सिक्किम में आसमान से बरस रही “आफत”, बारिश और लैंडस्लाइड से बुरा हाल, 2000 टूरिस्ट्स फंसे*
#heavy_rain_in_sikkim_2000_tourist_stuck
एक तरफ दिल्ली-एनसीआर समेत उत्‍तर और पूर्वी भारत के कई राज्यों में लोग गर्मी से बेहाल हो रहे हैं। पारा है की कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में लोग बादल के बरसने की दा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, सिक्किम में लगातार बारिश और लैंडस्लाइड हो रही है जिससे हालात राज्य के हालात बिगड़े हुए हैं। उत्तरी सिक्किम में तबाही मची है यहां पर अब भी 2000 पर्यटक फंसे हुए हैं। बता दें कि दक्षिण भारत और पूर्वोत्‍तर में एक साथ दक्षिण-पश्चिम मानसून एक्टिव हुआ था। सालों के बाद ऐसा हुआ है, जब देश के दो अलग-अलग हिस्‍सों में मानसून साथ में सक्रिय हुआ है। मानसून के एक्टिव होने के बाद से पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों में लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने फिलहाल वेदर में किसी तरह का बदलाव न आने का पूर्वानुमान जारी किया है। लगातार तेज बारिश की वजह से सिक्किम में कई जगहों पर सड़कें पानी के तेज बहाव या फिर लैंडस्‍लाइड में तबाह हो चुकी हैं।मूसलाधार बारिश की वजह से मंगन से लाचुंग तर कई जगहों पर लैंडस्लाइड हुआ है जिससे सड़क परिवाहन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।फिलहाल सिक्किम प्रशासन की तरफ से पर्यटकों को निकालने की कोशिश चल रही है। यही नहीं पर्यटकों को निकालने के लिए हेलिकॉप्टर भी तैयार है परंतु खराब मौसम के वजह से एयरलिफ्ट करना संभव नहीं हो पा रहा।बीते दिन करीब 50 पर्यटकों को किसी तरह से अस्थायी मार्गों से रेस्क्यू किया गया और गंगटोक ले जाया गया था। मूसलाधार बारिश का ये सिला है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 10 फिर से ध्वस्त हो गया तो जिससे सिक्किम का पश्चिम बंगाल से संपर्क टूट गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर वलुखोला और लिखुवीर इलाकों में बड़ी चट्टानें गिर गईं हैं, जिससे सड़क यातायात के लिए पूरी तरह से ठप हो गया है। लेकिन जिला प्रशासन तेजी से सड़क को सामान्य करने में जुट गया है।ऐसे हालात बने हुए हैं कि उत्तरी सिक्किम में प्रभावित इलाकों में राहत सामाग्री भी ठीक से नहीं पहुंच पा रही। मौसम इस हद तक खराब है कि हवाई सेवाएं भी ठप पड़ गई हैं। ऐसे में फंसे हुए पर्यटकों को निकालाने के लिए एयर फोर्स की मदद मांगी गई है। हालांकि, खराब मौसम को देखते हुए एयर फोर्स भी रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन चलाने में असमर्थ है। वायुसेना को भी मौसम में सुधार आने का इंतजार है।
राष्ट्रपति बिडेन करेंगे 'रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट' पर हस्ताक्षर: धर्मशाला में अमेरिकी प्रतिनिधि मैककॉल

मंगलवार को अमेरिकी सदन की विदेश मामलों की समिति के रिपब्लिकन अध्यक्ष माइकल मैककॉल धर्मशाला की महत्वपूर्ण यात्रा की शुरुआत की, वे अमेरिका से एक द्विदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्होंने राष्ट्रपति बिडेन के रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट पर हस्ताक्षर करने के इरादे की पुष्टि की, जिसे पिछले सप्ताह कांग्रेस द्वारा पारित किया गया था।

