'प्रधानमंत्री ऐसे काम कर रहे हैं जैसे..', 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के एक सप्ताह बाद पीएम मोदी पर सोनिया गांधी ने किया तीखा हमला

18वीं लोकसभा के पहले सत्र के एक सप्ताह बाद, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार (28 जून) को कहा कि “इस बात का जरा सा भी सबूत नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनादेश को समझा और लाखों मतदाताओं द्वारा उन्हें भेजे संदेश पर विचार किया है।” एक मीडिया संस्थान के लिए लेख लिखते हुए सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि "प्रधानमंत्री ऐसे काम कर रहे हैं जैसे कुछ बदला ही नहीं है। वे आम सहमति के मूल्य का उपदेश देते हैं, लेकिन टकराव को महत्व देना जारी रखते हैं।" संसद के संचालन के तरीके को लेकर उन्होंने कहा कि "दुखद रूप से 18वीं लोकसभा के पहले कुछ दिन उत्साहवर्धक नहीं रहे। आपसी सम्मान और सामंजस्य की नई भावना, सौहार्द की बात तो दूर, विकसित होने की कोई भी उम्मीद झूठी साबित हुई है।"

दरअसल, विपक्ष ने शुक्रवार को संसद में दोनों सदनों में NEET को लेकर हंगामा किया, जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला से नीट पर चर्चा की मांग की थी, इस पर अध्यक्ष ने कहा था कि, आप राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में किसी भी विषय पर बोल सकते हैं, आपको अनुमति है। हालाँकि, इसके बाद भी हंगामा जारी रहा। राहुल गांधी ने स्पीकर से दो मिनट मांगे, जिस पर स्पीकर ने कहा कि, आप अपनी पार्टी का पूरा टाइम ले सकते हैं, आप संसदीय मर्यादाओं का पालन करते हुए पूरे डिटेल में बोलिए। दरअसल, परंपरा और संसदीय प्रक्रियाओं के मुताबिक, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ सत्र शुरू होता है, जिसके बाद, लोकसभा और राज्यसभा राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए अलग-अलग धन्यवाद प्रस्ताव पारित करती हैं और फिर बाकी कार्यवाही आगे बढ़ती है। ओम बिरला यही कह रहे थे कि, धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान आप किसी भी मुद्दे पर बोल सकते हैं, लेकिन विपक्ष NEET को लेकर नारेबाजी करता रहा और आखिरकार सदन स्थगित हो गया। 

 इसी तरह की एक घटना के कारण संसद में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था। दरअसल, गत वर्ष मानसून सत्र से ठीक पहले मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न करके पीटे जाने का वीभत्स वीडियो सामने आया था, हालाँकि वो वीडियो कुछ महीने पुराना था, किन्तु उस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने संसद में जमकर हंगामा किया था और कई दिनों तक सदन की कार्यवाही बाधित हुई थी, राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेता जेट बुक करके वहां गए भी थे। हालाँकि, परसों ही बंगाल में ठीक इसी तरह की घटना घटी है। बंगाल में एक मुस्लिम महिला रोशनआरा खातून को नग्न करके एक घंटे तक पीटा गया, बीच सड़क पर काफी दूर तक घसीटा गया, क्योंकि महिला ने भाजपा का समर्थन किया था। हालाँकि, इस मुद्दे पर किसी सांसद की नज़र नहीं गई। ये संसद में निष्पक्ष रूप से उठाए जाने वाले मुद्दों पर सवाल खड़े करता है? क्या सदन केवल हंगामा करके सरकार को घेरने के लिए है ? या लोगों की समस्या का चर्चा करके सार्थक समाधान निकालने के लिए ? बहरहाल, सोनिया गांधी ने अपने आर्टिकल में दावा किया है कि, INDIA ब्लॉक की पार्टियां टकराव वाला रवैया नहीं अपनाना चाहती हैं।  

उन्होंने लिखा कि, 'INDIA ब्लॉक की पार्टियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे टकराव वाला रवैया नहीं अपनाना चाहते हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सहयोग की पेशकश की है। गठबंधन के घटक दलों के नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि वे संसद में उत्पादक होने और इसकी कार्यवाही के संचालन में निष्पक्षता चाहते हैं।' सोनिया गांधी ने आगे कहा कि, "हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और उनकी सरकार सकारात्मक प्रतिक्रिया देगी। शुरुआती सबूत अच्छे नहीं हैं, मगर हम विपक्ष में संसद में संतुलन और उत्पादकता बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन लाखों लोगों की आवाज़ सुनी जाए जिन्होंने हमें अपने प्रतिनिधियों के रूप में वहां भेजा है और उनकी चिंताओं को उठाया और संबोधित किया जाए। हम उम्मीद करते हैं कि सत्ता पक्ष आगे आएगा ताकि हम अपने लोकतांत्रिक कर्तव्यों को पूरा कर सकें।" 

