विदिशा-गुना समेत मप्र की इन 9 सीटों पर कल होगी वोटिंग, शिवराज-सिंधिया, दिग्विजय सिंह समेत कई दिग्गजों की किसमत दांव पर
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तीसरे चरण के आम चुनाव के लए 7 मई को वोटिंग होनी है. ऐसे में मतदान के 48 घंटे पहले चुनावी शोरगुल थम गया है. आम चुनाव के तीसरे चरण के दौरान MP की 9 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है. ऐसे में रविवार शाम 6 बजते ही इन सभी 9 सीटों पर चुनावी प्रचार शांत हो गया. जानिए इन 9 सीटों के प्रत्याशियों के बारे में-... MP में तीसरे चरण के चुनाव के दौरान प्रदेश की 9 सीट- मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, भोपाल, विदिशा, राजगढ़ और बैतूल पर वोटिंग होगी. इन सभी सीटों पर 7 मई को वोट डाले जाएंगे. तीसरे चरण के दौरान प्रदेश की 9 सीटों पर होने वाली वोटिंग के लिए कुल 127 उम्मीदवार मैदान में हैं. इन 9 संसदीय क्षेत्रों में कुल 1.77 करोड़ वोटर्स हैं. चुनाव आयोग ने तीसरे चरण की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है. भोपाल: भोपाल लोकसभा सीट पर इस बार BJP ने आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने अरुण श्रीवास्तव को मैदान में उतारा है. इस क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा सीट- बेरसिया, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, हुजूर, भोपाल उत्तर, भोपाल मध्य, सिहौर, नरेला और गोविंदपुरा शामिल हैं. वर्तमान में यहां से BJP की प्रज्ञा ठाकुर सांसद हैं. राजगढ़: राजगढ़ लोकसभा पर BJP के रोडमल नागर और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के बीच मुकाबला है. इस लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभा सीट- खिलचीपुर, चाचौड़ा, नरसिंहगढ़, ब्यावरा, राघौगढ़, राजगढ़, सारंगपुर और सुसनेर शामिल हैं. वर्तमान में इस सीट से BJP के रोडमल नागर सांसद हैं. गुना: गुना लोकसभा सीट पर BJP ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है. उनके खिलाफ कांग्रेस ने यादवेंद्र राव को टिकट दिया है. इस क्षेत्र में भी कुल 8 विधानसभा सीट- शिवपुरी, पिछोर, कोलारस, बमोरी, गुना, अशोक नगर, चंदेरी, मुंगावली शामिल हैं. वर्तमान में यहां से KP यादव सांसद हैं. मुरैना: गुना लोकसभा सीट पर BJP के शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस के सत्यपाल सिंह सिकरवार के बीच मुकाबला है. इस संसदीय क्षेत्र में भी कुल 8 विधानसभा सीट- विजयपुर, और मुरैना जिले की सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमानी और अंबाह शामिल है. 2019 में BJP प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. भिंड: भिंड लोकसभा सीट पर BJP की संध्या राय और कांग्रेस के फूल सिंह बैरया के बीच मुकाबला है. ये सीट ST के लिए रिजर्व है. इस सीट में भी कुल 8 विधानसभा सीट- भिंड, अटेर, मेहगांव, लहार, गोहद, दतिया, सेवड़ा और भांडेर शामिल हैं. वर्तमान में इस सीट से BJP की संध्या राय सांसद हैं. सागर: सागर लोकसभा सीट से BJP की लता वानखेड़े और कांग्रेस के गुड्डू राजा बुंदेला के बीच मुकाबला है. इस सीट में 8 विधानसभा सीट- बीना, खुरई, सुरखी, नरयावली, सागर, कुरवाई, सिरोंज और शमशाबाद शामिल हैं. वर्तमान में इस सीट से BJP के राजबहादुर सिंह सांसद हैं. ग्वालियर: ग्वालियर लोकसभा सीट पर BJP के भारतसिंह कुशवाह और कांग्रेस के प्रवीण पाठक के बीच मुकाबला है. इस सीट में भी 8 विधानसभा सीट- ग्वालियर, भीतरवार, ग्वालियर दक्षिण, ग्वालियर पूर्व, डबरा, ग्वालियर ग्रामीण , पोहरी और करैरा शामिल हैं. वर्तमान में यहां से BJP के विवेक नारायण शेजवालकर सांसद हैं. विदिशा: ग्वालियर लोकसभा सीट पर BJP के शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रताप