क्या अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल और दलाई लामा की हिमाचल में मुलाकात, तिब्बत के लिए लाएगा अच्छा संदेश ?

पूर्व अमेरिकी सदन अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी, सदन की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष माइकल मैककॉल और कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्य तिब्बती आध्यात्मिक नेता से मिलने के लिए बुधवार को दलाई लामा के आवास पर पहुंचे। प्रतिनिधिमंडल ने हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज में दलाई लामा के आवास का दौरा किया, प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख माइकल मैककॉल ने कहा कि राष्ट्रपति बिडेन जल्द ही एक विधेयक पर हस्ताक्षर करेंगे जिसका उद्देश्य चीन पर तिब्बत विवाद को सुलझाने के लिए दबाव डालना है। रिज़ोल्व तिब्बत एक्ट में बीजिंग से तिब्बती नेताओं के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का आह्वान किया गया है, जो 2010 से रुकी हुई है, ताकि चीन के साथ उनके शासन संबंधी मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सके। इस विधेयक का उद्देश्य दोनों देशों के बीच तिब्बत के संबंध में बातचीत के ज़रिए समाधान निकालना है। इसमें चीन से तिब्बती लोगों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई पहचान से जुड़ी इच्छाओं को संबोधित करने का भी आग्रह किया गया है। दलाई लामा के साथ अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की बैठक से पहले निर्वासित तिब्बती संसद की उपसभापति डोलमा त्सेरिंग तेखांग ने कहा कि अमेरिकी सांसदों की यात्रा से पता चलता है कि "तिब्बत अकेला नहीं है।" मंगलवार को, नैन्सी पेलोसी सहित अमेरिकी प्रतिनिधियों का एक समूह धर्मशाला के कांगड़ा हवाई अड्डे पर पहुंचा। इसमें प्रतिनिधि मैरिएनेट मिलर-मीक्स, स्पीकर एमेरिटा, प्रतिनिधि ग्रेगरी मीक्स, प्रतिनिधि निकोल मैलियोटाकिस, प्रतिनिधि जिम मैकगवर्न और प्रतिनिधि अमी बेरा भी शामिल थे । केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अधिकारियों ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का उनके आगमन पर स्वागत किया। मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए मैककॉल ने कहा, "हम कल परम पावन से कई चीजों पर बात करने के लिए बहुत उत्साहित हैं, जिसमें कांग्रेस से पारित विधेयक भी शामिल है, जो मूल रूप से कहता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका तिब्बत के लोगों के साथ खड़ा है।" यह पूछे जाने पर कि क्या बिडेन विधेयक पर हस्ताक्षर करेंगे, उन्होंने कहा, "हां, वह करेंगे।" अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने रिज़ॉल्व तिब्बत अधिनियम पारित किया, जो अब कानून बनने के लिए बिडेन के हस्ताक्षर की प्रतीक्षा कर रहा है। यह विधेयक बीजिंग के इस दावे को चुनौती देता है कि तिब्बत हमेशा से चीन का हिस्सा रहा है और चीन से तिब्बत के इतिहास, लोगों और संस्थाओं, जिसमें दलाई लामा भी शामिल हैं, के बारे में गलत जानकारी फैलाना बंद करने का आह्वान करता है। इसके अतिरिक्त, यह चीन से तिब्बत के शासन के बारे में दलाई लामा और अन्य तिब्बती नेताओं के साथ चर्चा शुरू करने का आग्रह करता है। अमेरिकी राजनेता तिब्बत की भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने के दलाई लामा के प्रयासों का समर्थन करने के लिए अक्सर धर्मशाला का दौरा करते रहे हैं, जो पहाड़ों में बसा उनका गृहनगर है। तिब्बत में चीनी नियंत्रण के खिलाफ़ एक असफल विद्रोह के बाद दलाई लामा 1959 में भारत भाग गए। *चीन की प्रतिक्रिया* बीजिंग, जो नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा को एक खतरनाक "विभाजनकारी" या अलगाववादी मानता है, ने मंगलवार को इस यात्रा और बिडेन द्वारा हस्ताक्षरित होने वाले विधेयक के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, "हम ... अमेरिका से आग्रह करते हैं कि वह दलाई गुट की चीन विरोधी और अलगाववादी प्रकृति को पूरी तरह पहचाने, तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करे, उसके साथ किसी भी तरह के संपर्क से दूर रहे और गलत संदेश भेजना बंद करे। हम अमेरिकी पक्ष से आग्रह करते हैं कि वह तिब्बत को चीन का हिस्सा मानने और तिब्बती स्वतंत्रता का समर्थन न करने की अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करे और उपर्युक्त विधेयक पर हस्ताक्षर न करे।" बीजिंग ने कहा कि वह अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाएगा।