अल्पसंख्यकों पर भी बोलीं

उन्होंने कहा कि, "भारत के अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और धमकी का अभियान एक बार फिर तेज हो गया है। भाजपा शासित राज्यों में, बुलडोजर फिर से महज आरोपों के आधार पर अल्पसंख्यकों (मुस्लिमों) के घरों को ध्वस्त कर रहे हैं, उचित प्रक्रिया का उल्लंघन कर रहे हैं और सामूहिक दंड दे रहे हैं। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों पर सांप्रदायिक गाली-गलौज और सरासर झूठ बोला, जिसे देखते हुए यह सब आश्चर्यजनक नहीं है। उन्होंने इस डर से भड़काऊ बयानबाजी की थी कि चुनाव उनके हाथ से निकल रहा है, जिससे उनके पद की गरिमा और मर्यादा का अनादर हुआ।"

NEET पेपर लीक में CBI का बड़ा एक्शन, प्रिंसिपल एहसानुल, VC इम्तियाज़ और पत्रकार जलालुद्दीन गिरफ्तार

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने हज़ारीबाग के ओएसिस (Oasis) स्कूल के प्रिंसिपल डॉ एहसानुल हक और वाइस प्रिंसिपल इम्तियाज़ आलम के साथ 5 अन्य को NEET पेपर लीक मामले में औपचारिक रूप से गिरफ़्तार किया है। तीन दिन की लंबी पूछताछ के बाद ये गिरफ्तारियां की गईं हैं। इसके अलावा, जांच के तहत एक स्थानीय दैनिक के वरिष्ठ पत्रकार जलालुद्दीन से भी पूछताछ की गई, जिन्हे बाद में अरेस्ट कर लिया गया। रिपोर्ट के अनुसार, पत्रकार जलालुद्दीन पर प्रिंसिपल डॉ एहसानुल हक की मदद करने का आरोप है। प्रिंसिपल एहसानुल हक को गत वर्ष CBSE का कोरडीनशर भी बनाया गया था, माना जा रहा है कि, गिरफ्तार किए गए प्रिंसिपल ने CBSE एग्जाम में भी धांधली की हो सकती है।

 

हक से बुधवार को Oasis स्कूल में कई घंटों तक पूछताछ की गई। इसके बाद उसे आगे की पूछताछ के लिए हजारीबाग के एक गेस्ट हाउस में ले जाया गया। शुक्रवार की सुबह उसे दो घंटे के लिए उसके स्कूल के दफ़्तर में लाया गया। इसके बाद उसे 50 घंटे से ज़्यादा समय तक सीबीआई की हिरासत में रखने के बाद 7 अन्य लोगों के साथ गिरफ़्तार कर लिया गया। ये गिरफ्तारियां केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा NEET-UG परीक्षा पेपर लीक मामले में पटना से दो व्यक्तियों को हिरासत में लेने के एक दिन बाद हुईं, जो इस मामले में एजेंसी द्वारा की गई पहली गिरफ्तारी थी।

गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान मनीष प्रकाश और आशुतोष कुमार के रूप में हुई है। अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने कथित तौर पर परीक्षा से पहले उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराए, जहाँ लीक हुए पेपर और उत्तर कुंजियाँ वितरित की गईं। CBI ने नीट पेपर लीक मामले में छह FIR दर्ज की हैं। परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपने की मंत्रालय की घोषणा के बाद रविवार को पहली FIR दर्ज की गई। यह फैसला प्रदर्शनकारी छात्रों के एक समूह द्वारा CBI जांच की मांग के बाद आया है। CBI ने सोमवार को मामले को अपने हाथ में लेकर कथित परीक्षा अनियमितताओं की जांच शुरू करने के लिए बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) के कार्यालय पहुंची। 

