आरटीआई कार्यकर्ता एवं उनके परिवार को पुलिस से बना है जानमाल का खतरा
जौनपुर। सरकारी भूमि पर अतिक्रमण और अवैध कब्जे के खिलाफ आवाज उठाने वाले जिले के थानागद्दी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता बजरंग बहादुर सिंह उर्फ बजरंगी और उनके परिवार पर जान माल के खतरे का भय बना हुआ है। इलाकाई पुलिस, अवैध कब्जेंदारों और थाने के चर्चित दलाल का गठजोड़ उन पर और उनके पूरे परिवार पर कभी भी कोई अप्रिय वारदात को अंजाम दिला सकता है। परिजनों ने आशंका जताई है कि जिस योजनाबद्ध तरीके से और पुलिसिया बर्बरता की पराकाष्ठा को पार करते हुए बजरंग बहादुर सिंह को पुलिस ने 13 जून 2024 रात्रि 11 में सोते समय घर से उठा कर फर्जी मनगढ़ंत तहरीर के आधार पर पूरी रात मारने पीटने के बाद दूसरे दिन जेल भेजा था, वह न केवल मानवाधिकार अधिकारों का हनन रहा है बल्कि थानागद्दी चौकी प्रभारी की कुंठित मानसिकता को भी दशार्ता है।
गौरतलब है कि न्यायालय और सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि सरकारी भूमि मसलन, सड़क किनारे से लेकर तालाब भीटा इत्यादि पर किसी भी दशा में अतिक्रमण और अवैध कब्जा नहीं होना चाहिए यदि किसी का कब्जा है तो उसे खाली कराया जाए। पीड़ित आरटीआई कार्यकर्ता बहादुर सिंह ने थानागद्दी क्षेत्र में सरकारी भूमि और भीटा पर कब्जा किए जाने की आवाज उठाई थीं। उन्होंने बाकायदा पीडब्ल्यूडी और जिÞला पंचायत की जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा कर दुकान, मकान बनाकर किराए पर देकर भाड़ा वसूले जाने का मुद्दा उठाया तो अवैध कब्जेदारों में हड़कंप मच गया। आरटीआई कार्यकर्ता ने पीडब्ल्यूडी से आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी तो आनन-फानन में थानागद्दी क्षेत्र के उन कब्जे दारों को नोटिस जारी कर दिया गया जो लोक निर्माण विभाग की जमीन पर काबिज हो दुकान मकान तान लिए थे। पीडब्ल्यूडी की ओर से नोटिस मिला तो दबाव की राजनीति शुरू हो गई। बाद में दबंगों-कब्जेदारों और थाना पुलिस के एक चर्चित दलाल के सांठगांठ और गठजोड़ के परिणामस्वरूप फर्जी एफआईआर दर्ज कर बजरंगी सिंह को जेल भेज दिया गया। जिसका आशंका उन्होंने पूर्व में ही जताई थी।
1 जुलाई को रिहाई होने के बाद बजरंग बहादुर सिंह और उनके परिवार पर केराकत कोतवाली और थानागद्दी चौकी पुलिस का खौफ छाया हुआ है। परिजनों को जहां आज भी पुलिस व सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा जमाए लोगों से भय बना हुआ हैं आशंका जताई है कि यह लोग किसी अनिष्ट वारदात को भी अंजाम दिला सकते हैं। पीड़ित आरटीआई कार्यकर्ता बजरंग बहादुर सिंह उर्फ बजरंगी सिंह ने चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार से गुहार लगाते हुए पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। विदित हो कि थानागगद्दी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता बजरंगी सिंह ने पूर्व में उच्च न्यायालय में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे से संबंधित एक जनहित याचिका दायर की थीं। जिसकी जानकारी होने और पीडब्ल्यूडी द्वारा नोटिस मिलने के बाद अवैध कब्जा जमाएं लोगों की नींद उड़ गई थी।
देश के कई आरटीआई कार्यकर्ता ने बजरंगी सिंह की गिरफ्तारी पर उठाए हैं सवाल
जौनपुर जिले के थानागद्दी पुलिस चौकी क्षेत्र के निवासी आरटीआई कार्यकर्ता बजरंग बहादुर सिंह बजरंगी की गिरफ्तारी और उनके साथ हुए पुलिसिया उत्पीड़न की घटना को कई आरटीआई कार्यकतार्ओं ने भी संज्ञान में लेते हुए जौनपुर जिले के पुलिस अधिकारियों और जिला प्रशासन से आरटीआई के जरिए रिपोर्ट मांगी है। वहीं कई समाज सेवी और आरटीआई कार्यकतार्ओं ने इसे सीधे तौर पर मानवाधिकार का उल्लंघन करार देते हुए जौनपुर खासकर थानागद्दी पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हुए कटघरे में खड़ा करने का कार्य किया है। कई वरिष्ठ आरटीआई कार्यकतार्ओं ने इसे पुलिसिया दमन करार देते हुए पुलिस की इस कार्रवाई परफ़्ताल का टिप्पणी भी की है कहां है कि बजरंगी सिंह की गिरफ्तारी सीधे-सीधे मानवाधिकार नियमों और विधि विरुद्ध है।
Jul 03 2024, 16:10