पीएम मोदी ने ऐसी शुभ लग्‍न में ली है शपथ की शत्रु हो जाएंगे परास्‍त, प्रतिद्वंद्वियों पर उठेंगे सवाल.., अन्य मंत्री का शपथ ग्रहण जारी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7.15 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश की सत्‍ता के इस सर्वोच्‍च पद पर विराजमान होंगे. यह अपने आप में एतिहासिक पल है जब जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद लगातार तीसरी बाद कोई पीएम पद पर काबिज होने जा रहे हैं. वहीं अगर ज्‍योतिष‍िय गणना के हिसाब से देखें तो पीएम मोदी की शपथ का समय सर्वश्रेष्‍ठ चुना गया है.

उज्‍जैन के जाने माने ज्‍योतिषी और श्री वेदांत एस्‍ट्रो के फाउंडर दुर्गेश तारे बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार बेहद शुभ माने जाने वाले पुनर्वसु नक्षत्र में शपथ ले रहे हैं. यह नक्षत्र 8 जून को रात्रि 7 बजकर 41 मिनट से शुरू हुआ है और 9 जून को 8 बजकर 19 मिनट तक रहने वाला है. इसी दौरान पीएम मोदी पीएम पद की शपथ ली और उनके मंत्री भी शपथ लें रहे हैं।

तारे बताते हैं कि वृश्चिक राशि वाले पीएम मोदी सात बजकर 15 मिनट पर वृश्चिक लग्‍न में शपथ ले रहे हैं. यह स्थिर लग्‍न कहलाता है. यानि जो स्‍थाई रहें और बदलाव न हो. इस लग्‍न का स्‍वामी मंगल है. वहीं लग्‍न त्रिकोण में शुभ ग्रहों की युति है जो पीएम मोदी के लिए बेहद शुभ होने वाला है.

ज्‍योतिष के हिसाब से इस लग्‍न में केंद्र को शुक्र और ब्रहस्‍पति देख रहे हैं, सूर्य और बुध भी देख रहे हैं, इससे केंद्र बलवान होगा. लग्‍न का स्‍वामी छठे स्‍थान पर है इसलिए यह शत्रुओं को परास्‍त करेगा, और प्रतिद्वंद्वियों पर सवाल उठा देगा.

पंचम में राहु, चतुर्थ में शनि और छठे भाव में मंगल है तो जैसे ही शपथ लेंगे, संभावना है कि कोई निर्णायक फैसला भी ले लें. इस बार ग्रहों की चाल के हिसाब से पीएम मोदी की सरकार स्थिर रहेगी और पांच साल इस पर कोई आंच नहीं आने वाली. भाग्‍य स्‍थान नवम स्‍थान पर है, इसमें चंद्रमा बैठा है, ऐसे में अच्‍छी सोच और अच्‍छे मन से की जा रहीं चीजें देशहित को सर्वोपरि करते हुए होंगी. यह लग्‍न बेहद शक्तिशाली है जो देश के लिए बेहद शुभ फलदायी रहने वाला है.

अब से थोड़ी देर में नरेन्द्र मोदी तीसरी बार लेंगे पीएम पद की शपथ, राष्ट्रपति भवन में पहुंचने लगे मेहमान
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नरेंद्र मोदी आज लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। शाम 7.15 बजे राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह होगा। शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति भवन में मेहमानों का पहुंचना शुरू हो गया है। सरकार की तरफ से निमंत्रण पत्र पाने वाले लगभग आठ हजार विशेष मेहमान राष्ट्रपति भवन परिसर में आयोजित समारोह के साक्षी बनेंगे। अमित शाह, जेपी नड्डा और गडकरी समेत सभी संभावित मंत्री राष्ट्रपति भवन पहुंच गए हैं। कुछ ही देर में शपथ ग्रहण समारोह शुरू होने वाला है। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्य़क्ष मल्लिकार्जुन खरगे, उद्योगपति मुकेश अंबानी भी पहुंचे हैं। इनके अलावा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी पहुंचे हैं। उनके अलावा तमाम विदेशी मेहमान भी राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में अपना स्थान ग्रहण कर चुके हैं। बॉलीवुड सुपरस्‍टार शाहरुख खान मोदी 3.0 के शपथ ग्रहण समरोह में शामिल होने के लिए राष्‍ट्रपति भवन पहुंचे। इसके साथ ही रजनीकांत, कंगना रनौत और रवि किशन भी समरोह स्‍थल पर मौजूद हैं। विदेशी मेहमान भी शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे हैं।नेपाल के पीएम पुष्‍प कमल दहल प्रचंड भी राष्‍ट्रपत‍ि भवन पहुंच गए हैं। भूटान के पीएम शेर‍िंग तोबगे और बांग्‍लादेश की पीएम शेख हसीना भी राष्‍ट्रपत‍ि भवन पहुंच गई हैं।
कैबिनेट मंत्री का पद नहीं मिलने से एनसीपी नाराज, जानें अजीत पवार ने क्या कहा

