शुरू हुआ आद्रा नक्षत्र, झारखंड–बिहार के हर घर में इस नक्षत्र में खीर, दाल की पूरी और आम खाने की है परंपरा

सनातन धर्म डेस्क 

शुरू हो चुका है आद्रा नक्षत्र और झारखंड–बिहार के हर घर में इस नक्षत्र में खीर, दाल की पूरी और साथ में आम खाने की परंपरा है !

'आद्र' शब्द से बना आद्रा नक्षत्र अपने साथ बहुत कुछ लेकर आता है। आषाढ़ के आखिरी दिनों और श्रावण मास की शुरुआत में सूर्य का यह नक्षत्र परिवर्तन कृषकों और कृषि से जुड़े लोगों के लिए शुभ होता है!

अदरा नक्षत्र आने पर लोग खीर, आम और दालपुरी के साथ उसका स्वागत करते हैं, ताकि घरों में दूध और दही की नदियां बहती रहे तथा हमारे घरों में अनाज की कभी कमी नहीं हो और वर्षा के मौसम में अच्छी बारिश होती रहे और खेतों में लगी फसल हमेशा लहलहाती रहे।

अदरा या आर्द्रा का अर्थ होता है नमी... आकाश मंडल में आर्द्रा छठा नक्षत्र है। अदरा राहु का नक्षत्र है व मिथुन राशि में आता है। यह कई तारों का समूह न होकर केवल एक तारा है, जो आकाश में मणि के आकार में दिखता है। लोग मानते हैं कि अदरा नक्षत्र आरंभ होने के साथ ही लगभग गर्मी कम होने लगती है और वर्षा ऋतु आरंभ हो जाती है। इस नक्षत्र के आरंभ होने के साथ ही खरीफ फसलों की बुआई होने लगती है। इस प्रकार अदरा नक्षत्र एक ओर अपने नाम अनुरूप वातावरण में नमी लाती है तो दूसरी ओर ग्रीष्म उपरांत खेती का कामकाज पुनः शुरू हो जाता है! तो स्वागत कीजिए आद्रा नक्षत्र का....

सनातन परम्परा में मौली सूता कलाई में बांधने के पीछे की क्या है कहानी और उसके महत्व, जानिये कैसे शुरू हुई यह परंपरा...?

सनातन डेस्क

हमारे सनातन धर्म में कई परम्पराएं हैं जिसे आज भी हम निर्वहन करते आ रहे हैं यह परम्परा कुछ किम्वन्दतियों पर आधारित है तो कुछ वैज्ञानिक कसौटी पर भी परखा गया तो उसके पीछे वैज्ञानिकता भी है.

इस तरह की कई परम्पराएं हैं जिसे हम आगे चर्चा करेंगे. 

आइये आज हम चर्चा करते हैं कलावा या रक्षासूत्र का जो कोई भी मांगलिक कार्य शुरू करने से पहले हम हाथों में बंधते हैं.

इस में लाल पीला, हरा,सूता का मिश्रण होता है, यह मिश्रण कभी पांच रंग का भी होता है जिसे हम मौली सूता या रक्षा सूत्र कहते हैं. चूँकि यह कलाई में बंधा जाता है इसलिए इसे कलावा भी कहा जाता है.

क्यों बंधा जाता है हाथों में मौली सूता

हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य या तीज-त्योहार की पूजा के समय कलावा या मौली सूता बांधने का विशेष महत्व होता है. कोई पूजा-अनुष्ठान सबसे पहले हाथ पर कलावा बांधने से ही शुरू होता है.

लेकिन क्या आपके दिमाग में कभी ख्याल आया है कि आखिर मौली या कलावा हाथ पर क्यों बांधा जाता है? इस परंपरा का क्या महत्व है?इसकी शुरुआत कैसे हुई? 

मौली या कलावे का क्या है महत्व:

मौली का शाब्दिक अर्थ होता है सबसे ऊपर और इसे कलाई पर बांधने की वजह से कलावा भी कहा जाता है. कहते हैं कि मौली का वैदिक नाम उप मणिबंध है. और इसका तात्पर्य सिर से भी होता है. भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा सुसज्जित है. इसलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है. 