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित NEET-UG, भारत भर के सरकारी और निजी संस्थानों में MBBS, BDS, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एक प्रवेश परीक्षा है। इस साल की परीक्षा 5 मई को 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर हुई, जिसमें 14 विदेशी शहर भी शामिल थे, जिसमें 23 लाख से ज़्यादा उम्मीदवार शामिल हुए।

लद्दाख में सैन्य अभ्यास के दौरान बड़ा हादसा, नदी पार करते समय 5 जवान शहीद

#ladakh_accident_during_tank_exercise

लद्दाख में टैंक अभ्यास के दौरान हादसे की खबर सामने आ रही है। नदी में टैंक फंसने के कारण 5 जवान शहीद हो गए। शुक्रवार को लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में सेना के जवानों का टैंक अभ्यास चल रहा था। इस दौरान सेना का टैंक टी-72 श्योक नदी को पार करने का अभ्यास कर रहा था, तभी जल स्तर बढ़ने के कारण टैंक नदी के बीचों-बीच फंसा गया। टैंक के अंदर पानी भर गया। इस हादसे में सेना के 5 जवान शहीद हो गए।घटनास्थल से सेना के जवानों का शव बरामद कर लिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि यह घटना लेह से 148 किलोमीटर दूर हुई है। यह घटना शुक्रवार रात 1 करीब एक बजे के आसपास हुई है। सेना के सभी जवान टी-72 टैंक पर सवार थे।

सेना के अधिकारियों ने बताया कि एलएसी के पास नदी पार करते समय सुबह तीन बजे यह हादसा हुआ है। उन्होंने बताया कि नदी पार करने के दौरान अचानक से जलस्तर बढ़ गया, जिसमें ये पांचों जवान बह गए।डिफेंस ऑफिशियल ने बताया कि घटना के वक्त टैंक में जेसीओ समेत पांच जवान थे। एक जवान का पता लगा लिया गया है जबकि अन्य की तलाश अभी भी जारी है। जवानों की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन लगाता जारी है। टैंक अभ्यास के दौरान एक टी-72 टैंक भी हादसे का शिकार हुआ है।

बता दें कि पिछले साल लेह जिले के कियारी के पास एक सेना का ट्रक सड़क से उतरकर गहरी खाई में गिर गया था। इस हादसे में एक जेसीओ सहित नौ जवान शहीद हो गए थे।

आने वाले दो दिनों में पूरे देश में मानसून देगा दस्तक, दिल्ली-एनसीआर समेत 10 राज्यों में बारिश के आसार*
#29_june_imd_monsoon_update_rain_orange_alert

