नवीन के उत्तराधिकारी माने जा रहे वीके पांडियन का सक्रिय राजनीति से संन्यास, जानें बीजेपी के हार पर क्या कहा

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ओड‍िशा के पूर्व मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी और बीजेडी नेता वीके पांडियन ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है।वीके पांडियन ने एक वीडियो संदेश में कहा कि राजनीति छोड़ने का ऐलान किया है।ओडिशा में इस बार के विधानसभा चुनाव में राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेडी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। चुनाव के वक्त वीके पांडियन राजनीति के केंद्र में भी रहे थे। ऐसे में बीजेडी की हार के लिए वीके पांडियन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था।

वीके पांडियन ने एक वीडियो संदेश में कहा कि राजनीति में आने का उनका मकसद केवल पटनायक की सहायता करना था। हालांकि, अब वे सक्रिय राजनीति से अलग हो रहे हैं। पांडियन ने कहा कि अगर उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा के दौरान किसी को ठेस पहुंचाई हो तो मुझे खेद है। उन्होंने कहा कि अगर उनके खिलाफ चले अभियान के कारण बीजू जनता दल को हार का सामना करना पड़ा है तो उन्हें खेद है। पांडियन ने कहा कि वे पार्टी कार्यकर्ताओं समेत पूरे बीजद परिवार से माफी मांगते हैं।

वीके पांडियन ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर कर कहा, मेरा बचपन से IAS बनने का सपना था और वो सच भी हुआ। आज से 12 साल पहले में नवीन पटनायक से जुड़ा और उनसे बहुत कुछ सीखा, उन्होंने अपने विजन को आगे बढ़ाने के लिए मेरे ऊपर भरोसा किया था। पांडियन ने ये भी कहा कि मैंने राज्य की जनता के लिए बहुत मेहनत से काम किया है।

बता दें कि विधानसभा चुनाव 2024 में करारी हार का स्वाद चखने के साथ-साथ बीजू जनता दल इस बार के लोकसभा चुनाव में एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत सकी। कमजोर होते जनाधार के बीच बीजद के कई बड़े नेता अपने किले बचाने में भी कामयाब नहीं रहे। भाजपा ने 78 सीटें जीतकर बीजद की ढाई दशक पुरानी सरकार को उखाड़ फेंका। पटनायक के नेतृत्व वाली पार्टी को केवल 51 विधानसभा सीटें मिलीं। कांग्रेस को 14, जबकि वाम दल- सीपीआईएम को एक सीट मिली। तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी जीतने में सफल रहे।

अधिकांश मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वीके पांडियन को ओडिशा विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बीजेडी की हार का मुख्य कारण माना जा रहा है। प्रेक्षकों की मानें तो उनकी हार का सबसे बड़ा कारण था आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश करने वाले उनके पूर्व निजी सचिव वीके पांडियन को पार्टी की कमान पूरी तरह थमा देना। पांडियन जो पिछले अक्टूबर तक उनके निजी सचिव थे, वो नौकरी से इस्तीफ़ा देकर बीजेडी में शामिल हो गए थे। चुनाव के दौरान उन्होंने न केवल प्रत्याशियों का चयन किया, बल्कि पार्टी की ओर से प्रचार का पूरा ज़िम्मा अपने हाथों में लिया।

हालांकि, ओडिशा में भाजपा के हाथों मिली करारी हार के बाद पांडियन की आलोचना को पूर्व सीएम पटनायक ने 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया था। उन्होंने कहा था कि पांडियन ने बीजद में शामिल होने के बाद 'शानदार काम' किया।

PM मोदी की 'मिसाइल' हैं जयशंकर, यूं ही फिर नहीं बनाया गया मंत्री, देश की विदेश नीति और विदेश मंत्री एस जयशंकर की काफी चर्चा है

एस जयशंकर ने एक राजनयिक से विदेश मंत्री तक का लंबा और शानदार सफर तय किया है. पिछली मोदी सरकार में देश की विदेश नीति जबरदस्‍त चर्चा रही थी. इसका पूरा श्रेय विदेश मंत्री एस जयशंकर को दिया गया. यूक्रेन से भारतीय छात्रों को वापस लाने से लेकर इजरायल और हमास युद्ध के दौरान भारत के रुख और रूस से तेल खरीदने से लेकर विदेश में भारत का पक्ष मजबूती से रखने तक जयशंकर ने खुद को साबित किया है. कई मौकों पर एस जयशंकर ने दुनिया में भारत की साख बढ़ाने का काम किया है और कई मौकों पर देश के लिए संकटमोचक की भूमिका भी निभाई है. 