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नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे। ऐसे में मोदी कैबिनेट में शामिल होने को लेकर तमाम संभावित मंत्रियों के नामों की चर्चा हो रही है। इससे पहले गठबंधन सहयोगी- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता का बयान असंतोष की अटकलों को जन्म दे रहा है। एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेता और राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने मंत्री पद लेने से इनकार कर दिया है।उन्होंने कहा है कि उन्हें राज्य मंत्री या स्वतंत्र प्रभार के मंत्री की जिम्मेदारी लेने का प्रस्ताव आया था, लेकिन उन्होंने इसे खारिज कर दिया है।प्रफुल्ल पटेल के बयान पर अजित पवार ने कहा कि उनकी पार्टी को राज्य मंत्री का पद दिया जा रहा था, लेकिन वे लोग कैबिनेट मंत्री मांग रहे थे। वे लोग कैबिनेट मंत्री के पद के लिए इंतजार करने के लिए तैयार हैं और शपथ ग्रहण समारोह में जा रहे हैं।

एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेता और राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि उन्हें राज्य मंत्री या स्वतंत्र प्रभार के मंत्री की जिम्मेदारी लेने का प्रस्ताव आया था, लेकिन उन्होंने इसे खारिज कर दिया है। वह पूर्व में मनमोहन सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।ऐसे में उनके लिए राज्यमंत्री का पद स्वीकार करना कठिन है। प्रफुल्ल पटेल के मुताबिक उन्हें शपथ ग्रहण और मंत्रिपरिषद में शामिल होने की सूचना मिलने की खुशी है। एनडीए में असंतोष की अटकलों से जुड़े सवाल पर पटेल ने कहा, 'जो अटकले लगाई जा रही हैं वह गलत हैं, कोई मतभेद नहीं है।'

एनसीपी के कथित असंतोष पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने कहा, उनकी पार्टी इंतजार करने को तैयार है। प्रफुल्ल पटेल केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। हमें स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री लेना ठीक नहीं लगा। इसलिए हमने भाजपा से कहा कि हम कुछ दिन इंतजार करने को तैयार हैं, लेकिन हमें कैबिनेट मंत्री पद ही चाहिए।

लोकसभा चुनाव में एनसीपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। उसने एनडीए के सहयोगी के तौर राज्य की चार सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन केवल एक सीट पर जीत मिली. एनसीपी के पास केवल एक सीट होने की वजह से मोदी की नई सरकार में उन्हें एक राज्यमंत्री पद का ऑफर दिया गया था। लेकिन, अपनी वरिष्ठता का हवाला देते हुए प्रफुल्ल पटेल ने यह ऑफर स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

जयशंकर, निर्मला सीतारमण... मोदी ने नई टीम में रखे अपने 'सुपरहिट मंत्री'


डेस्क: नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं. राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्‍हें शपथ दिलाएंगी. शपथ ग्रहण समारोह से पहले पीएम मोदी ने संभावित मंत्रियों से मुलाकात की है. इनमें से कुछ ऐसी शख्सियत हैं, जो पिछली बार भी मोदी सरकार में मंत्री थे और इस बार भी पीएम मोदी ने उन पर विश्‍वास जताना तय माना जा रहा है. ये सभी पिछली मोदी सरकार के ऐसे मंत्री रहे हैं, जिनके बेहतरीन काम और विजन की जबरदस्‍त चर्चा थी. इनके काम को देखते हुए इनका मंत्री बनना तय माना जा रहा है. 

