नीट पेपर लीक मामले में हजारीबाग के ओएसिस स्कूल के प्राचार्य कूरियर कंपनी पर फोड़ा ठीकरा, कहा इसके पीछे सुनियोजित गिरोह सक्रिय
झारखण्ड डेस्क
मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए नीट परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक मामले में प्रत्यके दिन कई खुलासे हो रहे हैं. जिसको लेकर परीक्षा प्रणाली पर हीं सवाल उठ खड़ा हो गया है.
इधर हजारीबाग के ओएसिस स्कूल के प्राचार्य और नीट के सिटी को-ऑर्डिनेटर डॉ एहसानुल हसन ने नीट के प्रश्न पत्र लीक होने के मामले को लेकर एक प्रेस वार्ता कर इस लीक का ठीकरा कूरियर कंपनी पर फोड़ा है.
उन्होंने दावा किया है कि यह बात बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की टीम की जांच में भी सामने आई है। डॉ एहसानुल हसन सोमवार को मीडिया से बात कर रहे थे।
प्रश्न पत्र भेजनें के लिए भाड़े के ई-रिक्शा पर भी डॉक्टर हसन ने उठाया सवाल
डॉ हसन ने दावा किया है कि ईओयू की जांच में पता चला कि प्रश्न पत्र के बक्से 3 मई 2024 को एक कूरियर सर्विस की ओर से एसबीआई हजारीबाग पहुंचाए गए थे। ईओयू की पूछताछ में हजारीबाग में कूरियर के कर्मचारियों ने बताया कि तीन मई 2024 को रांची से हजारीबाग प्रश्न पत्र के बक्से नेटवर्क की किसी गाड़ी से मंगाए गए थे और उन बक्सों को भाड़े के ई-रिक्शा से बैंक भेजा गया था।
बुकलेट तो पटना में मिली तो फिर हजारीबाग से कैसे हुआ लीक:डॉ हसन
डॉ एहसानुल का दावा है कि एनटीए के एसओपी के अनुसार प्रश्न पत्रों के बक्से 5 मई 2024 को रिसीव हुआ जबकि कथित तौर पर प्राप्त जानकारी के अनुसार पटना में प्रश्न पत्र की कॉपी 4 मई को ही उपलब्ध थी। ऐसी परिस्थिति में ओएसिस स्कूल किस प्रकार जिम्मेदार है।
एक गैंग है सक्रिय जो परीक्षा आयोजक एजेंसी की खामियों का उठा रहा है लाभ
जांच एजेंसी को मिले इनपुट के अनुसार, यूजी नीट परीक्षा पेपर लीक मामले को बिहार के चर्चित संजीव मुखिया और रवि यंत्री गिरोह ने अंजाम दिया है। दोनों को ऑल इंडिया लेवल पर पेपर लीक करने का किंगपिन माना जाता है। कहा जाता है कि पेपर लीक करने के मामले में तीन दशक से नालंदा जहां हेडक्वार्टर रहा है, वहीं संजीव मुखिया और रवि यंत्री किंगपिन हैं। संजीव मुखिया भी नालंदा का रहने वाला है। जबकि राजेश खत्री पटना का। उसे यूपी पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। लेकिन इस गिरोह के हाथ लंबे हैं।
गिरोह के सदस्यों ने सील बंद बक्से का ताला खोलने के बाद हुबहू पैक करने वाले एक्सपर्ट का लिया होगा सहारा
क्योंकि शुभम मंडल को सील बंद बक्से का ताला खोलने के बाद हुबहू पैक करने में महारत हासिल है। कहा जाता है कि उसे ताला खोलने में इतना शातिर माना जाता है कि परीक्षा का पेपर का स्कैन करने के लिए उसे दो लाख रुपए देकर एक बार गुजरात ले जाया गया था। संजीव मुखिया ने उसे हवाई जहाज का टिकट बुक कर भेजा था।
Jun 25 2024, 10:44