पटना में घर में घूसकर बुजुर्ग महिला की गला दबाकर हत्या, किराए पर मकान देखने के नाम पर घटना को दिया अंजाम

डेस्क : राजधानी पटना में अपराधियों का तांडव थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिन-दहाड़े हत्या और लूट की बड़ी घटना को अंजाम देकर आराम से चलते बन रहे है। ताजा मामला शहर के पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र के नेहरू नगर इलाके से सामने आया है। जहां बैखौफ बदमाशों ने घर में घुसकर इंजीनियर की बुजुर्ग विधवा रंजना कुमारी (63) की गला दबाकर हत्या कर दी। तीन की संख्या में आए बदमाश किराए का कमरा दिखाने के बहाने वृद्धा को तीसरी मंजिल पर ले गए। वहां गमछी से गला घोंट मार डाला।

बताया जा रहा है कि घटना के वक्त महिला की बड़ी बेटी अंकिता नीचे के तल पर मौजूद थी। पुलिस ने मौके से गमछा बरामद किया है। पुलिस पूर्व विवाद सहित अन्य कोणों से पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है। सिटी एसपी सेंट्रल चंद्र प्रकाश ने बताया कि महिला की बेटी के बयान पर मुकदमा दर्ज किया गया है। 

मिली जानकारी के अनुसार सेवानिवृत्त इंजीनियर चंद्रशेखर की छह महीने पहले बीमारी से मौत हो गई थी। स्वर्गीय कुमार चंद्रशेखर का नेहरू नगर में चार मंजिला मकान है। उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी रंजना देवी अपनी छोटी बेटी के साथ मकान संख्या 378 के प्रथम तल पर रह रही थी। बीते रविवार की शाम करीब पांच बजे तीन युवक किराए का मकान ढूंढ़ते उनके घर पर आए थे। महिला उन्हें कमरा दिखाने तीसरी मंजिल पर चली गईं। बेटी अपने कमरे में ही थी। करीब 20 मिनट बाद तीनों युवक नीचे आए और महिला की बेटी से कहा कि वे उन्हें ऊपर बुला रही है। तीसरी मंजिल पर जाने पर बेटी ने पाया कि मां कमरे में अचेत पड़ी हुई हैं। उनके मुंह से खून निकल रहा था।

घटना से घबराई युवती ने शोर मचा आस-पास के लोगों को बुलाया। बाद में बुजुर्ग को अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने रंजना देवी को मृत घोषित कर दिया। बाद में डॉग स्क्वायड और एफएसएल की टीम ने जांच की।

नीट के बाद अब शिक्षक बहाली परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक का मास्टरमाइंड निकला संजीव मुखिया और उसका बेटा, ईओयू की जांच में हुआ खुलासा

  

डेस्क : नीट पेपर लीक के मास्टर माइंड संजीव मुखिया को लेकर एक और बड़ी खबर सामने आई है। बीपीएससी से तीसरे चरण की शिक्षक बहाली परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक का मास्टरमाइंड भी संजीव मुखिया और उसका बेटा डा. शिव ही निकला है। आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की जांच में यह खुलासा हुआ है। 

ईओयू सूत्रों के अनुसार इस परीक्षा का प्रश्न पत्र भी दोनों पिता-पुत्र ने ही लीक किया। जांच एजेंसी को संजीव मुखिया गिरोह से जुड़े अलग-अलग स्थानों के सेटरों के पूरे गैंग का भी पता चल गया है। अब इसकी तहकीकात की जा रही है कि इतने बड़े सेटिंग के धंधे को अंजाम देने में संजीव मुखिया की मदद किस स्तर और किन-किन लोगों ने की है। जानकारी के मुताबिक ईओयू जल्द ही पूरे मामले का खुलासा करने वाली है। 

गौरतलब है कि इससे पहले ईओयू ने खुलासा किया था कि इसी गिरोह ने सिपाही बहाली परीक्षा का पेपर लीक किया था। शिक्षक बहाली परीक्षा का प्रश्न पत्र कहां छपने वाला है, इसे छापने का ठेका किस प्रेस को मिला है, किस कूरियर कंपनी के पास प्रश्न पत्र को ढोने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जैसे गोपनीय तथ्यों की जानकारी इस गिरोह तक कैसी पहुंची, इसका जवाब जांच एजेंसी को मिल चुकी है। ईओयू जल्द ही ऐसी संवेदनशील जानकारी लीक करने वाले तत्वों तक पहुंचेगी। जांच में बीपीएससी पर भी सवाल उठे हैं। आयोग के स्तर पर भी गड़बड़ी की बात सामने आ रही है।