एस जयशंकर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले कार्यकाल में विदेश नीति की काफी चर्चा रही. यूक्रेन से भारतीय छात्रों को वापस लाना हो या फिर इजरायल और हमास युद्ध के दौरान भारत का रुख, विदेश मंत्री एस जयशंकर के काम की जमकर तारीफ हुई. साथ ही विदेशों में भारतीय पक्ष को शानदार ढंग से रखने के लिए आम लोगों में भी जयशंकर काफी लोकप्रिय हो चुके हैं. ऐसे में पीएम मोदी ने उन्‍हें एक बार फिर मंत्री बनाया है. जयशंकर राज्‍यसभा सांसद हैं. जनवरी 2015 से जनवरी 2018 के बीच जयशंकर देश के विदेश सचिव के रूप में सेवाएं भी दे चुके हैं. नटवर‍ सिंह के बाद जयशंकर ऐसे दूसरे राजनयिक हैं, जिन्‍होंने भारत के विदेश मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की.

इसके अलावा निर्मला सीतारमण का नाम भी लिया जा रहा है।
जीत के बाद इन सांसदों को मोदी मंत्रिपरिषद में नहीं मिली जगह, जानें लिस्ट में कौन-कौन नाम

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नरेंद्र मोदी आज (9 जून) को तीसरी बार प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं। उनके साथ कई और सांसद भी मंत्री पद की शपथ लेंगे। हर तरफ लोग यही बात कर रहे हैं कि इस बार किन चेहरों को मोदी 3.0 सरकार में शामिल किया जा रहा है।मिली जानकारी के मुताबिक, मोदी के साथ 65 नेता मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। हालांकि, ऐसे नाम भी सामने आएं है, जिन्हें जीत के बाद भी मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। दरअशल, इस बार बीजेपी को बहुमत हासिल नहीं हुआ है और वह एनडीए के सहयोगियों के दम पर तीसरी बार सरकार बना रही है। ऐसे में एनडीए के सहयोगी दलों को भी कैबिनेट में जगह दी जा रही है। यही वजह है कि इस बार कुछ बड़े बीजेपी नेताओं की कैबिनेट से छुट्टी हो गई है।

जिन नेताओं को कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाएगा, उसमें स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर, राजीव चंद्रशेखर, अजय मिश्रा टेनी, जनरल वीके सिंह, अश्विनी चौबे और नारायण राणे का नाम शामिल है। इसी तरह से अजय भट्ट, साध्वी निरंजन ज्योति, मीनाक्षी लेखी, राजकुमार रंजन सिंह, आरके सिंह, अर्जुन मुंडा, निशीथ प्रमाणिक, सुभाष सरकार, जॉन बारला, भारती पंवार, रावसाहेब दानवे, कपिल पाटिल, नारायण राणे और भगवत कराड को भी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है।

जीतने के बाद भी कैबिनेट से कटा पत्ता

इनमें से की नेता है जो अपनी-अपनी सीटों से भारी मतों से जीतकर आए हैं। इसके बाद भी उन्हें कैबिनेट में नहीं रखा गया है। अजय भट्ट, अनुराग ठाकुर और नारायण राणे उन नेताओं में शामिल है जो जीत के बाद भी कैबिनेट से चूक गए हैः

अनुराग ठाकुर

मोदी सरकार 3.0 के संभावित मंत्रियों में अनुराग ठाकुर नहीं दिखे। न उन्हें शपथ ग्रहण के लिए फोन आया न ही वे पीएम आवास पर हुई बैठक में पहुंचे। अनुराग ठाकुर लोकसभा चुनाव अच्छे वोटों से चुनाव भी जीते हैं इसके बाद भी उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है। कहा जा रहा है कि अनुराग ठाकुर को बीजेपी संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि अनुराग ठाकुर पिछले कार्यकाल में कई बड़े मंत्रालय संभाल चुके हैं।

