मिर्जापुर में अनुप्रिया पटेल का जादू...
मिर्ज़ापुर लोकसभा क्षेत्र का चुनावी चकल्लस
मिर्ज़ापुर।फिल्में देखने की शौकीन अनुप्रिया पटेल मनोविज्ञान की छात्र रही हैं। वह अभिनय में भी माहिर हैं। गाती- गुनगुनाती भी बढ़िया हैं। मिर्जापुर के स्कूल में लता जी का गाना गाते आपने सुना-देखा ही है, संसद की कैंटीन में गायक और मन्त्री रहे बाबुल सुप्रियो की थाप पर गाते बजाते भी आपने देखा है।
भाषण तो माशा अल्लाह... आप सुनते चले जाएंगे और जमकर ताली बजायेंगे। जैसे किसी जादूगर के मोहपाश में मन्त्रमुग्ध दर्शक को लगता है जैसे सब सच है। जादूगर जो दुनिया दिखा रहा है... बिल्कुल वही है सच. कागज के फूल से कबूतर निकल रहा है... लड़की को बीच से दो टुकड़े कर देना... इत्यादि.
देखा है न आपने यह सब।
एक ऐसा ही जादू और देखिये... ठाकुर- पटेल इंद्रजाल 2024
उत्तर प्रदेश में जहां-जहां मतदान हो चुका है, उन जिलों से रिपोर्ट आ रही है कि पटेल यानी कुर्मियों ने इस बार संविधान, आरक्षण के नाम पर मतदान किया है। यानी ज्यादातर कुर्मी कांग्रेस-सपा के इंडिया गठबंधन के साथ चले गए हैं। कुर्मी महासभाओं ने आंकड़े जारी किए हैं कि इंडिया गठबंधन ने 11 कुर्मियों को लोक सभा का टिकट दिया है
वहीं भाजपा ने पांच (संख्या लिस्ट उठाकर जांच ली जाए) कुर्मी सभाओं ने अपील भी किया है कि इन 11 कुर्मी चेहरों को देखकर सपा-कांग्रेस के दूसरी जाति के पिछड़े नेताओं को वोट जरूर दें।
तो ऐसे में मिर्जापुर की सीट पर अनुप्रिया पटेल का दोबारा जीत पाना न सिर्फ कठिन है, बल्कि बहुत कठिन है। अन्य जिलों की तरह मिर्जापुर का पटेल भी परिवर्तन का मन बना रहा है, बना सकता है। ऐसे संकेत भी मिलने लगे हैं। खासकर युवाओं में आरक्षण का मुद्दा हावी है।
इसलिए अभिनय में माहिर, मनोविज्ञान की इस छात्रा ने एक इंद्र जाल रचना शुरु किया है।
क्या है ये नया इंद्रजाल जादू?
मिर्जापुर में अनुप्रिया पटेल का चुनाव बहुत फंसा हुआ है। राबर्ट्सगंज के सांसद पकौड़ी लाल कोल का टिकट काटना, फिर उनकी बहू को आगे करके परिवार में रार पैदा करना... आदि कारणों से पकौड़ी कोल नाराज हैं। सवा लाख कोल मतदाता हैं इस सीट पर। सिराथू में जहां उनकी बहन पल्लवी पटेल ने उप मुख्यमन्त्री केशव प्रसाद मौर्य को चुनाव हराया था, वहां अनुप्रिया के भाषण और भूमिका दोनों को लेकर मौर्य समाज कितना खुश है??? यह बात अनुप्रिया भी जानती हैं और मौर्य समाज भी। ऐसे में हालात ठीक नहीं दिखाई देते हैं।
मिर्जापुर माउविंध्यवासिनी देवी की पावन नगरी है। यहां की मान्यताएं भी अलग हैं। अनुप्रिया बुद्ध की भक्त हैं। राजनीतिक कारणों से वे विंध्य वासिनी देवी में माथा भी टेक आती हैं। लाल चुनरी भी ओढ़ लेती हैं। मन्दिर में जाते वक्त उनके मन में क्या चल रहा होता है, ये खुदा जाने.... क्षमा...क्षमा... क्षमा
मां विंध्य वासिनी ये तो आप खुद ही जानती होंगी।
हमने तो बस इतना सुना है कि मिर्जापुर के रहवासियों ने आज तक किसी प्रत्याशी को तीसरी बार नहीं जिताया। भले ही बाहर से आई डाकू फूलन देवी को जिता दिया हो। डाकू सम्राट ददुआ के भाई को जिता दिया हो। ऐसे में तीसरी बार न जिताने वाली 'परम्परा' मन में संदेह तो पैदा करेगी न??? पक्का संदेह होगा मन में।
अनुप्रिया पटेल तो डाकू हैं नहीं। उनके पति भी डाकुओं का इलाका और अच्छी खासी जेई की नौकरी छोड़कर मिर्जापुर में सेवा करने आये हैं। ऐसे में सेवा का तीसरा मौका क्यों नहीं मिलना चाहिए???