ऐसे खुला राज

दरअसल 27 जून को इस मामले में गिरफ्तार 7 मुख्य अभियुक्तों को चार दिनों की रिमांड पर लेकर ईओयू ने पूछताछ की। 30 जून को इन्हें वापस जेल भेज दिया गया। संजीव मुखिया के बेटे डॉ. शिव के साथ-साथ प्रदीप कुमार, सुमित कुमार, अभिषेक केशरी, संदीप पासवान के अलावा प्रश्न पत्र ढोने वाली कूरियर कंपनी जेनिथ लॉजिस्टिक एंड एक्सप्रेस लिमिटेड के मुंशी राहुल पासवान और रमेश कुमार से पूछताछ में संजीव मुखिया गैंग की पूरी कार्य प्रणाली सामने आ गई।

कूरियर कंपनी के मुंशी झांसा देकर प्रश्न पत्र को निकलवाया

संजीव के बेटे डॉ. शिव सहित अन्य से पूछताछ में पता चला कि कोलकाता के पास ‘दरबारी’ नाम के जिस प्रिंटिंग प्रेस को शिक्षक भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्र छापने का ठेका दिया गया था, उसके मालिक का नजदीकी संबंध सिपाही भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र छापने का ठेका लेने वाली फर्जी कंपनी कॉलटेक्स के मालिक कौशिक कुमार कर, सौरभ बंदोपाध्याय समेत अन्य से है। संजीव गैंग के लोगों ने इस प्रिंटिंग प्रेस की तीन महीने तक रेकी भी की थी। इन्हें किसी खास स्रोत से जेनिथ नाम की कूरियर कंपनी का पता चला, जिसे इस प्रश्न पत्र को प्रिंटिंग प्रेस से लाकर बिहार में सभी स्थानों पर वितरित करने का ठेका दिया गया था। फिर इस गैंग ने कूरियर कंपनी के मुंशी रमेश और राहुल पासवान को उनके परिजनों को मुफ्त में परीक्षा पास कराने का झांसा देकर प्रश्न पत्र को निकलवाया।

बिहार के स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर फेर-बदल, 14 जिलों के सीएस समेत 97 चिकित्सा अधिकारियों का हुआ तबादला

डेस्क : बिहार के स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर फेर-बदल किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने 97 चिकित्सा अधिकारियों का तबादला किया है। इसमें 14 जिलों के सिविल सर्जन बदले गए हैं। रविवार को विभाग की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई।

जारी अधिसूचना के अनुसार डॉ. कात्ययनी मिश्रा को सहरसा, डॉ. नीता अग्रवाल को नवादा, डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह को नालंदा, डॉ. सुरेश प्रसाद को सीतामढ़ी, डॉ. देवदास चौधरी को शिवहर, डॉ. मनी राज रंजन को रोहतास, डॉ. प्रमोद कुमार कनौजिया को पूर्णिया का सिविल सर्जन बनाया गया है। 

जबकि, डॉ. श्रीनिवास प्रसाद को सीवान, डॉ. कृष्ण कुमार कश्यप को अररिया, डॉ. अशोक कुमार को भागलपुर, डॉ. अरुण कुमार को दरभंगा, डॉ. विजय कुमार को पश्चिम चम्पारण, डॉ. शिवेन्द्र कुमार सिन्हा को भोजपुर, डॉ. देवेन्द्र प्रसाद को जहानाबाद का सिविल सर्जन बनाया गया है।

वहीं, सात चिकित्सा पदाधिकारी को क्षेत्रीय उपनिदेशक बनाया गया है। इसमें डॉ. शादा खातून को क्षेत्रीय उपनिदेशक पटना प्रमंडल, डॉ. मीना कुमारी को अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, डॉ. शैलबाला को क्षेत्रीय उपनिदेशक सहरसा, डॉ. बिनय कुमार को क्षेत्रीय उपनिदेशक संचारी रोग पटना, डॉ. विधान चंद्र सिंह को मुंगेर का क्षेत्रीय उपनिदेशक, डॉ. मुकुल कुमार को अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, डॉ. श्यामा राय को अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं की जिम्मेवारी दी गई है। 