नारायण राणे

महाराष्ट्र की रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से सांसद नारायण राणे को इस बार मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। वो आज पीएम आवास पर बैठक में मौजूद नहीं थे। राणे महाराष्ट्र के बड़े नेताओं में शामिल हैं। वो महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। मोदी सरकार 2.0 में वो क्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री थे।

अजय भट्ट

उत्तराखंड के नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट से सांसद अजय भट्ट भी इस बार मोदी सरकार में मंत्री नहीं बन रहे। अजय भट्टी उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं। पिछले कार्यकाल में वो रक्षा मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं।

भूपेंद्र यादव

राजस्थान में अलवर से बीजेपी सांसद भूपेंद्र यादव भी मंत्री की रेस से बाहर हो गए हैं। उन्हें पीएम आवास पर संभावित मंत्रियों की बैठक में नहीं बुलाया गया। भूपेंद्र यादव मोदी 2 सरकार में वन एवं पर्यावण मंत्री थे। उन्होंने इस बार अलवर सीट पर 50 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी।

पुरुषोत्तम रुपाला

गुजरात के राजकोट से नवनिर्वाचित बीजेपी सांसद पुरुषोत्तमभाई रुपाला को भी मोदी सरकार में मंत्री पद नहीं मिला है। वो पिछले कार्यकाल में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री रह चुके हैं। इस चुनाव में उन्होंने साढ़े 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी।

हारने वाले नेता

2024 चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी 10 सालों के बाद बहुमत का आंकड़े अपने बल पर लाने में नाकाम रही। इस चुनाव में बीजेपी के कई बड़े चेहरों को हार

का सामना करना पड़ा है। साध्वी निरंजन, आर के सिंह, अर्जुन मुंडा, स्मृति ईरानी, राजीव चंद्रशेखर, निशीथ प्रमाणिक, अजय मिश्र टेनी, सुभाष सरकार, भारती पंवार, राव साहेब दानवे और कपिल पाटिल को इस बार चुनाव में हार मिली।

गृह, रक्षा, वित्त और विदेश ..! अहम मंत्रालय अपने ही नियंत्रण में रखेगी भाजपा, सहयोगियों को मिलेंगे दूसरे विभाग

आज नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद संभालने जा रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू के बाद वे भारतीय राजनीति में दुर्लभ हैट्रिक हासिल करेंगे। मोदी 3.0 के लिए शपथ ग्रहण समारोह शाम 7:15 बजे निर्धारित है, जिसमें कई विदेशी गणमान्य लोग भाग लेंगे।

नए मंत्रिमंडल के गठन की तैयारियां चल रही हैं, शपथ ग्रहण के लिए संभावित मंत्रियों को फोन आ चुके हैं। गृह, रक्षा, वित्त और विदेश मंत्रालय जैसे प्रमुख मंत्रालय, जो सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) के अभिन्न अंग हैं, पिछले कार्यकाल की तरह भाजपा के नियंत्रण में रहेंगे। बुलाए गए प्रमुख पूर्व केंद्रीय मंत्रियों में राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव, मनसुख मंडाविया, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नितिन गडकरी और जितेंद्र सिंह शामिल हैं।

मंत्रालयों के आवंटन की प्रक्रिया जारी है, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष का चयन अभी भी तय नहीं हुआ है। पिछले वक्ता सुमित्रा महाजन और ओम बिरला भाजपा से थे, लेकिन सहयोगी दलों की नज़र इस फ़ैसले पर है। आधिकारिक समारोह से पहले, नरेंद्र मोदी 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर नए मंत्रिपरिषद के साथ बैठक करेंगे। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान दिल्ली और राष्ट्रपति भवन के चारों ओर व्यापक सुरक्षा घेरा बनाए रखने के साथ सुरक्षा उपाय कड़े किए गए हैं। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, नई दिल्ली क्षेत्र को दो दिनों के लिए नो-फ़्लाई ज़ोन घोषित किया जाएगा, जिसमें दिल्ली पुलिस, अर्धसैनिक बल, एनएसजी, एसपीजी और इंटेलिजेंस विंग के अधिकारियों सहित सुरक्षा कर्मियों की व्यापक तैनाती की जाएगी। राष्ट्रपति भवन में शाम 5 बजे से मेहमानों के पहुंचने की उम्मीद है।