पूर्व सदन अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी सहित अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल आज धर्मशाला में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से मिलने के लिए कांगड़ा हवाई अड्डे पर पहुंचा। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अधिकारियों ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट बीजिंग से चीन के साथ अपने शासन विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए तिब्बती नेताओं के साथ फिर से जुड़ने का आग्रह करता है।

मैककॉल ने बुधवार को दलाई लामा के साथ बैठक के बारे में उत्साह व्यक्त किया, और कांग्रेस द्वारा पारित विधेयक के महत्व पर जोर दिया। मैककॉल ने कहा, "हम कल परम पावन को कई चीजों के बारे में बात करते हुए देखने के लिए बहुत उत्साहित हैं, जिसमें कांग्रेस से पारित विधेयक भी शामिल है, जो मूल रूप से कहता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका तिब्बत के लोगों के साथ खड़ा है।" यह पूछे जाने पर कि क्या राष्ट्रपति बिडेन विधेयक पर हस्ताक्षर करेंगे, मैककॉल ने पुष्टि की, "हां, वे करेंगे।

पेलोसी ने कहा, "यहां आना बहुत रोमांचक है," उन्होंने प्रतिनिधिमंडल के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए कहा कि वे तिब्बत अधिनियम का समर्थन करेंगे और दलाई लामा से मिलेंगे। अमेरिकी प्रतिनिधि मैरिएनेट मिलर-मीक्स ने प्रतिनिधिमंडल की भावना को दोहराया, संकल्प को मजबूत करने और दलाई लामा से मिलने के उनके उद्देश्य पर जोर दिया। मीक्स ने कहा, "मैं परम पावन से मिलने के लिए बहुत उत्साहित हूं, यह दिखाने के लिए कि अमेरिका उनके साथ है।"

इस बीच, कांग्रेसी ग्रेगरी मीक्स ने भी परम पावन से मिलने की अपनी प्रत्याशा व्यक्त की, और उनके साथ अमेरिका की एकजुटता पर जोर दिया। रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस सप्ताह की शुरुआत में, अमेरिकी कांग्रेस ने एक विधेयक पारित किया, जिसमें बीजिंग से तिब्बत की स्थिति और शासन पर अपने विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए दलाई लामा और अन्य तिब्बती नेताओं के साथ फिर से जुड़ने का आग्रह किया गया।

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने तिब्बत-चीन विवाद अधिनियम के समाधान को बढ़ावा देने वाले विधेयक को पारित कर दिया है, जिसे रिज़ॉल्व तिब्बत अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है, और अब यह कानून बनने के लिए राष्ट्रपति बिडेन के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। यह विधेयक बीजिंग के इस रुख को खारिज करता है कि तिब्बत प्राचीन काल से चीन का हिस्सा रहा है और चीन से “तिब्बत के इतिहास, तिब्बती लोगों और दलाई लामा सहित तिब्बती संस्थानों के बारे में गलत सूचना का प्रचार बंद करने” का आग्रह करता है।

इसने चीन से दलाई लामा और अन्य तिब्बती नेताओं के साथ तिब्बत पर शासन करने के तरीके के बारे में बातचीत शुरू करने का भी आग्रह किया। 2010 के बाद से दोनों पक्षों के बीच कोई औपचारिक वार्ता नहीं हुई है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में प्रतिनिधि मैककॉल, प्रतिनिधि पेलोसी, स्पीकर एमेरिटा, प्रतिनिधि मैरिएनेट मिलर-मीक्स, प्रतिनिधि ग्रेगरी मीक्स, सदन की विदेश मामलों की समिति के रैंकिंग सदस्य, प्रतिनिधि निकोल मैलियोटाकिस, प्रतिनिधि जिम मैकगवर्न और प्रतिनिधि अमी बेरा शामिल हैं।

दलाई लामा के कार्यालय ने 3 जून को एक बयान में कहा कि उनका चिकित्सा उपचार के लिए अमेरिका जाने का भी कार्यक्रम है। बयान के अनुसार, 20 जून के बाद से अगली सूचना तक कोई कार्यक्रम निर्धारित नहीं किया जाएगा।