प्रधानमंत्री ने राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय परिसर का उद्घाटन किया, सीएम नीतीश कुमार, विदेश मंत्री जयशंकर मौजूद रहे।*

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। नया परिसर नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन खंडहरों के पास है, जिसे नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के माध्यम से स्थापित किया गया था। यह अधिनियम 2007 में फिलीपींस में दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णय के बाद आया था। प्रधानमंत्री ने उद्धघाटन के बाद वृक्ष रोपण भी किया। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राजगीर, बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन पर टिप्पणी की। "यह खुशी की बात है कि आज नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया जा रहा है। यहां उनकी उपस्थिति इस बात को रेखांकित करती है कि वे नालंदा की शैक्षिक और सांस्कृतिक विरासत को कितना महत्व देते हैं। हम बहुत भाग्यशाली हैं कि यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम बिहार में हो रहा है।" *नालंदा विश्वविद्यालय का प्राचीन इतिहास* नालंदा विश्वविद्यालय, मूल रूप से पाँचवीं शताब्दी में स्थापित, दुनिया भर के छात्रों को आकर्षित करने वाला एक प्रसिद्ध संस्थान था। यह 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा, जब तक कि 12वीं शताब्दी में इसे नष्ट नहीं कर दिया गया। आधुनिक नालंदा विश्वविद्यालय में कौन से कार्यक्रम पेश किए जाते हैं? आधुनिक विश्वविद्यालय ने 2014 में 14 छात्रों के साथ एक अस्थायी स्थान से संचालन शुरू किया। नए परिसर का निर्माण 2017 में शुरू हुआ। विश्वविद्यालय अब छह स्कूलों की मेजबानी करता है: बौद्ध अध्ययन, दर्शन और तुलनात्मक धर्म स्कूल; ऐतिहासिक अध्ययन स्कूल; पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन स्कूल; और सतत विकास और प्रबंधन स्कूल। नालंदा विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों का केंद्र है। नालंदा विश्वविद्यालय को ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, चीन, इंडोनेशिया और थाईलैंड सहित 17 अन्य देशों से समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों को 137 छात्रवृत्तियाँ प्रदान करता है। 2022-24 और 2023-25 के लिए स्नातकोत्तर कार्यक्रमों और 2023-27 के लिए पीएचडी कार्यक्रम में नामांकित अंतरराष्ट्रीय छात्रों में अर्जेंटीना, बांग्लादेश, कंबोडिया, घाना, केन्या, नेपाल, नाइजीरिया, श्रीलंका, यूएसए और जिम्बाब्वे के छात्र शामिल हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए जाने से पहले उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा, "आज बिहार और पूरे देश के लिए ऐतिहासिक दिन है। सौभाग्य से हम लोगों को यह अवसर मिला है। नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा किया जा रहा है। यह वह धरती है जिसने पूरे देश को ज्ञान का प्रसार किया... यह उद्घाटन बिहार को गौरवान्वित कर रहा है। पूरा देश गौरवान्वित है..." इससे पूर्व प्रधानमंत्री ने काशी में संध्या गंगा आरती कर काशी की जनता को धन्यवाद दिया।
उबल रहे देश के अधिकांश राज्य, तापमान 44-47 डिग्री सेल्सियस के बीच बरकरार*
#delhi_up_bihar_heat_wave
देश के ज्यादातर राज्यों में भीषण गर्मी पड़ रही है। दिल्ली-एनसीआर में प्रचंड गर्मी को लेकर रेड अलर्ट जारी है। लू के थपेड़ों से अभी दिन तो दिन रात को भी राहत नहीं मिल रही है। बीते 15-20 दिनों से उत्तर प्रदेश, पंजाब व हरियाणा समेत ज्यादातर राज्यों में दिन का तापमान 44-47 डिग्री सेल्सियस के बीच बरकरार है। दिल्ली में हालत यह है कि मंगलवार सुबह 8:30 बजे ही पारा 34.8 डिग्री पहुंच गया। यहां अधिकतम तापमान 44 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि यूपी व हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में भीषण लू की स्थिति बनी रहेगी। राजस्थान, एमपी, बिहार, झारखंड, उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश, विदर्भ व बंगाल के कुछ हिस्सों में भी ऐसे ही हालात रहेंगे। पंजाब, हरियाणा, बिहार व झारखंड में गर्मी का रेड अलर्ट जारी है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में कम से कम 10 जगहों पर मंगलवार को तापमान 45 डिग्री या उससे अधिक दर्ज किया गया। देशभर में उत्तर प्रदेश के उरई में सबसे अधिक 46.4 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। आईएमडी की वैज्ञानिक सोमा सेन ने बताया कि उत्तर भारत में भीषण गर्मी का रेड अलर्ट जारी किया गया है। हालांकि, 19 से 21 जून के दौरान पश्चिमी विक्षोभ के असर से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर पश्चिमी यूपी में मौसम थोड़ा करवट लेगा। मौसम विभाग ने 10 राज्यों में अगले दो से तीन दिन में मानसून दस्तक दे सकता है। बारिश की वजह से तापमान में गिरावट देखने को मिल सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक, अगले 2-3 दिनों के दौरान महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, बिहार और झारखंड में दक्षिण-पश्चिम मानसून दस्तक दे सकता है। अभी बिहार और झारखंड भीषण गर्मी की चपेट में हैं। बिहार की राजधानी पटना का अधिकतम तापमान आज 42 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस पहुंच सकता है। अगले 3 दिनों के दौरान अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में गरज के साथ बारिश की संभावना है। इस दौरान सतह पर 30-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी। मौसम विभाग के मुताबिक, 19 जून को सिक्किम में हल्की से मध्यम वर्षा की संभावना है। 19 से 20 जून के दौरान पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में गरज के साथ बारिश की संभावना है। इस दौरान 30 से 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी।