एस जयशंकर का जन्‍म 9 जनवरी 1955 को दिल्‍ली में हुआ. उनके पिता के सुब्रमण्‍यम सिविल सेवा में थे और मां शिक्षक थीं. उन्‍होंने दिल्‍ली के स्‍टीफेंस कॉलेज से रसायन विज्ञान में ग्रेजुएशन के बाद उन्‍होंने जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए किया और फिर अंतराष्‍ट्रीय संबंधों में एमफिल और पीएचडी की. 

जयशंकर 1977 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए और पहली पोस्टिंग मॉस्‍को में मिली. विदेश सेवा में रहते जयशंकर अमेरिका और चीन जैसे महत्‍वपूर्ण देशों में भारत के राजदूत रहे. भारत और अमेरिका के बीच बेहद महत्‍वपूर्ण असैन्‍य परमाणु समझौते के दौरान उन्‍होंने बड़ी भूमिका निभाई थी. 

सेवानिवृत्ति के बाद जयशंकर ने टाटा संस के ग्‍लोबल कॉर्पोरेट अफेयर्स के अध्‍यक्ष के रूप में काम शुरू किया. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पीएम मोदी ने उन्‍हें बुलाया और देश के विदेश मंत्री की जिम्‍मेदारी सौंपी. 

ऐसी हुई थी पीएम मोदी से पहली मुलाकात 

नरेंद्र मोदी 2011 में जब गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे, उस वक्‍त उन्‍होंने चीन का दौरा किया था. पहली बार जयशंकर और मोदी की मुलाकात वहीं हुई थी. उस वक्‍त जयशंकर चीन में भारत के राजदूत थे. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे. उस वक्‍त अमेरिका में जयशंकर भारत के राजदूत थे और मैडिसन स्‍क्‍वायर पर आयोजित कार्यक्रम के शानदार आयोजन के पीछे भी उन्‍हें ही माना जाता है. 

देश के दूसरे राजनयिक जो बने विदेश मंत्री

आम लोगों में भी जयशंकर काफी लोकप्रिय हैं. ऐसे में पीएम मोदी का तीसरी बार उन पर विश्‍वास जताना तय है. जयशंकर राज्‍यसभा सांसद हैं. जनवरी 2015 से जनवरी 2018 के बीच जयशंकर देश के विदेश सचिव के रूप में सेवाएं भी दे चुके हैं. नटवर‍ सिंह के बाद जयशंकर ऐसे दूसरे राजनयिक हैं, जिन्‍होंने भारत के विदेश मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. 

भारत और यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस से सस्‍ता क्रूड ऑयल खरीदने के फैसले को लेकर काफी दबाव था, जिसका जयशंकर ने बेहद बेबाकी से जवाब दिया था. वहीं जी-20 के दौरान साझा घोषणा पत्र पर सहमति बनाना भी उनकी बड़ी जीत थी. 

जयशंकर का सफर 

1977 : भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए. 

1979 - 1981 : सोवियत संघ में भारतीय मिशन में तीसरे और दूसरे सचिव के रूप में कार्य

1985 : अमेरिका के वाशिंगटन में भारतीय दूतावास के प्रथम सचिव के रूप में नियुक्त

1988 - 1990 : श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के प्रथम सचिव और राजनीतिक सलाहकार के रूप में कार्य

1990 - 1993 : बुडापेस्ट में भारतीय मिशन में काउंसलर 

1991 : विदेश मंत्रालय में निदेशक (पूर्वी यूरोप). राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के लिए प्रेस सचिव के रूप में कार्य

1996 - 2000 : टोक्यो में भारतीय दूतावास में मिशन के उप प्रमुख

2001 - 2004 : चेक गणराज्य में भारत के राजदूत 

2004 - 2007 : नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (अमेरिका) 

2007 - 2009 : सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त के रूप में कार्य

2009 - 2012 : चीन में भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले राजदूत बने 

2013 - 2015 : अमेरिका में भारत के राजदूत के रूप में नियुक्त 

2015 - 2018 : भारत के विदेश सचिव के रूप में नियुक्ति 

2019 : विदेश मंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल

लगातार तीसरी बार पीएम पद की शपथ लिए नरेन्द्र मोदी, प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के बाद ऐसा करने वाले बने पहले पीएम