बांदीपुरा मुठभेड़: कश्मीर में मारा गया आतंकवादी 2018 से था सक्रिय

जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा जिले में सोमवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादी की पहचान लश्कर-ए-तैयबा के ए श्रेणी के आतंकवादी उमर लोन के रूप में हुई है, जो 2018 से सक्रिय था। सेना की 3 सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) के मानसबल स्थित मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कमांडेंट ब्रिगेडियर विपुल त्यागी ने मंगलवार को कहा कि उत्तरी कश्मीर जिले के अरागाम इलाके में आतंकवादियों की गतिविधि की खुफिया जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बल इलाके की निगरानी कर रहे थे।

उन्होंने कहा, "विशिष्ट खुफिया सूचनाओं के आधार पर 16 जून की रात को सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा एक संयुक्त अभियान शुरू किया गया था। बलों की एक टीम ने संदिग्ध गतिविधि देखी और आतंकवादियों की मौजूदगी की पुष्टि के बाद घात लगाकर किए गए हमले में प्रभावी गोलीबारी हुई और इसके बाद हुई गोलीबारी में एक कट्टर आतंकवादी को मार गिराया गया।"

ब्रिगेडियर त्यागी ने बताया कि मारा गया आतंकवादी बारामुल्ला जिले के वुसनखुई इलाके का रहने वाला था और लोन ए श्रेणी का आतंकवादी था, जो अप्रैल 2018 से सक्रिय था और लश्कर/द रेजिस्टेंस फ्रंट से जुड़ा था। टीआरएफ लश्कर का ही एक अंग है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को आतंकवादी गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के आधार पर ए, बी या सी श्रेणी में रखा जाता है। सेना अधिकारी ने बताया कि लोन भर्ती, अवैध हत्याएं और ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) नेटवर्क के विस्तार जैसी कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था। उन्होंने कहा, "उसका मारा जाना सुरक्षा बलों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। पिछले कुछ हफ्तों में भारतीय सेना ने अन्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के साथ मिलकर उच्च परिचालन गति बनाए रखी है, जिसने व्यवस्थित तरीके से आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर दिया है।"

गृह मंत्री ने हाल ही में एक बैठक की जिसमे उन्होंने जम्मू- कश्मीर की सुरक्षा से सम्बंधित काफी चर्चायें हुई है। सोशल मीडिया पर लोगों ने काफी पोस्ट किये है जिसमें उन्होंने सरकार से इस मामले में सक्रिय होने की मांग की है और कठोर और ज़रूरी निर्णय लेने का अनुरोध किया है।

ममता बनर्जी ने बीजेपी सांसद अनंत महाराज से की मुलाकात, क्या बंगाल की राजनीति में होने वला है कोई बदलाव?*
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पश्चिम बंगाल में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हुई है। राजवंशी समुदाय के कद्दावर नेता व बीजेपी के राज्यसभा सदस्य अनंत राय महाराज और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुलाकात सुर्खियां बटोर रहीं हैं।पश्चिम बंगा की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार दोपहर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अनंत महाराज उर्फ नागेन रॉय से उनके कूचबिहार स्थित आवास पर मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच आधे घंटे से ज्यादा वक्त तक बातचीत हुई रॉय ने चकचका पैलेस पर पारंपरिक दुपट्टे और पान पत्ते के साथ स्वागत किया।अनंत रॉय महाराज से उनके आवास पर पहुंची ममता बनर्जी का गर्मजोशी से स्वागत देखकर राजनीति के जानकार अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं। हालांकि, प्रदेश भाजपा ने अब तक इस घटनाक्रम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे पार्टी की बैचेनी बढ़ने की संभावना है। बैठक को लेकर उत्साहित रॉय ने कहा कि देखते हैं कि भविष्य में क्या होता है। बता दें कि अनंत राय महाराज उत्तर बंगाल की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं जहां बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में तेजी से पैर जमाए हैं। अनंत उत्तर बंगाल के कूचबिहार को पृथक ग्रेटर कूच बिहार राज्य बनाने की मांग करने वाले संगठन ग्रेटर कूचबिहार पीपुल्स एसोसिएशन (जीसीपीए) के अध्यक्ष हैं। खुद को ग्रेटर कूचबिहार का महाराज बताने वाले अनंत को बीजेपी ने एक साल पहले ही पश्चिम बंगाल से राज्यसभा भेजा था। अनंत पश्चिम बंगाल से बीजेपी के टिकट पर राज्यसभा पहुंचने वाले पहले नेता भी हैं।
एनसीईआरटी ने 12वीं की किताबों से हटाया 'आजाद पाक', चीनी घुसपैठ शब्द जोड़ा, जानें और क्या हुए बदलाव