Modi 3.0 के संभावित मंत्रियों की आ गई लिस्ट; मनोहर लाल, कुमारस्वामी, शिवराज समेत इन नेताओं को मिल सकती है कैबिनेट में जगह





डेस्क: लोकसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिलने के बाद आज नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेंगे। मोदी के साथ उनकी नई कैबिनेट के मंत्री भी शपथ लेंगे। इस बीच मोदी कैबिनेट के संभावित मंत्रियों की सूची भी सामने आ गई है।

शिवराज और मनोहर लाल को जगह

समाचार एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेता मनोहर लाल खट्टर, शिवराज सिंह चौहान, बंदी संजय कुमार और रवनीत सिंह बिट्टू केंद्रीय मंत्रिपरिषद में नए चेहरों में शामिल हो सकते हैं, जो नरेंद्र मोदी के साथ शपथ लेंगे।

महाराष्ट्र से खडसे को आया फोन

सूत्रों ने बताया कि अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव और मनसुख मंडाविया जैसे वरिष्ठ पार्टी नेताओं को नई सरकार में शामिल होना तय माना जा रहा है। भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और उत्तर प्रदेश से सांसद जितिन प्रसाद और महाराष्ट्र से रक्षा खडसे के भी नई सरकार का हिस्सा बनने की संभावना है।


खडसे ने मीडिया से पुष्टि की कि उन्हें सरकार का हिस्सा बनने के लिए फोन आया है। इनमें से कई नेताओं ने तो मोदी से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की। एक सूत्र ने बताया कि निर्मला सीतारमण, सर्बानंद सोनोवाल और किरेन रिजिजू भी शपथ लेंगे।


TPD और JDU के ये नेता बन सकते मंत्री

टीडीपी के राम मोहन नायडू और चंद्रशेखर पेम्मासानी और जेडी(यू) के ललन सिंह और रामनाथ ठाकुर के अलावा चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, एच डी कुमारस्वामी और जयंत चौधरी को मंत्री बनाने पर विचार किया जा रहा है।

पंजाब से बिट्टू को मिल सकती जगह

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते बिट्टू लोकसभा चुनाव हार गए थे, लेकिन उनकी प्रोफाइल और पंजाब में अपनी पैठ बढ़ाने की भाजपा की कोशिशों के चलते उन्हें शामिल किया जा सकता है।

तेलंगाना से चुने गए बंदी संजय कुमार और जी किशन रेड्डी को एक साथ मोदी के आवास के लिए जाते देखा गया और उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि, संभावित मंत्रियों पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

वहीं, झारखंड से कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी, रांची लोकसभा क्षेत्र के सांसद संजय सेठ को भी जगह मिल सकती है।

चुनाव जीतने के बाद मंगलवार को रायबरेली जाएंगे राहुल गांधी, वायनाड का भी करेंगे दौरा



डेस्क: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस बार लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर जीत दर्ज की है। पहली सीट केरल की वायनाड और दूसरी उत्तर प्रदेश की रायबरेली है। इन दोनों ही सीटों से चुनाव जीतने के बाद राहुल गांधी पहली बार वायनाड और रायबरेली का दौरा करने वाले हैं। राहुल गांधी मंगलवार (11 जून) को अपनी मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ रायबरेली जाएंगे। चुनाव जीतने के बाद राहुल गांधी का अपने परिवार के साथ रायबरेली का पहला दौरा होने वाला है। ऐसे में बड़ी संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ता रायबेरली में मौजूद रहेंगे। रायबरेली से राहुल गांधी के सांसद चुने जाने से पहले सोनिया गांधी इस सीट से प्रतिनिधित्व करती थीं।

बुधवार को वायनाड जाएंगे राहुल गांधी

रायबरेली के बाद राहुल गांधी केरल के वायनाड में बुधवार (12 जून) को जाएंगे। राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से 2019 के चुनाव में भी सांसद चुने गए थे। इस बार भी वायनाड की जनता ने कांग्रेस नेता को भारी मतों से जिताया है। ऐसे में ये भी चर्चा तेज हो गई है कि वायनाड और रायबरेली में से राहुल गांधी कौन सी सीट अपने पास रखेंगे?