डेस्क : नरेंद्र मोदी ने आज लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले लिए हैं। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पीएम पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। पीएम मोदी के बाद राजनाथ सिंह अमित शाह, नीतीन गडकरी, जेपी नड्डा और शिवराज सिंह चौहान ने मंत्री पद की शपथ ली है।

बता दें देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के बाद लगातार तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेने वाले पहले पीएम बने गये है। 

मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में सात राष्ट्राध्यक्षों श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू, सेशेल्स के उपराष्ट्रपति अहमद अफीक, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ, नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ एवं भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे को विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद है।

मैं शपथ लेता हूं...लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई शपथ

राष्ट्रपति भवन में मोदी 3.0 का शपथ ग्रहण समारोह शुरू हो गया है। राष्ट्रपति भवन में सजे मंच पर सबसे पहले नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। नरेंद्र मोदी ने आज लगातार तीसरी बार पीएम पद की शपथ ली है। पीएम नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने मोदी को पीएम पद की शपथ दिलाई। 

मोदी 3.0 का शपथ ग्रहण समारोह शुरू हो चुका है। राष्ट्रपति भवन में सजे मंच पर सबसे पहले नरेंद्र मोदी ने पीएम पद की शपथ ली। इसके बाद राजनाथ सिंह फिर अमित शाह को राष्ट्रपति ने शपथ दिलाई गई। नई सरकार में 71 मंत्री बनाए जा रहे हैं, जो बारी-बारी शपथ ले रहे हैं।

अनुराग ठाकुर को मोदी 3.0 कैबिनेट में नहीं मिली जगह, सामने आयी पहली प्रतिक्रिया, बोले, मैं पहले पार्टी का कार्यकर्ता...

अनुराग ठाकुर को मोदी 3.0 कैबिनेट में नहीं मिली जगह, सामने आयी पहली प्रतिक्रिया

नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर आज इतिहास रच दी है। वहीं हमीरपुर से लगातार पांचवीं बार जीतकर आए अनुराग ठाकुर ने कहा कि शुभकामनाएं देता हूं और आशा करता हूं कि मोदी जी के नेतृत्व में उनके तीसरे कार्यकाल में शानदार तरीके से देश का विकास होगा और यह जो हम कहते थे 'स्केल एंड स्पीड' वह देखने को मिलेगा.

अनुराग ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मुझे पूर्ण विश्वास है कि देश नई ऊंचाइयों पर जाएगा और तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था भी बनेगा. विकसित भारत का जो हमारा रोड मैप है. उस पर हम तेजी से आगे बढ़ेंगे. काफी लोग मोदी जी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आए हैं.

मंत्रीमंडल के सवाल पर अनुराग ठाकुर ने कहा कि पहले हम पार्टी के कार्यकर्ता पहले हैं. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने मुझे पांचवी बार सांसद बना है और पांचवी बार सांसद बनना एक संसदीय क्षेत्र से अपने आप में बड़े सम्मान की बात है. बीजेपी ने मुझे पांच बार चुनाव लड़ने का अवसर दिया. कार्यकर्ता के रूप में पहले भी काम किया है और आगे भी करेंगे.

हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को जीत मिली है. वह यहां से लगातार पांचवीं बार जीते हैं. अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस उम्मीदवार सतपाल रायजादा को डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी है.

पीएम मोदी ने ऐसी शुभ लग्‍न में ली है शपथ की शत्रु हो जाएंगे परास्‍त, प्रतिद्वंद्वियों पर उठेंगे सवाल.., अन्य मंत्री का शपथ ग्रहण जारी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7.15 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश की सत्‍ता के इस सर्वोच्‍च पद पर विराजमान होंगे. यह अपने आप में एतिहासिक पल है जब जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद लगातार तीसरी बाद कोई पीएम पद पर काबिज होने जा रहे हैं. वहीं अगर ज्‍योतिष‍िय गणना के हिसाब से देखें तो पीएम मोदी की शपथ का समय सर्वश्रेष्‍ठ चुना गया है.

