जीत के बाद इन सांसदों को मोदी मंत्रिपरिषद में नहीं मिली जगह, जानें लिस्ट में कौन-कौन नाम

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नरेंद्र मोदी आज (9 जून) को तीसरी बार प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं। उनके साथ कई और सांसद भी मंत्री पद की शपथ लेंगे। हर तरफ लोग यही बात कर रहे हैं कि इस बार किन चेहरों को मोदी 3.0 सरकार में शामिल किया जा रहा है।मिली जानकारी के मुताबिक, मोदी के साथ 65 नेता मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। हालांकि, ऐसे नाम भी सामने आएं है, जिन्हें जीत के बाद भी मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। दरअशल, इस बार बीजेपी को बहुमत हासिल नहीं हुआ है और वह एनडीए के सहयोगियों के दम पर तीसरी बार सरकार बना रही है। ऐसे में एनडीए के सहयोगी दलों को भी कैबिनेट में जगह दी जा रही है। यही वजह है कि इस बार कुछ बड़े बीजेपी नेताओं की कैबिनेट से छुट्टी हो गई है।

जिन नेताओं को कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाएगा, उसमें स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर, राजीव चंद्रशेखर, अजय मिश्रा टेनी, जनरल वीके सिंह, अश्विनी चौबे और नारायण राणे का नाम शामिल है। इसी तरह से अजय भट्ट, साध्वी निरंजन ज्योति, मीनाक्षी लेखी, राजकुमार रंजन सिंह, आरके सिंह, अर्जुन मुंडा, निशीथ प्रमाणिक, सुभाष सरकार, जॉन बारला, भारती पंवार, रावसाहेब दानवे, कपिल पाटिल, नारायण राणे और भगवत कराड को भी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है।

जीतने के बाद भी कैबिनेट से कटा पत्ता

इनमें से की नेता है जो अपनी-अपनी सीटों से भारी मतों से जीतकर आए हैं। इसके बाद भी उन्हें कैबिनेट में नहीं रखा गया है। अजय भट्ट, अनुराग ठाकुर और नारायण राणे उन नेताओं में शामिल है जो जीत के बाद भी कैबिनेट से चूक गए हैः

अनुराग ठाकुर

मोदी सरकार 3.0 के संभावित मंत्रियों में अनुराग ठाकुर नहीं दिखे। न उन्हें शपथ ग्रहण के लिए फोन आया न ही वे पीएम आवास पर हुई बैठक में पहुंचे। अनुराग ठाकुर लोकसभा चुनाव अच्छे वोटों से चुनाव भी जीते हैं इसके बाद भी उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है। कहा जा रहा है कि अनुराग ठाकुर को बीजेपी संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि अनुराग ठाकुर पिछले कार्यकाल में कई बड़े मंत्रालय संभाल चुके हैं।

नारायण राणे

महाराष्ट्र की रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से सांसद नारायण राणे को इस बार मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। वो आज पीएम आवास पर बैठक में मौजूद नहीं थे। राणे महाराष्ट्र के बड़े नेताओं में शामिल हैं। वो महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। मोदी सरकार 2.0 में वो क्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री थे।

अजय भट्ट

उत्तराखंड के नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट से सांसद अजय भट्ट भी इस बार मोदी सरकार में मंत्री नहीं बन रहे। अजय भट्टी उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं। पिछले कार्यकाल में वो रक्षा मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं।

भूपेंद्र यादव

राजस्थान में अलवर से बीजेपी सांसद भूपेंद्र यादव भी मंत्री की रेस से बाहर हो गए हैं। उन्हें पीएम आवास पर संभावित मंत्रियों की बैठक में नहीं बुलाया गया। भूपेंद्र यादव मोदी 2 सरकार में वन एवं पर्यावण मंत्री थे। उन्होंने इस बार अलवर सीट पर 50 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी।

पुरुषोत्तम रुपाला

गुजरात के राजकोट से नवनिर्वाचित बीजेपी सांसद पुरुषोत्तमभाई रुपाला को भी मोदी सरकार में मंत्री पद नहीं मिला है। वो पिछले कार्यकाल में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री रह चुके हैं। इस चुनाव में उन्होंने साढ़े 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी।