भानू शर्मा के बीच मुकाबला है. यहां पर भी 8 विधानसभा सीट- भोजपुर, सांची, सिलवानी, विदिशा, बासौदा, बुधनी, इच्छावर और खातेगांव शामिल हैं. वर्तमान में यहां से BJP के रमाकांत भार्गव सांसद हैं. बैतूल: बैतूल लोकसभा सीट पर BJP के दुर्गादास उइके और कांग्रेस के रामू टेकाम के बीच मुकाबला है. ये अनुसूचित जानजाति के लिए आरक्षित है. इस लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीट- मुल्ताई, आमला, बैतुल, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, टिमरनी, हरदा और हरसूद शामिल हैं. वर्तमान में यहां से BJP के दुर्गादास उइके सासंद हैं.





“मां ने भरोसे के साथ परिवार की कर्मभूमि सौंपी है।” रायबरेली से नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी खुद ही ये कह चुके हैं। ऐसे मं बड़ा सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी मां के भरोसे पर खरे उतरेंगे? 2019 में अमेठी से हार के बाद दक्षिण की ओर पलायन कर चुके राहुल के लिए रायबरेली उत्तर प्रदेश में सुरक्षित है या फिर मुश्किल? और अगर सुरक्षित है तो जीतना कितनी बड़ी चुनौती है? कांग्रेस ने काफी “माथापच्ची” के बाद आखिरकार उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल रायबरेली लोकसभा सीट से राहुल गांधी को उतारा है। रायबरेली सीट गांधी परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है। हालांकि, कुछ मौके ऐसे भी रहे हैं जब परिवार ने अपने किसी नज़दीकी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। सोनिया गांधी से पहले कैप्टन सतीश शर्मा, राजीव गांधी के दोस्त के तौर पर ही यहां से चुनाव लड़े थे, लेकिन 2004 से सोनिया गांधी लगातार रायबरेली से सांसद रही हैं। 2024 का लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी राज्यसभा चली गईं। उसके बाद से रायबरेली की जनता में इस बात को लेकर उत्सुकता होने लगी कि इस बार रायबरेली से कौन चुनाव लड़ेगा? पहले चर्चा थी राहुल गांधी अमेठी से और प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी। अब यहां राहुल का मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है। कांग्रेस का मानना है कि राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने का असर यूपी की सभी सीटों पर पड़ेगा। कांग्रेस ने इस बार राहुल को अमेठी की जगह सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से मैदान में उतारा तो उसके पीछे इस सीट का पुरानी सीट से अधिक सुरक्षित होना भी था। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने राहुल के रायबरेली चयन पर ढेरों कारण गिना दिए। राहुल गांधी को ‘मास्टरमाइंड’ कहते हुए जयराम रमेश ने कहा, इस पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय है। लेकिन वे राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और सोच समझ कर दांव चलते हैं। ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार विमर्श करके बड़ी रणनीति के तहत लिया है। इस निर्णय से भाजपा, उनके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गये हैं। बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो 'परंपरागत सीट' की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें? हालांकि, बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस अब रायबरेली भी अमेठी की तरह हार सकती है। अब सावल उठता है कि बीजेपी के इस दावे में कितना दम है। अमेठी में राहुल गांधी की जीत का अंतर 2014 में बहुत हम हुआ और 2019 में वे हार ही गए। सोनिया गांधी के साथ कुछ ऐसा ही रायबरेली में भी हो रहा था। 