उज्‍जैन के जाने माने ज्‍योतिषी और श्री वेदांत एस्‍ट्रो के फाउंडर दुर्गेश तारे बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार बेहद शुभ माने जाने वाले पुनर्वसु नक्षत्र में शपथ ले रहे हैं. यह नक्षत्र 8 जून को रात्रि 7 बजकर 41 मिनट से शुरू हुआ है और 9 जून को 8 बजकर 19 मिनट तक रहने वाला है. इसी दौरान पीएम मोदी पीएम पद की शपथ ली और उनके मंत्री भी शपथ लें रहे हैं।

तारे बताते हैं कि वृश्चिक राशि वाले पीएम मोदी सात बजकर 15 मिनट पर वृश्चिक लग्‍न में शपथ ले रहे हैं. यह स्थिर लग्‍न कहलाता है. यानि जो स्‍थाई रहें और बदलाव न हो. इस लग्‍न का स्‍वामी मंगल है. वहीं लग्‍न त्रिकोण में शुभ ग्रहों की युति है जो पीएम मोदी के लिए बेहद शुभ होने वाला है.

ज्‍योतिष के हिसाब से इस लग्‍न में केंद्र को शुक्र और ब्रहस्‍पति देख रहे हैं, सूर्य और बुध भी देख रहे हैं, इससे केंद्र बलवान होगा. लग्‍न का स्‍वामी छठे स्‍थान पर है इसलिए यह शत्रुओं को परास्‍त करेगा, और प्रतिद्वंद्वियों पर सवाल उठा देगा.

पंचम में राहु, चतुर्थ में शनि और छठे भाव में मंगल है तो जैसे ही शपथ लेंगे, संभावना है कि कोई निर्णायक फैसला भी ले लें. इस बार ग्रहों की चाल के हिसाब से पीएम मोदी की सरकार स्थिर रहेगी और पांच साल इस पर कोई आंच नहीं आने वाली. भाग्‍य स्‍थान नवम स्‍थान पर है, इसमें चंद्रमा बैठा है, ऐसे में अच्‍छी सोच और अच्‍छे मन से की जा रहीं चीजें देशहित को सर्वोपरि करते हुए होंगी. यह लग्‍न बेहद शक्तिशाली है जो देश के लिए बेहद शुभ फलदायी रहने वाला है.

अब से थोड़ी देर में नरेन्द्र मोदी तीसरी बार लेंगे पीएम पद की शपथ, राष्ट्रपति भवन में पहुंचने लगे मेहमान
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नरेंद्र मोदी आज लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। शाम 7.15 बजे राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह होगा। शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति भवन में मेहमानों का पहुंचना शुरू हो गया है। सरकार की तरफ से निमंत्रण पत्र पाने वाले लगभग आठ हजार विशेष मेहमान राष्ट्रपति भवन परिसर में आयोजित समारोह के साक्षी बनेंगे। अमित शाह, जेपी नड्डा और गडकरी समेत सभी संभावित मंत्री राष्ट्रपति भवन पहुंच गए हैं। कुछ ही देर में शपथ ग्रहण समारोह शुरू होने वाला है। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्य़क्ष मल्लिकार्जुन खरगे, उद्योगपति मुकेश अंबानी भी पहुंचे हैं। इनके अलावा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी पहुंचे हैं। उनके अलावा तमाम विदेशी मेहमान भी राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में अपना स्थान ग्रहण कर चुके हैं। बॉलीवुड सुपरस्‍टार शाहरुख खान मोदी 3.0 के शपथ ग्रहण समरोह में शामिल होने के लिए राष्‍ट्रपति भवन पहुंचे। इसके साथ ही रजनीकांत, कंगना रनौत और रवि किशन भी समरोह स्‍थल पर मौजूद हैं। विदेशी मेहमान भी शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे हैं।नेपाल के पीएम पुष्‍प कमल दहल प्रचंड भी राष्‍ट्रपत‍ि भवन पहुंच गए हैं। भूटान के पीएम शेर‍िंग तोबगे और बांग्‍लादेश की पीएम शेख हसीना भी राष्‍ट्रपत‍ि भवन पहुंच गई हैं।
कैबिनेट मंत्री का पद नहीं मिलने से एनसीपी नाराज, जानें अजीत पवार ने क्या कहा

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नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे। ऐसे में मोदी कैबिनेट में शामिल होने को लेकर तमाम संभावित मंत्रियों के नामों की चर्चा हो रही है। इससे पहले गठबंधन सहयोगी- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता का बयान असंतोष की अटकलों को जन्म दे रहा है। एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेता और राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने मंत्री पद लेने से इनकार कर दिया है।उन्होंने कहा है कि उन्हें राज्य मंत्री या स्वतंत्र प्रभार के मंत्री की जिम्मेदारी लेने का प्रस्ताव आया था, लेकिन उन्होंने इसे खारिज कर दिया है।प्रफुल्ल पटेल के बयान पर अजित पवार ने कहा कि उनकी पार्टी को राज्य मंत्री का पद दिया जा रहा था, लेकिन वे लोग कैबिनेट मंत्री मांग रहे थे। वे लोग कैबिनेट मंत्री के पद के लिए इंतजार करने के लिए तैयार हैं और शपथ ग्रहण समारोह में जा रहे हैं।

एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेता और राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि उन्हें राज्य मंत्री या स्वतंत्र प्रभार के मंत्री की जिम्मेदारी लेने का प्रस्ताव आया था, लेकिन उन्होंने इसे खारिज कर दिया है। वह पूर्व में मनमोहन सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।ऐसे में उनके लिए राज्यमंत्री का पद स्वीकार करना कठिन है। प्रफुल्ल पटेल के मुताबिक उन्हें शपथ ग्रहण और मंत्रिपरिषद में शामिल होने की सूचना मिलने की खुशी है। एनडीए में असंतोष की अटकलों से जुड़े सवाल पर पटेल ने कहा, 'जो अटकले लगाई जा रही हैं वह गलत हैं, कोई मतभेद नहीं है।'

एनसीपी के कथित असंतोष पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने कहा, उनकी पार्टी इंतजार करने को तैयार है। प्रफुल्ल पटेल केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। हमें स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री लेना ठीक नहीं लगा। इसलिए हमने भाजपा से कहा कि हम कुछ दिन इंतजार करने को तैयार हैं, लेकिन हमें कैबिनेट मंत्री पद ही चाहिए।

लोकसभा चुनाव में एनसीपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। उसने एनडीए के सहयोगी के तौर राज्य की चार सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन केवल एक सीट पर जीत मिली. एनसीपी के पास केवल एक सीट होने की वजह से मोदी की नई सरकार में उन्हें एक राज्यमंत्री पद का ऑफर दिया गया था। लेकिन, अपनी वरिष्ठता का हवाला देते हुए प्रफुल्ल पटेल ने यह ऑफर स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

जयशंकर, निर्मला सीतारमण... मोदी ने नई टीम में रखे अपने 'सुपरहिट मंत्री'


डेस्क: नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं. राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्‍हें शपथ दिलाएंगी. शपथ ग्रहण समारोह से पहले पीएम मोदी ने संभावित मंत्रियों से मुलाकात की है. इनमें से कुछ ऐसी शख्सियत हैं, जो पिछली बार भी मोदी सरकार में मंत्री थे और इस बार भी पीएम मोदी ने उन पर विश्‍वास जताना तय माना जा रहा है. ये सभी पिछली मोदी सरकार के ऐसे मंत्री रहे हैं, जिनके बेहतरीन काम और विजन की जबरदस्‍त चर्चा थी. इनके काम को देखते हुए इनका मंत्री बनना तय माना जा रहा है. 

एस जयशंकर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले कार्यकाल में विदेश नीति की काफी चर्चा रही. यूक्रेन से भारतीय छात्रों को वापस लाना हो या फिर इजरायल और हमास युद्ध के दौरान भारत का रुख, विदेश मंत्री एस जयशंकर के काम की जमकर तारीफ हुई. साथ ही विदेशों में भारतीय पक्ष को शानदार ढंग से रखने के लिए आम लोगों में भी जयशंकर काफी लोकप्रिय हो चुके हैं. ऐसे में पीएम मोदी ने उन्‍हें एक बार फिर मंत्री बनाया है. जयशंकर राज्‍यसभा सांसद हैं. जनवरी 2015 से जनवरी 2018 के बीच जयशंकर देश के विदेश सचिव के रूप में सेवाएं भी दे चुके हैं. नटवर‍ सिंह के बाद जयशंकर ऐसे दूसरे राजनयिक हैं, जिन्‍होंने भारत के विदेश मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की.