मौली या कलावे को मुख्यतः तीन रंगों के कच्चे सूती धागे से बनाया जाता है. जिनमें लाल, पीला और हरा रंग शामिल है. कभी-कभी यह पांच रंगों से भी बना होता है और नीले व सफेद धागे का भी प्रयोग किया जाता है. तीन धागों से अभिप्राय त्रिदेव तो पांच धागों से अभिप्राय पंचदेव से है. 

कहा जाता है कि हाथ में मौली या कलावा बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश व तीन देवियों- लक्ष्मी, गौरी और सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है. ब्रह्मा से कीर्ति, विष्णु भगवान से बल मिलता है और शिव जी मनुष्य के दुर्गुणों का नाश करते हैं. 

जानिये इस परम्परा के पीछे क्या है प्रचलित लोक कथाएं:

हाथ पर मौली या कलावा बांधने के बारे में कई लोक कथाएं प्रचलित हैं. कलावे को रक्षासूत्र के रूप में हाथ पर बांधा जाता है. कहते हैं कि प्राचीन समय में वृत्रासुर नामक एक राक्षस हुआ करता था. जिसके आतंक से पृथ्वी को मुक्ति दिलाने के लिए देवताओं ने उससे युद्ध किया. 

बताया जाता है कि देवराज इंद्र जब इस राक्षस से युद्ध के लिए जा रहे थे तो उनकी पत्नी इन्द्राणी ने उनकी दाहिनी भुजा पर कलावा या रक्षासूत्र बांधकर त्रिदेवों और मां आदिशक्ति से उनकी रक्षा की प्रार्थना की. जिसके बाद इंद्र वृत्रासुर को मारकर विजयी हुए. 

तबसे ही मौली बांधने की परंपरा चली आ रही है. इसके अलावा, एक मान्यता यह भी है कि राजा बलि को अमरता का वरदान देने के लिए भगवान विष्णु ने उनके दाहिने हाथ पर कलावा बांधा था. 

कलावे को धारण करने और उतारने के नियम:

शास्त्रों के नियमों के अनुसार पुरुष और अविवाहित स्त्री दाएं हाथ में और विवाहित स्त्री बाएं हाथ में कलावा बंधवाती हैं. जब भी कोई पंडित या शास्त्री आपके हाथ में कलावा बांधें तो उस हाथ की मुट्ठी बंद और दूसरा हाथ हमेशा सिर के पीछे होना चाहिए.

और कलावे को हमेशा पांच या सात बार घुमाकर हाथ में बांधना चाहिए.

वहीं अगर आपके हाथ में बंधा कलावा पुराना हो गया है और आप इसे उतारना चाहते हैं तो ध्यान रहे कि पुराने कलावे को हमेशा मंगलवार या शनिवार के दिन ही हाथ से उतारें. और इसे उतारकर फेंकना नहीं चाहिए बल्कि इसे आप पीपल के पेड़ के नीचे रख दें.

परीक्षा में सफलता के लिए हमें एकाग्रचित होना जरूरी है,और इसके लिए मेडिटेशन एक माध्यम है,जानिए सनातन परंपरा सब कुछ सम्भव है,..कैसे..?

(सनातन डेस्क)

हमारे भारतीय सनातन परंपरा में वह सारा प्रावधान है जिसका हम अनुसरण करें तो हम जीवन से जुड़े सभी समस्याओं का हल निकाल सकते हैं।

हमारी परंपरा हमे जीने की पद्धति सिखाती है,हमारे मनोस्थिति पर नियत्रण का कला बताती है।हमारे पूरे जीवन और बीमारी को नियंत्रित करती है।और अगर हम इसी परंपरा का अनुसरण करें तो हमारा चित स्थिर होगा। हमारे ओजता में चमक आएगी।हम मन से स्वस्थ होंगे,भौतिक काया निरोग होगा ,मन में कलुषित सोच नही आएगी और सफल जीवन,जीयेंगे।

आज हम आधुनिक वैज्ञानिक खोज के कारण जितना आगे बढ़ जाएं। दुनिया आर्थिक और सामरिक संसाधनों से भले हीं विश्व का ताकतवर देश बन जाएं।लेकिन ज्ञान विज्ञान की जननी हमारी आध्यात्मिक सोच और हमारी सनातन परम्परा ही जिसने हमे एक नई सोच दिया है।वह कैसे और क्यों..?