हारने वाले नेता

2024 चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी 10 सालों के बाद बहुमत का आंकड़े अपने बल पर लाने में नाकाम रही। इस चुनाव में बीजेपी के कई बड़े चेहरों को हार

का सामना करना पड़ा है। साध्वी निरंजन, आर के सिंह, अर्जुन मुंडा, स्मृति ईरानी, राजीव चंद्रशेखर, निशीथ प्रमाणिक, अजय मिश्र टेनी, सुभाष सरकार, भारती पंवार, राव साहेब दानवे और कपिल पाटिल को इस बार चुनाव में हार मिली।

गृह, रक्षा, वित्त और विदेश ..! अहम मंत्रालय अपने ही नियंत्रण में रखेगी भाजपा, सहयोगियों को मिलेंगे दूसरे विभाग

आज नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद संभालने जा रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू के बाद वे भारतीय राजनीति में दुर्लभ हैट्रिक हासिल करेंगे। मोदी 3.0 के लिए शपथ ग्रहण समारोह शाम 7:15 बजे निर्धारित है, जिसमें कई विदेशी गणमान्य लोग भाग लेंगे।

नए मंत्रिमंडल के गठन की तैयारियां चल रही हैं, शपथ ग्रहण के लिए संभावित मंत्रियों को फोन आ चुके हैं। गृह, रक्षा, वित्त और विदेश मंत्रालय जैसे प्रमुख मंत्रालय, जो सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) के अभिन्न अंग हैं, पिछले कार्यकाल की तरह भाजपा के नियंत्रण में रहेंगे। बुलाए गए प्रमुख पूर्व केंद्रीय मंत्रियों में राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव, मनसुख मंडाविया, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नितिन गडकरी और जितेंद्र सिंह शामिल हैं।

मंत्रालयों के आवंटन की प्रक्रिया जारी है, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष का चयन अभी भी तय नहीं हुआ है। पिछले वक्ता सुमित्रा महाजन और ओम बिरला भाजपा से थे, लेकिन सहयोगी दलों की नज़र इस फ़ैसले पर है। आधिकारिक समारोह से पहले, नरेंद्र मोदी 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर नए मंत्रिपरिषद के साथ बैठक करेंगे। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान दिल्ली और राष्ट्रपति भवन के चारों ओर व्यापक सुरक्षा घेरा बनाए रखने के साथ सुरक्षा उपाय कड़े किए गए हैं। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, नई दिल्ली क्षेत्र को दो दिनों के लिए नो-फ़्लाई ज़ोन घोषित किया जाएगा, जिसमें दिल्ली पुलिस, अर्धसैनिक बल, एनएसजी, एसपीजी और इंटेलिजेंस विंग के अधिकारियों सहित सुरक्षा कर्मियों की व्यापक तैनाती की जाएगी। राष्ट्रपति भवन में शाम 5 बजे से मेहमानों के पहुंचने की उम्मीद है।

Modi 3.0 के संभावित मंत्रियों की आ गई लिस्ट; मनोहर लाल, कुमारस्वामी, शिवराज समेत इन नेताओं को मिल सकती है कैबिनेट में जगह





डेस्क: लोकसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिलने के बाद आज नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेंगे। मोदी के साथ उनकी नई कैबिनेट के मंत्री भी शपथ लेंगे। इस बीच मोदी कैबिनेट के संभावित मंत्रियों की सूची भी सामने आ गई है।

शिवराज और मनोहर लाल को जगह

समाचार एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेता मनोहर लाल खट्टर, शिवराज सिंह चौहान, बंदी संजय कुमार और रवनीत सिंह बिट्टू केंद्रीय मंत्रिपरिषद में नए चेहरों में शामिल हो सकते हैं, जो नरेंद्र मोदी के साथ शपथ लेंगे।

महाराष्ट्र से खडसे को आया फोन

सूत्रों ने बताया कि अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव और मनसुख मंडाविया जैसे वरिष्ठ पार्टी नेताओं को नई सरकार में शामिल होना तय माना जा रहा है। भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और उत्तर प्रदेश से सांसद जितिन प्रसाद और महाराष्ट्र से रक्षा खडसे के भी नई सरकार का हिस्सा बनने की संभावना है।