जबकि डॉ. अनिल कुमार भट्ट को अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, डॉ. अंजना कुमारी को क्षेत्रीय उपनिदेशक मुंगेर, डॉ. अनिल कुमार को क्षेत्रीय उपनिदेशक दरभंगा, डॉ. श्रीकांत दूबे को अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं बनाया गया है। डॉ. ईला मिश्रा को क्षेत्रीय उपनिदेशक गैर संचारी पटना, डॉ. अबिनाश कुमार को अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं बनाया गया है।

बिहार विधानसभा की नई कमिटि का विस अध्यक्ष ने किया ऐलान, पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव को भी मिली अहम जिम्मेवारी

डेस्क : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बड़े बेटे व बिहार सरकार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव को बिहार विधानसभा में अहम जिम्मेवारी मिली है। दरअसल बीते शनिवार को बिहार विधानसभा के कमिटियों का ऐलान कर दिया गया है। विधानसभा अध्यक्ष नन्द किशोर यादव ने कुल 23 कमिटियों का घोषणा किया है। जिसकी जिम्मेवारी सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष के विधायकों को भी दी गयी है। इन विधायकों में राजद, कांग्रेस, भाकपा माले के साथ भाजपा और जदयू के भी विधायक शामिल हैं। 

विधानसभा में नियम, विशेषाधिकार एवं सामान्य प्रयोजन समिति के सभापति खुद विधानसभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव होंगे। वहीं राजद के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र को लोक लेखा समिति का सभापति बनाया गया है। नयी कमेटी में पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव को गैर सरकारी संकल्प संबंधी कमेटी का सभापति बनाया गया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता तारकिशोर प्रसाद को प्राक्कलन कमेटी का सभापति बनाया गया है। सरकारी उपक्रम संबंधी समिति के सभापति हरिनारायण सिंह बनाये गये। 

नयी कमेटियों में विपक्ष को 10 सभापति के पद मिले। इनमें राजद को छह, कांग्रेस को दो और सीपीआइ तथा माले को एक-एक सभापति की कुर्सी मिली है। वहीं भाजपा के पाले में सात और जदयू को सभापति के पांच पद मिले। 

आचार समिति के सभापति पूर्व मंत्री रामनारायण मंडल बनाये गये हैं। पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण समिति के सभापति डॉ सुनील कुमार, आंतरिक संसाधन एवं केंद्रीय सहायता समिति के सभापति मो निहालउद्दीन, अल्पसंख्यक कल्याण समिति के सभापति शकील अहमद खान, कृषि उद्योग विकास समिति के सभापति सूर्यकांत पासवान, पर्यटन उद्योग समिति के सभापति माले के सत्यदेव राम को बनाया गया है। शून्यकाल समिति के सभापति भारत भूषण मंडल व बिहार विरासत विकास समिति के सभापति केदार नाथ सिंह बनाये गये हैं। 

विपक्ष के नेताओं में पुस्तकालय समिति के सभापति रामवृक्ष सदा, आवास समिति के सभापति अशोक कुमार चौधरी, याचिका समिति के सभापति अशोक कुमार सिंह, कांग्रेस के अजीत शर्मा को प्रत्यायुक्त कमेटी का सभापति बनाया गया है। राजकीय आश्वासन समिति के सभापति पूर्व मंत्री दामोदर रावत बनाये गये। वहीं प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति के सभापति अमरेंद्र कुमार पांडेय, जिला परिषद एवं पंचायती राज समिति के सभापति निरंजन कुमार मेहता, एससी-एसटी कल्याण समिति के सभापति डॉ. रामप्रीत पासवान, निवेदन समिति के सभापति अवधेश सिंह, महिला एवं बाल विकास समिति की सभापति गायत्री देवी बनायी गयी हैं।

बड़ी खबर : बिहार सरकार की केन्द्र से मांग, प्रदेश के विकाश के लिए मिले विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज

डेस्क : केन्द्र में एनडीए की तीसरी बार सरकार बनाने में बिहार एनडीए और खासकर जदयू की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद बिहार का विपक्षी दल इसबात को जोर-शोर से उठा रहा था कि प्रदेश की नीतीश सरकार को राज्य के विषेष दर्जे की मांग करनी चाहिए। अब जदयू ने इस बात की मांग केन्द्र सरकार से कर दी है। 

