अजित पवार की पार्टी NCP ने जारी किया मेनिफेस्टो, इन मुद्दों पर फोकस

डेस्क: मुंबई में अजित पवार की पार्टी NCP ने सोमवार को लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया। अजित पवार, प्रफुल पटेल, सुनील तटकरे और छगन भुजबल ने घोषणापत्र जारी किया। बता दें कि इस बार लोकसभा चुनाव में अजित पवार अपने चाचा शरद पवार को टक्कर दे रहे हैं। एनसीपी ने अपने मेनिफेस्टो में 'सबका साथ, सबका विकास' अभियान को समर्थन दिया है।

घोषणापत्र में इन मुद्दों पर फोकस

महाराष्ट्र के पहले सीएम और केंद्रीय मंत्री यशवंत राव चव्हाण को भारत रत्न इसके लिए प्रयास करेंगे। 

जन धन योजना के तहत 50 करोड़ सार्वजनिक लाभार्थी।

80 करोड़ नागरिकों को निःशुल्क राशन का वितरण। यह योजना अगले पांच साल तक जारी रहेगी।

4 करोड़ नागरिकों के लिए पक्के घर।

25 करोड़ नागरिकों को गरीबी रेखा से ऊपर लाया जाएगा।

46 करोड़ से ज्यादा लोगों को मिलेंगे 27 लाख करोड़ से ज्यादा का मुद्रा योजना का फायदा।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा।

फेरीवालों के लिए प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत 63 लाख से अधिक फेरीवालों को ऋण का प्रावधान।

प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के माध्यम से मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे।

किसानों को आत्मनिर्भर बनाना।

महाराष्ट्र को स्किल डेवलपमेंट का हब बनाना।

दूसरे चरण में 8 सीटों पर चुनाव

बता दें कि महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर पांच चरणों में चुनाव होने हैं। पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को हो चुकी है। इनमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की नागपुर सीट भी शामिल थी। दूसरे चरण की वोटिंग राज्य की 8 लोकसभा सीटों बुल्ढाना, अकोला, अमरावती, वर्धा, यावतमाल-वसीम, हिंगोली, नांदेड़ और परभानी आदि सीटों पर 26 अप्रैल को होगी। तीसरे चरण के चुनाव 7 मई को कराए जाएंगे। इसमें राज्य की 11 सीटों रायगढ़ बारामती, ओसमानाबाद, लातूर, शोलापुर, मधा, सांगली, सतारा, रत्नागिरि, कोल्हापुर और हत्कांगले आदि को शामिल किया गया है। 

चौथे चरण में भी यहां 11 लोकसभा सीटों पर चुनाव कराया जाएगा। इसमें नंदुबार, जलगांव, रावर, जलना, औरंगाबाद, अहमदनगर, सिरडी, बीड़, मावल, पुणे और शिरुर आदि सीटें शामिल हैं। यहां वोटिंग 13 मई को होगी. इसी प्रकार राज्य की बाकी बची 13 सीटों पर 20 मई को वोटिंग कराई जाएगी। इनमें धुले, डिंडौरी, नासिक, पालघर, कल्याण, थाने, मुंबई नॉर्थ, मुंबई नॉर्थ वेस्ट, मुंबई नॉर्थ इस्ट, मुंबई नॉर्थ सेंट्रल, मुंबई साउथ सेंट्रल और मुंबई साउथ आदि सीटें शामिल हैं।

22 मई को योगनगरी ऋषिकेश से रवाना होगी सात ज्योतिर्लिंग यात्रा ट्रेन, आईआरसीटीसी ने किया खास इंतजाम

22 मई को योगनगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से सात ज्योतिर्लिंग यात्रा ट्रेन रवाना होगी। यह ट्रेन 11 रात और 12 दिन का सफर तय कर दो जून को वापस योगनगरी रेलवे स्टेशन पहुंचेगी। आईआरसीटीसी ने इस विशेष ट्रेन में पैकेज की व्यवस्था है।