खडसे ने मीडिया से पुष्टि की कि उन्हें सरकार का हिस्सा बनने के लिए फोन आया है। इनमें से कई नेताओं ने तो मोदी से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की। एक सूत्र ने बताया कि निर्मला सीतारमण, सर्बानंद सोनोवाल और किरेन रिजिजू भी शपथ लेंगे।


TPD और JDU के ये नेता बन सकते मंत्री

टीडीपी के राम मोहन नायडू और चंद्रशेखर पेम्मासानी और जेडी(यू) के ललन सिंह और रामनाथ ठाकुर के अलावा चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, एच डी कुमारस्वामी और जयंत चौधरी को मंत्री बनाने पर विचार किया जा रहा है।

पंजाब से बिट्टू को मिल सकती जगह

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते बिट्टू लोकसभा चुनाव हार गए थे, लेकिन उनकी प्रोफाइल और पंजाब में अपनी पैठ बढ़ाने की भाजपा की कोशिशों के चलते उन्हें शामिल किया जा सकता है।

तेलंगाना से चुने गए बंदी संजय कुमार और जी किशन रेड्डी को एक साथ मोदी के आवास के लिए जाते देखा गया और उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि, संभावित मंत्रियों पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

वहीं, झारखंड से कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी, रांची लोकसभा क्षेत्र के सांसद संजय सेठ को भी जगह मिल सकती है।

चुनाव जीतने के बाद मंगलवार को रायबरेली जाएंगे राहुल गांधी, वायनाड का भी करेंगे दौरा



डेस्क: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस बार लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर जीत दर्ज की है। पहली सीट केरल की वायनाड और दूसरी उत्तर प्रदेश की रायबरेली है। इन दोनों ही सीटों से चुनाव जीतने के बाद राहुल गांधी पहली बार वायनाड और रायबरेली का दौरा करने वाले हैं। राहुल गांधी मंगलवार (11 जून) को अपनी मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ रायबरेली जाएंगे। चुनाव जीतने के बाद राहुल गांधी का अपने परिवार के साथ रायबरेली का पहला दौरा होने वाला है। ऐसे में बड़ी संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ता रायबेरली में मौजूद रहेंगे। रायबरेली से राहुल गांधी के सांसद चुने जाने से पहले सोनिया गांधी इस सीट से प्रतिनिधित्व करती थीं।

बुधवार को वायनाड जाएंगे राहुल गांधी

रायबरेली के बाद राहुल गांधी केरल के वायनाड में बुधवार (12 जून) को जाएंगे। राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से 2019 के चुनाव में भी सांसद चुने गए थे। इस बार भी वायनाड की जनता ने कांग्रेस नेता को भारी मतों से जिताया है। ऐसे में ये भी चर्चा तेज हो गई है कि वायनाड और रायबरेली में से राहुल गांधी कौन सी सीट अपने पास रखेंगे?

दो में से एक सीट राहुल को होगी छोड़नी

कानून और संविधान के प्रावधानों के अनुसार, राहुल गांधी को हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में जीती गई दो सीटों में से एक से इस्तीफा देना होगा. पूर्व लोकसभा महासचिव और संविधान विशेषज्ञ पीडीटी अचारी ने बताया कि दो सीटों से जीतने वाले किसी भी उम्मीदवार को चुनाव परिणाम के 14 दिनों के अंदर एक सीट छोड़नी होती है।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने किया बेहतर प्रदर्शन

बता दें कि नई लोकसभा में कांग्रेस के सांसदों की संख्या 99 है। ऐसे में एक सीट छोड़ने के बाद रायबरेली या वायनाड सीट पर उपचुनाव कराया जाएगा। 2014 के के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। 2019 के चुनाव में कांग्रेस को 52 सीटें मिली थीं। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 44 सीटों पर ही सिमट गई थी।
नवीन पटनायक के पतन की क्या है वजह?

