एनडीए के साथ इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार का भी होने लगा है विरोध, मतदाताओं के बीच होने लगी है खुसूर-फुसूर
मीरजापुर। लोकसभा क्षेत्र मीरजापुर से भाजपा-अपना दल (एनडीए) गठबंधन उम्मीदवार एवं मौजूदा सांसद को लेकर चल रहे विरोध के स्वर के बीच में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार एवं भदोही सांसद के भी विरोध के स्वर मिल जाने से अब संसदीय क्षेत्र का माहौल गरमा-गरम हो उठा है। खासकर सोशल मीडिया पर पक्ष-विपक्ष के तर्क-वितर्को के बीच ही आम मतदाता भी खुलकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के साथ-साथ विरोध में नजर आने लगे हैं। जिले की सांसद एवं भाजपा अपना दल गठबंधन उम्मीदवार को लेकर शुरू से ही विरोध के शोर सुनाई दे रहे थे, लेकिन जैसे ही चुनाव की घोषणा हुई और नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ हुएं वैसे ही यह विरोध का स्वर और भी मुखर हो उठा है। आम मतदाताओं से लेकर गठबंधन के अंदर खेमे की बात करें तो कार्यकतार्ओं की नाराजगी खुलकर सुनाई देने लगी है।
कई ऐसे अवसर भी देखने को मिले हैं जहां कार्यकतार्ओं और समर्थकों की नाराजगी गठबंधन उम्मीदवार की बेचैनी बढ़ाने के लिए काफी रही है। लोगों द्वारा कहते सुना जा रहा है कि संसद ने जनपद के विकास की जो वह हवाई लूटने का काम किया है वह स्वयं के नहीं सरकार की योजनाओं और सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं से जुड़े हुए कार्यों को अपना बता कर यह ढिंढोरा पिटती आई हैं। जबकि कई ऐसे अभी भी कार्य पड़े हुए हैं जो व्यवस्था की नाकामियों को उजागर करने के साथ-साथ सांसद की बेरुखी को भी दशार्ते आए हैं। जिस मेडिकल कॉलेज की बात कर सांसद इतराती आ रही है उसी मेडिकल कॉलेज और ट्रॉमा सेंटर और वहां के चिकित्सकों की लूट की हकीकत किसी से छुपी हुई नहीं है। ट्रामा सेंटर, मेडिकल कॉलेज की सौगात देकर मंडलीय और जिला अस्पताल को बदहाल बना देने की कहानी भी कहने और बताने, दिखाने की जरूरत नहीं है।
वह स्वयं ही अपनी दुर्दशा बयां करता हुआ वर्तमान में नजर आ रहा है। दशकों से जो गेट खुलते चले आ रहे थे उसी जिला अस्पताल के गेट नंबर 1 को सुरक्षा व्यवस्था का हवाला देते हुए तुगलकी फरमान जारी कर बंद कर दिया गया है जहां से हर दिन गंभीर रोगियों और घटना दुर्घटना में घायल लोगों को गेट पर आने के बाद भटकते हुए दूसरे गेट से जाना पड़ता है। ऐसे कई अनगिनत ज्वलंत मुद्दे मसलन, भ्रष्टाचार व्यवस्था में बरती जा रही लापरवाही इत्यादि को लेकर जिस पर कभी भी सांसद ने बोलने और विरोध करने का साहस नहीं किया था। इसको लेकर जनता और कार्यकतार्ओं में अंदर ही अंदर आक्रोश देखने को मिल रहा था और विरोध के स्वर भी सुनाई दे रहे थे। लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद मतदाता और पार्टी संगठन से जुड़े हुए लोग विकल्प की तलाश में जुटे हुए थे।
इस विरोध में स्थानीय और बाहरी का मुद्दा भी छाया हुआ था। स्थानीय के तौर पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार एवं अपना दल कमेराबादी उम्मीदवार के बाद इंडिया गठबंधन उम्मीदवार मुंबई वाले उद्योगपति को लेकर भी जनता में चर्चा परिचर्चा तेज होने लगी थी कि अचानक से मुंबई वाले उद्योगपति को सपा प्रमुख ने दरकिनार कर भदोही के भाजपा सांसद जिन्हें इस बार पार्टी ने टिकट न देकर किनारे कर दिया था को समाजवादी पार्टी यानी इंडिया गठबंधन के तौर पर उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। प्रारंभिक दौर में गम और खुशी दोनों का माहौल देखने को मिला था। चर्चा इस बात को लेकर भी होने लगी थी कि अब लड़ाई दमदार हुई है। लेकिन नामांकन के बाद प्रेस वार्ता के दौरान ही भदोही सांसद एवं जिले से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार ने अपने बाद बड़बोलेपन का असर दिखाते हुए जिस अंदाज में प्रेस वार्ता करते हुए लोगों से मुखातिब हुए उसे देखकर खांटी सफाई भी नब्ज भांपते हुए संभल कर ही कदम बढ़ाने में भलाई समझने लगे हैं। इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार पूर्व में जिले के ही मझवां विधानसभा से तीन बार बसपा विधायक रह चुके हैं।
बसपा से बाहर का रास्ता दिखाए जाने के बाद सत्ताधारी दल भाजपा का भगवा धारण कर भदोही की राह पकड़ लिए थे, जहां भारी विरोध और मोदी लहर के बाद सांसद चुन तो लिए गए लेकिन टिकट करते ही इन्होंने अपना असली रंग दिखाते हुए एक बार पुन: पलटी मार कर सपा की साइकिल पर सवार हो लिए हैं। जिनके बसपा में आते ही एक जाति पूरी तरह से नाराज होकर अपने को किनारा करते हुए इनसे दूरी बनाते हुए नजर आने लगी है। तो वही सोशल मीडिया पर भी इनको लेकर विरोध के स्वर तेज हो उठे हैं। ऐसे में देखा जाए तो एनडीए गठबंधन के साथ-साथ इंडिया गठबंधन उम्मीदवार को लेकर भी विरोध के स्वर तेज होने लगे हैं। लोगों का कहना है कि एक उम्मीदवार ने सरकार रहने के बाद भी जिले से ज्यादा दिल्ली में समय दिया है।
नगर क्षेत्र में कभी झांकना भी गंवारा नहीं समझा वहीं दूसरे उम्मीदवार जो रहने वाले जरूर इसी जिले के हैं, लेकिन पलटी मारने में महारत हासिल कर चुके हैं। विवादों से पुराना नाता रहा है। हाथी की सवारी से राजनीतिक कैरियर की शुरूआत करने के बाद भाजपा का भगवा धारण कर देश की सर्वोत्तम पंचायत में पहुंचने के बाद अब एक बार पुन: पलटी मारते हुए साइकिल पर सवार होकर पुन: लोकसभा में पहुंचने के लिए हाथ पैर मारते हुए नजर आ रहे हैं। अब यह अलग बात है की जनता किसके सर जीत का सेहरा बांधती है, किसे अपनाती है और किसे ठुकराती है। यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन जिस प्रकार से इनके 'बोलने और डोलने' की सैली है वह लोगों को 'रास' नहीं आ रही है।
May 19 2024, 19:22