कौन हैं कांग्रेस के “खास जमात”, जिसका जिक्र पर राजस्थान में गजरे पीएम मोदी, 'हनुमान चालीसा' के बहाने भी खूब बरसे

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पूरा देश भीषण गर्मी से झुलस रहा है, वहीं लोकसभा चुनाव को लेकर बढ़े सियासी हलचल ने तापमान को और बढ़ाने का काम किया है। चुनाव से पहले देश भर में नेताओं के लगातार दौरे चल रहे हैं, तो वहीं पीएम मोदी के भी अलग-अलग राज्यों में लगातार दौरे हो रहे हैं। इसी क्रम में पीएम मोदी मंगलवार को राजस्थान दौरे पर पहुंचे।हनुमान जयंती पर उन्होंने भाषण की शुरुआत ही बजरंग बली की जय के साथ की। फिर कर्नाटक का एक किस्सा भी सुनाया। आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार में हनुमान चालीसा सुन रहे व्यापारी को पीट-पीटकर लहुलूहान कर दिया गया। इनके राज में तो हनुमान चालीसा सुनना भी गुनाह हो गया है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने “खास वोटबैंक” का जिक्र करते हुए इंडिया गठबंधन पर खूब हमला बोला।

पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान ने हर बार भाजपा को भरपूर आशीर्वाद दिया है। आज रामभक्त हनुमान जी की जयंती का पवित्र दिन है। पूरे देश को हनुमान जयंती की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। पीएम ने बजरंग बली के जयकारे लगाए। इस दौरान पीएम ने कांग्रेस के राज में हनुमान चालीसा सुनना भी गुनाह हो जाता है।

पीएम ने कहा कि आज हनुमान जयंती पर आपसे बात करते हुए मुझे कुछ दिन पहले की एक तस्वीर भी याद आ रही है। कुछ दिन पहले कांग्रेस के शासन वाले कर्नाटक में एक छोटे दुकानदार को केवल इसलिए बुरी तरह से पीटा गया, क्योंकि वो अपनी दुकान में बैठे-बैठे हनुमान चालीसा सुन रहा था। पीएम ने कहा कि कांग्रेस के राज में हनुमान चालीसा सुनना भी गुनाह हो जाता है। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने तो राम-राम सा कहने वाले राजस्थान में रामनवमी पर प्रतिबंध लगा दिया था। कांग्रेस ने शोभायात्रा पर पत्थरबाजी करने वालों को सरकारी संरक्षण दिया था।पीएम ने कहा कि अब भाजपा सरकार आने के बाद किसी की हिम्मत नहीं है कि आपकी आस्था पर सवाल उठा दे। अब आप चैन से हनुमान चालीसा भी गाएंगे और रामनवमी भी मनाएंगे।

पीएम ने आगे कहा कि साल 2014 में आपने मोदी को दिल्ली में सेवा का अवसर दिया। फिर देश ने वो फैसले लिए जिनकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। पीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 2014 के बाद भी और आज भी अगर दिल्ली में कांग्रेस की सरकार होती तो क्या क्या हुआ होता। कांग्रेस होती, तो जम्मू कश्मीर में आज भी हमारी सेनाओं पर पत्थर चल रहे होते। कांग्रेस होती, तो सीमा पार से आकर दुश्मन आज भी हमारे जवानों के सिर काटकर ले जाते। कांग्रेस होती, तो न ही हमारे फौजियों के लिए वन रैंक-वन पेंशन लागू होती और न ही हमारे पूर्व सैनिकों को 1 लाख करोड़ रुपये मिलते। 

“खास जमात को आरक्षण देना चाहते हैं”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2011 में कांग्रेस ने एससी-एसटी को मिला अधिकार छीनकर मुस्लिमों को देने का प्रयास किया। कांग्रेस ने संविधान की परवाह नहीं की, बाबा साहब अंबेडकर की परवाह नहीं की। जब कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनी तो पहला काम किया कि धार्मिक आधार पर आरक्षण खत्म कर दिया। कांग्रेस और इंडी अलायंस जब सत्ता में थे तो ये लोग दलितों और पिछड़ों के आरक्षण में सेंधमारी करते और वोट बैंक पॉलिटिक्स के लिए उनकी खास जमात को आरक्षण देना चाहते थे। संविधान इसके खिलाफ है। मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि कांग्रेस यह एलान करेगी कि इस संविधान में दलितों और पिछड़ों के आरक्षण को कम करके मुसलमानों को नहीं बांटेगी।