बीते शनिवार को दिल्ली मे जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। जिसमें कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किये गए। जदयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। कार्यकारिणी की बैठक में जारी प्रस्ताव में कहा गया है कि बिहार के करोड़ों लोगों के विकास और कल्याण के लिए ज्यादा मजबूती से काम किया जा सके, इसके लिए विशेष राज्य का दर्जा अथवा विशेष पैकेज मिलना चाहिए। 

कार्यकारिणी ने कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार चलाने से लेकर केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार बनने में नीतीश कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रस्ताव में उम्मीद जताई गई कि केंद्र सरकार महंगाई और बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर प्रभावशाली कदम उठाएगी। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण, समाज कल्याण, महिला उत्थान एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्रों में पहले से अधिक सक्रियता और गुणात्मक सुधार की पहल करेगी। 

बैठक में कहा गया कि हमें गर्व है कि पूरा देश नीतीश कुमार की राजनीतिक सूझबूझ और सकारात्मक रणनीति की सराहना कर रहा है। बिहार में एनडीए की सरकार चलाने से लेकर लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में तीसरी बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के गठन में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। जदयू ने 16 सीटों पर चुनाव लड़कर 12 सीटों पर विजय प्राप्त की है। हमारे नेता अपने समाजवादी पुरखों की इस वैचारिक विरासत को बचाने और बढ़ाने में दिन-रात लगे रहते हैं। इनके सभी चाहने वाले इस बार को समझते हैं, इसलिए समय आने पर हमारे नेता मौन भाव से अपनी ताकत का अहसास करा देते हैं। इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। इन राज्यों में पार्टी-संगठन को और मजबूती देने की जरूरत है। इनमें झारखंड प्रमुख है, जहां पहले भी हमारे प्रत्याशी चुनाव लड़े हैं और जीते भी हैं। झारखंड पर विशेष ध्यान देते हुए हमें पहले ही वहां की उन सीटों को चिह्नित कर लेना चाहिए, जहां से हमारे प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने की संभावना सबसे ज्यादा है। इसके बाद चुनाव के लिए आगे की रणनीति बनाकर गंभीरता से जुट जाना चाहिए।

पहली ही बारिश में राजधानी पटना हुआ पानी-पानी, इस इलाके से जल निकासी में निगम को करनी पड़ी मशक्कत

डेस्क : प्रचंड गर्मी से परेशान राजधानी समेत पूरे प्रदेश के लोगों को बीते दो दिनों से हो रही झमाझम बारिश ने बड़ी राहत दी है। हालांकि राजधानीवासियों को बारिश से एकओर से गर्मी से राहत जरुर मिली, लेकिन दूसरी ओर जल जमाव का सामना भी करना पड़ा। शनिवार को बारिश होने के बाद पटना शहर के 16 इलाकों में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई, इस वजह से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही। हालांकि, निगम की टीम जल निकासी को लेकर सक्रिय रही, लेकिन वैसे इलाके में ज्यादा समस्या है जहां की सड़क जर्जर हैं या बुडको की ओर से हाल ही में खुदाई कर जैसे-तैसे मरम्मत कर दिया गया है।

बीते शनिवार को दोपहर बाद बारिश शुरू होने के बाद पाटलिपुत्र अंचल के कई इलाकों में जलजमाव होने की सूचना निगम के नियंत्रण कक्ष को मिली। गांधी मैदान के पास मेट्रो का निर्माण कार्य चल रहा है जिसके कारण यहां जलजमाव की स्थिति हो जा रही है। शनिवार को पाटलिपुत्र अंचल की कार्यपालक पदाधिकारी ने गांधी मैदान में जलजमाव की निकासी के लिए मेट्रो के अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया। हालांकि, जलजमाव की निकासी में 2 घंटे समय लग गए लेकिन इस दौरान आने जाने वाले लोगों को परेशानी हुई। किसी प्रकार कंकड़बाग अंचल में महावीर कॉलोनी में रोड-1 से 4 तक जलजमाव हो गया। 

