आज विनायक चतुर्थी के शुभ मुहूर्त भगवान गणेश को समर्पित चतुर्थी पर्व मनाया गया
सरायकेला : आज विनायक चतुर्थी के शुभ मुहूर्त भगवान गणेश को समर्पित चतुर्थी पर्व मनाया जाता, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष चतुर्थी पर भगवान व्रत रखा जाता है ।
साथ ही भगवान जगन्नाथ महाप्रभु की रथ यात्रा के दो दिन बाद आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में मां 18 भुजा दुर्गा की एक रूप मां विपत्ति तारणी के नाम से प्रचलित है,आज रथ यात्रा के बाद पहली मंगलबार और शनिवार को मां विपत्ति तारिणी स्वरूपा भगवती दुर्गा की पूजा अर्चना की गई।
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आषाढ़ मास के तृतीय से नवमी तक अथवा घूरती रथ के अंदर विपत्ति तारणी की पूजा की जाती है।
जयदेव वेनार्जी भटचार्ज ने बताया की रथ यात्रा के दो दिनों पश्चात आने वाले पहले मंगलवार अथवा शनिवार को मन बिपदतारिणी की पूजा होती है यह देवी दुर्गा जी का ही एक रूप है जिनकी स्वरूप में 18 भुजा वाली मां सर्व संकट से दूर रखती है और सर्व बाधा से निवारण करती है।
इसलिए मां को बिपदतारिणी के रूप में माना जाता है पूजा के दिन महिलाएं व्रत रखकर माता की पूजन कथा सुनने के बाद मां के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित कर एक दूसरे को सिन्दूर लगाती है और रक्षा सूत्र बांधती है। पूजा के आठवे दिन के बाद उक्त धागे (रखा सूत्र) को जल में परवाह कर उसके स्थान पर मां के नाम से नया धागा बांधा जाता है।
मान्यता है की मां बिपदतारिणी की पूजा से घर के सभी क्लह, कष्ट और दुख का विनाश होता है और चारों और समृद्धि छा जाती है।
मां की पूजा अर्चना करने पहुंचे महिला व्रती द्वारा व्रत रखकर पूजा अर्चना करने दुर्गा मंदिर ,काली मंदिर,हरिमंदिर या भटचार्ज द्वारा आपने घरों में माताओं को पूजा अर्चना कराते हे।कोई प्रकार के प्रसाद मां विपत्ति तारणी की चढ़ावा दिया जाता हे। सुबह से साम तक मंदिर में लंबी कतार से महिलाए की खड़ी होकर मां की भगवती दुर्गा के विपत्ति तारणी स्वरूपा को बारंबार याद करने लगते ।एक दर्शक में एक राजा जब रानी से उस थाली में सजा सामान के बारे में जानकारी प्राप्त की तो रानी भी भयवित हो गई ।इसके बाद इस विपत्ति से निपटने के लिए रानी भगवती मां दुर्गा की बारंबार याद करने लगी । उनसे अनुनय -विनय और प्राथना की अब उसे मां ही बचाएं क्योंकि उस थाली में मांस साजा हुआ था।रानी ने नौकारिन से एक बार मांस खाने की इच्छा जाहिर किया था । ओर जब राजा ने देखा तो उस थाली में मां विपत्ति तारणि की कृपा से फल और फूलो से सज गया था ।इसके बाद से सभी की दुःख हरने वाले मां की पूजा करने लगा ।आज भी चले आरहा है ।











Jul 09 2024, 18:31
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