राहुल गांधी ने प्रज्वल रेवन्ना मामले में पीएम मोदी को घेरा, बोले- मास रेपिस्ट के लिए मांगा वोट, अब मांगे माफी
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पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना के कथित अश्लील वीडियो सार्वजनिक होने के बाद मामला गरम है। रेवन्ना का सेक्स स्कैंडल अब उसके साथ गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ रही भाजपा के लिए परेशानी बन गया है। विपक्षी दलों ने इसे लेकर भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी को इस मुद्दे पर घेरा। राहुल ने कहा कि पीएम मोदी महिलाओं से माफी मांगे।पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रज्वल रेवन्ना के लिए वोट मांगने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारतीय महिलाओं से माफी मांगने को कहा।
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प्रज्वल रेवन्ना और प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कर्नाटक के शिवमोगा में कहा, प्रधानमंत्री को भारत की माताओं-बहनों से भी माफी मांगनी चाहिए। प्रज्वल रेवन्ना ने 400 महिलाओं का रेप किया और उनका वीडियो बनाया है। यह सेक्स स्कैंडल नहीं बल्कि मास रेप है। राहुल ने कहा, 'प्रधानमंत्री कर्नाटक में भरे मंच पर मास रेपिस्ट को डिफेंड कर रहे थे। उन्होंने (मोदी) कहा था कि कर्नाटक यदि आप इस रेपिस्ट के लिए वोट करेंगे तो इसका लाभ मुझे होगा। राहुल ने आगे कहा, कर्नाटक में हर महिला को जानना चाहिए कि जब प्रधानमंत्री उनसे वोट मांग रहे थे तो वह प्रज्वल की हरकत के बारे में जानते थे।
राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि ऐसे आरोपी का बीजेपी ने कैसे समर्थन किया। उसे जर्मनी जाने से क्यों नहीं रोका गया? इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि हैरत है कि जिस वक्त प्रधानमंत्री मोदी ने रेवन्ना का समर्थन किया, उस वक्त उनको उसके कारनामे कैसे नहीं मालूम थे? राहुल गांधी ने कहा कि उनके पास सारी एजेंसियां हैं, फिर भी उन्हें कैसे नहीं पता चला कि उस पर क्या आरोप हैं और वह विदेश भागने वाला है?
राहुल गांधी ने आगे कहा कि आज बीजेपी सत्ता के लिए किसी का भी समर्थन करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया में इस बात का शोर है कि एक 400 महिलाओं के रेप के आरोपी को बीजेपी अपना समर्थन दे रही है। राहुल गांधी ने कहा कि पिछले 10 साल में इस सरकार ने केवल 22 लोगों के लिए काम किया। केवल अमीरों की जेब में धन डाला. उन्होंने चंद अमीरों का 16 लाख करोड़ का कर्ज माफ किया है।
बता दें कि प्रज्वल रेवन्ना इस बार भी हासन लोकसभा सीट से भाजपा के समर्थन के साथ जेडीएस कैंडीडेट के तौर पर चुनाव लड़े हैं। इस सीट पर 26 अप्रैल को मतदान हो चुका है। पूर्व प्रधानमंत्री और जद (एस) के मुखिया एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल पर महिलाओं के साथ यौन शोषण का आरोप है। राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।






एक समय था जब कोरोना महामारी के बीच लोग वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जब वैक्सीन आई तो बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन भी हुआ। हालांकि कई बार कोरोना वैक्सीन से होने वाले प्रभावों को लेकर सवाल उठते रहे। इस बीच अब ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से कुछ दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इस खुलासे के बाद कोरोना की वैक्सीन लेने वाले लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए। *भारत में इसी फॉर्मूले से कोवीशील्ड बनी* एस्ट्राजेनेका के इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। दरअसल, एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड वैक्सीन बनाई। भारत में सबसे पहली कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड है। भारत में बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है। जिसके बाद लोग डरा हुआ महसूस कर रहे हैं। हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि यह एस्ट्राजेनेका के कोविड वैक्सीन का एक दुर्लभ दुष्प्रभाव है, और इसके लाभ जोखिम से कहीं अधिक हैं। *दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं* ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लेकर कहा कि इसका साइड इफेक्ट टीका लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। वह भी केवल दुर्लभ मामलों में ही। भारत में कोविशील्ड के करोड़ों डोज लगाए गए हैं लेकिन न के बराबर मामलों में ही साइड इफेक्ट देखने को मिला। उनकी ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं। *दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा* ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन के लॉन्च होने के 6 महीने के अंदर टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था। इस वैक्सीन की समझ में कोई नया चेंज नहीं है। उनकी ओर से कहा गया कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा है। *भारत में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला* हालांकि, भारत में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जांच के लिए मेडिकल एक्सपर्ट का पैनल बनाया जाए। इस पैनल में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) दिल्ली के एक्सपर्ट भी हों। पैनल की अध्यक्षता AIIMS के डायरेक्टर करें और जांच की निगरानी का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के पास हो। एक्सपर्ट पैनल इस बात की जांच करे कि कोवीशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स हैं क्या? अगर हैं तो वो कितने गंभीर हैं? वैक्सीन लगाने के बाद किसी को गंभीर नुकसान पहुंचा हो या जान गई हो तो केंद्र को निर्देश दिए जाएं कि वो ऐसे लोगों को हर्जाना देने के लिए वैक्सीन डैमेज पेमेंट सिस्टम बनाए। बता दें कि ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में पहली बार माना है कि कोविड-19 की उसकी वैक्सीन से टीटीएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। टीटीएस यानी थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदयगति थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

May 03 2024, 10:30
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