#ncert_class_12_book_remove_azad_pakistan_add_china_aggression

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की ओर से 12वीं कक्षा की नई राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में कई बदलाव किए हैं।एनसीईआरटी की कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताबों में कई चीजों को हटाया और जोड़ा गया है।इन किताबों में आजाद पाकिस्तान से लेकर चीन की घुसपैठ और पीओके जैसे शब्दों को लेकर बदलाव हुए हैं।

12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में चीन के साथ भारत की सीमा स्थिति का संदर्भ बदल दिया गया है। समकालीन विश्व राजनीति पुस्तक में अध्याय 2 के भाग के रूप में, भारत-चीन संबंध शीर्षक वाले पैराग्राफ के तहत, मौजूदा कथन को बदल दिया गया है।इससे पहले, पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 25 पर मौजूदा वाक्य पढ़ा गया था – “हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर सैन्य संघर्ष ने उस आशा को धूमिल कर दिया।” इस वाक्य को अब बदलकर “हालांकि, भारतीय सीमा पर चीनी आक्रामकता ने उस आशा को धूमिल कर दिया है” कर दिया गया है।

सिर्फ भारत-चीन संबंध ही नहीं, बल्कि पाठ्यपुस्तक ‘स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति – कक्षा 12’ में, “आजाद पाकिस्तान” शब्द को “पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर” में बदल दिया गया है।पाठ्यपुस्तक के मौजूदा संस्करण के पृष्ठ 119 पर लिखा है, “भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को ‘आजाद पाकिस्तान’ के रूप में वर्णित करता है।”अब, संस्करण को बदल दिया गया है – “हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है जिसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है।”