2009 में सोनिया गांधी को 72.23% वोट मिले थे। जबकि बीजेपी को सिर्फ 3.82% वोट मिला। बीजेपी और कांग्रेस के बीच तब वोटों का अंतर 68.41% का था। इसके बाद 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी को 63.80% वोट मिले और बीजेपी को 21.05% वोट मिले. यानी कांग्रेस को (-8.43%) वोट का नुकसान हुआ और बीजेपी को (+17.23%) वोट का फायदा। दोनों पार्टियों के वोट का अंतर घटकर 42.75% फीसदी हो गया। 2019 में सोनिया गांधी को 55.78% वोट मिले और बीजेपी को 38.35% वोट मिले, यानी कांग्रेस को (-8.02%) का नुकसान हुआ और बीजेपी को (+17.3%) का फायदा. जीत हार का अंतर घटकर 17.43% फीसदी रह गया है। अब चौथी अहम बात ये है कि रायबरेली में पिछली बार बीजेपी 17.43 फीसदी वोट के अंतर से हारी है और लगातार दो चुनाव में 17% से ज्यादा वोट बढ़ाती आ रही है। पिछले चुनावों के नतीजें देखें तो राहुल गांधी की राह आसान नहीं है। अब देखना होगा कि राहुल गांधी को अपनी परंपरागत सीट का फायदा होता है या उन्हें एक बार फिर अमेठी तरह हार का मूंह देखना पड़ेगा?
“मां ने भरोसे के साथ परिवार की कर्मभूमि सौंपी है।” रायबरेली से नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी खुद ही ये कह चुके हैं। ऐसे मं बड़ा सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी मां के भरोसे पर खरे उतरेंगे? 2019 में अमेठी से हार के बाद दक्षिण की ओर पलायन कर चुके राहुल के लिए रायबरेली उत्तर प्रदेश में सुरक्षित है या फिर मुश्किल? और अगर सुरक्षित है तो जीतना कितनी बड़ी चुनौती है? कांग्रेस ने काफी “माथापच्ची” के बाद आखिरकार उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल रायबरेली लोकसभा सीट से राहुल गांधी को उतारा है। रायबरेली सीट गांधी परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है। हालांकि, कुछ मौके ऐसे भी रहे हैं जब परिवार ने अपने किसी नज़दीकी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। सोनिया गांधी से पहले कैप्टन सतीश शर्मा, राजीव गांधी के दोस्त के तौर पर ही यहां से चुनाव लड़े थे, लेकिन 2004 से सोनिया गांधी लगातार रायबरेली से सांसद रही हैं। 2024 का लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी राज्यसभा चली गईं। उसके बाद से रायबरेली की जनता में इस बात को लेकर उत्सुकता होने लगी कि इस बार रायबरेली से कौन चुनाव लड़ेगा? पहले चर्चा थी राहुल गांधी अमेठी से और प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी। अब यहां राहुल का मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है। कांग्रेस का मानना है कि राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने का असर यूपी की सभी सीटों पर पड़ेगा। कांग्रेस ने इस बार राहुल को अमेठी की जगह सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से मैदान में उतारा तो उसके पीछे इस सीट का पुरानी सीट से अधिक सुरक्षित होना भी था। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने राहुल के रायबरेली चयन पर ढेरों कारण गिना दिए। राहुल गांधी को ‘मास्टरमाइंड’ कहते हुए जयराम रमेश ने कहा, इस पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय है। लेकिन वे राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और सोच समझ कर दांव चलते हैं। ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार विमर्श करके बड़ी रणनीति के तहत लिया है। इस निर्णय से भाजपा, उनके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गये हैं। बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो 'परंपरागत सीट' की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें? हालांकि, बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस अब रायबरेली भी अमेठी की तरह हार सकती है। अब सावल उठता है कि बीजेपी के इस दावे में कितना दम है। अमेठी में राहुल गांधी की जीत का अंतर 2014 में बहुत हम हुआ और 2019 में वे हार ही गए। सोनिया गांधी के साथ कुछ ऐसा ही रायबरेली में भी हो रहा था। 