 इसको हम आगे क्रमबद्ध तरीका से प्रमाणित करेंगे।और यह भी बताएंगे कि हमारे अध्यात्म और परम्परा से पूरा दुनिया प्रभावित है।हमारी इस शक्ति को दुनिया स्वीकार करती है।

 फिलहाल हम बात शुरू करते हैं जीने की कला से। जिसे हमारे भारतीय परंपरा में कई संत पूरी दुनिया को सीखा रहे है।बात कर रहें गुरु रविशंकर जी की।इन्होंने 

आर्ट ऑफ लिविंग नामक संस्था के माध्यम से लोगों को जीने की कला सीखा रहें हैं।ये सिर्फ भारत ही नही बल्कि दुनिया के कई देशों को इस कला से रूबरू करा रहे हैं।

आज आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित आध्यात्मिक और मानवतावादी नेता हैं। उन्होंने तनाव मुक्त, हिंसा मुक्त समाज के लिए एक अभूतपूर्व विश्वव्यापी आंदोलन का नेतृत्व किया है।

आज हम बात करें हमारे जीवन के आपाधापी,हमारे खान पान,भौतिक संसाधन के पूर्ति के लिए अंधी दौड़ और उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों में एकाग्रता के कमी के कारण परीक्षाओं में असफल होंने फिर डिप्रेशन के शिकार होकर आत्महत्या तक के लिए प्रवृत्त होने के लिए विवश हो जाने।तो ऐसे लोगों से सिर्फ यही कहना है कि आप जीने की कला सीखिए,गुरु रविशंकर जी के ध्यान योग और मोटिवेशनल स्पीच सुनिए और सफलता के सोपान तक पहुंचिए।

आज निसन्देह मेरा व्यक्तिगत मानना है कि हमारी शिक्षा पद्धति क्लासिक ज्यादा,व्यबहारिक कम है।छात्रों में भी तुरंत सफल होकर अपने आकांक्षाओं को पूरा करने की होड़ है।ऐसे में मानस पर अत्यधिक लोड स्वभाविक है।और इस बोझ से विचलन भी समान्य सी बात है।इसके लिए हमे एकाग्रचित होना,अपने मनोस्थिति को मजबूत करना जरूरी है।

इसके लिए योग,प्रणायाम ध्यान और अपने मस्तिष्क को स्थिर कर कुछ क्षण के लिए अपने सारे निगेटिव भाव को भूलने और पॉजिटिव सोच को जागृत करना जरूरी है।अपने मन को स्थिर कर लक्ष्य के ओर केंद्रित करना जरूरी है।और यह सब मेडिटेशन से संभव है।तभी छात्र परीक्षा में सफल हो सकते हैं।

आज का राशिफल, 27 जून 2024:जानिये राशिफल के अनुसार आज कैसा रहेगा आप का दिन..?

मेष राशि – आज ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा. नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी. सहकर्मियों का सहयोग प्राप्त होगा. स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं. एकदम से बहुत सारे काम का दबाव आ सकता हैं. इससे भागदौड़ की स्थिति बनी रहेगी और काम में उलझ कर रह जाएंगे. अपनी प्राथमिकता को निर्धारित कर लेंगे तो बेहतर रहेगा.

शुभ अंक -4

शुभ रंग- भूरा

वृष राशि – आज यात्रा करना लाभदायक रहेगा. राजकीय सहयोग मिलेगा. सरकारी कामों में सहूलियत होगी. जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा. घर में सुख-शांति रहेगी. कारोबारी अनुबंध हो सकते हैं. मानसिक तनाव रहने की प्रबल संभावना हैं. ऐसे में बुद्धिमता और धैर्य से काम नही लिया गया तो स्थिति संभलने की बजाए और बिगड़ जाएगी.

शुभ अंक-2

शुभ रंग-काला

मिथुन राशि- आज संतान पक्ष से कोई बुरी खबर मिल सकती है. आज डूबी हुई रकम प्राप्त होने की उम्मीद है.व्यापार-व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा. नौकरी में प्रशंसा मिलेगी.बैंक से लोन मिलने में जो समस्या सामने आ रही थी वह आज के दिन सुलझ सकती हैं. रुका हुआ धन भी वापस आ सकता हैं. आज का दिन आपके आर्थिक जीवन के लिए शुभ संकेत लेकर आया हैं.