“आपकी संपत्ति छीनकर उनके खास लोगों को बांटने की गहरी साजिश”

पीएम मोदी बोले कि देश में धार्मिक आधार पर आरक्षण का घोर विरोध हुआ था। कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। 2004 में जैसे ही केंद्र में कांग्रेंस की सरकार बनी, उसमें सबसे पहला काम आंध्र में एससी-एसटी रिजर्वेशन में कमी कर मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रयास किया गया। 2004 से 2010 के बीच कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में चार बार मुस्लिम रिजर्वेशन लागू करने की कोशिश की। सुप्रीम कोर्ट की सक्रियता के कारण यह लागू नहीं कर पाई। मैंने देश के सामने सच रखा कि कांग्रेस आपकी संपत्ति छीनकर उनके खास लोगों को बांटने की गहरी साजिश रच रही है। मैंने कांग्रेस की इस तुष्टिकरण की साजिश का पर्दाफाश किया था। इससे कांग्रेस को इतनी मिर्ची लगी है कि वे मोदी को गाली देने में लगे हैं।

“राजस्थान में एक भी पंजा बचना नहीं चाहिए”

पीएम मोदी ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि अभी कांग्रेस के एक नेता ने पब्लिकली कहा कि एक्सरे करके लोगों की संपत्ति का पता लगाएंगे। फिर जो भी ज्यादा होगा, वह लोगों में बांट देंगे। यह आपको मंजूर है क्या? क्या मंगल सूत्र पर हाथ लगा सकते हैं? इस पंजे की यह ताकत... राजस्थान में एक भी पंजा बचना नहीं चाहिए।

लोकसभा चुनाव के बीच बढ़ी भाजपा के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय की मुश्किलें! कोर्ट ने दिए जांच के आदेश, जानें पूरा मामला

दो साल पहले खरगोन में हुए दंगे को लेकर नगरीय प्रशासन मंत्री द्वारा वायरल किए गए वीडियो का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। सोमवार को कांग्रेस प्रवक्ता अमिनुल सूरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पुलिस को 90 दिन में जांच कर प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए है। प्रवक्ता ने कोर्ट आदेश की प्रति तिलक नगर थाने में सौंपी है।

दो साल पहले रामनवमी को खरगोन में दंगे हुए थे। तब वहां कर्फ्यू भी लगा था। दंगे से जुड़ा एक वीडियो मंत्री विजयवर्गीय ने फेसबुक पोस्ट किया था। उस वीडियो पर आपत्ति लेते हुए सूरी ने 16 अप्रैल 2022 को तिलक नगर थाने में शिकायत की थी कि विजयवर्गीय ने जो वीडियो पोस्ट किया हैै। वह तेलंगाना का है। उसे विजयवर्गीय ने खरगोन का बताया। इससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई है।

 

शिकायत के बाद पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज नहीं किया तो सूरी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिए है कि मामले की 90 दिनों के भीतर जांच कर प्रकरण दर्ज करे। रात को सूरी ने तिलक नगर थाने में कोर्ट की प्रति दी और पुलिस अफसरों से मामले की जल्दी जांच शुरू कर विजयवर्गीय के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की मांग की।

खरगोन हादसे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी एक वीडियो पोस्ट किया था। जिसे फर्जी बताते हुए भाजपा के पदाधिकारियों ने 9 जिलों में सिंह के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराए थे।

एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, भारत में भी रूस के राष्ट्रपति पुतिन की राह पर चल रहे पीएम मोदी, जमकर कसा तंज

NCP (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। शरद पवार ने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्रियों ने नया भारत बनाने के लिए काम किया लेकिन पीएम मोदी केवल दूसरों की आलोचना करते हैं और इस बारे में नहीं बोलते कि उनकी सरकार ने पिछले दस वर्षों में लोगों के लिए क्या किया है। 