*एनसीईआरटी ने 12वीं कि किताबों से हटाया 'आजाद पाक', चीनी घुसपैठ शब्द जोड़ा, जानें और क्या हुए बदलाव*
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राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की ओर से 12वीं कक्षा की नई राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में कई बदलाव किए हैं।एनसीईआरटी की कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताबों में कई चीजों को हटाया और जोड़ा गया है।इन किताबों में आजाद पाकिस्तान से लेकर चीन की घुसपैठ और पीओके जैसे शब्दों को लेकर बदलाव हुए हैं। 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में चीन के साथ भारत की सीमा स्थिति का संदर्भ बदल दिया गया है। समकालीन विश्व राजनीति पुस्तक में अध्याय 2 के भाग के रूप में, भारत-चीन संबंध शीर्षक वाले पैराग्राफ के तहत, मौजूदा कथन को बदल दिया गया है।इससे पहले, पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 25 पर मौजूदा वाक्य पढ़ा गया था – “हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर सैन्य संघर्ष ने उस आशा को धूमिल कर दिया।” इस वाक्य को अब बदलकर “हालांकि, भारतीय सीमा पर चीनी आक्रामकता ने उस आशा को धूमिल कर दिया है” कर दिया गया है। सिर्फ भारत-चीन संबंध ही नहीं, बल्कि पाठ्यपुस्तक ‘स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति – कक्षा 12’ में, “आजाद पाकिस्तान” शब्द को “पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर” में बदल दिया गया है।पाठ्यपुस्तक के मौजूदा संस्करण के पृष्ठ 119 पर लिखा है, “भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को ‘आजाद पाकिस्तान’ के रूप में वर्णित करता है।”अब, संस्करण को बदल दिया गया है – “हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है जिसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है।”
अमेरिकी एनएसे जेके सुलविन ने एस जयशंकर से की मुलाकात, जानें किन मुद्दों पर हुई बात
भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आए संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने नई दिल्ली में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात की।जेक सुलिवन ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। एस जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट में कहा, 'द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई। उम्मीद है कि भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी आगे बढ़ेगी।' इसके बाद दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात हुई। इसमें क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नॉलजी (iCET) पर पहल के अलावा द्विपक्षीय संबंध और क्षेत्रीय सुरक्षा के हालात पर चर्चा हुई। iCET में सेमीकंडक्टर, AI, क्वांटम कम्प्यूटिंग, डिफेंस इनोवेशन, स्पेस रिसर्च जैसे उभरती तकनीकों पर साझेदारी बढ़ाने का प्लान है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन से मुलाकात की और द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों, खासकर सेमीकंडक्टर , एआई और दूरसंचार जैसी महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों ( आईसीईटी ) पर पहल के तहत चर्चा की। प्रधानमंत्री ने सभी क्षेत्रों में बढ़ती द्विपक्षीय साझेदारी की गति और पैमाने और आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों के अभिसरण पर संतोष व्यक्त किया।प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में यह जानकारी दी। इससे पहले, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने भी सोमवार को सुविलन से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण और द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की। दोनों देशों ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन के बीच वार्ता के दौरान लंबे समय से चली आ रही बाधाओं को दूर करने का वादा करते हुए सहयोग को करने वाले परिवर्तनकारी पहल की घोषणा की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन के बीच विस्तृत बातचीत के बाद यह घोषणा की गई। दोनों ने भारत के 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन खरीद की योजना, सेना के लिए लड़ाकू वाहनों के संयुक्त निर्माण और जीई एयरोस्पेस व हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच लड़ाकू विमानों के इंजन (जीई एफ414) के उत्पादन को लेकर चल रही बातचीत की भी समीक्षा की। सुलिवन 17-18 जून तक दिल्ली के दौरे पर हैं। मोदी सरकार के कार्यभार संभालने के बाद अमेरिकी प्रशासन के किसी वरिष्ठ अधिकारी की यह पहली यात्रा है। सुलिवन के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी है। इसमें सरकार के दूसरे बड़े अधिकारियों के अलावा इंडस्ट्री के भी लोग शामिल हैं।

भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आए संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने नई दिल्ली में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात की।जेक सुलिवन ने राष्ट्रीय सुरक्षा

ओडिशा के बालासोर में दो समूहों के बीच झड़प के बाद धारा 144 लागू, 30 गिरफ्तार

#clashes_between_two_communities_in_sunhat_baleshwar

ओडिशा के बालेश्वर में दो पक्षों के बीच हिंसक झड़प हो गई। यह घटना बालेश्वर के सुनहट इलाके में दोपहर में घटी, जब अचानक से दो समुदायों के बीच झड़प ने हिंसक रूप ले लिया। इसके बाद हिंसक झड़प पर काबू पाने के लिए प्रशासन ने इलाके में धारा 144 लागू कर दिया है। साथ ही इलाके में शांति बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया।

स्थानीय लोगों की माने तो अचानक लोगों ने इलाके के नाले में लाल रंग का पानी देखा था। इतनी तादाद में नाले में बहता लाल रंग का पानी देख लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी थी। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर कुछ नमूने मुख्यतः नाले में बहने वाले लाल रंग के पानी के नमूने और उसमें बहने वाले कुछ पदार्थों को संग्रहि‍त किया था, स्थानीय लोगों ने नाले में बहने वाले लाल पानी को खून बताया और विरोध करते हुए कुछ समय के लिए वहां से गुजरने वाले मुख्य रास्ते पर बैठकर प्रदर्शन किया। 