शुभ अंक-5

शुभ रंग-महरून

कर्क राशि- आज चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि हो सकती है. पुराना रोग उभर सकता है. वाणी में गलत शब्दों के प्रयोग से बचें. किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है. अहंकार को काबू में रखने की आवश्यकता हैं अन्यथा कुछ अप्रत्याशित घटित हो सकता हैं. आपका अपने भाई-बहनों के साथ संबंध भी बिगड़ सकता हैं तथा मन में कटुता का भाव आ सकता हैं.

शुभ अंक-3

शुभ रंग-आसमानी

सिंह राशि- आज दुश्मनों से सावधान रहना आवश्यक है. फालतू खर्च पर नियंत्रण नहीं रहेगा. अपेक्षित काम में विलंब होगा. बेकार की बातों पर ध्यान न दें. जीवनसाथी के साथ कहीं घूमने जाने का प्लान कर सकते हैं.रिश्तों में गहरापन आएगा. आज के दिन उनके साथ बैठकर भविष्य की रणनीति भी बनायी जा सकती हैं जो दोनों के लिए कारगार सिद्ध होगी.

शुभ अंक -9

शुभ रंग-केसरिया

कन्या राशि- आज आपको मान-सम्मान मिलेगा. मेहनत का फल मिलेगा. कारोबार में वृद्धि के योग हैं. जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे. निवेश शुभ रहेगा. नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे.यदि आप सिंगल हैं तो आज के दिन किसी खास से मिल सकती हैं. रिश्तो में मजबूती आएगी.

शुभ अंक-7

शुभ रंग-हरा

तुला राशि – आज सामाजिक कार्य करने में मन लगेगा. योजना फलीभूत होगी. कार्यस्थल पर परिवर्तन हो सकता है. कारोबार मनोनुकूल लाभ देगा. नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं. परिवार के सामने एक अलग पहचान बनेगी जो आपके लिए भी लाभदायक सिद्ध होगी. हालांकि कुछ बातों को लेकर नकारात्मक रवैया रह सकता है .

शुभ अंक -8

शुभ रंग-सफ़ेद

वृश्चिक राशि- आज चोट व रोग के चलते कुछ कष्ट का अनुभव हो सकता है. बेचैनी रहेगी.प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी. पूजा-पाठ में मन लगेगा. सत्संग का लाभ मिलेगा. काम में सीनियर्स से बहुत जमेगी जिससे आपको अपने ऑफिस के काम में भी बहुत सहायता मिलेगी. आगे के लिए मार्गदर्शन भी मिलेगा जो भविष्य के लिए सहायक होगा.

शुभ अंक-1

शुभ रंग-पीला

धनु राशि- आज भागदौड़ अधिक रहेगी. वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें. मेहनत अधिक होगी. लाभ में कमी रह सकती है. कीमती वस्तुएं संभालकर रखें. ज्यादातर समय अपने परिवार के सदस्यों के साथ व्यतीत होगा.घर में आपको लेकर एक सकारात्मक छवि का निर्माण होगा जो आपके लिए सहायक सिद्ध होगी.

शुभ अंक -6

शुभ रंग-केसरिया

मकर राशि– आज पुराने साथियों से मुलाकात होगी. उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी. फालतू खर्च होगा. स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है. आत्मसम्मान बना रहेगा.व्यापार के मामलों में सतर्कता बरते क्योंकि कोई अपना ही उसमे परेशानी खड़ी करने का प्रयास करेगा. ऐसे में किसी भी नुकसान से बचने के लिए पहले से ही सावधान रहेंगे तो बेहतर रहेगा.

शुभ अंक-4

शुभ रंग-नीला

कुंभ राशि- आज बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे. भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है. व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी. शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड से मनोनुकूल लाभ होगा.दिन में स्वभाव में चिढ़चिढ़ापन हावी रहेगा लेकिन दोपहर होते-होते इसमें बदलाव देखने को मिलेगा. किसी से आकस्मिक खुशी मिलेगी .

शुभ अंक-8

शुभ रंग- पीला

मीन राशि- आज पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बनेगा. आनंद के साथ समय व्यतीत होगा.मनपसंद व्यंजनों का लाभ मिलेगा. रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे. स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ सकता हैं. हालाँकि दृढ-इच्छा शक्ति से आप इसे मात दे सकते हैं. परिवार के किसी सदस्य की तबियत भी खराब हो सकती हैं.