आईआरसीटीसी उत्तर क्षेत्र लखनऊ के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक अजीत कुमार सिन्हा ने बताया, इस ट्रेन में योगनगरी ऋषिकेश, हरिद्वार, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर, हरदोई, लखनऊ, कानपुर, उरई वीरांगना लक्ष्मीबाई ललितपुर से यात्री बैठकर और उतर सकेंगे। यात्रा के दौरान ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, सोमनाथ, भेंट द्वारका, द्वारकाधीश मंदिर, नागेश्वर, त्रयंबकेश्वर, घृष्णेश्वर और भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कराए जाएंगे।

इस स्पेशल ट्रेन में कुल बर्थ 767-2 एसी (कुल 49 सीटें), 3 एसी (कुल 70 सीटें) एवं स्लीपर (कुल 648 सीटें) होंगी। पैकेज में यात्रियों को नाश्ता, दोपहर और रात का शाकाहारी भोजन परोसा जाएगा। एसी और नान एसी बसों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर भ्रमण कराया जाएगा। पैकेज में इकोनॉमी, स्टैंडर्ड, कंफर्ट क्लास की व्यवस्था होगी। इसमें ईएमआई की सुविधा भी है। इस पैकेज की बुकिंग पहले आओ पहले पाओ के आधार पर की जाएगी।

अरविंद केजरीवाल को जमानत देने की मांग वाली याचिका खारिज, दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर लगाया 75 हजार का जुर्माना

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सहित दर्ज सभी आपराधिक मामलों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को असाधारण अंतरिम जमानत पर रिहा करने की मांग को लेकर दायर याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता पर 75000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

दिल्ली शराब घोटाला केस में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए असाधारण अंतरिम जमानत की मांग वाली जनहित याचिका पर सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को असाधारण जमानत देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर 75 हजार का जुर्माना लगाया।

इस मामले पर सुनवाई के दौरान अरविंद केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि यह याचिका पूरी तरह से अस्वीकार्य है। ऐसी याचिका दायर करने वाला यह व्यक्ति कौन है? यह एक पब्लिसिटी याचिका है, जो पूरी तरह से गुमराह करने वाली है। बहुत खेदजनक स्थिति है।  

दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल की तरफ से उनके वकील राहुल मेहर पेश हो रहे हैं और उनका कहना है कि वो जमानत के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहे हैं। ऐसे में उन्हें किसी से कोई मदद की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आप उनकी मदद करने वाले कौन होते हैं? आपको वीटो पावर कैसे मिली? क्या आप संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं? 

इस पर याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि मैं यहां अरविंद केजरीवाल के लिए नहीं बल्कि दिल्ली के करोड़ों लोगों के लिए हूं। मैं यहां केवल नागरिकों के कल्याण के लिए हूं। याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी से पूरी सरकार रुक गई है, मुख्यमंत्री ही सरकार के मुखिया हैं।याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि सीएम दवाएं उपलब्ध कराने के लिए हस्ताक्षर करने के लिए भी उपलब्ध नहीं हैं। मेरी याचिका मुख्यमंत्री को राहत देने के लिए नहीं है। मेरी चिंता सिर्फ दिल्ली के लोगों को लेकर है। याचिकाकर्ता ने कहा कि केजरीवाल पर बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं। मुख्य समस्या यह है कि सीएम उपलब्ध नहीं हैं। भारत और दुनिया में यह पहली बार है कि कोई व्यक्ति जो मुख्यमंत्री है, कारावास में है। नागरिकों को कारावास के कारण कष्ट क्यों उठाना चाहिए? याचिकाकर्ता ने कहा आज तक, किसी ने भी यह तय नहीं किया है कि वह दोषी हैं या नहीं।

कोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 75 हजार का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने कहा कि कानून हर व्यक्ति के लिए एक जैसा है। हम अरविंद केजरीवाल को सलाह देने वाले कोई नहीं हैं। वह कोर्ट के आदेश के कारण हिरासत में हैं और अब यह चुनौती सुप्रीम कोर्ट में है। इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि लगता है कि पिछला जुर्माना अपर्याप्त था, यह लोगों को इस तरह की याचिकाएं दायर करने से नहीं रोक पा रहा है।

