धर्मनिरपेक्ष शासक थे शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंहःउ.प्र. पंजाबी अकादमी
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी की ओर से शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार 30 जून को आलमबाग चंदर नगर गेट के पास स्थित गुरु तेग बहादुर भवन के लाइब्रेरी हॉल में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह धर्मनिरपेक्ष शासक थे। इस अवसर पर अकादमी के निदेशक के प्रतिनिधि के रूप में कार्यक्रम संयोजक अरविन्द नारायण मिश्र ने संगोष्ठी में उपस्थित विद्वानों को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया।
संगोष्ठी में आमंत्रित विद्वान देवेन्दर पाल सिंह ‘बग्गा‘ ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह ने अपने पिता के साथ पहली लड़ाई तब लड़ी थी, जब उनकी आयु केवल दस साल की थी। वह एक धर्मनिरपेक्ष शासक थे। उनकी सेना में हिंदू, मुस्लिम और यूरोपीय योद्धा और जनरल शामिल थे। उनकी सेना में जहां हरि सिंह नलवा, प्राण सुख यादव, गुरमुख सिंह लांबा, दीवान मोखम चंद और वीर सिंह ढिल्लो जैसे भारतीय जनरल थे वहीं फ्रांस के जीन फ्रैंकोइस अलार्ड और क्लाउड ऑगस्ट कोर्ट, इटली के जीन बाप्तिस्ते वेंचुरा और पाओलो डी एविटेबाइल, अमेरिका के जोसिया हरलान और स्कॉट-आयरिश मूल के अलेक्जेंडर गार्डनर जैसे सैन्य ऑफिसर भी शामिल थे।
इस क्रम में नरेन्द्र सिंह मोंगा ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह ने मात्र 18 साल की उम्र में शुकरचकिया मिसल की सरदारी प्राप्त करते हुए अपनी अद्भुत संगठनात्मक शक्ति का परिचय देना शुरू कर दिया था। दो साल में ही बारह सिख मिसलों में विभक्त सिखों को एक सूत्र में पिरो कर, पंजाब के पूर्व अफगान शासक शाह जमान की झेलम नदी में फंस गई तोपें काबुल भिजवा कर और बहुसंख्यक मुस्लिम प्रजा से द्वेषपूर्ण व्यवहार न करके मुस्लिम प्रजा की सद्भावना प्राप्त कर ली थी। 20 साल की आयु में लाहौर की राजगद्दी पर 12 अप्रैल 1801 को गुरु नानक के वंशज बाबा साहेब सिंह बेदी से राज तिलक लगवा कर पंजाब के एकमात्र शासक बन गए थे।
त्रिलोक सिंह ‘बहल‘ के अनुसार सिख धर्म में भगवान के सामने हर किसी को बराबर माना जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए जब महाराजा रणजीत सिंह गद्दी पर बैठे तो कभी भी ताज नहीं पहना। एक बार एक अफगान शासक शाह शुजा की पत्नी ने महाराजा से वादा किया कि अगर महाराजा, शाह शुजा को लाहौर सुरक्षित ले आएंगे तो वह उनको कोहिनूर हीरा देगी। इस पार महाराजा ने शाह शुजा को सुरक्षित लाने का वादा पूरा किया। जिसके बाद 1 जून, 1813 को महाराजा को कोहिनूर हीरा भेंट किया गया, जो उनके खजाने की शान बना। अजीत सिंह ने कहा कि जब भी देश के इतिहास में महान राजाओं के बारे में बात होगी तो शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह का नाम इसमें जरूर आएगा। पंजाब पर शासन करने वाले महाराजा रणजीत सिंह ने 10 साल की उम्र में पहला युद्ध लड़ा था और 12 साल की उम्र में गद्दी संभाल ली थी। वहीं 18 साल की उम्र में लाहौर को जीत लिया था। यही नहीं 40 वर्षों तक के अपने शासन में उन्होंने अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के आसपास भी नहीं फटकने दिया। दशकों तक शासन के बाद रणजीत सिंह का 27 जून, 1839 को निधन हो गया, लेकिन उनकी वीर गाथाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
संगोष्ठी कार्यक्रम में मुख्य रूप से हरपाल सिंह गुलाटी, कमलजीत सिंह टोनी, रविन्दर कौर गाँधी, चरनजीत सिंह, मनमोहन सिंह मोणी, शरनजीत सिंह, राजू सदाना, विनय मनचंदा, कुलवंत कौर, शरणजीत कौर, रणदीप कौर, मनमीत कौर सहित अन्य विद्वतगण उपस्थित रहे।






लखनऊ। समाजवादी बाबा साहब अम्बेडकर वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिठाई लाल भारती जी ने एक पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि लोकतंत्र का मन्दिर (संसद भवन) में रखे गए संगोल को राजदण्ड व राजतंत्र का प्रतीक है। उसे तत्काल हटाया जाये और सेंगोल के स्थान पर लोकतंत्र का पवित्र ग्रंथ भारतीय संविधान को रखा जाये साथ ही संविधान निर्माता डा बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी की वही पर तस्वीर लगाई जाये।
लखनऊ।
लखनऊ। जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी सूर्य पाल गंगवार द्वारा आहूत की गई। बैठक में जिलाधिकारी ने परिवार कल्याण, मातृ स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, नवजात स्वास्थ्य, किशोर स्वास्थ्य , आयुष्मान भारत योजना, सहित अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों की गहन समीक्षा की।
लखनऊ। मंडलायुक्त डॉ रोशन जैकब की अध्यक्षता में तंबाकू उत्पाद व पॉलिथीन प्रतिबंधित करने के संबंध में महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन आयुक्त सभागार कार्यालय में आहूत किया गया। इस अवसर पर अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव सहित संबंधित विभागीय अधिकारीगण उपस्थित रहे।
लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में योग विभाग, बीबीएयू , योग वेलनेस सेंटर, उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसाइटी, लखनऊ, इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर योगिक साइंसेज , बेंगलुरु, विवि के मीडिया सेंटर (ईएमआरसी) व एनएसएस के संयुक्त तत्वावधान में योग महोत्सव का आयोजन किया गया है।
योग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो हरिशंकर सिंह ने बताया, कि प्रतिदिन योग करने से शारीरिक विकास के साथ साथ मानसिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है। इसीलिए दैनिक दिनचर्या में योग संबंधित गतिविधियों को शामिल करना आवश्यक है। योग विभाग एवं योग वेलनेस सेंटर के समन्वयक प्रो शरद सोनकर ने योग को स्वास्थ्य का पर्याय बताया। इसके अतिरिक्त योग विभाग के डॉ० दीपेश्वर सिंह ने चर्चा के दौरान कहा कि उत्तम स्वास्थ्य के लिए योग को जीवन में उतारना अति आवश्यक है। नडॉ नरेंद्र सिंह ने योग को जीवन का आधार बताया व योग वेलनेस सेंटर के योग प्रशिक्षक सागर सैनी ने बताया कि प्रतिदिन योगाभ्यास के माध्यम से हम असाध्य रोगों से अपना बचाव कर सकते है।
Jun 30 2024, 19:47
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