इसके अलावा निर्मला सीतारमण का नाम भी लिया जा रहा है।
जीत के बाद इन सांसदों को मोदी मंत्रिपरिषद में नहीं मिली जगह, जानें लिस्ट में कौन-कौन नाम

#whoarenotpartofmodithird_cabinet

नरेंद्र मोदी आज (9 जून) को तीसरी बार प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं। उनके साथ कई और सांसद भी मंत्री पद की शपथ लेंगे। हर तरफ लोग यही बात कर रहे हैं कि इस बार किन चेहरों को मोदी 3.0 सरकार में शामिल किया जा रहा है।मिली जानकारी के मुताबिक, मोदी के साथ 65 नेता मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। हालांकि, ऐसे नाम भी सामने आएं है, जिन्हें जीत के बाद भी मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। दरअशल, इस बार बीजेपी को बहुमत हासिल नहीं हुआ है और वह एनडीए के सहयोगियों के दम पर तीसरी बार सरकार बना रही है। ऐसे में एनडीए के सहयोगी दलों को भी कैबिनेट में जगह दी जा रही है। यही वजह है कि इस बार कुछ बड़े बीजेपी नेताओं की कैबिनेट से छुट्टी हो गई है।

जिन नेताओं को कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाएगा, उसमें स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर, राजीव चंद्रशेखर, अजय मिश्रा टेनी, जनरल वीके सिंह, अश्विनी चौबे और नारायण राणे का नाम शामिल है। इसी तरह से अजय भट्ट, साध्वी निरंजन ज्योति, मीनाक्षी लेखी, राजकुमार रंजन सिंह, आरके सिंह, अर्जुन मुंडा, निशीथ प्रमाणिक, सुभाष सरकार, जॉन बारला, भारती पंवार, रावसाहेब दानवे, कपिल पाटिल, नारायण राणे और भगवत कराड को भी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है।

जीतने के बाद भी कैबिनेट से कटा पत्ता

इनमें से की नेता है जो अपनी-अपनी सीटों से भारी मतों से जीतकर आए हैं। इसके बाद भी उन्हें कैबिनेट में नहीं रखा गया है। अजय भट्ट, अनुराग ठाकुर और नारायण राणे उन नेताओं में शामिल है जो जीत के बाद भी कैबिनेट से चूक गए हैः

अनुराग ठाकुर

मोदी सरकार 3.0 के संभावित मंत्रियों में अनुराग ठाकुर नहीं दिखे। न उन्हें शपथ ग्रहण के लिए फोन आया न ही वे पीएम आवास पर हुई बैठक में पहुंचे। अनुराग ठाकुर लोकसभा चुनाव अच्छे वोटों से चुनाव भी जीते हैं इसके बाद भी उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है। कहा जा रहा है कि अनुराग ठाकुर को बीजेपी संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि अनुराग ठाकुर पिछले कार्यकाल में कई बड़े मंत्रालय संभाल चुके हैं।

नारायण राणे

महाराष्ट्र की रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से सांसद नारायण राणे को इस बार मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। वो आज पीएम आवास पर बैठक में मौजूद नहीं थे। राणे महाराष्ट्र के बड़े नेताओं में शामिल हैं। वो महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। मोदी सरकार 2.0 में वो क्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री थे।

अजय भट्ट

उत्तराखंड के नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट से सांसद अजय भट्ट भी इस बार मोदी सरकार में मंत्री नहीं बन रहे। अजय भट्टी उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं। पिछले कार्यकाल में वो रक्षा मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं।

भूपेंद्र यादव

राजस्थान में अलवर से बीजेपी सांसद भूपेंद्र यादव भी मंत्री की रेस से बाहर हो गए हैं। उन्हें पीएम आवास पर संभावित मंत्रियों की बैठक में नहीं बुलाया गया। भूपेंद्र यादव मोदी 2 सरकार में वन एवं पर्यावण मंत्री थे। उन्होंने इस बार अलवर सीट पर 50 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी।

पुरुषोत्तम रुपाला

गुजरात के राजकोट से नवनिर्वाचित बीजेपी सांसद पुरुषोत्तमभाई रुपाला को भी मोदी सरकार में मंत्री पद नहीं मिला है। वो पिछले कार्यकाल में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री रह चुके हैं। इस चुनाव में उन्होंने साढ़े 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी।

हारने वाले नेता

2024 चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी 10 सालों के बाद बहुमत का आंकड़े अपने बल पर लाने में नाकाम रही। इस चुनाव में बीजेपी के कई बड़े चेहरों को हार

का सामना करना पड़ा है। साध्वी निरंजन, आर के सिंह, अर्जुन मुंडा, स्मृति ईरानी, राजीव चंद्रशेखर, निशीथ प्रमाणिक, अजय मिश्र टेनी, सुभाष सरकार, भारती पंवार, राव साहेब दानवे और कपिल पाटिल को इस बार चुनाव में हार मिली।