दो में से एक सीट राहुल को होगी छोड़नी

कानून और संविधान के प्रावधानों के अनुसार, राहुल गांधी को हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में जीती गई दो सीटों में से एक से इस्तीफा देना होगा. पूर्व लोकसभा महासचिव और संविधान विशेषज्ञ पीडीटी अचारी ने बताया कि दो सीटों से जीतने वाले किसी भी उम्मीदवार को चुनाव परिणाम के 14 दिनों के अंदर एक सीट छोड़नी होती है।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने किया बेहतर प्रदर्शन

बता दें कि नई लोकसभा में कांग्रेस के सांसदों की संख्या 99 है। ऐसे में एक सीट छोड़ने के बाद रायबरेली या वायनाड सीट पर उपचुनाव कराया जाएगा। 2014 के के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। 2019 के चुनाव में कांग्रेस को 52 सीटें मिली थीं। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 44 सीटों पर ही सिमट गई थी।
नवीन पटनायक के पतन की क्या है वजह?

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दो दशक से भी अधिक समय तक ओडिशा में नवीन पटनायक का एकछत्र राज रहा। सब यही मानकर चल रहे थे कि नवीन पटनायक लगातार छठी बार सरकार बनाएंगे और अगले ढाई महीनों में सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग का रिकॉर्ड तोड़कर देश में सबसे अधिक समय तक सत्ता में बने रहने वाले मुख्यमंत्री बन जाएंगे। हालांकि 2024 के नतीजे चौंकाने वाले रहे।चौंकाने वाले नतीजों का मतलब यह है कि पटनायक भारत में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले पवन चामलिंग को पछाड़ने से 73 दिन पीछे रह गए। नवीन बाबू, जिन्हें कभी अजेय माना जाता था। 1024 के चुनाव में भाजपा ने न केवल राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से 78 सीटें हासिल करके बल्कि 21 लोकसभा सीटों में से 20 पर कब्जा करके बीजू जनता दल (बीजेडी) के शासन को समाप्त कर दिया। केवल 51 विधानसभा सीटों और लोकसभा चुनावों में पूरी तरह से सफाया होने के साथ, बीजेडी लड़खड़ा रही है।

इस भूचालपूर्ण बदलाव ने कई लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि - इस राजनीतिक दिग्गज के पतन का कारण क्या था?अधिकांश मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वीके पांडियन को ओडिशा विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बीजेडी की हार का मुख्य कारण माना जा रहा है। प्रेक्षकों की मानें तो उनकी हार का सबसे बड़ा कारण था आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश करने वाले उनके पूर्व निजी सचिव वीके पांडियन को पार्टी की कमान पूरी तरह थमा देना। पांडियन जो पिछले अक्टूबर तक उनके निजी सचिव थे, वो नौकरी से इस्तीफ़ा देकर बीजेडी में शामिल हो गए थे। चुनाव के दौरान उन्होंने न केवल प्रत्याशियों का चयन किया, बल्कि पार्टी की ओर से प्रचार का पूरा ज़िम्मा अपने हाथों में लिया।

पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में 40 नाम थे। लेकिन लगभग 40 दिनों के प्रचार में केवल पांडियन और कभी कभार नवीन के अलावा पार्टी के किसी और नेता को कहीं मंच पर या रोड शो के दौरान देखा नहीं गया। केवल चुनाव के दौरान ही नहीं, पिछले कई महीनों से न बीजेडी का कोई नेता, मंत्री या विधायक न कोई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी मुख्यमंत्री और बीजेडी सुप्रीमो नवीन पटनायक से मिल पाया या उनके सामने अपनी बात रख पाया। पार्टी और सरकार के सारे फ़ैसले पांडियन ही लिया करते रहे। यहां तक कि मुख्यमंत्री के पास पहुंचने वाली फ़ाइलों पर भी उनके डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया जबकि खुद नवीन लोगों की नज़र से ओझल हो गए।