14 साल की नाबालिग को सुप्रीम कोर्ट से राहत, 28 हफ्ते का गर्भ गिराने की मिली इजाजत

#supreme_court_allows_14_year_old_rape_victim_to_abort_28_week_pregnancy

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 14 वर्षीय एक दुष्कर्म पीड़िता को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने पीड़ित को 28 हफ्ते की प्रेग्नेंसी को समाप्त करने की इजाजत दे दी है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने आदेश में कहा कि मेडिकल बोर्ड कि रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रेग्नेंसी से जान को खतरा हो सकता है।सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल की नाबालिग की गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए अनुच्छेद 142 के तहत अपनी अपरिहार्य शक्ति का प्रयोग किया।यौन उत्पीड़न की वजह से गर्भवती हुई 14 साल की लड़की ने सुप्रीम कोर्ट से अपने 28 हफ्ते की गर्भवस्था को समाप्त करने की इजाजत मांगी थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे गर्भपात की इजाजत दे दी।

सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने बॉम्बे हाई कोर्ट के गर्भपात कराने के आदेश देने से मना करने के फैसले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने डॉक्टरों के एक्सपर्ट पैनल के नेतृत्व में पीड़िता की प्रेग्नेंसी को खत्म करने का निर्देश दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने आदेश में कहा कि गर्भपात में देरी से हर घंटा बच्चे के लिए कठिनाई भरा है।

संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए (जो इसे किसी भी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक आदेश पारित करने का अधिकार देता है) मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकमान्य तिलक नगर मेडिकल कॉलेज और जनरल अस्पताल (एलटीएमजीएच) के डीन को निर्देश दिया है। गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए मुंबई के सायन में तुरंत डॉक्टरों की एक टीम गठित की जाएगी।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने 19 अप्रैल को नाबालिग की मेडिकल जांच का आदेश दिया था।कोर्ट ने मुंबई के सायन स्थित लोकमान्य तिलक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से इस संबंध में रिपोर्ट देने को कहा था कि अगर पीड़िता चिकित्सकीय रूप से गर्भपात कराती है या उसे ऐसा न करने की सलाह दी जाती है तो इसका उसकी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति पर क्या असर पड़ने की संभावना है।

इस पर सायन के मेडिकल बोर्ड ने इस मामले में साफ तौर से राय दी है कि गर्भावस्था जारी रहने से नाबालिग की शारीरिक और मानसिक स्थिति पर असर पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही कहा, ‘इसमें कुछ हद तक जोखिम शामिल है। हालांकि मेडिकल बोर्ड ने राय दी है कि बच्चे को जन्म देने के मुकाबले गर्भपात करने में जोखिम कम है।’ पीठ ने कहा, ‘सायन अस्पताल के डीन से नाबालिग के चिकित्सीय गर्भपात करने का अनुरोध किया जाता है।

बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा विवाहित महिलाओं के साथ-साथ विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह रखी गई है। इनमें बलात्कार पीड़िताओं और कुछ अन्य महिलाओं जैसे कि विकलांग और नाबालिग को शामिल किया गया है।

शिक्षक भर्ती घोटाले में ममता सरकार को बड़ा झटका, कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया 23 हजार से अधिक नौकरियों को रद्द करने का आदेश

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लोकसभा चुनाव के बीच शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को कलकत्ता हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है।कलकत्ता हाईकोर्ट ने 23 हजार से अधिक नौकरियों को रद्द करने का आदेश दिया है।अदालत ने सरकार के जरिए प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में 2016 स्टेट-लेवल टेस्ट के माध्यम से भर्ती हुए टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया है। साल 2016 में जिन लोगों को नौकरियां मिला थीं, कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया है। इतना ही नहीं, हाईकोर्ट ने इन लोगों को 4 हफ्तों में वेतन वापस करने का आदेश दिया है। अदालत ने पश्चिम बंगाल स्कूल भर्ती घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को जांच का आदेश भी दिया है।

