नौ माह से पांच साल तक बच्चों के लिए नौ बार विटामिन ए की खुराक अनिवार्य
गोरखपुर। ह्यह्यनौ माह से पांच साल तक के बच्चों को कुल नौ बार विटामिन ए की खुराक लेना अनिवार्य है। इसकी पहली खुराक नौ से बारह माह की उम्र में एमआर टीके के प्रथम डोज के साथ आधा चम्मच दी जाती है। दूसरी खुराक सोलह से चौबीस माह की उम्र के बीच एक पूरा चम्मच एमआर टीके के दूसरी डोज के साथ दी जाती है । साथ ही दो वर्ष से पांच वर्ष की उम्र तक के बच्चों को हर छह माह पर पूरा चम्मच दवा पिलाना अनिवार्य है। एक पूरा चम्मच दो मिलीलीटर का होता है, जबकि आधा चम्मच एक मिलीलीटर का होता है।
इस अपील के साथ जिले भर में बुधवार से विटामिन ए सम्पूरण माह की शुरूआत की गयी, जिसके तहत एक माह के भीतर 5.76 लाख बच्चों को दवा पिलायी जाएगी । दवा की यह खुराक नियमित टीकाकरण के साथ ही दी जाएगी। पिछले साल दिसम्बर में चले अभियान में करीब 92 फीसदी बच्चों को यह दवा पिलायी गयी थी। अभियान का शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे और जिला महिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ जय कुमार ने जिला महिला अस्पताल के ओपीडी ब्लॉक से किया । वहां एक दर्जन बच्चों को दवा पिलाई गई और उन्हें खिलौने भी दिये गये।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इस अवसर पर बताया कि विटामिन ए की खुराक बच्चों को कुपोषण, मिजल्स, डायरिया और रतौंधी से बचाती है । यह बच्चे के विकास में मददगार है। इसके सेवन से निमोनिया और डायरिया का खतरा कम हो जाता है। शरीर में विटामिन ए की कमी से रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है। आंख कमजोर होने की आशंका होती है। इसकी कमी से बच्चे के शरीर बढ़ने में भी कमी आ सकती है। बच्चे को कमजोरी महसूस होती है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक बुधवार और शनिवार को नियमित टीकाकरण और छाया ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता व पोषण दिवस के सत्र स्थल पर बच्चों को विटामिन ए की खुराक दी जाएगी । आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ऐसे बच्चों को उनके अभिभावकों के साथ सत्र स्थल पर लेकर आएंगी। हर छह माह पर बच्चों को दवा पिलाई जा सके, इसी वजह से यह अभियान प्रत्येक छह माह के अंतराल पर चलाया जाता है।
इस मौके पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा ने बताया कि जिन गांवो में मिजल्स का कोई भी केस निकलता है वहां लक्षणयुक्त बच्चों को विटामिन ए की दो अतिरिक्त खुराक पिलाई जाती है। इस बीमारी से बचाव में विटामिन ए की महत्वपूर्ण भूमिका है । यह दवा शिशु मृत्यु दर को कम करने में सहयोगी है। यह दवा मिजल्स होने की स्थिति में मृत्यु दर और जटिलता को कम करती है।
डॉ कुशवाहा ने बताया कि इस बार के अभियान में नौ माह से बारह माह तक के 65000 बच्चों, एक से दो वर्ष तक एक लाख तेईस हजार बच्चों और दो वर्ष से पांच वर्ष तक के तीन लाख अठासी हजार बच्चों को गोरखपुर जिले में दवा पिलाई जाएगी।
इस अवसर पर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अजय देवकुलियार, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी केएन बरनवाल, सहायक शोध अधिकारी अजीत सिंह, क्वालिटी मैनेजर डॉ कमलेश, मैट्रन सीके वर्मा, यूनीसेफ के डीएमसी डॉ हसन फहीम, डब्ल्यूएचओ के सर्विलांस मेडिकल आॅफिसर डॉ विनय शंकर, यूएनडीपी संस्था के प्रतिनिधि पवन कुमार सिंह और यूपीटीएसयू व जेएसआई संस्थाओं के प्रतिनिधिगण एवं एनएचएम से आदिल फखर मौजूद रहे।
सुरक्षित है यह दवा
जिला महिला अस्पताल में दवा का सेवन करने वाले दो वर्षीय विवांश अग्रहरी की मां पूजा अग्रहरि ने बताया कि वह बच्चे का नियमित टीकाकरण जिला महिला अस्पताल में ही करवाती हैं। महानगर के बिछिया क्षेत्र की रहने वाली पूजा का कहना है कि विवांश का जन्म इसी अस्पताल में हुआ था और उन्हें अस्पताल के स्टॉफ नर्सेज द्वारा बताया गया था कि यहां टीकाकरण की अच्छी सुविधा है। वह बुधवार को भी बच्चे के टीकाकरण के लिए आई थीं । उन्हें बताया गया कि विटामिन ए की दवा भी पिलाई जाएगी। इस दवा से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और कई बीमारियों से बचाव भी होता है। यह दवा पहले भी विवांश को पिलाई जा चुकी है। यह सुरक्षित और असरदार है।
Jun 26 2024, 18:06