2009 में सोनिया गांधी को 72.23% वोट मिले थे। जबकि बीजेपी को सिर्फ 3.82% वोट मिला। बीजेपी और कांग्रेस के बीच तब वोटों का अंतर 68.41% का था। इसके बाद 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी को 63.80% वोट मिले और बीजेपी को 21.05% वोट मिले. यानी कांग्रेस को (-8.43%) वोट का नुकसान हुआ और बीजेपी को (+17.23%) वोट का फायदा। दोनों पार्टियों के वोट का अंतर घटकर 42.75% फीसदी हो गया। 2019 में सोनिया गांधी को 55.78% वोट मिले और बीजेपी को 38.35% वोट मिले, यानी कांग्रेस को (-8.02%) का नुकसान हुआ और बीजेपी को (+17.3%) का फायदा. जीत हार का अंतर घटकर 17.43% फीसदी रह गया है। अब चौथी अहम बात ये है कि रायबरेली में पिछली बार बीजेपी 17.43 फीसदी वोट के अंतर से हारी है और लगातार दो चुनाव में 17% से ज्यादा वोट बढ़ाती आ रही है। पिछले चुनावों के नतीजें देखें तो राहुल गांधी की राह आसान नहीं है। अब देखना होगा कि राहुल गांधी को अपनी परंपरागत सीट का फायदा होता है या उन्हें एक बार फिर अमेठी तरह हार का मूंह देखना पड़ेगा?
जम्मू कश्मीर के पुंछ में वायुसेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले पर कांग्रेस नेता ने आशंका जाहिर की है। कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ में हुए आतंकी हमले को लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाने के लिए किया गया ‘पॉलिटिकल स्टंट’ करार दिया है। बता दें कि अनंतनाग-राजौरी लोकसभा क्षेत्र में शनिवार को पुंछ जिले में आतंकवादियों ने भारतीय वायु सेना के काफिले पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें एक सैनिक की मौत हो गई और चार घायल हो गए। जालंधर से कांग्रेस के उम्मीदवार चन्नी ने सेना के जवानों पर हलमे और उनकी शहादत को स्टंटबाजी बता दिया। इस बयान से चन्नी का विरोध शुरू हो गया है। जम्मू-कश्मीर के पुंछ में भारतीय वायु सेना के वाहन पर आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले पर कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी से जब मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि "ये स्टंटबाजी हो रही है। हमले नहीं हो रहे। जब चुनाव आते हैं तो बीजेपी को जिताने के लिए ऐसे स्टंट खेले जाते हैं और बीजेपी को जिताने का तैयार किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब इलेक्शन आते हैं तो ऐसे स्टंट खेले जाते हैं। उन्होंने कहा कि ये तैयार करके हमले करवाए जाते हैं, बीजेपी को जिताने का स्टंट होता है, इसमें सच्चाई नहीं होती। उन्होंने कहा कि लोगों को मरवाने और लोगों की लाशों पर खेलना ये बीजेपी को आता है।" वहीं इस बयान के बाद विवाद पैदा हो गया है। चन्नी के इस बयान ने राजनीति में हलचल मचा दी है। इस बयान को भाजपा ने आड़े हाथों लिया है और कहा कि ये कांग्रेस की घटिया मानसिकता बताया है। उन्होंने कहा कि चन्नी का बयान बताता है कि कांग्रेस की मानसिकता देशविरोधी है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने चन्नी के बयान की सख्ती से निंदा करते हुये कांग्रेस से पूछा कि क्या यह चुनाव जीतने के लिये सैनिकों का अपमान करेगी। उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष से चन्नी की टिप्पणी पर माफी मांगने को कहा। ठाकुर रविवार को जालंधर में थे। उन्होंने कहा, ‘वे हमारी सेना का अपमान करते हैं। वे हमारी सेना की क्षमता पर सवाल उठाते हैं।’ उन्होंने पूछा, ‘क्या कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए हमारे वीर जवानों का अपमान करेगी।’
May 06 2024, 15:59
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