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस इलाके में नाले की उड़ाही नहीं होने से जलजमाव की स्थिति हो जा रही है। जबकि अप्रैल व मई महीने में ही निगम और स्थानीय पार्षद को समस्या से अवगत करा दिया गया था। पथ निर्माण विभाग ने इस इलाके के कई मैनहोल को सड़क बनाते समय ढक दिया, जिसके कारण सफाई नहीं हो पा रही है। इसी प्रकार बांकीपुर अंचल में रामपुर सड़क काफी जर्जर है, जिसके कारण जलजमाव की स्थिति हो गई है। इसके अलावा पाटलिपुत्र अंचल के शिवपुरी में भी जलजमाव हो गया है। 

वहीं निगम के अधिकारियों का कहना है की बारिश शुरू होने के साथ ही सभी पंपिंग स्टेशन को अलर्ट कर दिया गया था। ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन में कर्मचारी समय से पंप सेट को चालू कर दिए थे। मुख्य सड़कों पर जहां-जहां जलजमाव हुआ था वहां मशीन से पानी की निकासी की गई। नगर निगम की कंट्रोल रूम से भी जल निकासी व्यवस्था की निगरानी की जा रही थी। अधिकारियों का दावा है कि बारिश समाप्त होने के बाद 2 घंटे के अंदर अधिकतर जगहों से जल निकासी कर दी गई थी।

जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पारित किए गए कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव, पार्टी ने केन्द्र सरकार से आरक्षण को लेकर किया यह विशेष अनुरोध

डेस्क : बीते शनिवार को दिल्ली में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। जिसमें जहां पार्टी को संजय झा के रुप में नये कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेवारी सौंपी गई। वहीं प्रदेश के विकाश को लेकर कई प्रस्ताव पर चर्चा हुई।  

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री सह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में स्वयं संजय झा को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसका सभी सदस्यों ने अनुमोदन किया। वर्तमान में संजय झा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे। 

बैठक के बाद पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और राजनीतिक सलाहकार केसी त्यागी ने कहा कि बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं। इसके तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के सहयोग के लिए संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। दूसरा कि सामाजिक न्याय के लिए अपनी प्रतिबद्धता जारी रखते हुए पार्टी जाति आधारित गणना पर आरक्षण के हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। 

उन्होंने कहा कि जदयू कार्यकारिणी ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वह बिहार विधानमंडल से पारित आरक्षण के नये कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करे। कार्यकारिणी ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि बिहार में जाति आधारित गणना के बाद विधानमंडल से पारित आरक्षण के नये कानून को पटना उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है। इससे विश्वविद्यालयों में चल रही नामांकन प्रक्रिया प्रभावित होगी। राज्य सरकार ने एक साल के भीतर पांच लाख सरकारी नौकरी और 34 लाख रोजगार देने की प्रक्रिया प्रारंभ की है, उसमें भी व्यावधान आएगा। मालूम हो कि नये कानून में आरक्षण का दायरा बढ़ाया गया है।

सीएम नीतीश कुमार ने विपक्ष के बिहार में फिर खेल होने के चर्चा पर लगाया विराम, कह दिया यह बात साफ-साफ

डेस्क : बिहार में विपक्ष द्वारा पिछले कुछ दिनों से दावे के साथ यह कहा जा रहा था कि बिहार में एकबार फिर से बड़ा खेल होगा। विपक्ष दरअसल सीएम नीतीश कुमार के एकबार पलटी मारने की ओर इसारा कर रहा था। लेकिन विपक्ष के इस दावे पर सीएम नीतीश कुमार ने खुद ही विराम लगा दिया है। 

बीते शनिवार को दिल्ली में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। जिसमें मुख्यमंत्री सह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कहा है कि भाजपा का साथ अब नहीं छोड़ेंगे। पिछले साल हम भाजपा से अलग हो गये थे, पर कांग्रेस ने हमारी बात नहीं मानी। भाजपा के साथ हम लंबे समय से रहे हैं, आगे भी एनडीए के साथ मजबूती से काम करते रहेंगे।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने पार्टी के वरीय नेताओं को निर्देश दिया कि झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएं। किन सीटों पर पार्टी लड़ेगी और कौन उम्मीदवार होगा, इसका निर्धारण शीघ्र कर लें। इस बैठक में राजनीतिक और सांगठनिक प्रस्ताव पारित हुए। इसमें कहा गया कि कार्यकारिणी संकल्प लेती है कि हमारे सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2024 लोकसभा की तरह 2025 के विधानसभा का चुनाव लड़ेगी और जीत हासिल करेगी।