उबल रहे देश के अधिकांश राज्य, तापमान 44-47 डिग्री सेल्सियस के बीच बरकरार*
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देश के ज्यादातर राज्यों में भीषण गर्मी पड़ रही है। दिल्ली-एनसीआर में प्रचंड गर्मी को लेकर रेड अलर्ट जारी है। लू के थपेड़ों से अभी दिन तो दिन रात को भी राहत नहीं मिल रही है। बीते 15-20 दिनों से उत्तर प्रदेश, पंजाब व हरियाणा समेत ज्यादातर राज्यों में दिन का तापमान 44-47 डिग्री सेल्सियस के बीच बरकरार है। दिल्ली में हालत यह है कि मंगलवार सुबह 8:30 बजे ही पारा 34.8 डिग्री पहुंच गया। यहां अधिकतम तापमान 44 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि यूपी व हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में भीषण लू की स्थिति बनी रहेगी। राजस्थान, एमपी, बिहार, झारखंड, उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश, विदर्भ व बंगाल के कुछ हिस्सों में भी ऐसे ही हालात रहेंगे। पंजाब, हरियाणा, बिहार व झारखंड में गर्मी का रेड अलर्ट जारी है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में कम से कम 10 जगहों पर मंगलवार को तापमान 45 डिग्री या उससे अधिक दर्ज किया गया। देशभर में उत्तर प्रदेश के उरई में सबसे अधिक 46.4 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। आईएमडी की वैज्ञानिक सोमा सेन ने बताया कि उत्तर भारत में भीषण गर्मी का रेड अलर्ट जारी किया गया है। हालांकि, 19 से 21 जून के दौरान पश्चिमी विक्षोभ के असर से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर पश्चिमी यूपी में मौसम थोड़ा करवट लेगा। मौसम विभाग ने 10 राज्यों में अगले दो से तीन दिन में मानसून दस्तक दे सकता है। बारिश की वजह से तापमान में गिरावट देखने को मिल सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक, अगले 2-3 दिनों के दौरान महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, बिहार और झारखंड में दक्षिण-पश्चिम मानसून दस्तक दे सकता है। अभी बिहार और झारखंड भीषण गर्मी की चपेट में हैं। बिहार की राजधानी पटना का अधिकतम तापमान आज 42 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस पहुंच सकता है। अगले 3 दिनों के दौरान अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में गरज के साथ बारिश की संभावना है। इस दौरान सतह पर 30-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी। मौसम विभाग के मुताबिक, 19 जून को सिक्किम में हल्की से मध्यम वर्षा की संभावना है। 19 से 20 जून के दौरान पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में गरज के साथ बारिश की संभावना है। इस दौरान 30 से 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी।
बीएमसी मुख्यालय सहित मुंबई के 50 अस्पतालों को बम से उड़ाने की धमकी, नागपुर एयरपोर्ट को भी मिली धमकी*
#bomb_threat_to_more_than_50_hospitals_in_mumbai
मुंबई के 50 से ज्यादा अस्पतालों को धमकी भरा मेल मिला है। एक अज्ञात शख्स द्वारा मंगलवार को ई-मेल आईडी पर धमकी भरे मेल भेजे गए। धमकी भरा ई-मेल मिलने के बाद बीएमसी अधिकारियों और पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। पुलिस के मुताबिक ईमेल Beeble.com नाम की एक वेबसाइट से भेजे गए हैं। धमकी के बाद पुलिस ने बीएमसी मुख्यालय सहित अस्पतालों में सर्च अभियान चलाया, लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। इससे पहले देश के 41 हवाई अड्डों को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी, ये फर्जी निकलीं। मुंबई पुलिस ने पुष्टि की कि धमकी भरे ईमेल वीपीएन नेटवर्क का उपयोग करके भेजे गए थे। पुलिस ने बताया ईमेल भेजने वाले ने दावा किया है कि अस्पतालों में बिस्तरों के नीचे और बाथरूम में बम लगाए गए हैं। मेल भेजने वाले की पहचान और धमकी का मकसद अभी तक पता नहीं चल पाया है। पुलिस ने कहा कि भेजने वाले की पहचान और धमकी का मकसद अभी तक पता नहीं चल पाया है। मुंबई पुलिस की इस मामले में आगे की जांच जारी है। इससे पहले नागपुर एयरपोर्ट को भी बम से उड़ाने की धमकी दी गई। इसका ई-मेल नागपुर एयरपोर्ट के अधिकारियों को मिला। इसके बाद तुरंत गहन सुरक्षा जांच की गई, लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। अधिकारियों ने बताया कि धमकी भरे मेल के मद्देनजर एयरपोर्ट की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इस मामले में एक पुलिस अधिकारी ने बताया अगले 24 घंटों के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। उन्होंने ने ये भी बताया कि इस साल अप्रैल में भी नागपुर एयरपोर्ट के अधिकारियों को इसी तरह का बम की धमकी वाला ई-मेल मिला था।
A group of people from the Jain community in Delhi's Chandni Chowk saved more than 100 goats on Bakrid.