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दो दशक से भी अधिक समय तक ओडिशा में नवीन पटनायक का एकछत्र राज रहा। सब यही मानकर चल रहे थे कि नवीन पटनायक लगातार छठी बार सरकार बनाएंगे और अगले ढाई महीनों में सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग का रिकॉर्ड तोड़कर देश में सबसे अधिक समय तक सत्ता में बने रहने वाले मुख्यमंत्री बन जाएंगे। हालांकि 2024 के नतीजे चौंकाने वाले रहे।चौंकाने वाले नतीजों का मतलब यह है कि पटनायक भारत में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले पवन चामलिंग को पछाड़ने से 73 दिन पीछे रह गए। नवीन बाबू, जिन्हें कभी अजेय माना जाता था। 1024 के चुनाव में भाजपा ने न केवल राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से 78 सीटें हासिल करके बल्कि 21 लोकसभा सीटों में से 20 पर कब्जा करके बीजू जनता दल (बीजेडी) के शासन को समाप्त कर दिया। केवल 51 विधानसभा सीटों और लोकसभा चुनावों में पूरी तरह से सफाया होने के साथ, बीजेडी लड़खड़ा रही है।

इस भूचालपूर्ण बदलाव ने कई लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि - इस राजनीतिक दिग्गज के पतन का कारण क्या था?अधिकांश मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वीके पांडियन को ओडिशा विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बीजेडी की हार का मुख्य कारण माना जा रहा है। प्रेक्षकों की मानें तो उनकी हार का सबसे बड़ा कारण था आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश करने वाले उनके पूर्व निजी सचिव वीके पांडियन को पार्टी की कमान पूरी तरह थमा देना। पांडियन जो पिछले अक्टूबर तक उनके निजी सचिव थे, वो नौकरी से इस्तीफ़ा देकर बीजेडी में शामिल हो गए थे। चुनाव के दौरान उन्होंने न केवल प्रत्याशियों का चयन किया, बल्कि पार्टी की ओर से प्रचार का पूरा ज़िम्मा अपने हाथों में लिया।

पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में 40 नाम थे। लेकिन लगभग 40 दिनों के प्रचार में केवल पांडियन और कभी कभार नवीन के अलावा पार्टी के किसी और नेता को कहीं मंच पर या रोड शो के दौरान देखा नहीं गया। केवल चुनाव के दौरान ही नहीं, पिछले कई महीनों से न बीजेडी का कोई नेता, मंत्री या विधायक न कोई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी मुख्यमंत्री और बीजेडी सुप्रीमो नवीन पटनायक से मिल पाया या उनके सामने अपनी बात रख पाया। पार्टी और सरकार के सारे फ़ैसले पांडियन ही लिया करते रहे। यहां तक कि मुख्यमंत्री के पास पहुंचने वाली फ़ाइलों पर भी उनके डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया जबकि खुद नवीन लोगों की नज़र से ओझल हो गए।

एक और महत्वपूर्ण कारक था चुनाव प्रचार अभियान से पटनायक की स्पष्ट अनुपस्थिति। पिछले चुनावों के विपरीत, जहाँ उनकी उपस्थिति सर्वत्र थी, इस बार पटनायक कम दिखाई दिए। जिन रैलियों में वे वास्तव में दिखाई दिए, उनके साथ हमेशा सर्वव्यापीश्री पांडियन थे, जो या तो 77 वर्षीय पटनायक के लिए माइक थामे रहे, या अपना हाथ स्थिर रखे रहे, या पटनायक के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं को हाथ हिलाते हुए नज़र आए। इस कमी ने बीजद के अभियान को फीका और कम आकर्षक बना दिया। इसके विपरीत, भाजपा के कारपेट-बमबारी में, पीएम मोदी और शाह के अलावा, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, हिमंत बिस्वा सरमा और हेमा मालिनी जैसे नेताओं ने स्टार पावर को जोड़ा, जिसकी बीजद में कमी थी।