जदयू के राज्यसभा में दल के नेता संजय कुमार झा बने पार्टी के नये कार्यकारी अध्यक्ष, पार्टी और केंद्र के बीच निभाएंगे सेतु की भूमिका

डेस्क : जदयू के राज्यसभा में दल के नेता संजय कुमार झा पार्टी के नये कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गये हैं. नयी दिल्ली के कंस्टीच्यूशन क्लब में शनिवार को आयोजित जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसका फैसला लिया गया. संजय कुमार झा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाये जाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री और दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की ओर से आया, जिसका सभी ने समर्थन किया. संजय झा जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष बनने वाले वाले पहले नेता हैं. इसके पहले उन्हें राज्यसभा का सदस्य और बाद में राज्यसभा में दल का नेता मनोनीत किया गया था. लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए की प्रमुख घटक जदयू ने अपने संगठन को धारदार बनाने की दिशा में यह नया प्रयोग किया है.

जदयू और भाजपा को करीब लाने में संजय झा की रही अहम भूमिका

मिथिलांचल के मधुबनी जिले के मूल निवासी संजय झा की पहचान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और खास नेता के रूप में रही है. जदयू में जुड़ने के पहले वे भाजपा के दिग्गज नेता अरुण जेटली के करीबी रहे थे. हाल के दिनों में जदयू को एक बार फिर भाजपा के करीब लाने में भी उनकी भूमिका रही है. बिहार की राजनीति को करीब से जानने वाले बताते हैं कि संजय झा के रूप में जदयू को एक ऐसा कवच मिला है जिसका उपयोग भाजपा के साथ समन्वय स्थापित करने में तो मिलेगा ही, उससे अधिक मिथिलांचल के इलाके में सवर्ण मतदाताओं विशेषकर ब्राह्मण वोटरों के बीच पैठ बढ़ाने का भी अवसर मिल सकेगा.

लोकसभा चुनाव के दौरान भी अहम भूमिका में थे संजय झा

लोकसभा चुनाव के दौरान भी संजय झा की भाजपा के साथ सीटों के तालमेल को लेकर और जदयू के उम्मीदवार तय करने में भी प्रमुख भूमिका रही है. एनडीए के साथ पार्टी के बेहतर तालमेल में उनकी भूमिका अहम होगी. अगले साल बिहार में विधानसभा का चुनाव होना है. इसके पहले इसी साल झारखंड में विधानसभा के चुनाव तय हैं. जदयू अध्यक्ष के रूप में नीतीश कुमार को बिहार के मुख्यमंत्री का कामकाज भी संभालना है. इसलिए कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में अपेक्षाकृत युवा और ऐसे चेहरे की जरूरत महसूस की जा रही थी जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विश्वसनीय हो, खास हो, भाजपा को भी चेहरा पसंद हो और किसी विवाद में नहीं रहा हो. ऐसे चेहरे के रूप में संजय झा को उपयुक्त माना गया.

2 बार एमएलसी रहे संजय झा

संजय झा 2006 में पहली बार बिहार विधान परिषद के लिए मनोनीत किये गये. अपनी 18 साल की सक्रिय राजनीति में संजय झा दो बार विधान परिषद के सदस्य हुए, राज्य सरकार में जल संसाधन एवं सूचना जनसंपर्क विभाग के मंत्री हुए. 2014 के लोकसभा सभा चुनाव में जदयू ने उन्हें दरभंगा लोकसभा सीट से उम्मीदवार भी बनाया था. 2024 में विधान परिषद की सदस्यता समाप्त हो जाने के बाद पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया और वे जीत कर पहली बार संसद पहुंचे.

जदयू को राष्ट्रीय फलक पर ले जाने की होगी जिम्मेदारी

माना जा रहा है कि संजय झा के उपर पार्टी को राष्ट्रीय फलक पर ले जाने की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी होगी. उन्हें झारखंड समेत दूसरे राज्यों में पार्टी की उपस्थिति दर्ज करानी होगी. राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा और सरकार के बीच सेतू का काम करना होगा. कार्यकारी अध्यक्ष बनाये जाने के बाद संजय झा ने कहा कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे.

विधानसभा चुनाव की भी होगी जिम्मेदारी

बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर जदयू अपनी तैयारी कर रही है. बिहार में हुए लोकसभा चुनाव में 177 विधानसभा सीटों पर एनडीए के उम्मीदवार आगे रहे. बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में और उनके चेहरे पर ही चुनाव होने हैं. ऐसे में संजय झा के ऊपर नीतीश कुमार की धारा को आगे ले जाने और उनके कामकाज को लेकर पार्टी स्तर पर प्रचार प्रसार में भी लाभ होगा.