शिक्षक भर्ती घोटाले पर कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस देवांशु बसाक की बेंच ने यह फैसला सुनाया. यहां बताना जरूरी है कि शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी सहित टीएमसी के अन्य नेता, विधायक और शिक्षा विभाग के कई अधिकारी भी जेल में हैं।

पश्चिम बंगाल में 2016 में हुई स्कूल भर्तियों में अनियमितता देखने को मिली थी। इसके बाद याचिकाओं और अपीलें दायर कर अदालत का दरवाजा खटखटाया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्कूल भर्ती घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) में पदों पर रहे कुछ पदाधिकारियों को गिरफ्तार भी किया था। अभी तक इस मामले में 5000 लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं, जिन्होंने गलत तरीके से नौकरी पाई थी। इस भर्ती में 5 से 15 लाख रुपये की घूस लेने तक की आरोप हैं।

यूपी बोर्ड 10वीं की टॉपर प्राची निगम को करना पड़ा ट्रोलिंग का सामना, वहीं, ऑनलाइन लोगों से मिले समर्थन ने बंद की ट्रोल्स की जुबान

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने हाल ही में 10वीं और 12वीं कक्षा के नतीजे घोषित किए। परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद पता चला कि 10वीं कक्षा के नतीजों में सीतापुर की रहने वाली प्राची निगम ने राज्य में टॉप किया है। उसने कक्षा 10 की अंतिम परीक्षा में 591/600 अंकों के साथ टॉप किया और अपनी जबरदस्त उपलब्धि से अपने परिवार, दोस्तों और समुदाय को गौरवान्वित किया । वह आईआईटी-जेईई क्रैक करके इंजीनियर बनना चाहती है। जहां निगम ने अपनी उपलब्धि पर अपने परिवार को खुश किया, वहीं वह जल्द ही अपने चेहरे के लिए सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का विषय बन गई। हालाँकि, ऑनलाइन ट्रोलिंग को देखने के बाद, कुछ लोग भी निगम के समर्थन में आगे आए और ट्रोल्स को बंद कर दिया। कई लोगों ने बताया कि कैसे ऑनलाइन ट्रोल्स ने निगम पर प्रभाव डाला होगा। जबकि कुछ अन्य लोगों ने लड़की को बधाई दी और उन लोगों को चुप करा दिया जो उसका मज़ाक उड़ा रहे थे, कुल मिलाकर 89.55% उम्मीदवार यूपी बोर्ड कक्षा 10 की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। लड़कियों का कुल उत्तीर्ण प्रतिशत 93.40% है, जबकि पुरुषों का कुल उत्तीर्ण प्रतिशत 86.05% है। 10वीं के नतीजों में लड़कियां लड़कों से आगे निकल गईं।

हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की अंतिम परीक्षा 22 फरवरी से 9 मार्च तक यूपीएमएसपी द्वारा आयोजित की गई थी। बोर्ड परीक्षा के लिए कुल 55,25,308 उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया था; उनमें से, कक्षा 12 के छात्रों की संख्या 25,77,997 है, और कक्षा 10 के छात्रों की संख्या 29,47,311 है। 

निगम के बाद, दीपिका सोनकर ने 590/600 के स्कोर के साथ परीक्षा में टॉप किया। एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को दिया। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में वह आईआईटी में दाखिला लेना चाहेंगी और प्रमुख संस्थान से अपनी पढ़ाई करना चाहेंगी।

पीएम मोदी के बयान से बौखलाए कपिल सिब्बल, बोले-ऐसा तो RSS ने भी नहीं सिखाया होगा, देश से मांगें माफी