बीजेडी के पतन का सबसे बड़ा कारण बाहरी लोगों के खिलाफ बढ़ती भावना थी। खास तौर पर श्री पटनायक के भरोसेमंद सहयोगी और निजी सचिव वीके पांडियन के खिलाफ। पूर्व आईएएस अधिकारी श्री पांडियन का बीजेडी और राज्य की प्रशासनिक मशीनरी में बहुत प्रभाव था, जिन्हें अक्सर वास्तविक शासक के रूप में देखा जाता था। तमिलनाडु से एक "बाहरी व्यक्ति" द्वारा सरकार चलाने की यह धारणा ओडिया लोगों को पसंद नहीं आई, जो पांडियन के प्रभुत्व और उनकी कार्यशैली से नाराज होने लगे। 

भाजपा ने इस भावना का लाभ उठाया और बीजेडी को एक अनिर्वाचित नौकरशाह की कठपुतली के रूप में चित्रित किया। प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के सभी नेताओं ने बार बार इस बात को दोहराया कि ओडिशा के साढ़े चार करोड़ लोगों को अपना "परिवार" बताने वाले नवीन ने अपने राज्य और पार्टी के सभी नेताओं को नज़रअंदाज़ कर तमिलनाडु में जन्मे एक आदमी को सत्ता संभालने का ज़िम्मा सौंप दिया। यह बात लोगों में काम कर गई क्योंकि वे देख रहे थे की पार्टी और सरकार दोनों में पांडियन का ही बोलबाला था और पार्टी के मंत्री, विधायक तथा अन्य सभी सरकारी अफसर पूरी तरह से नाकाम कर दिए गए।

प्रधानमंत्री पद की शपथ से पहले मोदी ने की चाय पर मीटिंग, सभी बड़े नेता पहुंचे

 

 

डेस्क: लोकसभा चुनाव 2024 में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद एनडीए गठबंधन सरकार बनाने के लिए तैयार है। नरेंद्र मोदी को गठबंधन का नेता चुन लिया गया है और वह रविवार शाम 7:15 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे और उनके साथ 40 अन्य सांसद भी मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री के रूप में शपथ ले सकते हैं। हालांकि इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। TDP और JDU से 2-2 और शिवसेना से एक कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं। नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में कुल 8000 मेहमान शामिल हो सकते हैं। इनमें कई विदेशी मेहमान भी हैं।

सूत्रों के अनुसार अमित शाह गृहमंत्री, राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री और एस जयशंकर विदेश मंत्री, अश्विनी वैष्णव रेल मंत्री और नितिन गडकरी परिवहन मंत्री बने रहेंगे। जल शक्ति मंत्री और लोकसभा स्पीकर भी बीजेपी के ही रह सकते हैं। TDP को शहरी विकास मंत्रालय और सिविल एविएशन मिल सकता है। JDU को ऊर्जा विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय मिल सकता है।

राष्ट्रपति मुर्मू दिलाएंगी शपथ

TDP और JDU से 2-2 और शिवसेना से एक कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा NCP, LJP और JDS के कोटे से कैबिनेट मंत्री शपथ ले सकते हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सभी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी। राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण की तैयारी पूरी कर ली गई है। शपथ ग्रहण समारोह के लिए राष्ट्रपति भवन को दुल्हन की तरह सजाया गया है।

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, पुलिस चौकी समेत 70 में आगजनी, कर्फ्यू, कमांडो और अलर्ट... जानें, क्या है हालात

मणिपुर के जिरीबाम जिले में शनिवार को संदिग्ध उग्रवादियों ने एक पुलिस चौकी और कई घरों में आग लगा दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि उग्रवादियों ने बराक नदी के किनारे चोटोबेकरा इलाके में स्थित जिरी पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था। राज्य की राजधानी इम्फाल से करीब 220 किलोमीटर दूर स्थित जिले के मोधुपुर क्षेत्र के लामताई खुनौ में पहाड़ी क्षेत्र के संदिग्ध उग्रवादियों ने अंधेरे का फायदा उठाकर कई हमले किए। जिरीबाम के जिलाधिकारी ने बताया कि जिरीबाम के बाहरी इलाके के कई घरों में आग लगा दी गई, हालांकि अभी सटीक संख्या की पुष्टि नहीं की जा सकती। पुलिस ने बताया कि उग्रवादियों के खिलाफ सुरक्षा अभियान में सहायता के लिए मणिपुर पुलिस की एक कमांडो टुकड़ी को शनिवार सुबह इम्फाल से जिरीबाम भेजा गया। आंतरिक मणिपुर लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित कांग्रेस सांसद अंगोमचा बिमोल अकोईजाम ने राज्य सरकार से जिरीबाम जिले के लोगों के जीवन और संपत्तियों की रक्षा करने का आग्रह किया है।