मगर हालात ऐसे दिख नहीं रहे। ऐसे में अनुप्रिया ने अपना हुनर दिखाया है। एक बार फिर दांव चला है पीड़ित बनने और पीड़ित दिखने का। सियासत में इसे 'विक्टिम कार्ड' कहा जाता है। दो दिन पहले प्रतापगढ़ में इसी योजना के तहत अनुप्रिया ने कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को चिढ़ाया। वहां भाजपा के प्रत्याशी विनोद सोनकर के लिए वोट मांगने गई थी, पर चिंता अपनी थी. अनुप्रिया ने कहा लोकतंत्र में राजा रानी के पेट से नहीं पैदा होता। कुंडा किसी की जागीर नहीं।
जाहिर है निशाना रघुराज प्रताप सिंह थे। भाषा रघुराज प्रताप सिंह को चिढ़ाने वाली थी, लेकिन रघुराज प्रताप सिंह चिढ़े नहीं। न आग बबूला हुए. उन्होंने टके का जवाब दे दिया। बोले... अनुप्रिया को और पढ़ना चाहिए। 1947 के बाद से भारत में रजवाड़े खत्म हैं अब कोई राजा नहीं है. और ईवीएम से राजा नहीं, सेवक पैदा होता है। उस सेवक की उम्र 5 साल होती है। जनता जनार्दन फिर 5 साल बाद नया जीवन देती है। राजा के जवाब से बाद बात लगभग खत्म हो गई थी।
अब योजना के तहत अनुप्रिया के सोशल मीडिया के एजेंट सक्रिय हुए। यह जाहिर करने की कोशिश हुई की अनुप्रिया ने राजा पर बड़ा हमला बोला है। राजा अनुप्रिया को हराने के लिए मिर्जापुर आएंगे। इस मामले को ठाकुर बनाम पटेल बनाने की कोशिश शुरू हो गई। गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ भले ही ठाकुर नेताओं को मानने और उनको अपने साथ लाने में लगे हों, लेकिन अनुप्रिया को अपना चुनाव दिख रहा है। अगर जीत नहीं पाईं तो पूछेगा कौन? अपना दल का टिकट मांगने के लिए मुंबई के बड़े बड़े सेठ कैसे आएंगे?
दरअसल अनुप्रिया और उनके सलाहकार चाहते हैं कि यह विवाद पटेल बनाम राजा भैया हो जाए। क्षत्रिय बनाम पटेल हो जाए। पटेलों का ध्यान आरक्षण, संविधान से हट जाए और पटेल बेटी की 'इज्जत' के लिए फिर उसको वोट कर दें. मगर इस बार युवा जागे हुए हैं। वे इस अभिनय और इंद्र पाश में नहीं फसे. मामला ठाकुर बनाम पटेल नहीं हुआ। मिर्जापुर के समझदार ठाकुर, पटेलों ने दर्जनों 'यू ट्यूबरों' की मन्शा पर भी पानी फेर दिया जो इसी विवाद को बढ़ाने के लिए बुलाए गए थे।
'बेटी' की शरारत अब बिरादरी भी जान गई। उनकी मां तो जानती ही हैं कि उनकी बेटी कितनी चालाक मगर बताशे की तरह मीठा बोलने वाली है। आई लव माई माम...आई लव माई माम.
मगर उनकी मां कृष्णा पटेल का एबीपी चैनल पर इंटरव्यू सुनिए। कृष्णा पटेल रोती हुई नजर कहती हैं। मैं अनुप्रिया को थप्पड़ क्यों नहीं मार दिया... ऐसी औलाद पैदा करके मैं पछता रही हूं... यह बड़ी महत्वाकांक्षी है.समाज के काम की नहीं है... और बहुत कुछ। मिर्जापुर अब शायद यह आंसू देख रहा है। मिर्जापुर ने जिसे बाहरी नहीं माना, सगी बेटी सा दुलार दिया... वह मिर्जापुर अब देख रहा है जिसे बेटी माना वह तो गजब की जादूगर है।
May 26 2024, 13:58