#rajyasabhampkapilsibalattackpmnarendramodi

लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी गलियारों में पारा हाई है। वहीं, नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर भी चरम पर है। चुनाव मैदान में सियासी बयानबाजी के इस दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से बवाल मचा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राजस्थान में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए आरोप लगाया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति को घुसपैठियों और उन लोगों को बांट सकती है, जिनके अधिक बच्चे हैं। पीएम मोदी के इस बयान से घमासान मचा हुआ है। पीएम मोदी की टिप्पणी को लेकर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने हमला बोला है। कांग्रेस के पूर्व नेता सिब्बल ने कहा है कि पीएम मोदी को देश से माफी मांगनी चाहिए।

पीएम मोदी के संपत्ति बांटने वाले बयान पर कपिल सिब्बल ने कहा, कल की बात, जब प्रधानमंत्री ने ऐसा भाषण दिया, जिसे सुनकर ऐसा लगता है कि पहले चरण में हुए मतदान के नतीजे उनके पक्ष में नहीं आ रहे हैं। उस भाषण के बाद मैं समझता हूं कि इस देश के करोड़ों लोग निराश होंगे। वे इसलिए निराश होंगे, क्योंकि 1950 के बाद शायद ही किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा बयान दिया होगा। जो दर्शाता है कि यहां रहने वाले अल्पसंख्यक घुसपैठिए हैं। 

यह किस किस्म की राजनीति-सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री के परिवार ने भी उनको ऐसी संस्कृति नहीं दी होगी। नफरत के घोड़े का दूल्हा बनकर आप कभी हिंदुस्तान को बरकरार नहीं रख सकते हैं। उन्होंने सवाल किया कि यह किस किस्म की राजनीति और संस्कृति है? एक तरफ आप राम मंदिर का उद्घाटन करते हैं और दूसरी तरफ नफरत फैलाते हैं? आपका सबका साथ-सबका विकास कहां गया? 

संघ ने पीएम मोदी को ये बातें सिखाई नहीं होगी-सिब्बल

राज्यसभा सांसद ने कहा कि मुझे इस बात पर बहुत निराशा है, क्योंकि हम पीएम पद की बहुत इज्जत करते हैं। मगर पीएम जब इज्जत के लायक न रहें तो बुद्धिजीवी लोगों को आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत भी चुप हैं, लेकिन मैं यह भी समझता हूं कि यह बातें संघ ने पीएम मोदी को सिखाई नहीं होगी। पीएम के परिवार ने भी उनको ऐसी संस्कृति नहीं दी होगी?

क्या कहा था पीएम मोदी ने

रविवार को बांसवाड़ा में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने मुसलमानों की ओर इशारा करते हुए आगे कहा कि आम आदमी की संपत्ति जब्त करने के बाद इसे अधिक बच्चों वाले लोगों में बांट दिया जाएगा। “पहले, जब उनकी सरकार सत्ता में थी, तो उन्होंने कहा कि मुसलमानों के पास देशों की संपत्ति का पहला स्वामित्व है। इसका मतलब यह है कि वे सभी की संपत्ति इकट्ठा करके उन लोगों को बांट देंगे जिनके ज्यादा बच्चे हैं। वे इसे घुसपैठियों को बांट देंगे…क्या आपकी मेहनत की कमाई घुसपैठियों के पास जानी चाहिए? क्या आप इससे सहमत हैं?…माताओं और बहनों, शहरी नक्सलियों की यह विचारधारा आपके मंगलसुता को भी आपके पास नहीं छोड़ेगी,”

