहुल गांधी ने वॉर्निंग देते हुए कहा कि ऐसा बिल्कुल न करें। उन्होंने कहा कि जिंदगी में हार जीत लगी रहती है, लेकिन किसी को अपमानित करना कमजोरी की निशानी है, ताकत की नहीं।कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर पर) लिखा, "जीवन में हार-जीत तो होती रहती है। मैं सभी से आग्रह करता हूं कि वे श्रीमती स्मृति ईरानी या किसी अन्य नेता के प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने और बुरा व्यवहार करने से बचें। लोगों को अपमानित करना और उनका अपमान करना कमजोरी की निशानी है, न कि मजबूती की।"

दरअसल, अमेठी से चुनाव हारने के बाद सोशल मीडिया पर स्मृति ईरानी को लगातार ट्रोल किया जा रहा था। इसी को देखते हुए राहुल गांधी ने सभी से अनुरोध करते हुए यह अपील की है। हाल में सपन्न हुई लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट पर कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने स्मृति ईरानी को डेढ़ लाख से अधिक मतों के अंतर से हार गई थीं। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मात देते हुए बड़ी जीत हासिल की थीं। इसके बाद उन्हें सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री बनाया गया था।

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Jul 12 2024, 15:46

इस भारतीय ने 20 साल पहले की थी दुनिया की सबसे महंगी शादी, गिनीज बुक में है नाम, जानिए कितने पैसे हुए थे खर्च

भारत के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी की शादी राधिका मर्चेंट के साथ होने जा रही है. 12 जुलाई को होने वाली इस शादी से जुड़े प्रोग्राम लंबे समय से चल रहे हैं. सोशल मीडिया पर शादी से जुड़ी कई बातें शेयर की जा रही हैं और हर कोई शादी के खर्चे की बात कर रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे महंगी शादी कौनसी है? वैसे दुनिया की सबसे महंगी शादी का रिकॉर्ड भी किसी हिंदुस्तानी के नाम पर ही है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर दुनिया की सबसे महंगी शादी किसने की थी, उसमें कितने पैसे खर्च हुए थे. 

वैसे तो दुनिया में कई शादियों को लेकर ये दावा किया जाता है कि वो सबसे महंगी शादी रही हैं. जैसे कई रिपोर्ट्स में प्रिंस चार्ल्स और डियाना की शादी को दुनिया को दुनिया की सबसे महंगी शादी कहा जाता है. बताया जाता है कि इस शादी में 110 मिलियन डॉलर रुपये खर्च हुए थे. इसके अलावा कुछ रिपोर्ट्स में रूस के Said Gutseriev और Khadija Uzhakhovs की शादी को दुनिया की सबसे महंगी शादी का टैग दिया जाता है. वहीं, कई लोग अन्य शादियों को दुनिया की सबसे महंगी शादी बताते हैं, जिसमें अंबानी परिवार की शादियां भी शामिल हैं. 

लेकिन, आधिकारिक अनाउंसमेंट और शादी में हुए कुल खर्च की ऑफिशियल जानकारी ना होने की वजह से यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि आखिर दुनिया की सबसे महंगी शादी कौनसी है. ऐसे में सवाल है कि आखिर दुनिया की सबसे महंगी शादी कौनसी है? अब जानते हैं आधिकारिक तौर पर किस शादी को दुनिया की सबसे महंगी शादी कहा जाता है. 

ऐसे में गिनीज बुक रिकॉर्ड्स के जरिए जानते हैं कि आखिर किस शादी में सबसे ज्यादा खर्चा हुआ है? गिनीज बुक के हिसाब से भी दुनिया की सबसे महंगी शादी किसी भारतीय ने ही की है. दुनिया की सबसे महंगी शादी का रिकॉर्ड स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल की बेटी वनिषा मित्तल की शादी के नाम पर है. बता दें कि वनिषा मित्तल ने साल 2004 में इनवेस्टमेंट बैंकर अमित भाटिया से शादी की थी. ये शादी भारत में नहीं बल्कि फ्रांस में की गई थी. 

गिनीज बुक के हिसाब से लक्ष्मी निवास मित्तल की बेटी की शादी का इवेंट Versailles में 6 दिन तक चला था. इस शादी की खास बात ये थी कि शादी में इंगेजमेंट सेरेमनी का प्रोग्राम पैलेस ऑफ Versailles में हुआ था और कहा जाता है कि इस पैलेस में आजतक सिर्फ ये ही एक प्राइवेट इवेंट हुआ है. इस शादी में कई विदेशी और बॉलीवुड सेलेब्स ने परफॉर्म किया था. रिपोर्ट के अनुसार, इस शादी में 55 मिलियन डॉलर खर्च हुए थे और अगर इसे आज के रेट के हिसाब से इंडियन करेंसी में कन्वर्ट करें तो यह करीब 450 करोड़ रुपये है.

