आजमगढ़: विख्यात लेखिका अरुंधति रॉय और पूर्व प्रधानाध्यापक शेख शौकत पर यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की निंदा
के एम उपाध्याय ,निजामाबाद (आजमगढ़)। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े विभिन्न किसान संगठन - अखिल भारतीय किसान महासभा, किसान संग्राम समिति, जनमुक्ति किसान मंच,खेत मजदूर किसान संग्राम समिति, भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान मजदूर संघ, जनवादी लोक मंच और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी)पार्टी से जुड़े हुए विभिन्न नेताओं ने विख्यात लेखिका अरुंधति राय और पूर्व प्रधानाध्यापक शेख शौकत पर यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की खिलाफ अमर शहीद कुंवर सिंह उद्यान में बैठक की और जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन भेजा गया।
ज्ञापन में मांग की गई है कि -लगभग चौदह साल पहले दिए गए भाषण के लिए यूएपीए और आईपीसी प्रावधानों के तहत अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ तत्काल प्रभाव से अभियोजन वापस लिया जाए। यू.ए.पी.ए. तथा सभी दमनकारी कानूनों को खत्म किया जाए। सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए।
वक्ताओं ने कहा कि विख्यात लेखिका अरुंधति राय और शिक्षाविद , कानूनविद , पूर्व प्रधानाध्यापक शेख शौकत के खिलाफ यूएपीए लगाना अलोकतांत्रिक और अनावश्यक है। लोगों को अपने विचार व्यक्त करने से नहीं रोका जा सकता। हमारा देश सभी को अपनी बात कहने का मौका देता है। हालांकि, अभियोजन पक्ष अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटेगा लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों के क्षरण को ही दर्शाएगा।
“असहमति को दबाने और भाषण को आपराधिक बनाने के लिए आतंकवाद विरोधी कानूनों का इस्तेमाल बेहद चिंताजनक है। अनुच्छेद 19 के तहत प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को बनाए रखना आवश्यक है। यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि कथित भाषण के 14 साल बाद यह अनुमति दी गई है। बीच के वर्षों में भाषण को लगभग भुला दिया गया और इसने जम्मू-कश्मीर में माहौल को खराब नहीं किया।”
"अरूंधति रॉय पर थोपा गया अभियोजन किसी काम का नहीं है, सिवाय शायद यह दिखाने के लिए है कि भाजपा/केंद्र सरकार का सख्त रुख हाल ही में चुनावी झटके के बावजूद नहीं बदलेगा।”
“भारत के बेहतरीन दिमागों और लेखकों में से एक अरुंधति रॉय पर यूएपीए के तहत मुकदमा चलाया जाएगा, क्योंकि वह एक साहसी आवाज़ हैं जो घुटने टेकने से इनकार करती हैं। समान रूप से चिंताजनक यह है कि इसमें कश्मीर के कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत भी शामिल हैं। भारत का क्या हो रहा है? क्या इस देश को खुली हवा में जेल में बदल देना चाहिए।”
पिछले 10 वर्षों में केंद्र सरकार के पिछले घटनाक्रम से पता चलता है कि इन कदमों का असली इरादा असहमति की किसी भी आवाज को दबाना है। इसी प्रकार, हमने देखा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भीमा-कोरेगांव मामले में झूठे आरोपों के साथ 16 प्रमुख बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं को जेल भेज दिया। जैसाकि कई मानवाधिकार संस्थाओं ने बताया है, स्वतंत्र विशेषज्ञों ने जांच की है जिसमें पता चला है कि लोकतंत्र के इन रक्षकों पर मुकदमा चलाने के लिए कंप्यूटर डेटा से छेड़छाड़ करने के लिए स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया था। इसी तरह, नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के लागू होने का विरोध करने वाले छात्रों और युवाओं को यूएपीए के तहत जेल भेज दिया गया था, और उनमें से कुछ बिना किसी मुकदमे या जमानत के जेलों में सड़ रहे हैं। हमें यह भी याद है कि पिछले साल न्यूजक्लिक के संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया गया था ।असहमति की किसी आवाज को दबाना बेहद निंदनीय कृत्य है।
वक्ताओं में का.दुखहरन राम,का.जयप्रकाश नारायण,का.नंदलाल, रामराज , का . विनोद सिंह , जमुना प्रजापति, रामवृक्ष मास्टर, रामजन्म यादव,रसायन, बसंत, हरिओम,रामजीत प्रजापति, लालचंद निषाद, सुदर्शन राम, रामकुमार यादव,मिश्री वर्मा,ब्रजेश नारायण आदि शामिल रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जयप्रकाश नारायण और संचालन राजेश आज़ाद ने किया।
Jun 22 2024, 17:40