शरद पवार ने कहा, ''केंद्र सरकार ने पिछले दस वर्षों में क्या किया, यह बताने के बजाय वह (मोदी) दूसरों की आलोचना करते रहते हैं।'' उन्होंने कहा, "हमें डर है कि भारत में एक नया पुतिन बन रहा है।" शरद पवार ने अमरावती में महा विकास अघाड़ी (MVA) के उम्मीदवार के लिए वोट मांगते हुए कहा कि देश के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के योगदान पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। उन्होंने दावा किया कि कुछ भाजपा नेताओं ने सार्वजनिक रूप से संविधान को बदलने के बारे में बात की थी और लोगों से अपील की थी कि वे भारत में निरंकुशता को आकार न लेने दें।

पवार ने कहा, "प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद, मैंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव से लेकर मनमोहन सिंह तक लगभग सभी प्रधानमंत्रियों का काम देखा। उनके प्रयास एक नया भारत बनाने के थे, लेकिन मौजूदा प्रधान मंत्री केवल आलोचना करते हैं।" उन्होंने कहा कि इतिहास में पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू के योगदान को कोई नहीं भूल सकता, लेकिन प्रधानमंत्री (मोदी) लगातार उनकी आलोचना करते हैं। 

 

उल्लेखनीय है कि, अमरावती लोकसभा क्षेत्र में एक हाई-प्रोफाइल चुनावी लड़ाई बन रही है, जहां भाजपा ने मौजूदा सांसद नवनीत राणा को मैदान में उतारा है, जिन्होंने 2019 का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के बलवंत वानखेड़े के खिलाफ जीता था।

रॉबर्ट वाड्रा के अमेठी से चुनाव लड़ने की इच्छी पर स्मृति ईरानी का राहुल गांधी पर तंज, बोलीं- '.....साले साहब क्या करेंगे'

लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान शुरू भी चुका है। अब 26 अप्रैल को दूसरे चरण के लिए वोट डाले जाएंगे। हालांकि कांग्रेस ने सबसे अहम सीटों अमेठी और रायबरेली से अब तक प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। हालांकि अभी हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा अमेठी से टुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। अब इस पर भाजपा सांसद स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनके बहनोई रॉबर्ट वाड्रा पर कटाक्ष किया है। ईरानी ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा है कि “जीजाजी की नज़र हैं, साले साहब क्या करेंगे। साथ ही स्मृति ईरानी ने दावा किया की उन्होंने पांच साल में अमेठी निर्वाचन क्षेत्र में गांधी की तुलना में 15 साल से अधिक काम सुनिश्चित किया। 

केंद्रीय मंत्री ने अमेठी में एक सार्वजनिक सभा में आगे कहा, "राहुल गांधी भी अपनी सीट पर रूमाल रखकर आएंगे क्योंकि उनके जीजा की नजर इस सीट पर है।" स्मृति ईरानी ने अमेठी में कहा, ''क्या ऐसा कभी हुआ है? चुनाव में महज 27 दिन बचे हैं, लेकिन कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। इतना अहंकार !जो मैं पांच साल में किया है , राहुल गांधी 15 साल में नहीं कर सके।'' राहुल गांधी लगातार तीन बार अमेठी से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे। उनसे पहले इस सीट का प्रतिनिधित्व उनके माता-पिता सोनिया गांधी और राजीव गांधी और चाचा संजय गांधी ने किया था।

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी सीट से चुनाव लड़ा था। जबकि अमेठी 15 साल तक कांग्रेस का गढ़ रहा था, ईरानी ने इस सीट से राहुल गांधी को हराया था। 

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष पहले ही केरल की वायनाड सीट से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर चुके हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस चुनाव में अमेठी सीट से चुनाव लड़ेंगे, राहुल गांधी ने पहले कहा था कि वह पार्टी के आदेशों का पालन करेंगे। इस बीच, प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा ने अमेठी सीट से उम्मीदवार होने के कई संकेत दिए। उन्होंने कहा कि अमेठी के लोग चाहते हैं कि वह उनका प्रतिनिधित्व करें और अगर वह चुनाव लड़ते हैं तो वे भारी अंतर से उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे।लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में 20 मई को अमेठी में मतदान होगा।