They paid Rs 11 lakh from their own pocket ⚡

All goats will be taken to a farm where they will live the rest of their lives in peace.

The emotional video is viral & getting lot of love from social media users.
यूरोपीय यूनियन चुनाव में राष्ट्रवादी दलों का दबदबा, जिन मुद्दों ने दिलाई जीत, क्या उनसे लोगों को मिलेगा निजात?

#european_union_right_wing

अगर आप यूरोप पर एक नज़र घुमा कर देखें, चाहे वो उत्तर, दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम- आप अलग-अलग किस्म की धुर-दक्षिणपंथी पार्टियां देख सकते हैं। जिनका हाल के सालों में अच्छा ख़ासा उभार हुआ है। हालांकि, सच्चाई यह है कि 1980 के दशक से ही वे कुछ रुकावटों के साथ कमोबेश लगातार बढ़ रहे हैं। वे वास्तव में अब परिदृश्य का हिस्सा बन चुके हैं। हाल के यूरोपीय संसद चुनावों में, दक्षिणपंथी एवं धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों को बढ़त मिली, जबकि वामपंथी तथा उदारवादी पार्टियों को नुकसान का सामना करना पड़ा।

लगभग 25 साल पहले ऑस्ट्रिया में ही जब दक्षिणपंथी दल जीतकर आया, तो पूरा यूरोप नाराज हो उठा था। डिप्लोमेटिक रिश्ते तक तोड़ने की धमकियां दी गई थीं। अब ऑस्ट्रिया समेत फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े देशों में भी राइट विंग की तरफ रुझान बढ़ा है। इस बार यूरोपियन संसद के लिए 27 देशों में हुए चुनाव में दक्षिणपंथी मानी जाती पार्टियों को पहली बार भारी वोट मिले हैं। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ईयू चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यूरोप में पिछले कुछ समय से जैसे-जैसे शरणार्थियों द्वारा वहां के नागरिकों के प्रति अपराध और हिंसा बढ़ी है, वैसे-वैसे राष्ट्रवादी दलों का उभार भी हुआ है। यूरोप की बिगड़ी आर्थिक स्थिति और बढ़ते हुए आप्रवासन के कारण इन पार्टियों के सितारे बुलंद हुए हैं। पेरिस में एक राजनीतिक समीक्षक क्रिस्टोफ गिले कहते हैं, “इन दलों की सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि कुछ साल पहले अमरीका की आर्थिक स्थिति यूरोप से कहीं ज़्यादा बदतर थी। लेकिन अब जहां अमरीका की हालत काफ़ी सुधर गई है, वहीं यूरोप बहुत मुश्किल दौर में हैं और फ्रांस की बेरोज़गारी अब रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गई है।”

