*अयोध्या नगरी के बारे में अपशब्द उचित नहीं*
अयोध्या- जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं… जिस नगरी के बारे में आप कह रहे हैं कि “वहाँ जाइए तो प्रसाद मत ख़रीदिए घर से ले जाइए”
अयोध्या में रह रहे जिन सहोदर हिंदुओं को आप धर्मद्रोही बता रहे हैं…
उनके बारे में जगतनियंता भगवान राम ने कहा है…
जद्यपि सब बैकुंठ बखाना।
बेद पुरान बिदित जगु जाना॥
अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोऊ।
यह प्रसंग जानइ कोउ कोऊ॥
भावार्थ : भगवान कहते हैं, यद्यपि सबने वैकुण्ठ की बड़ाई की है, ये बात वेद-पुराणों में प्रसिद्ध है और जगत् भी जानता है… परंतु अवधपुरी के समान मुझे कुछ भी प्रिय नहीं है, यह बात कई-कोई जानते हैं॥
अति प्रिय मोहि इहाँ के बासी।
मम धामदा पुरी सुख रासी॥
हरषे सब कपि सुनि प्रभु बानी।
धन्य अवध जो राम बखानी॥
भावार्थ : यहाँ के निवासी मुझे इस संसार में सबसे प्रिय हैं, यह नगरी सुख की राशि और मेरे पराधाम जैसा सुख देने वाली है।
प्रभु की वाणी सुनकर सब वानर हर्षित होकर बोले जिस अयोध्या की स्वयं श्री रामजी ने बड़ाई की, वह निश्चय ही धन्य है॥
एक चुनाव अयोध्या और अयोध्या वासियों की निष्ठा का मूल्यांकन नहीं कर सकता।
किसी ने अयोध्या को कुछ नहीं दिया, वस्तुतः अयोध्या ने ही समूचे संसार को दिया है… और इतना दिया है जिसका क़र्ज़ देश कभी नहीं चुका पाएगा।
Jun 08 2024, 19:39