पतंजलि विज्ञापन मामला: सुप्रीम कोर्ट ने 'अनैतिक आचरण' पर (आईएमए ) को फटकार लगाई

पतंजलि आयुर्वेद, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई करते हुए, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को याचिकाकर्ता, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) को उसके डॉक्टरों द्वारा कथित तौर पर एलोपैथी में "महंगी और अनावश्यक" दवाओं का समर्थन करने पर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने तीखे शब्दों में टिप्पणी करते हुए देश के डॉक्टरों के प्रमुख संघ से कहा कि ''चार उंगलियां'' उन पर भी उठ रही हैं।

" (आईएमए) के डॉक्टर भी एलोपैथिक क्षेत्र में दवाओं का समर्थन कर रहे हैं। यदि ऐसा हो रहा है, तो हमें (आईएमए) पर हमला क्यों नहीं करना चाहिए?" सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए से पूछा.

सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए से मरीजों को दी जाने वाली "महंगी और अनावश्यक" दवाओं के संबंध में कथित "अनैतिक कृत्यों" के संबंध में अपना रुख बदलने को कहा। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने कहा, "आईएमए के कथित अनैतिक आचरण के संबंध में कई शिकायतें हैं। "सुप्रीम कोर्ट ने यह भी देखा कि एफएमसीजी कंपनियां शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले उत्पादों के विज्ञापन प्रकाशित करके जनता को धोखा दे रही हैं।

अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालयों को पिछले तीन वर्षों में भ्रामक विज्ञापनों पर उनके द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को इसके प्रति जागना चाहिए।

पतंजलि के खिलाफ क्या है मामला?

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले विज्ञापन प्रकाशित करने और आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ बदनामी भरा अभियान चलाने के लिए पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ अदालत का रुख किया है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पतंजलि ने शपथपत्र दिया था कि वे भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने से परहेज करेंगे। हालाँकि, इस साल की शुरुआत में, अदालत ने उन्हें अपने उपक्रम का उल्लंघन करते हुए पाया। जिसके बाद में कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की।

16 अप्रैल को, शीर्ष अदालत ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को "एलोपैथी को नीचा दिखाने" के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी और उन्हें पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में अवमानना कार्यवाही में एक सप्ताह के भीतर "सार्वजनिक माफी मांगने और पश्चाताप दिखाने" की अनुमति दी। आज, कंपनी ने अदालत को सूचित किया कि उसने 60 से अधिक समाचार पत्रों में अपना माफीनामा प्रकाशित किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण को अखबारों में प्रकाशित माफी को रिकॉर्ड पर रखने का आदेश दिया।

पतंजली के फिर “सुप्रीम” फटकार, अखबार में छपे बाबा रामदेव के माफीनामे पर कोर्ट ने कही ये बात*
#patanjali_misleading_ad_case एलोपैथी दवाओं के खिलाफ विज्ञापन और पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओं के लिए ‘भ्रामक दावों’ पर अदालत की अवमानना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने जब इस मामले की सुनवाई की।कोर्ट रूम में योगगुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण मौजूद थे। आज की सुनवाई में भी बाबा रामदेव को राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने उन्हें 30 अप्रैल को फिर मौजूद रहने को कहा है। *कोर्ट ने माफी के आकार पर उठाए सवाल* योगगुरु रामदेव की मौजूदगी में पतंजलि की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पतंजलि ने 67 अखबारों में माफीनामा दिया है।अखबार में सोमवार को माफीनामा का विज्ञापन दिया गया था। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपने किस साइज में विज्ञापन दिया है। जस्टिस कोहली ने कहा कि आपने कुछ नहीं किया। जस्टिस कोहली ने कहा कि एक सप्ताह बाद कल क्यों किया गया। क्या माफी का आकार आपके सभी विज्ञापनों में समान है। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इसकी कीमत दस लाख है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कहा कि अखबार में छपी आपकी माफी अयोग्य है। कोर्ट ने अतिरिक्त विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया। * ‘माफीनामा वाले एड को रिकॉर्ड पर लाइए’* सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि पतंजलि की तरफ से बताया कि उनकी तरफ से माफीनामा प्रकाशित किया गया है। हालांकि ये बात रिकॉर्ड पर नहीं है। इसके बाद मुकुल रोहतगी ने कहा कि आज ही वो इसे रिकॉर्ड पर डालेंगे। इस पर बेंच ने कहा कि मामला केवल पतंजलि तक ही नहीं है, बल्कि दूसरे कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर भी चिंता है। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को साफ तौर पर कहा कि माफीनामे का नया विज्ञापन भी पतंजलि को प्रकाशित करना होगा और उसे भी रिकॉर्ड पर लाना होगा। इससे पहले 19 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। तब अदालत ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण दोनों मौजूद थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगी थी।न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने उनकी माफी का संज्ञान लिया, लेकिन यह स्पष्ट किया था कि इस स्तर पर रियायत देने का फैसला नहीं किया है।
ताकतवर बनने की रेसःसेना और हथियार पर खर्च करने वाले देशों में चौथे स्थान पर भारत