इसके बाद अचानक दूसरे समुदाय के लोग वहां पहुंच गए और दोनों समुदायों के लोगों के बीच कहासुनी हो गई और फिर झगड़ा शुरू हो गया था। देखते ही देखते एक समुदाय दूसरे समुदाय पर ईंट और पत्थर से हमला करना शुरू कर दिया।

सोमवार दोपहर को, शहर के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाके पतरापाड़ा में दोनों समुदायों के सदस्य एक-दूसरे से भिड़ गए। एक समुदाय द्वारा गोहत्या के संदेह के बाद दूसरे समुदाय ने उनका विरोध किया, जिसके बाद पथराव हुआ। इस घटना में 5 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 15 लोग घायल हो गए। जिला प्रशासन ने इलाके में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी

नीट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती, एनटीए और केंद्र से मांगा जवाब, कहा-0.001% भी लापरवाही हुई है तो…

#supreme_court_hearing_on_neet_case

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नीट परीक्षा में कथित गड़बड़ियों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नीट, यूजी, 2024 में कथित पेपर लीक और गड़बड़ी से संबंधित याचिकाओं पर राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) और केंद्र से नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि अगर नीट परीक्षा में 0.001 फीसदी भी लापरवाही हुई है तो उससे निपटा जाना चाहिए। कोर्ट ने एनटीए से कहा है कि इसे NTA vs स्टूडेंट्स न समझें।साथ ही कोर्ट ने एनटीए को 8 जुलाई को जवाब देने को कहा है। वहीं, अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी

नीट परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर शिक्षाविद नितिन विजय समेत एक दूसरी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने इस याचिका की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि 8 जुलाई को स्टूडेंट्स को सुप्रीम कोर्ट से काफी उम्मीदें है। एनटीए के खिलाफ काफी एविडेंस है, सुप्रीम कोर्ट ने काफी तल्ख़ टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि इसे NTA vs स्टूडेंट्स न समझें। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर NTA को नोटिस जारी किया है। SC की अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि अगर 0.01% प्रतिशत भी किसी की खामी पाई गई तो उससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने NTA से कहा कि वो छात्रों की शिकायत को नज़रअंदाज न करें। अगर एग्जाम में वाकई कोई गलती हुई है तो उसे समय रहते सुधारा जाए।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि हम इन परीक्षाओं की तैयारियों में बच्चों की मेहनत से अवगत हैं। कोर्ट ने कहा कि मान लीजिए कि इस सिस्टम से धोखाधड़ी कर के कोई व्यक्ति डॉक्टर बन जाए। ऐसा शख्स समाज के लिए नुकसानदेह है। बेंच ने कहा कि परीक्षा आयोजित कराने वाली एजेंसी का प्रतिनिधित्व करते हुए आपको मजबूती से खड़ा होना होगा। अगर कोई गलती हुई है तो उसे माना जाना चाहिए और बताना चाहिए कि क्या कार्रवाई की जा रही है। इससे आपके प्रदर्शन पर आत्मविश्वास पैदा होता है। 

दूसरी ओर, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा हाईकोर्ट में दायर मामले को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की याचिका दाखिल की है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 8 जुलाई को सुनवाई करेंगे। पहले भी एनटीए की स्थानांतरण याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था और 8 जुलाई के लिए सुनवाई की तिथि तय कर दी थी। पेपर लीक मामले की जांच की मांग समेत तमाम पहलुओं पर एक दर्जन के करीब याचिकाओं पर भी 8 जुलाई को अदालत सुनवाई करेगी।

प्रियंका गांधी ने आखिर वायनाड को ही क्यों चुना?