ऐसा कई वर्षों से कहा जा रहा था कि यूरोप में कथित उदार राजनीति के दिन लद गए हैं, क्योंकि मानवता के नाम पर बुलाए गए शरणार्थियों ने देश की पहचान के साथ खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया था। अस्सी के दशक के दौरान ईरान के धार्मिक नेताओं ने इस्लामिक जागरण की बात शुरू कर दी। वे अपील करते कि यूरोप जाकर खुद को यूरोपियन रंग-रूप में ढालने की बजाए मुसलमान खुद को मुस्लिम बनाए रखें। यहीं से सब बदलने लगा। मुस्लिम अपनी मजहबी पहचान को लेकर कट्टर होने लगे। पहले जो लोग फ्रांस या जर्मनी में आम लोगों के बीच घुलमिल रहे थे, वे एकदम से अलग होने लगे। इसके साथ ही उनकी बढ़ती आबादी भी यूरोप को अचानक दिखी।

प्यू रिसर्च सेंटर की मानें तो यूरोप में जितने भी शरणार्थी हैं, उनमें 86% मुसलमान हैं। यूरोप की कुल आबादी का 5% हिस्सा उनसे है। सबसे ज्यादा 9% लोग फ्रांस में जिसके बाद जर्मनी और स्वीडन का नंबर आता है। यूरोपियन यूनियन के तहत आने वाले साइप्रस में कुल आबादी का करीब 26 फीसदी मुस्लिम ही हैं। प्यू का ही डेटा कहता है कि साल 2050 से पहले ही यूरोप की पॉपुलेशन में 14% लोग शरणार्थी मुस्लिम होंगे। अगर ऐसा हुआ तो स्थानीय लोगों को अपने रिसोर्स बांटने होंगे। घर से लेकर नौकरियां बटेंगी।

यूरोप में फिलहाल सबसे ज्यादा गुस्सा शरणार्थियों को लेकर ही है। लोगों का मानना है कि सरकार अपनी इमेज के लिए मुस्लिम देशों के रिफ्यूजियों को आने दे रही है। इससे उनपर टैक्स का भी बोझ बढ़ा, साथ ही हिंसा की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। फ्रांस में बीते साल हिंसा और जबर्दस्त आगजनी हुई, जिसके पीछे शरणार्थियों का हाथ माना गया। जर्मनी और स्कैंडिनेविया में भी कुछ पार्टियां ऐसे आरोप लगा रही हैं।

इतने बड़े आप्रवासन से यूरोप का सामाजिक संतुलन बिगड़ गया है और इस बात को धुर दक्षिणपंथी पार्टियों ने एक राजनीतिक मुद्दा बनाया है और यूरोपीय नागरिकों में एक तरह से डर पैदा किया है। लंबे समय से आप्रवासन, इस्लाम और यूरोपीय संघ का विरोध ही यूरोप की दक्षिणपंथी पार्टियों को एकजुट करता रहा है। अब नए कारण भी सामने आए हैं: सांस्कृतिक युद्ध, अल्पसंख्यक अधिकार, जलवायु संकट और अनुचित बलिदान, जिनके बारे में सरकारें जोर देती हैं कि इससे निपटने के लिए इनकी आवश्यकता होगी।

यूरोपीय यूनियन चुनाव में राष्ट्रवादी दलों का दबदबा, जिन मुद्दों ने दिलाई जीत, क्या उनसे लोगों को मिलेगा निजात?