शुभ अंक-1

शुभ रंग-गुलाबी

आज का पंचांग- 27 जून 2024: जानिये आज के पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रह योग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- आषाढ़

अमांत- ज्येष्ठ

तिथि

षष्ठी - 06:39 पी एम तक

नक्षत्र

शतभिषा - 11:36 ए एम तक

योग

आयुष्मान् - 12:28 ए एम, जून 28 तक

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 5:26 AM

सूर्यास्त- 7:23 PM

चन्द्रोदय- जून 27 11:38 PM

चन्द्रास्त- जून 28 10:42 AM

अशुभ काल

राहू- 02:09 पी एम से 03:54 पी एम

यम गण्ड- 05:26 ए एम से 07:10 ए एम

कुलिक-08:55 ए एम से 10:40 ए एम

दुर्मुहूर्त- 10:05 ए एम से 11:01 ए एम

वर्ज्यम्- 05:38 पी एम से 07:08 पी एम

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त-11:56 ए एम से 12:52 पी एम

अमृत काल- 02:39 ए एम, जून 28 से 04:09 ए एम, जून 28

ब्रह्म मुहूर्त- 12:04 ए एम, जून 28 से 12:45 ए एम, जून 28

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आज का राशिफल 26 जून 2024 : जानिये राशि फल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा...?

 ग्रह-नक्षत्रों की चाल से राशिफल का आकंलन किया जाता है। 26 जून को बुधवार है। बुधवार का दिन कुछ राशि वालों के लिए शुभ तो कुछ राशि वालों के लिए सामान्य रहेगा।

मंगल मेष राशि में, वृषभ राशि मेंz गुरु, सूर्य, बुध, शुक्र मिथुन राशि में, केतु कन्या राशि में, शनि व चंद्रमा विष योग बनाकर कुंभ राशि में, राहु मीन राशि के गोचर में चल रहे हैं।

मेष राशि- आय में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। मानसिक स्वास्थ्य थोड़ा प्रभावित दिख रहा है। प्रेम में तूतू-मैंमैं संभव है। यात्रा में कष्ट संभव है। बाकी व्यापार में थोड़ा उतार-चढ़ाव रहेगा। ये उतार-चढ़ाव का दिन है। बहुत परेशान मत होइएगा, कोई विशेष परेशानी नहीं होगी। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

वृषभ राशि- व्यापारिक स्थिति में थोड़ी परेशानी दिख रही है। सीने में थोड़ा विकार संभव है। पिता के स्वास्थ्य पर ध्यान दें और कोर्ट-कचहरी से बचें। हरी वस्तु पास रखें।

मिथुन राशि- अपमानित होने का भय रहेगा। यात्रा में कष्ट संभव है। कार्यों में विघ्न-बाधा रहेगी। स्वास्थ्य ठीक है। प्रेम-संतान अच्छा है। व्यापार भी लगभग ठीक रहेगा। नीली वस्तु पास रखें।

कर्क राशि- परिस्थितियां प्रतिकूल दिख रही हैं। चोट-चपेट लग सकती है। किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। स्वास्थ्य में ध्यान दें। प्रेम-संतान अच्छा है। व्यापार भी अच्छा है। नीली वस्तु का दान करें।

सिंह राशि- जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। स्वयं के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम-संतान की ठीक है। व्यापार की स्थिति भी ठीक है। नौकरी-चाकरी की स्थिति अच्छी नहीं है। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

कन्या राशि- शत्रुओं पर दबदबा कायम रहेगा। बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलेगा। गुण-ज्ञान की प्राप्ति होगी। बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलेगा। पैरों में चोट-चपेट लग सकती है। स्वास्थ्य थोड़ा नरम-गरम रहेगा। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

तुला राशि- बच्चों की सेहत पर ध्यान दें। प्रेम में तूतू-मैंमैं का संकेत हैं। मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ रहेगा। व्यापार आपका अच्छा चलता रहेगा। पीली वस्तु का दान करें।

वृश्चिक राशि- घरेलू सुख बाधित होगा। घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। मां के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। स्वास्थ्य मध्यम क्योंकि रक्तचाप अनियमित दिख रहा है। प्रेम-संतान अच्छा। व्यापार भी अच्छा। नीली वस्तु का त्याग करें।

धनु राशि- नाक-कान व गला की परेशानी हो सकती है। व्यापारिक स्थिति थोड़ी मजबूत नहीं दिख रही है, कमजोर दिख रही है। स्वास्थ्य मध्यम। प्रेम- संतान ठीक है। व्यापार भी लगभग ठीक रहेगा,लेकिन कोई रिस्क मत लीजिएगा। लाल वस्तु पास रखें।