**नेहा हिरेमथ हत्याकांड: पिता ने पुलिस पर 'लापरवाही' का आरोप लगाया तो बीजेपी ने कर्नाटक सरकार पर निशाना साधा**

कर्नाटक के हुबली में नेहा हिरेमथ के पिता निरंजन हिरेमथ ने सीबीआई से जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि पुलिस मामले को "डायवर्ट" करने की कोशिश कर रही है। निरंजन हिरेमथ, जो हुबली के कांग्रेस पार्षद हैं,उन्होंने धारवाड़ नगर निगम में कथित "लापरवाही" के लिए मामले के प्रभारी पुलिस आयुक्त के स्थानांतरण की भी मांग की। "मैंने खुले तौर पर आठ लोगों के नाम दिए हैं। उन्होंने एक भी व्यक्ति को नहीं पकड़ा है। मैं अब विश्वास खो रहा हूं। वे मेरे मामले को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो इसे सीबीआई को दे दें। इस मामले में आयुक्त एक महिला हैं , फिर भी वह एक लड़की की हत्या को गंभीरता से नहीं ले रही है... वह किसी दबाव में काम कर रही है। मेरी मांग है कि मामले में लापरवाही के लिए कमिश्नर का तबादला किया जाना चाहिए।'' रविवार को निरंजन हिरेमथ ने कहा । निरंजन हिरेमथ की नाराजगी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भारतीय जनता पार्टी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार पर "हत्यारों" पर "नरम और धीमा" होने का आरोप लगाया। “किसी भी कांग्रेस नेता ने मृत नेहा हिरेमठ के पिता निरंजन हिरेमथ से मुलाकात नहीं की, जिनकी फयाज ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी। असहाय पिता अब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर अपनी बेटी के हत्यारों के प्रति नरम और धीमा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हैं। जैसे कि बेटी की हत्या ही काफी नहीं थी, परिवार को कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति से भी निपटना होगा। क्या नेहा को कभी न्याय मिलेगा?” सोशल मीडिया एक्स पर अमित मालवीय ने लिखा था। कर्नाटक कॉलेज की छात्रा नेहा हिरेमथ की उसके पूर्व सहपाठी फयाज खोंडुनायक द्वारा हत्या से राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है, भाजपा ने इसे "लव जिहाद" का मामला बताया है, जबकि कांग्रेस ने आरोप से इनकार किया है। आरोपी फ़ैयाज़ को मौत की सज़ा की मांग को लेकर पूरे कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर पर नेहा हिरेमथ की हत्या की जांच को "प्रभावित करने और कमजोर करने" का आरोप लगाया। 18 अप्रैल को बीवीबी कॉलेज के परिसर में फयाज ने नेहा की चाकू मारकर हत्या कर दी थी। “ कोई इसे सामान्य घटना बता रहा है तो कोई इसे हादसा बता रहा है। आप जांच को प्रभावित और कमजोर करना चाहते हैं।आपकी तुष्टिकरण की राजनीति के कारण आपके पास कुछ भी कहने का साहस नहीं है।''इससे पहले रविवार को कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने कांग्रेस सरकार की प्रतिक्रिया पर चिंता जताते हुए कहा था, ''राज्य सरकार को किसी बात की चिंता नहीं है। वे इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।”
**नेहा हिरेमथ हत्याकांड: पिता ने पुलिस पर 'लापरवाही' का आरोप लगाया तो बीजेपी ने कर्नाटक सरकार पर निशाना साधा**

