‘मधुमेह वाले टीबी मरीजों के लिए दोनों बीमारियों की दवाओं का सेवन जरूरी
गोरखपुर।लापरवाही करने पर मधुमेह की सहरूग्णता वाले टीबी मरीज अपेक्षाकृत धीरे धीरे ठीक होते हैं और उनमें जटिलताओं की आशंका भी कहीं अधिक होती है । मधुमेह ग्रसित टीबी मरीज भी अच्छी दिनचर्या, संयमित खानपान और समय से टीबी और मधुमेह की दवा खाकर स्वस्थ हो सकते हैं।
इसी उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक टीबी मरीज के मधुमेह की जांच अनिवार्य तौर पर करवाता है । जांच में जिन मरीजों में मधुमेह की भी पुष्टि होती है उन्हें इसके चिकित्सक को दिखा कर दवा शुरू करने की सलाह दी जाती है । विशेषज्ञों का कहना है कि मधुमेह वाले टीबी मरीजों के लिए दोनों बीमारियों की दवाओं का सेवन जरूरी है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2021 में प्रकाशित ग्लोबल टीबी रिपोर्ट के अनुसार मधुमेह, टीबी के मामलों और टीबी की मृत्यु दर को प्रभावित करने वाले एक प्रमुख कारक है। यह टीबी की बीमारी के खतरे को दो से तीन गुना, इलाज के दौरान मौत की आशंका को दोगुना, इलाज पूरा होने के बाद दोबारा टीबी होने की आशंका को चार गुना और ड्रग रेसिस्टेंट (डीआर) टीबी होने की आशंका को दोगुना बढ़ा देता है ।
जिला क्षय अधिकारी डॉ गणेश यादव बताते हैं कि मधुमेह मरीजों द्वारा सतर्कता के साथ इलाज लेने से किसी भी प्रकार की जटिलता पैदा नहीं होती है । हां, ऐसे मरीजों में टीबी की जांच, पहचान और इलाज में बहुत देरी नहीं होनी चाहिए । अगर मधुमेह मरीज में दो सप्ताह से अधिक की खांसी, रात में पसीने के साथ बुखार, बलगम में खून आना और सीने में दर्द जैसे टीबी के लक्षण दिखें तो तुरंत जांच कराई जानी चाहिए । प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उनमें टीबी की आशंका कम होती है । जिला समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह और पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्रा द्वारा लगातार सभी एसटीएस और निजी क्षेत्र को इस बारे में विशेष सतर्कता बरतने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज के टीबी यूनिट पर वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस) अमित नारायण मिश्र बताते हैं कि उनके यहां औसतन प्रति माह दो सौ के आसपास नये टीबी मरीज पंजीकृत होते हैं। जब इन मरीजों के मधुमेह स्तर की जांच कराई जाती है तो करीब दस मरीज मधुमेह से भी पीड़ित मिलते हैं । चिकित्सक द्वारा टीबी के साथ मधुमेह पीड़ित मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सक के पास रेफर कर दिया जाता है। वहां से मधुमेह की दवा शुरू हो जाती है । मरीजों को परामर्श दिया जाता है कि दोनों दवाएं साथ साथ खानी है । उन्हें बताया जाता है कि मधुमेह नियंत्रित न रख पाने पर टीबी से समस्याएं बढ़ सकती हैं ।
त्वरित जांच की सुविधा उपलब्ध
आयुष्मान आरोग्य मंदिर से लेकर प्रत्येक सरकारी अस्पताल पर मधुमेह की त्वरित जांच की सुविधा उपलब्ध है । टीबी मरीजों को प्रत्येक दशा में मधुमेह की जांच अवश्य करानी चाहिए । अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ता को भी निर्देश है कि वह मधुमेह ग्रसित टीबी के संभावित मरीजों की जांच अवश्य कराएं। टीबी के साथ मधुमेह है तो दवाओं के अलावा खाने पीने में अधिक सतर्कता बरतनी है । उन्हें मीठी चाय और मीठे खानपान से परहेज रखना है। रोटी, दाल और हरी सब्जी का सेवन करें। सेब, अमरूद और संतरा जैसे फलों का सेवन करना चाहिए। फलों के जूस का सेवन नहीं करना है।
डॉ आशुतोष कुमार दूबे, मुख्य चिकित्सा अधिकारी
Apr 29 2024, 19:56