मकर राशि- धन हानि के शिकार होंगे। कोई निवेश मत करिएगा। कुटुंबों से थोड़ा सा तालमेल बनाकर रखिएगा, जुबानी जंग मत करिएगा। स्वास्थ्य मध्यम, मुख रोग के शिकार हो सकते हैं। प्रेम-संतान की स्थिति ठीक है। व्यापार भी ठीक है। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

कुंभ राशि- स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। ऊर्जा का स्तर घटता-बढ़ता रहेगा। बेचैनी-घबराहट संभव है। प्रेम-संतान अच्छा है। व्यापार भी अच्छा है। हरी वस्तु पास रखें।

मीन राशि- अज्ञात भय सताएगा। खर्च की अधिकता रहेगी। मन बहुत अच्छी स्थिति में नहीं रहेगा। प्रेम-संतान मध्यम। व्यापार भी मध्यम। पीली वस्तु पास रखें।

आज का पंचांग 26 जून 2024 जानिये आज आषाढ़ का कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है , जानें आज का शुभ मुहूर्त और पूजा का समय

 आज आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है। साथ ही आज धनिष्ठा नक्षत्र अपराह्न 01 बजकर 05 मिनट तक उपरांत शतभिषा नक्षत्र का आरंभ। आइए जानते हैं आज पूजा का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय।

राष्ट्रीय मिति आषाढ़ 05, शक सम्वत् 1946, आषाढ़, कृष्ण, पंचमी, बुधवार, विक्रम सम्वत् 2081। सौर आषाढ़ मास प्रविष्टे 13, जिल्हिजा 19, हिजरी 1445 (मुस्लिम) तदनुसार अंगे्रजी तारीख 26 जून सन् 2024 ई। सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतु। राहुकाल मध्याह्न 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक।

पंचमी तिथि रात्रि 08 बजकर 56 मिनट तक उपरांत षष्ठी तिथि का आरंभ। धनिष्ठा नक्षत्र अपराह्न 01 बजकर 05 मिनट तक उपरांत शतभिषा नक्षत्र का आरंभ। विष्कुंभ योग प्रातः 06 बजकर 14 मिनट तक उपरांत प्रीति योग का आरंभ। कौलव करण पूर्वाह्न 10 बजकर 04 मिनट तक उपरांत गर करण का आरंभ। चंद्रमा दिन रात कुंभ राशि पर संचार करेगा।

सूर्योदय का समय- 26 जून 2024 : सुबह 5 बजकर 25 मिनट पर।

सूर्यास्त का समय -26 जून 2024 : शाम में 7 बजकर 22 मिनट पर।

आज का शुभ मुहूर्त 26 जून 2024 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 5 मिनट से 4 बजकर 45 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से 3 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्‍यरात्रि रात में 12 बजकर 4 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 21 मिनट से 7 बजकर 42 मिनट तक। अमृत काल सुबह 5 बजकर 25 मिनट से 7 बजकर 10 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 26 जून 2024 :

राहुकाल दोपहर 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक। सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक गुलिक काल। सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल सुबह 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक। पंचक पूरे दिन रहने वाला है।

उपाय : आज गणेशजी को मोदक चढ़ाएं और दूर्वा अर्पित करें।

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

वर्ष आषाढ़ महीने की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के अगले दिन कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही गणपति बाप्पा के निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक के आय, सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करते हैं। आइए, कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 25 जून को देर रात 01 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक 25 जून को ही रात 11 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि से तिथि से गणना की जाती है। अतः 25 जून को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। साधक 25 जून को भगवान गणेश के निमित्त व्रत रख गजानन की पूजा-उपासना कर सकते हैं। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्र दर्शन का शुभ समय 10 बजकर 27 मिनट पर है।

मुहूर्त

सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 25 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 23 मिनट पर

चंद्रोदय- रात 10 बजकर 27 मिनट पर

चंद्रास्त- सुबह 08 बजकर 29 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 05 मिनट से 04 बजकर 45 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 42 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक

शिववास योग

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर शिववास योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन देवों के देव महादेव देर रात 11 बजकर 10 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी पर विराजमान रहेंगे। भगवान शिव के कैलाश और नंदी पर आरूढ़ रहने के दौरान शिवजी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस समय में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।