कर्नाटक के हुबली में नेहा हिरेमथ के पिता निरंजन हिरेमथ ने सीबीआई से जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि पुलिस मामले को "डायवर्ट" करने की कोशिश कर रही है। निरंजन हिरेमथ, जो हुबली के कांग्रेस पार्षद हैं,उन्होंने धारवाड़ नगर निगम में कथित "लापरवाही" के लिए मामले के प्रभारी पुलिस आयुक्त के स्थानांतरण की भी मांग की। "मैंने खुले तौर पर आठ लोगों के नाम दिए हैं। उन्होंने एक भी व्यक्ति को नहीं पकड़ा है। मैं अब विश्वास खो रहा हूं। वे मेरे मामले को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो इसे सीबीआई को दे दें। इस मामले में आयुक्त एक महिला हैं , फिर भी वह एक लड़की की हत्या को गंभीरता से नहीं ले रही है... वह किसी दबाव में काम कर रही है। मेरी मांग है कि मामले में लापरवाही के लिए कमिश्नर का तबादला किया जाना चाहिए।'' रविवार को निरंजन हिरेमथ ने कहा । निरंजन हिरेमथ की नाराजगी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भारतीय जनता पार्टी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार पर "हत्यारों" पर "नरम और धीमा" होने का आरोप लगाया। “किसी भी कांग्रेस नेता ने मृत नेहा हिरेमठ के पिता निरंजन हिरेमथ से मुलाकात नहीं की, जिनकी फयाज ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी। असहाय पिता अब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर अपनी बेटी के हत्यारों के प्रति नरम और धीमा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हैं। जैसे कि बेटी की हत्या ही काफी नहीं थी, परिवार को कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति से भी निपटना होगा। क्या नेहा को कभी न्याय मिलेगा?” सोशल मीडिया एक्स पर अमित मालवीय ने लिखा था। कर्नाटक कॉलेज की छात्रा नेहा हिरेमथ की उसके पूर्व सहपाठी फयाज खोंडुनायक द्वारा हत्या से राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है, भाजपा ने इसे "लव जिहाद" का मामला बताया है, जबकि कांग्रेस ने आरोप से इनकार किया है। आरोपी फ़ैयाज़ को मौत की सज़ा की मांग को लेकर पूरे कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर पर नेहा हिरेमथ की हत्या की जांच को "प्रभावित करने और कमजोर करने" का आरोप लगाया। 18 अप्रैल को बीवीबी कॉलेज के परिसर में फयाज ने नेहा की चाकू मारकर हत्या कर दी थी। “ कोई इसे सामान्य घटना बता रहा है तो कोई इसे हादसा बता रहा है। आप जांच को प्रभावित और कमजोर करना चाहते हैं।आपकी तुष्टिकरण की राजनीति के कारण आपके पास कुछ भी कहने का साहस नहीं है।''इससे पहले रविवार को कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने कांग्रेस सरकार की प्रतिक्रिया पर चिंता जताते हुए कहा था, ''राज्य सरकार को किसी बात की चिंता नहीं है। वे इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।”
**ईरान-इज़राइल विवाद में भारत और अन्य देश होंगे प्रभावित, जानें क्या होगा नुकसान**