पूरे देश ने भीषण गर्मी से राहत की सांस ली है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर देश के सभी हिस्सों में मानसून छा गया है। जो हिस्सा बचा है वो आज या कल में कवर हो जाएगा। दक्षिण-पश्चिम मानसून हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों छोड़कर पूरे देश में पहुंच गया है। मानसून की एंट्री ने बारिश के जबरदस्त आसार बनाए हैं। मौसम विभाग ने अगले दो दिन के दौरान पूरे देश में मानसून के पहुंचने की संभावना जताई है। अगले 4-5 दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत में भारी वर्षा होने की भी संभावना है। वहीं, पूर्वोत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में भी मूसलाधार बारिश होगी। भारतीय मौसम विभाग ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में अगले तीन दिन तक भारी बारिश का अनुमान जताया है। मौसम वैज्ञानिकों ने दिल्ली-चंडीगढ़ और हरियाणा के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। 1 जुलाई तक इन तीनों राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 64.5 (भारी) से 204.4 मिलीमीटर (बहुत भारी) बारिश होने की संभावना है। शुक्रवार (27 जून) को हुई भारी बारिश के चलते दिल्ली के कई हिस्सों में जलजमाव की समस्या बनी हुई है। इस बीच और बारिश होने पर दिल्ली के लोगों की परेशानी बढ़ सकती है। पश्चिम विक्षोभ और मानसून के प्रभाव से बीते 24 घंटे के दौरान दिल्ली-एनसीआर के अलावा, छत्तीसगढ़, पश्चिमी मध्य प्रदेश, ओडिशा, कोंकण और गोवा में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश हुई है। हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश में भी विभिन्न स्थानों पर अत्यधिक वर्षा हुई है।पंजाब, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय, मणिपुर, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम और तमिलनाडु के विभिन्न क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी वर्षा रिकॉर्ड की गई है। मौसम विभाग ने दिल्ली सहित 23 राज्यों में भारी बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है और अरुणाचल प्रदेश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है। शुक्रवार को दिल्ली के शपदरगंज में सबसे ज्यादा बारिश हुई थी और सबसे ज्यादा जल भराव के हालात भी यहीं हैं।
धार्मिक आजादी अमेरिकी की रिपोर्ट पर भारत की दो टूक, बताया-पक्षपाती और वोटबैंक की सोच से है प्रेरित*
#deeply_biased_mea_reacts_on_us_state_dept_religious_freedom_report *
भारत ने धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट में अपनी आलोचना पर शुक्रवार को कड़ी प्रतिक्रिया दी। भारत ने रिपोर्ट के तथ्यों को पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण, वोट बैंक की सोच से प्रेरित बताया।भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी विदेश विभाग की अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर रिपोर्ट की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे पूरी तरह से पक्षपाती और भारत की सामाजिक संरचना को समझे बिना बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि रिपोर्ट में भारत के खिलाफ पूर्वाग्रहपूर्ण बयान को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को शामिल किया गया है। विदेश मंत्रालय के साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रणधीर जायसवाल ने कहा, हमने अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से जारी धार्म‍िक आजादी पर सालाना अंतरराष्‍ट्रीय र‍िपोर्ट पर गौर किया है। पहले की तरह ही यह रिपोर्ट भी पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है। इस रिपोर्ट में भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव दिखता है।उन्होंने कहा कि यह पूरा उपक्रम अपने आप में आरोप-प्रत्यारोप, गलतबयानी, पक्षपातपूर्ण स्रोतों पर निर्भरता और मुद्दों को एकतरफा तरीके से पेश करने का मिश्रण है। यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है। हम इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज करते हैं। जायसवाल ने कहा कि यह हमारे संवैधानिक प्रावधानों और भारत के विधिवत अधिनियमित कानूनों के चित्रण तक गया है। इसमें पूर्व में तय विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को चुना गया है। रणधीर ने तर्क दिया कि यह रिपोर्ट भारतीय न्यायालयों के कुछ कानूनी निर्णयों की ईमानदारी को भी चुनौती देती लगती है। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में, रिपोर्ट में कानूनों की वैधता पर भी सवाल उठाया गया है। साथ ही उन्हें लागू करने के विधायिकाओं के अधिकार पर भी सवाल उठाया गया है। अमेरिका पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वहां और कड़े कानून और नियम हैं। अमेरिका कभी भी अपने लिए ऐसे समाधान नहीं सुझाएगा। मानवाधिकार और विविधता को लेकर दोनों देशों के बीच चर्चा का एक विषय रहा है और रहेगा। पिछले साल भारत ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका में घृणित अपराधों, भारतीय नागरिकों और अन्य अल्पसंख्यकों पर नस्लीय हमलों, पूजा स्थलों पर तोड़फोड़ और निशाना बनाने, कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा हिंसा और दुर्व्यवहार के साथ-साथ राजनीतिक स्थान के कई मामले उठाए हैं। बता दें कि अमेरिका के विदेश विभाग ने साल 2023 के लिए धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट जारी की है। दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने साल 2023 के लिए अपनी रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भारतीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाली हिंसा का जिक्र है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस रिपोर्ट को जारी करते हुए विशेष तौर पर भारत का नाम लिया। भारत के खिलाफ ब्लिंकन का बयान मोदी 3.0 में अमेरिका द्वारा देश पर आरोप लगाने का पहला उदाहरण है। ब्लिंकन ने बिना नाम लिए मोदी सरकार और बीजेपी पर मुस्लिम और ईसाई अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है।
टी20 वर्ल्ड कपः भारत और साउथ अफ्रीका के बीच आज फाइनल की जंग, क्या 17 साल बाद विश्व चैंपियन बनेगी टीम इंडिया*
#india_vs_south_africa_t20_world_cup_final
रोहित शर्मा की अगुवाई में भारतीय टीम शनिवार को टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैदान पर उतरेगी। दोनों टीमें अपने फाइनल तक के अभियान में दोनों टीमें अजेय रही हैं। यानी जो भी टीम जीतेगी, वह टूर्नामेंट में एक भी मैच हारे बिना ट्रॉफी पर कब्जा करेगी। यह कमाल आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप में पहली बार होने जा रहा है।यह मैच बारबाडोस के केनसिंगटन ओवल में खेला जाएगा। 2007 की विजेता भारतीय टीम के पास 17 साल बाद फिर से टी20 विश्व चैंपियन बनने का मौका है।भारत ने आखिरी बार साल 2007 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जीता था। वहीं, दूसरी तरफ साउथ अफ्रीका के पास पहली बार टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जीतने का मौका है। भारतीय टीम का यह तीसरा टी20 विश्व कप फाइनल है। वहीं, द. अफ्रीका पहली बार किसी विश्व कप के फाइनल में पहुंचा है। भारत अंतिम बार 10 साल पहले 2014 में टी-20 विश्व कप के फाइनल में पहुंचा था, जहां उसे श्रीलंका के हाथों हार मिली थी।भारतीय टीम किसी भी प्रारूप में विश्व चैंपियन बनने का सपना पिछले 13 वर्षों से देखती आ रही है। रोहित की टीम के पास 17 वर्ष बाद टी20 विश्व कप जीतने का तो मौका होगा ही साथ में 2011 के बाद टीम इंडिया को एक बार फिर विश्व विजेता का ताज पहनाने का भी अवसर होगा। भारत ने 2013 चैंपियंस ट्रॉफी के बाद कोई आईसीसी का खिताब नहीं जीता है और 11 साल के आईसीसी के सूखे को खत्म करने का भी मौका होगा। यह फाइनल उन दो टीमों के बीच है, जो अब तक टूर्नामेंट में अपराजेय हैं। भारत सात मैच जीता है, एक मैच उसका बारिश में धुला है, जबकि द. अफ्रीका लगातार आठ मैच जीतकर फाइनल में पहुंचा है। द. अफ्रीका के लिए भी यह फाइनल विशेष है, क्योंकि उनकी टीम पहली बार किसी विश्वकप के खिताबी मुकाबले में पहुंची है। वहीं, साउथ अफ्रीका की टीम ‘चोकर्स’ के अपने तमगे को पीछे छोड़कर फाइनल में पहुंची है और वे खिताबी मुकाबले में भी इस तमगे को धत्ता बताने की कोशिश करेंगे। दक्षिण अफ्रीका 1998 के बाद पहली बार आईसीसी के किसी टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा है। टी20 वर्ल्ड कप में भारत का अभियान पिछले साल घरेलू वनडे विश्व कप के समान ही रहा है, जहां वह फाइनल में पहुंचा। लेकिन तब भारत खिताबी मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया से हार गया था. भारत यहां भी अब तक सर्वश्रेष्ठ टीम रहा है। दक्षिण अफ्रीका की आईसीसी टूर्नामें में एकमात्र जीत 1998 में चैंपियंस ट्रॉफी (उस समय इसका नाम आईसीसी नॉक-आउट ट्रॉफी था) में हुई थी। दक्षिण अफ्रीका उसके बाद कभी भी आईसीसी इवेंट के फाइनल में नहीं पहुंचा है। गयाना में सेमीफाइनल में भारत की इंग्लैंड पर जीत के अंदाज को देखा जाए तो रोहित शर्मा की टीम खिताब की प्रबल दावेदार होगी। भारत की टीम का संयोजन कैरेबियाई देशों की पिचों के मुताबिक है। टीम इस मैच में पिछले साल 19 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली वनडे वर्ल्ड कप फाइनल की निराशा को पीछे छोड़ने के लिए बेकरार है।
कर्नाटक में नया सियासी नाटक, वोक्कालिगा संत ने कर दी शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग

#disputeinkarnatakacongressovercmpostvokkaligasaintsupportd_k 

कर्नाटक में नया सियासी ड्रामा शुरू हो गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर जारी सत्ता संघर्ष के बीच वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक महंत ने सार्वजनिक रूप से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से पद छोड़ने और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को सत्ता सौंपने का आग्रह किया। एक वोक्कालिगा संत ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया को पद छोड़ देना चाहिए और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार जगह देनी चाहिए।महंत की यह अपील ऐसे समय में आई है, जब सिद्धरमैया मंत्रिमंडल में तीन और उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग बढ़ रही है।

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष और राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से हैं। यह समुदाय राज्य के दक्षिणी भागों में एक प्रमुख समुदाय है। चंद्रशेखरनाथ स्वामी ने कहा, "राज्य में हर कोई मुख्यमंत्री बन गया है और सत्ता का सुख सभी ने भोगा है, लेकिन हमारे डीके शिवकुमार अभी तक मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं, इसलिए अनुरोध है कि सिद्धरमैया कृपया हमारे डीके शिवकुमार को सत्ता सौंप दें और उन्हें आशीर्वाद दें। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "सिद्धरमैया अगर मन बना लें तो ही यह संभव है, अन्यथा नहीं, इसलिए नमस्कार के साथ मैं सिद्धरमैया से अनुरोध करता हूं कि वह डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाएं।"

वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं डीके

उन्होंने यह बयान कैंपा गौड़ा जयंती समारोह में उस समय दिया, जब मंच पर शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों मौजूद थे। इसके बाद स्वामी निर्मलानंद ने भी डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की वकालत की। बता दें कि डीके वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और विधानसभा चुनाव के दौरान मठ की ओर से कांग्रेस को खुले तौर पर समर्थन मिला था। ओल्ड मैसुरू इलाके में मठ की अपील का फायदा भी कांग्रेस को मिला था।

सिद्धारमैया बोले- पार्टी जो कहेगा, हम वही करेंगे

संत की इस अपील को लेकर सिद्धारमैया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान पार्टी है। यह लोकतंत्र है। हम वही करेंगे जो हाईकमान हमें करने को कहेगा। वहीं शिवकुमार ने कहा कि कुछ बातें कही गईं हैं। मैं और सिद्धारमैया दोनों ही राज्य के रुके हुए प्रोजेक्ट्स के बारे में राज्य के सांसदों से बात करने के लिए नई दिल्ली जा रहे हैं।

सिद्धारमैया के समर्थक ने उठाई तीन डिप्टी सीएम की मांग

वहीं, सिद्धारमैया के समर्थक मंत्रियों केएन राजन्ना, बी जेड ज़मीर अहमद खान और सतीश जरकीहोली ने तीन डिप्टी सीएम की मांग रख दी। माना जा रहा है कि मंत्रियों ने डीके शिवकुमार को काबू में करने के लिए तीन डिप्टी सीएम का मुद्दा उछाला गया है। अभी कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है और डीके फॉर्मूले तहत सीएम पद के दावेदार हैं। 

शह और मात का खेल शुरू

लोकसभा चुनाव के बाद कर्नाटक कांग्रेस में सीएम पद को लेकर शह और मात का खेल शुरू हो गया है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार से समर्थक खुले तौर पर नेतृत्व परिवर्तन का राग छेड़ा है तो सिद्धारमैया समर्थक मंत्रियों ने तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले को लागू करने का दांव चल दिया है। कई मंत्री लिंगायत, दलित और अल्पसंख्यक डिप्टी सीएम बनाने के लिए आवाज बुलंद करने लगे हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बदलाव की मांग भी शुरू हो गई है। यह पद अभी डीके शिवकुमार के पास ही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद निकाले गए फॉर्मूले के तहत डीके शिवकुमार सीएम पद के दावेदार हैं। पार्टी में वह संकटमोचक के तौर पर उभरे हैं। उन्हें केंद्रीय नेतृत्व का विश्वास भी हासिल है, ऐसे में सिद्धारमैया समर्थकों ने प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। फिलहाल इस खेल के शुरू होने के बाद डीके शिवकुमार ने चुप्पी साध रखी है।

J&K | First batch of Shri Amarnath Yatra pilgrims reaches Nunwan base camp in Pahalgam
The pilgrims who have arrived here from different parts of the country say, "There are good arrangements for pilgrims here. We also want to thank the p

यौन शोषण मामले में सीआईडी ने येदियुरप्पा के खिलाफ दायर किया आरोप पत्र, लगाया गंभीर आरोप

#karnataka_former_cm_bs_yediyurappa_pocso_case_cid_chargesheet

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के खिलाफ नाबालिग लड़की से यौन शोषण के मामले में अपराध जांच शाखा (सीआईडी) लगातार जांच कर रही है। यौन शोषण मामले में राज्य पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने उनके और तीन अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। आरोप पत्र में कहा है कि पूर्व सीएम ने अपने तीन सहयोगियों के साथ मिलकर पीड़िता और उसकी मां को चुप रहने के लिए मोटी रकम दी है। येदियुरप्पा और उनके के तीन सहयोगियों पर भी सुबूत नष्ट करने और रिश्वत देने के आरोप दर्ज किए गए हैं। बता दें कि येदियुरप्पा पर आरोप है कि उन्होंने नाबालिग लड़की के साथ अपने आवास पर अश्लील हरकत की थी। उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