एक और महत्वपूर्ण कारक था चुनाव प्रचार अभियान से पटनायक की स्पष्ट अनुपस्थिति। पिछले चुनावों के विपरीत, जहाँ उनकी उपस्थिति सर्वत्र थी, इस बार पटनायक कम दिखाई दिए। जिन रैलियों में वे वास्तव में दिखाई दिए, उनके साथ हमेशा सर्वव्यापीश्री पांडियन थे, जो या तो 77 वर्षीय पटनायक के लिए माइक थामे रहे, या अपना हाथ स्थिर रखे रहे, या पटनायक के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं को हाथ हिलाते हुए नज़र आए। इस कमी ने बीजद के अभियान को फीका और कम आकर्षक बना दिया। इसके विपरीत, भाजपा के कारपेट-बमबारी में, पीएम मोदी और शाह के अलावा, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, हिमंत बिस्वा सरमा और हेमा मालिनी जैसे नेताओं ने स्टार पावर को जोड़ा, जिसकी बीजद में कमी थी।

बीजेडी के पतन का सबसे बड़ा कारण बाहरी लोगों के खिलाफ बढ़ती भावना थी। खास तौर पर श्री पटनायक के भरोसेमंद सहयोगी और निजी सचिव वीके पांडियन के खिलाफ। पूर्व आईएएस अधिकारी श्री पांडियन का बीजेडी और राज्य की प्रशासनिक मशीनरी में बहुत प्रभाव था, जिन्हें अक्सर वास्तविक शासक के रूप में देखा जाता था। तमिलनाडु से एक "बाहरी व्यक्ति" द्वारा सरकार चलाने की यह धारणा ओडिया लोगों को पसंद नहीं आई, जो पांडियन के प्रभुत्व और उनकी कार्यशैली से नाराज होने लगे। 

भाजपा ने इस भावना का लाभ उठाया और बीजेडी को एक अनिर्वाचित नौकरशाह की कठपुतली के रूप में चित्रित किया। प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के सभी नेताओं ने बार बार इस बात को दोहराया कि ओडिशा के साढ़े चार करोड़ लोगों को अपना "परिवार" बताने वाले नवीन ने अपने राज्य और पार्टी के सभी नेताओं को नज़रअंदाज़ कर तमिलनाडु में जन्मे एक आदमी को सत्ता संभालने का ज़िम्मा सौंप दिया। यह बात लोगों में काम कर गई क्योंकि वे देख रहे थे की पार्टी और सरकार दोनों में पांडियन का ही बोलबाला था और पार्टी के मंत्री, विधायक तथा अन्य सभी सरकारी अफसर पूरी तरह से नाकाम कर दिए गए।

प्रधानमंत्री पद की शपथ से पहले मोदी ने की चाय पर मीटिंग, सभी बड़े नेता पहुंचे

 

 

डेस्क: लोकसभा चुनाव 2024 में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद एनडीए गठबंधन सरकार बनाने के लिए तैयार है। नरेंद्र मोदी को गठबंधन का नेता चुन लिया गया है और वह रविवार शाम 7:15 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे और उनके साथ 40 अन्य सांसद भी मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री के रूप में शपथ ले सकते हैं। हालांकि इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। TDP और JDU से 2-2 और शिवसेना से एक कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं। नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में कुल 8000 मेहमान शामिल हो सकते हैं। इनमें कई विदेशी मेहमान भी हैं।

सूत्रों के अनुसार अमित शाह गृहमंत्री, राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री और एस जयशंकर विदेश मंत्री, अश्विनी वैष्णव रेल मंत्री और नितिन गडकरी परिवहन मंत्री बने रहेंगे। जल शक्ति मंत्री और लोकसभा स्पीकर भी बीजेपी के ही रह सकते हैं। TDP को शहरी विकास मंत्रालय और सिविल एविएशन मिल सकता है। JDU को ऊर्जा विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय मिल सकता है।

राष्ट्रपति मुर्मू दिलाएंगी शपथ

TDP और JDU से 2-2 और शिवसेना से एक कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा NCP, LJP और JDS के कोटे से कैबिनेट मंत्री शपथ ले सकते हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सभी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी। राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण की तैयारी पूरी कर ली गई है। शपथ ग्रहण समारोह के लिए राष्ट्रपति भवन को दुल्हन की तरह सजाया गया है।