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अगर आप यूरोप पर एक नज़र घुमा कर देखें, चाहे वो उत्तर, दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम- आप अलग-अलग किस्म की धुर-दक्षिणपंथी पार्टियां देख सकते हैं। जिनका हाल के सालों में अच्छा ख़ासा उभार हुआ है। हालांकि, सच्चाई यह है कि 1980 के दशक से ही वे कुछ रुकावटों के साथ कमोबेश लगातार बढ़ रहे हैं। वे वास्तव में अब परिदृश्य का हिस्सा बन चुके हैं। हाल के यूरोपीय संसद चुनावों में, दक्षिणपंथी एवं धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों को बढ़त मिली, जबकि वामपंथी तथा उदारवादी पार्टियों को नुकसान का सामना करना पड़ा।

लगभग 25 साल पहले ऑस्ट्रिया में ही जब दक्षिणपंथी दल जीतकर आया, तो पूरा यूरोप नाराज हो उठा था। डिप्लोमेटिक रिश्ते तक तोड़ने की धमकियां दी गई थीं। अब ऑस्ट्रिया समेत फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े देशों में भी राइट विंग की तरफ रुझान बढ़ा है। इस बार यूरोपियन संसद के लिए 27 देशों में हुए चुनाव में दक्षिणपंथी मानी जाती पार्टियों को पहली बार भारी वोट मिले हैं। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ईयू चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यूरोप में पिछले कुछ समय से जैसे-जैसे शरणार्थियों द्वारा वहां के नागरिकों के प्रति अपराध और हिंसा बढ़ी है, वैसे-वैसे राष्ट्रवादी दलों का उभार भी हुआ है। यूरोप की बिगड़ी आर्थिक स्थिति और बढ़ते हुए आप्रवासन के कारण इन पार्टियों के सितारे बुलंद हुए हैं। पेरिस में एक राजनीतिक समीक्षक क्रिस्टोफ गिले कहते हैं, “इन दलों की सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि कुछ साल पहले अमरीका की आर्थिक स्थिति यूरोप से कहीं ज़्यादा बदतर थी। लेकिन अब जहां अमरीका की हालत काफ़ी सुधर गई है, वहीं यूरोप बहुत मुश्किल दौर में हैं और फ्रांस की बेरोज़गारी अब रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गई है।”

ऐसा कई वर्षों से कहा जा रहा था कि यूरोप में कथित उदार राजनीति के दिन लद गए हैं, क्योंकि मानवता के नाम पर बुलाए गए शरणार्थियों ने देश की पहचान के साथ खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया था। अस्सी के दशक के दौरान ईरान के धार्मिक नेताओं ने इस्लामिक जागरण की बात शुरू कर दी। वे अपील करते कि यूरोप जाकर खुद को यूरोपियन रंग-रूप में ढालने की बजाए मुसलमान खुद को मुस्लिम बनाए रखें। यहीं से सब बदलने लगा। मुस्लिम अपनी मजहबी पहचान को लेकर कट्टर होने लगे। पहले जो लोग फ्रांस या जर्मनी में आम लोगों के बीच घुलमिल रहे थे, वे एकदम से अलग होने लगे। इसके साथ ही उनकी बढ़ती आबादी भी यूरोप को अचानक दिखी।

प्यू रिसर्च सेंटर की मानें तो यूरोप में जितने भी शरणार्थी हैं, उनमें 86% मुसलमान हैं। यूरोप की कुल आबादी का 5% हिस्सा उनसे है। सबसे ज्यादा 9% लोग फ्रांस में जिसके बाद जर्मनी और स्वीडन का नंबर आता है। यूरोपियन यूनियन के तहत आने वाले साइप्रस में कुल आबादी का करीब 26 फीसदी मुस्लिम ही हैं। प्यू का ही डेटा कहता है कि साल 2050 से पहले ही यूरोप की पॉपुलेशन में 14% लोग शरणार्थी मुस्लिम होंगे। अगर ऐसा हुआ तो स्थानीय लोगों को अपने रिसोर्स बांटने होंगे। घर से लेकर नौकरियां बटेंगी।

यूरोप में फिलहाल सबसे ज्यादा गुस्सा शरणार्थियों को लेकर ही है। लोगों का मानना है कि सरकार अपनी इमेज के लिए मुस्लिम देशों के रिफ्यूजियों को आने दे रही है। इससे उनपर टैक्स का भी बोझ बढ़ा, साथ ही हिंसा की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। फ्रांस में बीते साल हिंसा और जबर्दस्त आगजनी हुई, जिसके पीछे शरणार्थियों का हाथ माना गया। जर्मनी और स्कैंडिनेविया में भी कुछ पार्टियां ऐसे आरोप लगा रही हैं।