सांसद अकोईजाम ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'मैंने जिरीबाम के जिला अधिकारियों से बात की है। उन्होंने कहा कि वहां अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी पहुंच गए हैं। शहर में रहने वाले लोगों को भी सुरक्षा दी जा रही है, लेकिन शहर के सीमाई क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा नहीं दी जा रही है।'

239 लोगों को कैंप में भेजा गया

अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि जिरीबाम जिले में उग्रवादियों द्वारा कथित तौर पर एक व्यक्ति की हत्या किए जाने पर भड़की हिंसा के बाद यहां के लगभग 239 लोगों को उनके गांवों से निकाल कर जिरी शहर के खेल परिसर में स्थापित किए गए नए कैंप में भेजा गया। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। जिरीबाम जिले में संदिग्ध उग्रवादियों द्वारा 59 वर्षीय एक व्यक्ति की हत्या किए जाने पर हुए विरोध-प्रदर्शन के बाद छह जून को जिला प्रशासन ने वहां अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगा दिया था। जिरीबाम जिले में हुई हत्या से यहां ताजा जातीय हिंसा भड़क उठी है जबकि अभी तक यह क्षेत्र हिंसा से अप्रभावित रहा था।

एसपी का ट्रांसफर

इधर जिरीबाम जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ए. घनश्याम शर्मा को स्थानांतरित कर दिया गया है। कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जिरीबाम के पुलिस अधीक्षक को मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज के अतिरिक्त निदेशक के पद पर तैनात किया गया है। पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय के अतिरिक्त निदेशक के रूप में कार्यरत एम प्रदीप सिंह, जिरीबाम जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यभार संभालेंगे।

मणिपुर हिंसा में NIA ने एक को गिरफ्तार किया

NIA ने मणिपुर में हिंसा बढ़ाने और पूर्वोत्तर राज्य में आतंक फैलाने के मामले में गुरुवार को इंफाल हवाई अड्डे से प्रमुख आरोपित को गिरफ्तार किया है।

NIA ने बताया कि ‘कुकी नेशनल फ्रंट-मिलिट्री काउंसिल’ (केएनएफ-एमसी) के सदस्य थोंगमिनथांग हाओकिप उर्फ थांगबोई हाओकिप उर्फ रोजर को अरेस्ट किया गया हैं। गिरफ्तारी NIA की ओर से 19 जुलाई को दर्ज किए गए केस में हुई है। NIA की जांच के अनुसार, ‘यह साजिश कुकी और जोमी विद्रोहियों ने रची थी और उन्हें पूर्वोत्तर राज्यों एवं पड़ोसी म्यांमार में स्थित आतंकवादी संगठनों का समर्थन प्राप्त था। NIA की जांच के अनुसार, इस साजिश का उद्देश्य क्षेत्र में मौजूदा जातीय अशांति का फायदा उठाना और हिंसक हमलों के जरिए भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना था।

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू..! निर्वाचन आयोग ने दिया आधिकारिक अपडेट

 भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की प्रक्रिया आधिकारिक रूप से शुरू कर दी है। भारतीय निर्वाचन आयोग के सचिव जयदेव लाहिड़ी ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि, "आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधानसभा के आम चुनाव के लिए चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश 1968 के पैरा 10बी के तहत समान चिह्न के आवंटन की मांग वाले आवेदनों को तत्काल प्रभाव से स्वीकार करने का निर्णय लिया है।"

यह मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार के बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को जल्द ही केंद्र शासित प्रदेश में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार मिलेगी। जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था, जिसके बाद मुफ़्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में भाजपा और PDP की गठबंधन सरकार सत्ता में आई थी। 2016 में मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की मृत्यु के बाद, गठबंधन की कमान उनकी बेटी महबूबा मुफ़्ती के हाथों में आ गई।