शुक्रवार को सीआईडी के दायर किए आरोप पत्र में बताया गया कि 81 वर्षीय येदियुरप्पा के खिलाफ पोक्सो की धारा 8 व आईपीसी की धारा 354ए, 204, 214 और उनके सहयोगियों अरुण वाइएम और रुद्रेश एम. के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 204, 214 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। आरोप पत्र में बताया गया है कि दो फरवरी को सुबह 11.15 बजे 17 वर्षीय नाबालिग और उसकी मां डॉलर कॉलोनी स्थित येदियुरप्पा के आवास पहुंचे थे। आवास पर जब येदियुरप्पा नाबालिग की मां से बात कर रहे थे तब उन्होंने अपने बाएं हाथ से पीड़िता की दाहिनी कलाई पकड़ रखी थी। इसके बाद येदियुरप्पा ने नाबालिग को हॉल के बगल में स्थित एक बैठक रूम के भीतर बुलाया और दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। चार्जशीट में आगे दावा किया गया है कि कमरे में येदियुरप्पा ने पीड़िता से पूछा कि क्या उसे उस व्यक्ति का चेहरा याद है जिसने पहले उसका यौन उत्पीड़न किया था। इसके जवाब में पीड़िता ने दो बार कहा कि हां उसे याद है।

सीआईडी ने चार्जशीट में आगे कहा कि पीड़िता ने येदियुरप्पा के हाथ को झटकते हुए दूर हट गई और उनसे दरवाजा खोलने के लिए कहा। इसके बाद येदियुरप्पा ने दरवाजा खोला और पीड़िता के हाथ में कुछ पैसे रखकर बाहर निकल गए। बाहर निकलने के बाद उन्होंने पीड़िता की मां से कहा कि वो इस मामले में उनकी मदद नहीं कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने पीड़िता की मां को भी कुछ पैसे दिए और फिर आवास से बाहर भेज दिया।

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, येदियुरप्पा पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 8 (यौन उत्पीड़न के लिए सजा) और धारा 354A (यौन उत्पीड़न), 204 (इसे रोकने के लिए दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को नष्ट करना) के तहत आरोप लगाया गया है। वहीं, तीन अन्य सह अभियुक्तों अरुण वाई एम, रुद्रेश एम और जी मारिस्वामी, जो येदियुरप्पा के सहयोगी हैं पर पॉस्को अधिनियम के साथ-साथ आईपीसी की धारा 204 और 214 के तहत आरोप लगाए गए हैं।

ISRO जासूसी मामले में साजिश के तहत फंसाए गए थे अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन, अब जिम्मेदार अफसरों पर सीबीआई फाइल करेगी चार्जशीट

 केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दो पूर्व DGP, केरल के सिबी मैथ्यूज और गुजरात के आरबी श्रीकुमार के साथ-साथ तीन अन्य सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। यह कार्रवाई 1994 के ISRO जासूसी मामले में अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने में उनकी कथित संलिप्तता से संबंधित है।

बता दें कि, यह विवाद अक्टूबर 1994 में शुरू हुआ था, जब केरल पुलिस ने मालदीव की नागरिक रशीदा को तिरुवनंतपुरम में गिरफ़्तार किया और उस पर पाकिस्तान को ISRO रॉकेट इंजन के गोपनीय चित्र बेचने की कोशिश करने का आरोप लगाया। जांच जल्द ही फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप ISRO के क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के तत्कालीन निदेशक नंबी नारायणन, ISRO के उप निदेशक डी शशिकुमारन और रशीदा की मालदीव की दोस्त फ़ौसिया हसन को गिरफ़्तार कर लिया गया। नंबी नारायणन को हिरासत में केरल पुलिस और IB अधिकारियों द्वारा पूछताछ के दौरान उन्हें गंभीर शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गईं। यह यातना 50 दिनों तक चली, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और करियर को काफी नुकसान पहुंचा। हालांकि, बाद में CBI जांच हुई और नंबी नारायणन पर लगे इन तमाम आरोपों को निराधार पाया गया।