इतने बड़े आप्रवासन से यूरोप का सामाजिक संतुलन बिगड़ गया है और इस बात को धुर दक्षिणपंथी पार्टियों ने एक राजनीतिक मुद्दा बनाया है और यूरोपीय नागरिकों में एक तरह से डर पैदा किया है। लंबे समय से आप्रवासन, इस्लाम और यूरोपीय संघ का विरोध ही यूरोप की दक्षिणपंथी पार्टियों को एकजुट करता रहा है। अब नए कारण भी सामने आए हैं: सांस्कृतिक युद्ध, अल्पसंख्यक अधिकार, जलवायु संकट और अनुचित बलिदान, जिनके बारे में सरकारें जोर देती हैं कि इससे निपटने के लिए इनकी आवश्यकता होगी।

सोनाक्षी सिन्हा ने की गर्ल गैंग के साथ धमाकेदार अंदाज में बैचलर पार्टी, जहीर ने भी बॉयज गैंग संग उड़ाया गर्दा

बाॅलीवुड एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा लंबे समय से जहीर इकबाल को डेट कर रही हैं। वहीं अब दोनों एक दूसरे के होने जा रहे हैं। हां, वो बात अलग है कि अब तक इन खबरों पर न तो सोनाक्षी ने कुछ खुलकर कहा है और नहीं सिन्हा परिवार ने। हालांकि शादी का कार्ड वायरल होने के बाद सब साफ हो गया। यही नहीं, पूनम ढिल्लों और हनी सिंह ने भी कार्ड मिलने के बाद खुलकर दोनों को बधाई दी, जिससे ये कन्फर्म हो गया कि दोनों शादी कर रहे हैं। वहीं शादी से पहले बीती रात कपल ने अपनी बैचलर पार्टी का जश्न मनाया। जहां एक तरफ सोनाक्षी अपनी गर्ल गैंग के साथ मस्ती करती नजर आईं तो वहीं दूसरी तरफ जहीर ने भी बॉयज गैंग के साथ खूब धूम मचाया। देखिए उनकी बैचलर पार्टी की झलक।

सोनाक्षी ने दिखाई बैचलर पार्टी की झलक

सोनाक्षी ने इंस्टा स्टोरी पर अपनी क्लोज फ्रेंड और एक्ट्रेस हुमा कुरेशी के साथ पार्टी बैचलर पार्टी की कुछ झलकियां शेयर की हैं, जिसमें वह अपनी गर्ल स्क्वॉड के साथ मस्ती करती हुई नजर आ रही हैं। इस दौरान होने वाली ब्राइड ब्लैक आउटफिट में बेहद खूबसूरत लग रही हैं। अपनी एक सोलो तस्वीर को शेयर करते हुए सोनाक्षी ने कैप्शन में लिखा- '17.06.2024., वहीं एक अन्य तस्वीर में वह अपनी गर्ल गैंग के साथ पोज दे रही हैं। हालांकि ये तस्वीरें सोनाक्षी की बैचलर पार्टी की हैं या किसी और पार्टी कि फिलहाल ये कहना मुश्किल है। लेकिन इन तस्वीरों को देखकर फैंस यही कयास लगा रहे हैं कि ये तस्वीरें उनके बैचलर पार्टी की है। 

बॉयज गैंग संग जहीर 

वहीं सोनाक्षी के अलावा उनके होने वाले दूल्हे मियां जहीर इकबाल ने भी बीती रात अपने दोस्तों संग जमकर पार्टी की है। उन्होंने भी अपने इंस्टा पर बॉयज गैंग संग तस्वीरें शेयर कर पार्टी की झलक फैंस को दिखाई है। इस दौरान जहीर अपने दोस्तों संग जमकर मस्ती भरे अंदाज में नजर आ रहे हैं। वहीं उनके तेहरे की खुशी भी काफी कुछ बया कर रही है। 

बता दें कि जहीर इकबाल एक बिजनेसमैन फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता इकबाल रतांसी एक जाने-माने ज्वेलर और बिजनेसमैन हैं। जहीर के फिल्मी करियर की बात करे तो उन्होंने साल 2019 में फिल्म 'नोटबुक' से डेब्यू किया था। पहली बार सोनाक्षी ने जहीर के साथ फिल्म 'डबल एक्सल' में काम किया था। हालांकि दोनों की पहली मुलाकात सलमान खान की एक पार्टी में हुई थी। जिसके बाद पहले दोनों के बीच दोस्ती हुई और फिर इन्हें एक दूसरे से प्यार हो गया। हालांकि इस कपल ने हमेशा अपने रिश्ते को काफी प्राइवेट रखा है लेकिन इनकी पब्लिक अपीयरेंस और सोशल मीडिया पोस्ट इनकी लव स्टोरी बयां करती रही हैं। वहीं लंबे समय तक डेटिंग करने के बाद फाइनली ये कपल अब शादी के बंधन में बंधने के लिए तैयार है।