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एक तरह रूस-युक्रेन युद्ध तो दूसरी तरफ इजराइल और गाजा के बीच जंग। इस बीच अब एक और युद्ध की आटह सुनी जा रही है। ईरान और इजराइल के बीच भी एक चिनगारी सुलग रही है, जो कभी भी भीषण आग का गोला बन सकती है। ऐसे में दुनियाभर के देश खुद को ताकतवर दिखाने की होड़ में लगे हुए हैं। दुनिया में हथियारों, गोला-बारूद और दूसरे सैन्य साजो-सामान पर विभिन्न देश इस समय जितना खर्च कर रहे हैं, उतना इससे पहले कभी नहीं हुआ। स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में वैश्विक सैन्य खर्च रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।

स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट यानी सिपरी का कहना है कि दुनिया में इस वक्त घातक हथियारों, गोला-बारूद और सैन्य साज-ओ-सामान पर तमाम देश जितना धन खर्च कर रहे हैं, उतना इससे पहले कभी नहीं किया गया। सिपरी ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2023 में वैश्विक सैन्य खर्च एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में सैन्य खर्च 2022 के मुकाबले 6.8 फीसदी बढ़कर 24.4 खरब डॉलर पर पहुंच गया। वहीं 2022 में यह खर्च 22.4 खरब डॉलर था। दुनिया का बढ़ता सैन्य खर्च यह भी साबित करता है कि दुनिया अब कम सुरक्षित महसूस कर रही है और कूटनीति के बजाय दूसरे तरीकों की ओर बढ़ती जा रही है।

अमेरिका शीर्ष पर तो चीन दूसरे स्थान पर

सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देशों में अमेरिका अब भी शीर्ष पर है। 2023 में अमेरिका ने 916 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च किए जो दुनियाभर के कुल खर्च का 37% से भी ज्यादा है। दूसरे नंबर पर चीन है, जिसका खर्च अमेरिका से लगभग एक तिहाई है। उसने 296 अरब डॉलर खर्च किए, जो कुल खर्च का 12% है। यह 2022 से 6% ज्यादा है। इन दोनों देशों ने ही कुल खर्च में आधे का योगदान दिया। 

रूस अपनी जीडीपी का 5.9 फीसदी सेना पर खर्च कर रहा

इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर रूस है। 2023 में रूस का खर्च 2022 के मुकाबले 24 फीसदी बढ़कर 109 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2014 में जब रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन से अलग किया था, उसके बाद से यह 57 फीसदी की वृद्धि है। रूस अपनी जीडीपी का 5.9 फीसदी सेना पर खर्च कर रहा है।

2023 में भारत ने 83.6 अरब डॉलर खर्च किए

भारत वर्ष 2023 में अपनी सेना पर सबसे ज्यादा खर्च वालों की लिस्ट में दुनिया का चौथा बड़ा देश है। जिसने 83.6 अरब डॉलर खर्च किए। 2022 के मुकाबले यह 4.2 फीसदी और 2014 के मकाबले 44 फीसदी बढ़ाया है। पिछले साल भारत ने 83.6 बिलियन का रक्षा बजट रखा था। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भारत ने अपने रक्षा बजट का ज्यादा हिस्सा मेक इन इंडिया आर्म्स पर खर्च किया है। इस तरह भारत की सैन्य हथियारों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता पर कम हुई है। रिपोर्ट में कहा गया कि रक्षा बजट बढ़ाने का शुरुआती मकसद जवानों की संख्या और ऑपरेशन पर खर्च बढ़ाना था, जो कि कुल बजट का 80 फीसदी था। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के बढ़ते सैन्य खर्च और क्षेत्र में बढ़ते तनाव ने पड़ोसी मुल्कों के भी खर्च को बढ़ा दिया है।

