आजमगढ़: नहर में पानी नहीं किसान परेशान
के एम उपाध्याय ,निजामाबाद (आजमगढ़)। शारदा सहायक खण्ड 32 निजामाबाद राजवाहा नहर में पानी न आने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। नहर में पानी न आने से आश्रित धान की नर्सरी नहीं पड़ पा रही हैं। फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। साथ पशु पक्षी जंगली जानवरों के कंठ सूखे है।जिससे लोगों में रोष एवं असंतोष व्याप्त है।
पारा सातवें आसमान पर है। आकाश से आग बरस रही है।गर्मी व चिलचिलाती धूप में लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल है।शरीर से पसीना सुखने का नाम नहीं ले रहा है। ताल ,तलैया नहर सब सूखे पड़े हैं।जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। आदमी से लेकर पशु पक्षी सब बेहाल है। फिर भी अगैती फसल को लेकर किसान परेशान हैं।
गेहूं की मड़ाई व शादी विवाह आदि मांगलिक कार्यों से लोग फुर्सत में है। किसान धान की नर्सरी डालने में लगा हुआ है। जिनके पास निजी नलकूप है वह धान की नर्सरी डाल दिया है। जिनके पास निजी नलकूप नहीं है वे भी भगवान इंद्र और नहर के काफी इंतजार के बाद धान की नर्सरी डालने की जुगाड़ में लगा हुआ है। लेकिन नहर में पानी नहीं धूल उड़ रही है।
नलकूप का पानी काफी मंहगा पड़ रहा है। सवाल एक दिन धान की नर्सरी का नहीं ।आकाश से आग बरस रही धूप में आये दिन नर्सरी में पानी देना पड़ रहा है। मौसम के बेरुखी का असर धान की नर्सरी पर पड़ रहा है। बीज ठीक से अंकुरित नहीं हो पा रहा है।इसके आलावा बाजारा, गन्ने की फसल को बगैर पानी बुरा असर पड़ रहा है। खेती किसानी के पीक आवर में शारदा सहायक खण्ड 32 व उसकी शाखाओं में पानी नहीं है। किन्तु किन्तु किसानों के इस समस्या की ओर ओर किसी राजनेता व अधिकारी का ध्यान इस ओर नहीं है। किसान को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
बैरमपुर गांव निवासी लालध़र यादव ने कहा कि प्रायः यही होता है।जब नहर में पानी की आवश्यकता होती है तो पानी नहीं होता है। नहर में पानी न होने से खेती किसानी के साथ साथ पशु पक्षियों एवं जंगली जानवरों के प्यास बुझाने के लाले पड़े हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता विजेंद्र राम सेनानी ने कहा कि चिलचिलाती धूप में नहर में पानी की जरूरत है। अक्सर देखा गया है कि जब बरसात के साथ नहर में पानी आ जाता है।नहर में पानी अविलंब छोड़ा जाए।
शासन प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
दी तहसील बार एसोसिएशन निजामाबाद के मंत्री रामचेत यादव एडवोकेट ने कहा कि मैं वकालत के साथ साथ खेती भी करता हूं। लेकिन कभी भी नहर के पानी से धान की नर्सरी नहीं डाला।जब बरसात हो जायेगी। पानी की आवश्यकता नहीं होती हैं तब नहर में पानी आता है।
प्रतीक उपाध्याय ने कहा कि पानी विना सब सूना पड़ा है।अगर नहर में पानी होता तो खेतों के आलावा बहु संख्यक ताल पोखरें, छोटे मोटे खड्डों में पानी हों जाता है।तो फसलों के साथ-साथ पशु पक्षी जंगली जानवर भी तृप्त हो जातें। नहर में पानी की नितांत आवश्यकता है।
Jun 17 2024, 15:22