सितंबर 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने नंबी नारायणन के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को "मनोवैज्ञानिक उपचार" करार दिया, जिसमें कहा गया कि उनकी "स्वतंत्रता और गरिमा", जो उनके मानवाधिकारों के लिए बुनियादी है, उन्हें हिरासत में लिए जाने के कारण खतरे में डाल दिया गया और अतीत के सभी गौरव के बावजूद, अंततः उन्हें "निंदनीय घृणा" का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा। 15 अप्रैल, 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि ISRO वैज्ञानिक नंबी नारायणन से जुड़े 1994 के जासूसी मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद 2021 में मामला दर्ज करने के बाद, CBI ने तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक मैथ्यूज, जिन्होंने मामले की जांच करने वाले विशेष जांच दल (SIT) का नेतृत्व किया था, श्रीकुमार, जो खुफिया ब्यूरो में उप निदेशक थे, पीएस जयप्रकाश, जो उस समय SIB-केरल में तैनात थे, तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक केके जोशुआ और निरीक्षक एस विजयन के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। अधिकारियों ने बताया कि CBI ने उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 120बी (आपराधिक साजिश), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 330 (स्वीकारोक्ति करवाने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 167 (झूठे दस्तावेज तैयार करना), 193 (मनगढ़ंत साक्ष्य तैयार करना), 354 (महिलाओं पर आपराधिक हमला) के तहत आरोप लगाए हैं।

बता दें कि, 1994 में जब डॉ नंबी नारायणन एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन पर काम कर रहे थे और देश को दुनिया में आगे बढ़ाने के लिए मेहनत कर रहे थे, उस समय उनके जीवन में एक दुखद मोड़ आया जब उन्हें एक मनगढ़ंत जासूसी मामले में फंसा दिया गया। उन पर फर्जी आरोप लगाया गया था कि, उन्होंने गोपनीय भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को विदेशी एजेंसियों को लीक कर दिया था, ये सब अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते क़दमों को रोकने के लिए किया गया था। घटनाओं की एक श्रृंखला के कारण इस वैज्ञानिक की गिरफ्तारी हुई और बाद में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा उन्हें कई तरह से यातनाएं दी गई, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिक के साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया, जिसने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया।

सत्य और न्याय की जीत होने से पहले डॉ नंबी नारायणन का मामला दो दशकों से अधिक समय तक चला। उनकी कानूनी टीम, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों के अथक प्रयासों के कारण अंततः 2018 में, यानि 24 साल प्रताड़ना झेलने के बाद, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। न्यायालय ने न केवल उन्हें निर्दोष घोषित किया, बल्कि उनकी गलत गिरफ्तारी में राज्य सरकार की भूमिका की भी आलोचना की। इस ऐतिहासिक फैसले ने न केवल डॉ. नारायणन को सही साबित किया, बल्कि प्रणालीगत विफलताओं और निहित हितों के बावजूद भी न्याय, निष्पक्षता और अखंडता के सिद्धांतों को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया।

बता दें कि, डॉ नारायणन के खिलाफ साजिश के समय, भारत में केंद्रीय स्तर और केरल राज्य दोनों में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार थी, लेकिन सरकार भी अपने देश के वैज्ञानिक के साथ खड़ी नहीं दिखी थी। डॉ नंबी नारायणन की कहानी उल्लेखनीय संघर्ष और देशभक्ति की कहानी है, जहां एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक ने अकल्पनीय प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया और विजयी हुआ। सत्य, विज्ञान और न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता सभी के लिए प्रेरणा का काम करती है। नंबी नारायणन के मामले ने न्याय में गड़बड़ी को रोकने के लिए कानूनी सुधारों और तंत्र की तत्काल आवश्यकता के बारे में भी चर्चा को प्रेरित किया है। आखिर कैसे, देश को चाँद पर पहुंचाने के लिए अथक मेहनत कर रहे एक वैज्ञानिक को एक फर्जी मामले में खुद को बेकसूर साबित करने में 24 साल लग गए ? तब तक वो न जाने देश के लिए कितना काम कर चुके होते ?

एक राष्ट्र के रूप में, भारत को इस दर्दनाक अध्याय से सीखना जारी रखना चाहिए और एक ऐसे समाज के निर्माण की दिशा में काम करना चाहिए, जहां ज्ञान और सत्य की खोज का जश्न मनाया जाए और उसकी रक्षा की जाए। डॉ। नारायणन की दोषमुक्ति न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि उन सभी लोगों की सामूहिक जीत भी है, जो न्याय और अखंडता की वकालत करते हुए उनके पीछे खड़े थे।