#priyanka_will_contest_elections_from_wayanad

प्रियंका गांधी यूं तो काफी समय से सक्रिय राजनीति कर रही है। हालांकि वो पहली बार चुनावी मैदान में उतरने वालीं हैं। दरअसल, राहुल गांधी लोकसभा चुनाव 2024 में दो सीटों से लड़े थे। एक केरल की वायनाड सीट थी, तो दूसरी यूपी की रायबरेली सीट थी। दोनों सीटों पर राहुल गांधी को जीत मिली थी। सोमवार को राहुल गांधी ने वायनाड सीट से इस्तीफा दे दिया है। अब यहां पर उपचुनाव होगा। कांग्रेस की ओर से उप चुनाव में प्रियंका गांधी को प्रत्याशी बनाया गया है। यह उनका राजनीतिक डेब्यू है।अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर प्रियंका गांधी ने वायनाड सीट ही क्यों चुना? 

राहुल के रायबरेली सीट रखने और प्रियंका को वायनाड से चुनाव लड़ाने का फैसला कांग्रेस के लिए बड़ा फैसला है क्योंकि प्रियंका का एक ओर चुनावी डेब्यू हो रहा है। दूसरा अगर वो चुनाव जीत जाती हैं तो दोनों भाई बहन पहली बार संसद में मिलकर बीजेपी का मुकाबला करेंगे। प्रियंका लंबे समय से राजनीति में सक्रिय तो हैं लेकिन चुनावी राजनीति में पहली बार कदम बढ़ा रही हैं। अब तक वो मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी की चुनाव लड़ने में मदद करते आई हैं। इसके साथ उनके वायनाड से जीतने पर कांग्रेस उत्तर और दक्षिण भारत के बीच अच्छा बैलेंस भी बना सकती है।

बता दें कि गांधी परिवार का दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने का लंबा इतिहास है। 2014 में जब कांग्रेस पार्टी मुश्किल में थी तक दक्षिण भारत ही कांग्रेस का सहारा बनी थी। 2019 में जब राहुल गांधी मेठी से चुनाव हार गए थे, तब वायनाड ने सात दिया था। अगर इतिहास पर गौर करें दक्षिण में कांग्रेस का सफर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने की थी जब उन्होंने 1978 में चिकमंगलूर से चुनाव जीता था। इसके बाद 1980 में मेडक से इंदिरा गांधी सांसद बनीं थी। आपातकाल के बाद रायबरेली सीट से जब इंदिरा गांधी का कमबैक करना मुश्किल लग रहा था उस वक्त कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट ने उनके राजनीतिक जीवन के लिए संजीवनी का काम किया। 

1978 के उपचुनाव में उनके लिए एक सुरक्षित सीट तलाशी गई। ये सीट थी कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट। मौजूदा सांसद डीबी गौड़ा से सीट खाली करवाई गई, यहां इंदिरा के सामने चुनौती सीएम वीरेंद्र पाटिल से भिड़ने की थी। कहा जाता है इस उपचुनाव के प्रचार के लिए इंदिरा गांधी खुद 17 से 18 घंटे तक प्रचार किया। चुनाव का नतीजा कांग्रेस के पक्ष में आया और इंदिरा गांधी ने 77 हजार वोटों से जीत हासिल की और उनके विपक्ष में खड़े 26 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।

 

1999 के लोकसभा चुनाव से पहले सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बन गईं। संसद पहुंचने के लिए दो सीटें तलाशी गई थी। पहली सीट उत्तर प्रदेश की अमेठी और दूसरी कर्नाटक की बेल्लारी थी। बेल्लारी से सोनिया के सामने बीजेपी की फायरब्रांड नेता सुषमा स्वराज थीं। हालांकि सोनिया गांधी ने अमेठी और बेल्लारी दोनों से जीत दर्ज की। बाद में सोनिया गांधी ने बेल्लारी से इस्तीफा दे दिया था।

ऐसे में साफ है कि कांग्रेस के ले साउथ क्यों जरूरी है? और पहली बार चुनाव लड़ रही प्रियंका के लिए कितना सुरक्षित है?