जहीर इकबाल और बहन सोनाक्षी सिन्हा ने की बैचलर पार्टी, उधर वायरल हुआ भाई लव सिन्हा का क्रिप्टिक पोस्ट

हाल ही में जहीर की बेचलर पार्टी से भी तस्वीरें सामने आई थीं। सोनाक्षी ने भी अपनी गर्ल गैंग के साथ जबरदस्त पार्टी की, जिसकी फोटोज एक्ट्रेस ने अपनी इंस्टाग्राम पर भी शेयर कीं।

अभिनेता-राजनेता शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी और बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा इन दिनों अपनी शादी को लेकर खबरों में बनी हुई हैं। सोनाक्षी जल्दी ही अपने लॉन्ग टाइम बॉयफ्रेंड जहीर इकबाल के साथ शादी के बंधन में बंधने वाली हैं। चर्चा है कि अभिनेत्री 23 जून को जहीर इकबाल से शादी करेंगी, वह भी पूरे सात साल की डेटिंग के बाद। जी हां, सोनाक्षी और जहीर एक-दूसरे को सात सालों से डेट कर रहे हैं और अब दोनों शादी के बंधन में बंधने के लिए तैयार हैं। हाल ही में जहीर की बेचलर पार्टी से भी तस्वीरें सामने आई थीं। यही नहीं सोनाक्षी ने भी अपनी गर्ल गैंग के साथ जबरदस्त पार्टी की, जिसकी फोटोज एक्ट्रेस ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर भी शेयर कीं। इन तस्वीरों में सोनाक्षी के साथ उनकी फ्रेंड और अभिनेत्री हुमा कुरैशी भी दिखाई दे रही हैं।

सोनाक्षी सिन्हा को इंस्टाग्राम पर फॉलो नहीं करते भाई लव सिन्हा

सोनाक्षी के भाई लव सिन्हा ने अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम हैंडल पर बाकू की अपनी वेकेशन की एक पुरानी तस्वीर साझा की है। जिसके साथ कुछ ऐसा लिखा है, जिसे लेकर लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि लव इस शादी को लेकर शायद खुश नहीं हैं। हैरान करे वाली बात तो ये है कि इस आर्टिकल को लिखे जाने तक लव सोनाक्षी को इंस्टाग्राम पर अपनी बहन फॉलो भी नहीं कर रहे थे।

लव सिन्हा ने इंस्टाग्राम पर अपनी बाकू वेकेशन की तस्वीर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा- 'समय के साथ समस्या यह है कि हमारे पास यह कभी भी पर्याप्त नहीं होता।' इसके साथ लव ने मेमोरीज, थ्रोबैक और बाकू जैसे हैशटैग इस्तेमाल किए हैं। इस बीच सोनाक्षी की बेचलर पार्टी की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। सोनाक्षी सिन्हा ने खुद अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर कुछ तस्वीरें शेयर की हैं, जिनमें वह अपनी गर्ल गैंग के साथ दिखाई दे रही हैं। तस्वीरों में सोनाक्षी और उनका गर्ल स्क्वाड ब्लैक लुक में दिखाई दे रहा है।

बता दें, पिछले दिनों सोनाक्षी का एक ऑडियो इनवाइट भी चर्चा में था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था। इस ऑडियो इनवाइट में सोनाक्षी और जहीर को अपनी शादी के लिए गेस्ट को इनवाइट करते हुए सुना जा सकता है। दूसरी तरफ पिछले दिनों ही शत्रुघ्न सिन्हा ने बेटी की शादी पर रिएक्शन दिया था और कहा था कि 'मेरे आस-पास के लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि मुझे इसकी जानकारी क्यों नहीं है, जबकि मीडिया को है। मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि आज-कल के बच्चे मां-बाप का कंसेंट नहीं लेते, सिर्फ उन्हें जानकारी देते हैं और हम भी बताए जाने का इंतजार कर रहे हैं।' शत्रुघ्न सिन्हा के इस बयान की हर तरफ खूब चर्चा थी।