18 जून 2019 को भाजपा ने गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया, जिसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। तब से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का नेतृत्व उपराज्यपाल कर रहे हैं।

दिल्ली में पानी के लिए संग्राम: आतिशी बोलीं- हमारे हिस्से का पानी नहीं छोड़ रहा हरियाणा

दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार पर एक बार फिर से कम पानी देने का आरोप लगाया है। शनिवार को जल मंत्री आतिशी बवाना स्थित मुनक नहर की दो उप नहरों का दौरा करने पहुंचीं। यहां निरीक्षण के दौरान जल मंत्री आतिशी ने पाया कि पिछले सात दिनों से लगातार हरियाणा कम मात्रा में पानी भेज रहा है। मुनक नहर से दिल्ली को 1050 क्यूसेक पानी मिलता है, लेकिन अभी यह कम होकर 840 क्यूसेक तक रह गया है।निरीक्षण के बाद प्रेस वार्ता कर आतिशी ने कहा कि मुनक नहर से केवल 840 क्यूसेक पानी मिल रहा है जबकि 1050 क्यूसेक पानी मिलना चाहिए।

 मुनक नहर से अगर दिल्ली को उसके हिस्से का पानी कम मिलेगा तो इसका असर दिल्ली के सातों वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर पड़ेगा। ऐसा होने पर शहर में अगले कुछ दिनों में पानी की समस्या और भी गंभीर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी में दिल्ली के लोगों को परेशान करने के लिए हरियाणा सरकार राजनीति करना बंद करे और दिल्ली को उसके हिस्से का पानी दे। दिल्ली घरेलू उपयोग के पानी के लिए पूरी तरह यमुना पर निर्भर है। दिल्ली के सात वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से दिल्ली के घरों में पानी पहुंचता है। इन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी वजीराबाद बैराज और मुनक नहर की दो उप नहरों सीएलसी और डीएसबी से आता है। इन दोनों उप नहरों से दिल्ली के सातों वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी जाता है।

I.N.D.I.A. गठबंधन में फूट, हरियाणा में अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस

डेस्क: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के साथ ही इंडिया गठबंधन बिखरता नजर आ रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि हरियाणा में वह कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी। आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारने के लिए तैयार हैं। आप पार्टी हरियाणा के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने कहा कि कांग्रेस के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था। विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी।

अनुराग ढांडा ने कहा "हरियाणा में हमारा गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव में था। आम आदमी पार्टी विधान सभा चुनाव में नब्बे की नब्बे सीटों पर अलग चुनाव लड़ेगी। इंडिया गठबंधन में रह कर हरियाणा पंजाब में बेहतर रिजल्ट आयाी, मगर हम कुरुक्षेत्र सीट पर कम मार्जन से हारे। पार्टी चंडीगढ़ में एक मीटिंग कर इसकी समीक्षा करेगी। चार लोकसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार कम मार्जन से जीते। आप के बिना यह संभव नहीं था। आप पार्टी हरियाणा में तीसरे विकल्प के रूप में उभरी है। हमे एक सीट पर JJP,INLD,BSP से ज्यादा वोट मिले हैं। हरियाणा के विधान सभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाएंगे और सभी सीटों पर आप उम्मीदवार उतारने के लिए तैयार है।

हरियाणा में पांच सीट जीती कांग्रेस

लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने हरियाणा में पांच सीटें जीतीं। वहीं, 2019 में पार्टी यहां खाता तक नहीं खोल पाई थी। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा की सभी 10 सीटें जीती थीं, लेकिन 2024 में उसे पांच सीटों का नुकसान हुआ और इतनी ही सीटें कांग्रेस के खाते में चली गईं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने हरियाणा में पांच-पांच सीटें जीतीं। ऐसे में इसी साल अक्टूबर के महीने तक होने वाले विधानसभा चुनाव काफी रोचक हो सकते हैं। विधानसभा चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच त्रिकोणीय लड़ाई होगी।