वैश्विक सैन्य खर्च में बढ़ोतरी का लगातार नौवां साल

रिपोर्ट के मुताबिक 2009 के बाद एक साल में वैश्विक सैन्य खर्च में यह सबसे बड़ी वृद्धि है और लगातार नौवां साल है, जब खर्च बढ़ा है। रूस-यूक्रेन युद्ध की भी इस वृद्धि में बड़ी भूमिका है। सिपरी के शोधकर्ता लॉरेंजो स्काराजातो का कहना है कि बढ़ते सैन्य खर्च से संकेत मिलता है कि दुनिया सुरक्षा के लिए कूटनीति के बजाय दूसरे तरीकों की ओर जा रही है।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ में पहली बार दी गई इंसुलिन, आप बोली-इसके लिए भी जाना पड़ा कोर्ट

#cm_arvind_kejriwal_given_insulin_for_first_time_in_tihar

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ में पहली बार इंसुलिन दी गई। केजरीवाल का शुगर लेवल 320 तक पहुंच गया था। इसके बाद उन्हें इंसुलिन दी गई। आम आदमी पार्टी ने इसकी जानकारी दी है। बता दें कि एक दिन पहले ही अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल प्रशासन को खत लिखकर इंसुलिन की मांग की थी। 

आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एक्स पर कहा कि “हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर खुशखबरी मिली है। उन्होंने कहा कि खबर आ रही है आखिर जेल प्रशासन ने मुख्यमंत्री जी को बढ़ते हुए शुगर के लिए इंसुलिन दे दी। आज देश की राजधानी के मुख्यमंत्री को एक इंसुलिन के लिए भी कोर्ट जाना पड़ रहा है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा और केंद्र सरकार के अधीन अफसर कहते हैं सभी कैदी एक समान हैं। क्या इंसुलिन के लिए सभी तिहाड़ के कैदी कोर्ट जाते हैं?“

आप नेता ने कहा “क्या सभी कैदियों को बीमारी की दवाई के लिए कोर्ट जाना पड़ता है? क्या सभी कैदियों को इंसुलिन के लिए एक हफ्ता टीवी और अखबार में बहस करनी पड़ती है? सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज साफ हो गया मुख्यमंत्री सही थे, उन्हें इंसुलिन की जरूरत थी। मगर भाजपा की केंद्र सरकार के अधीन अधिकारी जानबूझकर उनका इलाज नहीं कर रहे थे। उन्होंने पूछा कि अगर इंसुलिन की जरूरत नहीं थी तो अब क्यों दे रहे हैं? यह इसलिए क्योंकि पूरी दुनिया इनपर लानत भेज रही है।“

वहीं, तिहाड़ जेल के अधिकारी ने कहा कि कल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल में कम खुराक वाली इंसुलिन दी गई। कल उनका शुगर लेवल 217 था. एम्स टीम ने कहा था कि स्तर 200 पार होने पर उन्हें कम खुराक वाली इंसुलिन दी जा सकती है।

इससे एक दिन पहले ही अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल प्रशासन को चिठ्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने जेल प्रशासन पर गलत बयान देने का आरोप लगाया है। तिहाड़ प्रशासन का पहला बयान ‘अरविंद केजरीवाल ने इंसुलिन का मुद्दा कभी नहीं उठाया’ यह सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि वह पिछले 10 दिन से लगातार इंसुलिन का मुद्दा उठा रहे हैं। जब भी कोई डॉक्टर देखने आया, तो उन्हें बताया कि उनका शुगर लेवल बहुत हाई है। मैंने ग्लूको-मीटर की रीडिंग दिखाकर बताया कि दिन में तीन बार पीक आती है और शुगर लेवल 250-320 के बीच जाता है। मैंने बताया कि फास्टिंग का शुगर लेवल रोज 160-200 पर है। मैंने रोज इंसुलिन की मांग की है। लेकिन यह झूठा बयान कैसे दे सकते हैं कि केजरीवाल ने कभी इंसुलिन का मुद्दा नहीं उठाया।

