प्रियंका गांधी का पीएम मोदी पर जोरदार पलटवार, बोलीं-मेरे पिता को अपनी मां से विरासत में संपत्ति नहीं, शहादत मिली
#priyanka_gandhi_emotional_speech_about_her_father_rajiv_gandhi
पूरे देश में तापमान 40 के पार पहुंच गया है। भीषण गर्मी के बीच लोकसभा चुनाव को लेकर जारी सियासी हलचल से पारा और चढ़ गया है। जनता को अपने पाले में करने के लिए नेता लच्छेदार भाषण को अपना हथियार बनाए हुए हैं। बयानवाजियों और वार-पलटवार के इस दौरा में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा गुरुवार को एक चुनावी जनसभा के दौरान अपने पिता को याद करते हुए भावुक हो गईं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक भावनात्मक भाषण में अपने पिता के शरीर के टुकड़े घर लाने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि राजीव गांधी को उनकी मां से विरासत में संपत्ति नहीं ‘शहादत’ मिली।
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी गुरुवार को मध्य प्रदेश के मुरैना पहुंचीं हुई थीं। जहां, एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने 'विरासत वाले बयान' पर एक बार फिर निशाना साधा। प्रियंका गांधी ने कहा कि, 'जब अपने पिता के टुकड़े लेकर आई तो इस देश से नाराज थी। मैंने अपने पिता को हिफाजत से तुम्हारे पास भेजा और तुमने टुकड़े में लौटाया। प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं जानती हूं शहादत का क्या मतलब है। जब मंच पर खड़े होकर मेरे पिता पर आरोप लगाते हैं कि मेरे पिता ने कोई कानून बदल दिया उनसे विरासत लेने के लिए। मेरे पिता को विरासत में धन-दौलत नहीं, शहादत की भावना मिली।
प्रियंका ने रैली को संबोधित करते हुए भावुक स्वर में कहा, जब मोदीजी इंदिराजी जैसी महिला के बारे में बकवास करते हैं, जब मोदीजी देशभक्ति की इस भावना को देखकर केवल वंशवादी राजनीति देखते हैं, तो वह इस बलिदान को नहीं समझ सकते। बीजेपी पर हमला बोलते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि वे हमें देशद्रोही कहें, घर से निकाल दें, संसद से निकाल दें, कुछ भी कर लें, लेकिन ये भावना हमारे दिल से कोई नहीं निकाल सकता। आज विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन हम आवाज उठाते रहते हैं, हम डरने वाले नहीं हैं।
मोदी ने पिछले हफ्ते मुरैना में एक रैली में आरोप लगाया था कि राजीव गांधी ने सत्ता में आने के बाद विरासत कर को खत्म कर दिया था ताकि उन्हें उनकी मां से विरासत में मिली संपत्ति पर कर न लगे। उन्होंने कहा था कि पहले मृत व्यक्ति की आधी संपत्ति कानूनन सरकार के पास चली जाती थी। प्रधानमंत्री ने कहा था, तब चर्चा थी कि इंदिराजी ने अपनी संपत्ति की वसीयत अपने बेटे राजीव गांधी के नाम कर दी थी। (उनकी मृत्यु के बाद) सरकार को मिलने वाले पैसे को बचाने के लिए, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विरासत कर को समाप्त कर दिया।






अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट को लेकर सस्पेंस समाप्त हो गया है। कांग्रेस ने गांधी परिवार का गढ़ मानी जाने वाली अमेठी सीट से सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र प्रतिनिधि रहे किशोरी लाल शर्मा को टिकट देने का ऐलान किया है।दूसरी तरफ सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में लोगों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ रही है कि केएल शर्मा कौन हैं जिस पर कांग्रेस ने भरोसा जताया है? यहीं नहीं लोगों के मन में ये सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या केएल शर्मा कांग्रेस की हारी हुई अमेठी सीट को वापस लाने में कामयाब होंगे? केएल शर्मा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के विश्वासपात्र हैं। जब सोनिया रायबरेली से सांसद थीं तो वह उनके सांसद प्रतिनिधि हुआ करते थे।किशोरी लाल काफी समय से अमेठी और रायबरेली दोनों क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी का कामकाज देखते आ रहे हैं।मूल रूप से किशोरी लाल शर्मा पंजाब के लुधियाना से ताल्लुक रखते हैं। 1983 के आसपास राजीव गांधी उन्हें पहली बार अमेठी लेकर आए थे। तब से वह यहीं के होकर रह गए। वह 1983 से रायबरेली और अमेठी में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। 1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद जब गांधी परिवार ने यहां से चुनाव लड़ना बंद किया तो भी शर्मा कांग्रेस पार्टी के सांसद के लिए काम करते रहे।केएल शर्मा का अमेठी और रायबरेली से जुड़ाव लगातार बना रहा। उन्होंने शीला कौल और सतीश शर्मा का भी कामकाज देखा।किशोरी लाल को सोनिया के लिए चाणक्य का किरदार निभाने वाला माना जाता है। 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया की अमेठी से जीत में किशोरी लाल की अहम भूमिका रही। चुनाव के बाद पांच साल तक किशोरी ने अमेठी में रहकर पूरी जिम्मेदारी संभाली। शर्मा की कांग्रेस के लिए उपयोगिता इसी से समझिए कि अगर वह अमेठी से चुनाव लड़ रहे तो भी रायबरेली सीट पर राहुल का काम देखेंगे। हालांकि, लंबे समय से कांग्रेस और उसके चुनाव मैनेजमेंट से जुड़े रहे किशोरी लाल शर्मा के सामने गांधी परिवार का खोया गढ़ वापस पाने की चुनौती होगी।शर्मा के सामने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की मजबूत चुनौती है।स्मृति ईरानी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को हराया था।

एक समय था जब कोरोना महामारी के बीच लोग वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जब वैक्सीन आई तो बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन भी हुआ। हालांकि कई बार कोरोना वैक्सीन से होने वाले प्रभावों को लेकर सवाल उठते रहे। इस बीच अब ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से कुछ दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इस खुलासे के बाद कोरोना की वैक्सीन लेने वाले लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए। *भारत में इसी फॉर्मूले से कोवीशील्ड बनी* एस्ट्राजेनेका के इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। दरअसल, एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड वैक्सीन बनाई। भारत में सबसे पहली कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड है। भारत में बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है। जिसके बाद लोग डरा हुआ महसूस कर रहे हैं। हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि यह एस्ट्राजेनेका के कोविड वैक्सीन का एक दुर्लभ दुष्प्रभाव है, और इसके लाभ जोखिम से कहीं अधिक हैं। *दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं* ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लेकर कहा कि इसका साइड इफेक्ट टीका लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। वह भी केवल दुर्लभ मामलों में ही। भारत में कोविशील्ड के करोड़ों डोज लगाए गए हैं लेकिन न के बराबर मामलों में ही साइड इफेक्ट देखने को मिला। उनकी ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं। *दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा* ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन के लॉन्च होने के 6 महीने के अंदर टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था। इस वैक्सीन की समझ में कोई नया चेंज नहीं है। उनकी ओर से कहा गया कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा है। *भारत में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला* हालांकि, भारत में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जांच के लिए मेडिकल एक्सपर्ट का पैनल बनाया जाए। इस पैनल में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) दिल्ली के एक्सपर्ट भी हों। पैनल की अध्यक्षता AIIMS के डायरेक्टर करें और जांच की निगरानी का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के पास हो। एक्सपर्ट पैनल इस बात की जांच करे कि कोवीशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स हैं क्या? अगर हैं तो वो कितने गंभीर हैं? वैक्सीन लगाने के बाद किसी को गंभीर नुकसान पहुंचा हो या जान गई हो तो केंद्र को निर्देश दिए जाएं कि वो ऐसे लोगों को हर्जाना देने के लिए वैक्सीन डैमेज पेमेंट सिस्टम बनाए। बता दें कि ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में पहली बार माना है कि कोविड-19 की उसकी वैक्सीन से टीटीएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। टीटीएस यानी थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदयगति थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

May 03 2024, 12:24
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
46.2k