प्रारंभिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक के सभी सरकारी स्कूलों का बदला टाइम टेबल, 1 जुलाई से ऐसा होगा शेड्यूल

डेस्क: प्रारंभिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक के सभी विद्यालय (संस्कृत विद्यालय, मदरसा सहित) सुबह नौ बजे से शाम 4.30 तक संचालित किए जाएंगे। विभाग के निर्देशानुसार, इसे लेकर तैयारी अंतिम चरण में है।

अब छात्रों को छुट्टी दोपहर 3.15 बजे होगी। इसके बाद मिशन दक्ष एवं अन्य के लिए विशेष कक्षाओं का संचालन 45 मिनट के लिए होगा। शाम चार बजे से 4.30 बजे तक बच्चों के होमवर्क चेक किए जाएंगे। इसी अवधि में लेसन प्लान, चाइल्ड प्रोफाइल, साप्ताहिक मूल्यांकन आदि कार्य निपटाए, जाएंगे। इसके बाद शिक्षक अपने घर जा सकेंगे।

शिक्षा विभाग से प्राप्त शिड्यूल के अनुसार, प्रारंभिक विद्यालयों के बच्चों के लिए सुबह 11.55 से दोपहर 12.35 तक मध्याह्न भोजन का समय निर्धारित किया गया है। वहीं, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में यह समय मध्यांतर का होगा। प्रधानाध्यापक, शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को विद्यालय शुरू होने के 10 मिनट पूर्व पहुंचना होगा।

विभाग द्वारा जारी नई समय सारणी के अनुसार, शिक्षकों के लिए प्रति सप्ताह न्यूनतम 45 घंटे की कार्यावधि निर्धारित है। ऐसे में प्रत्येक शिक्षक को सोमवार से शनिवार तक प्रतिदिन 7:30 घंटे की न्यूनतम कार्यावधि का अनुपालन करना होगा।

सुबह नौ बजे से 9.15 तक होगा प्रार्थना व योगाभ्यास

नए समय सारणी के अनुसार सुबह से 9:15 बजे तक प्रार्थना, योगाभ्यास, आयाम और माकड्रिल होगा। जबकि, 9:15 से 9:55 बजे तक पहली घंटी होगी।

9:55 से 10:35 बजे तक दूसरी, 10:35 से 11:15 बजे तक तीसरी घंटी, 11:15 से 11:55 बजे तक चौथी घंटी, 11:55 से 12:35 तक छात्रों को एमडीएम दिया जाएगा।

12:35 से 1:15 बजे तक पांचवीं घंटी, 1:15 से 1:55 बजे तक छठवीं घंटी, 1:55 से 2:35 बजे तक सातवीं घंटी 235 से 3:15 बजे तक आठवीं 3:15 बजे छात्रों को छुट्टी दी जाएगी। 3:15 से चार बजे तक मिशन दक्ष के अंतर्गत विशेष कक्षा आयोजित होगी।

चार से 4:30 बजे तक शिक्षक बच्चों के होमवर्क को चेक करना पाठ टीका तैयार करना मिशन दक्ष के बच्चों का प्रोफाइल तैयार करना एवं साप्ताहिक मूल्यांकन के आधार पर छात्र छात्राओं की प्रोफाइल तैयार करना इत्यादि कार्यों को करेंगे।

परीक्षा के दौरान वर्ग संचालन नहीं होने पर होगी कार्रवाई

स्कूल में परीक्षा के दौरान वर्ग संचालन नहीं होने पर संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई होगी।

किसी भी वर्ग की परीक्षा होने पर अन्य वर्गों की कक्षाएं किसी भी परिस्थिति में स्थगित नहीं होगी। बता दें कि शिक्षकों को अब ऑनलाइन उपस्थिति भी दर्ज करनी है।

समय सारणी बदलने पर प्रधानाध्यापक पर होगी कार्रवाई

किसी भी विद्यालय के प्रधानाध्यापक अपने स्तर से विद्यालय के समय सारणी में कोई बदलाव नहीं करेंगे। इस तरह का मामला सामने आने पर प्रधानाध्यापक के विरुद्ध कार्रवाई होगी।