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Jul 12 2024, 15:45

आज भी मणिपुर में घर जल रहे हैं...राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर किया तीखा हमला और PM मोदी से की ये बड़ी अपील

 कांग्रेस पार्टी के सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मणिपुर के हालात को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है. और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद मणिपुर आकर शांति की अपील करनी चाहिए. राहुल गांधी ने कहा कि मैं मणिपुर पिछले साल भी आया था, अब फिर आया हूं लेकिन अफसोस कि यहां की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. राहुल गांधी ने कहा कि मणिपुर में हालात जस के तस हैं. आज भी प्रदेश दो टुकड़ों में बंटा हुआ है.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आज मणिपुर को लेकर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो भी शेयर किया था. इस वीडियो में राहुल गांधी ये कहते देखे जा रहे हैं कि वो मणिपुर हिंसा शुरू होने के बाद तीन बार आ चुके हैं, मगर स्थिति में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है. आखिर मणिपुर की सुध कब ली जाएगी?

विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि मणिपुर में आज भी तमाम घर जल रहे हैं. यहां की हजारों मासूम जिन्दगियां खतरे में हैं और हजारों परिवार रिलीफ कैंप में रहने को लाचार हैं. राहुल गांधी ने इसी के साथ प्रधानमंत्री मोदी से भी मणिपुर आने की अपील की है. और कहा कि पीएम मोदी को यहां आकर खुद प्रदेशवासियों की तकलीफें सुननी चाहिए, हालात को देखना चाहिए और शांति की अपील करनी चाहिए.

राहुल गांधी ने इसी के साथ ये भी कहा कि कांग्रेस पार्टी के सांसद और इंडिया गठबंधन के दलों के सांसद मणिपुर में शांति स्थापना के लिए संसद में पूरी शक्ति के साथ आवाज उठाएंगे और सरकार पर इस त्रासदी को खत्म करने का दबाव बनाएंगे. उन्होंने कहा कि मणिपुर में जो हालात है, उसको लेकर सभी को गंभीर होना चाहिए. यहां ऐसे प्रयास किये जाने चाहिए ताकि जल्द से जल्द शांति कायम हो सके और स्थानीय लोगों को राहत मिले.

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Jul 12 2024, 15:38

डीयू में मनुस्मृति को लेकर विवाद, कांग्रेस ने सरकार पर उठाए सवाल

#delhi_university_manusmriti_faculty_of_law_controversy 

दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुस्मृति को लेकर विवाद हो गया है। विवाद बढ़ने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय ने लॉ की पढ़ाई में मनुस्मृति पढ़ाए जाने का प्रस्ताव रिजेक्ट कर दिया है। दरअसल, यूनिवर्सिटी के एलएलबी के छात्रों को मनुस्मृति पढ़ाने की तैयारी हो रही थी। इस संबंध में लाए गए प्रस्ताव को मंजूरी के लिए यूनिवर्सिटी के शीर्ष अधिकारियों को भेजा गया। हालांकि, डीयू के वाइस चांसलर योगेश सिंह ने स्पष्ट किया कि मनुस्मृति के सुझावों को खारिज कर दिया गया है।

दरअसल, गुरुवार को खबर सामने आयी कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के एलएलबी के छात्रों को मनुस्मृति पढ़ाने के प्रस्ताव पर चर्चा की जाने वाली है। शुक्रवार (12 जुलाई) को अकादमिक परिषद की बैठक होगी, जिसमें इस पर चर्चा होगी। फैक्लटी ऑफ लॉ फर्स्ट और थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स को मनुस्मृति पढ़ाने के लिए सिलेबस में बदलाव चाहता है। इसके लिए यूनिवर्सिटी के फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था से मंजूरी मांगी गई है।

जब दिल्ली यूनिवर्सिटी में मनुस्मृति पढ़ाए जाने की तैयारियों की जानकारी सामने आई, वैसे ही इसकी आलोचना शुरू हो गई। आनन-फानन में यूनिवर्सिटी के वीसी योगेश सिंह सामने आए और उन्होंने पूरे मामले पर सफाई दी। उन्होंने कहा, दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैक्लटी ऑफ लॉ के जरिए आज एक प्रस्ताव पेश किया गया था। इस प्रस्ताव में उन्होंने न्यायशास्त्र विषय में बदलाव का सुझाव दिया था। वाइस चांसलर ने आगे कहा, इसमें से एक बदलाव मनुस्मृति को शामिल करने को लेकर था. हमने किताबों को शामिल करने और फैक्लटी के जरिए बदलाव के प्रस्ताव दोनों को ही खारिज कर दिया है। इस तरह की कोई भी चीज छात्रों को नहीं पढ़ाई जाएगी।

अब इस मामले में सियासत की एंट्री हो गई है। कांग्रेस के एससी-एसटी विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश लिलोठिया ने कहा है कि लॉ फैकल्टी दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन है। इस तरह का प्रस्ताव लाने वालों के नाम सामने लाए जाएं। ऐसे लोग संविधान विरोधी हैं। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए वरना आंदोलन जारी रहेगा।

मनुस्मृति है क्या? 

मनुस्मृति हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। इसे मनु संहिता या मानव धर्मशास्त्र के नाम से भी जाना जाता है। संस्कृत में लिखे गए इस ग्रंथ में धर्म, सामाजिक व्यवस्था और कानून से जुड़े विषयों पर जानकारी दी गई है। माना जाता है कि इसे भगवान मनु ने लिखा था जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उन्हें हिन्दू धर्म में मानव जाति का प्रथम पुरुष भी कहा जाता है। मनु संहिता में कुल 12 अध्याय और 2684 श्लोक हैं। हालांकि, इसके कुछ संस्करणों में 2,964 श्लोक बताए गए हैं।