कैसे हुई मुख्तार अंसारी की मौत, क्या दिया गया जहर? विसरा रिपोर्ट में सामने आया सच

#mukhtar_ansari_viscera_report

बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके परिजनों ने कई गंभीर आरोप लगाए थे। भाई अफजाल अंसारी का आरोप था कि मुख्तार की मौत जहर दिए जाने से हुई। इन आरोपों के बीच अब इस मामले में जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। मुख्तार के निधन के बाद विसरा जांच रिपोर्ट में जहर नहीं दिए जाने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार हार्ट अटैक की वजह से अंसारी की मौत हुई।बता दें कि 28 मार्च की देर रात जेल में बंद मुख्तार अंसारी की मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

माफिया डॉन मुख्‍तार अंसारी की मौत के मामले में विसरा जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। विसरा जांच रिपोर्ट में जहर की पुष्टि नहीं हुई है। इस रिपोर्ट को न्यायिक जांच टीम को सौंपा गया है।भाई सांसद अफजाल अंसारी ने मुख्तार को जहर देकर मारने का आरोप लगाया था। मुख्तार की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी जहर से मौत की बात नहीं कही गई थी। आरोपों को देखते हुए मुख्तार की मौत की प्रशासिनक और न्यायिक जांच शुरू की थी, जिसके बाद विसरा को जांच के लिए लखनऊ के फॉरेंसिक लैब भेजा था।

इससे पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मुख्तार अंसारी की मौत की पुष्टि हार्ट अटैक से हुई थी।हालांकि, उन्हें खाने में धीमा जहर दिए जाने का आरोप लगाए गए थे।आरोपों को गंभीरता से लेते हुए मुख्तार के विसरा को जांच के लिए लखनऊ फॉरेंसिक लैब भेजा गया था। विसरा जांच रिपोर्ट में भी जहर न होने की पुष्टि हुई है। इस मामले में अभी कोई भी अधिकारी का कोई बयान सामने नहीं आया है।

कैसे हुई मुख्तार अंसारी की मौत, क्या दिया गया जहर? विसरा रिपोर्ट में सामने आया सच*
#mukhtar_ansari_viscera_report बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके परिजनों ने कई गंभीर आरोप लगाए थे। भाई अफजाल अंसारी का आरोप था कि मुख्तार की मौत जहर दिए जाने से हुई। इन आरोपों के बीच अब इस मामले में जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। मुख्तार के निधन के बाद विसरा जांच रिपोर्ट में जहर नहीं दिए जाने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार हार्ट अटैक की वजह से अंसारी की मौत हुई।बता दें कि 28 मार्च की देर रात जेल में बंद मुख्तार अंसारी की मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। माफिया डॉन मुख्‍तार अंसारी की मौत के मामले में विसरा जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। विसरा जांच रिपोर्ट में जहर की पुष्टि नहीं हुई है। इस रिपोर्ट को न्यायिक जांच टीम को सौंपा गया है।भाई सांसद अफजाल अंसारी ने मुख्तार को जहर देकर मारने का आरोप लगाया था। मुख्तार की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी जहर से मौत की बात नहीं कही गई थी। आरोपों को देखते हुए मुख्तार की मौत की प्रशासिनक और न्यायिक जांच शुरू की थी, जिसके बाद विसरा को जांच के लिए लखनऊ के फॉरेंसिक लैब भेजा था। इससे पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मुख्तार अंसारी की मौत की पुष्टि हार्ट अटैक से हुई थी।हालांकि, उन्हें खाने में धीमा जहर दिए जाने का आरोप लगाए गए थे।आरोपों को गंभीरता से लेते हुए मुख्तार के विसरा को जांच के लिए लखनऊ फॉरेंसिक लैब भेजा गया था। विसरा जांच रिपोर्ट में भी जहर न होने की पुष्टि हुई है। इस मामले में अभी कोई भी अधिकारी का कोई बयान सामने नहीं आया है।