ईरान-इज़राइल संघर्ष पर विश्लेषकों का कहना है कि अगर ईरान होर्मुज़ को अवरुद्ध करता है, तो तेल और एलएनजी की कीमतें बढ़ने की संभावना है, जिसके माध्यम से भारत जैसे देश सऊदी अरब, इराक और संयुक्त अरब अमीरात से कच्चे तेल का आयात करते हैं। पिछले कुछ दिनों से ईरान और इजराइल के बीच विवाद काफी बढ़ गया है। ईरान ने सबसे पहले इजराइल पर ड्रोन और रॉकेट हमले किए, जिसने जवाबी कार्रवाई में मिसाइल दागी।विवाद के बाद से कच्चे तेल की कीमतें 90 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गई हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक नोट में कहा कि हालांकि तनाव घटाने के प्रयासों से संकट पर नियंत्रण होने की संभावना है, लेकिन अगर ईरान पूरी तरह या आंशिक रूप से होर्मुज को अवरुद्ध कर देता है तो तेल और एलएनजी की कीमतें बढ़ जाएंगी।होर्मुज ओमान और ईरान के बीच एक संकीर्ण समुद्री मार्ग है। यह लगभग 40 किमी चौड़ा है, जिसमें आने और जाने वाले जहाजों के लिए 2 किमी का नौगम्य चैनल है। यह प्रमुख मार्ग है जिसके माध्यम से सऊदी अरब (6.3 मिलियन बैरल प्रति दिन), संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, कतर, इराक (3.3 मिलियन बीपीडी) और ईरान (1.3 मिलियन बीपीडी) द्वारा कच्चे तेल का निर्यात किया जाता है। 2022 में इसके माध्यम से तेल का प्रवाह 21 मिलियन बैरल प्रति दिन या वैश्विक तेल खपत का 21 प्रतिशत था। इसके अलावा, वैश्विक एलएनजी व्यापार का लगभग 20 प्रतिशत इसके माध्यम से होता है, जिसमें कतर और संयुक्त अरब अमीरात से लगभग सभी एलएनजी निर्यात शामिल हैं। तेल के विपरीत, जिसके लिए लाल सागर के माध्यम से वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हैं, तरलीकृत प्राकृतिक गैस के लिए कोई वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध नहीं है। भारत, जो कच्चे तेल की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 85 प्रतिशत से अधिक विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर है, सऊदी, इराक और संयुक्त अरब अमीरात से तेल के साथ-साथ होर्मुज के माध्यम से कतर से तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का आयात करता है। इसकी नाकाबंदी की स्थिति में, "हम कच्चे तेल की कीमतों में काफी वृद्धि, रिफाइनिंग मार्जिन और एलएनजी की कीमतों में बढ़ोतरी की आशा करते हैं"। हालांकि वैकल्पिक मार्ग मौजूद हैं, वे केवल एक अंश (लगभग 7-8) को ही समायोजित करने में सक्षम हो सकते हैं। वर्तमान में इससे गुजरने वाली मात्रा का मिलियन बीपीडी कच्चा तेल/रिफाइंड उत्पाद (21 मिलियन बीपीडी), और वह भी बढ़ी हुई माल ढुलाई लागत पर। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात दोनों के पास वैकल्पिक निर्यात मार्ग हैं, जो इसे बचते हैं। आईईए के अनुसार, सऊदी अरब के पास 7 मिलियन बीपीडी की क्षमता वाली पूर्व-पश्चिम पाइपलाइन है। हालाँकि, यह पाइपलाइन लाल सागर में खुलती है, जहाँ हौथी विद्रोहियों के हमलों के कारण यातायात प्रवाह पहले ही बाधित हो चुका है। यूएई के पास 1.5 मिलियन बीपीडी की क्षमता वाले फ़ुजैरा निर्यात टर्मिनल से जुड़े तटवर्ती तेल क्षेत्र हैं; हालाँकि, IEA के अनुसार, इसमें से 30-40 प्रतिशत क्षमता का उपयोग पहले ही किया जा रहा है। केयरएज रेटिंग्स के निदेशक हार्दिक शाह ने कहा कि कैलेंडर वर्ष 2024 की शुरुआत से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। "अगर इजरायल और ईरान के बीच स्थिति खराब होती है, तो इससे कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।"उन्होंने कहा, "हालांकि, भारत के पास अभी भी रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति का एक अच्छा हिस्सा है, जो वित्त वर्ष 2024 के अंत तक भारत के कुल आयात का 30 प्रतिशत है, और इससे कच्चे तेल के लिए भारत के आयात बिल को नियंत्रण में रखने में मदद मिलनी चाहिए।" 15 अप्रैल की रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने से एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा हो गया है। "मुख्य जोखिम तेल की ऊंची कीमतों से आता है।" इसमें कहा गया है कि तेल की ऊंची कीमतें मुद्रास्फीति के मामले में क्षेत्र की पहले से ही अस्थिर प्रगति को पटरी से उतारने का खतरा है। "अधिकांश एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाएं शुद्ध तेल आयातक हैं, जिससे वे वैश्विक तेल स्पाइक्स के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। विभिन्न देशों में प्रभाव अलग-अलग होते हैं, लेकिन मोटे तौर पर तेल की बढ़ती कीमतों से तीन मुख्य चुनौतियां हैं" पहला, वे उच्च ऊर्जा और ईंधन लागत के माध्यम से मुद्रास्फीति को बढ़ाते हैं। दूसरा, वे उत्पादन लागत और समग्र परिवहन लागत में वृद्धि करते हैं, जिससे भोजन से लेकर फ्लिप-फ्लॉप तक हर चीज की कीमतें बढ़ जाती हैं। उच्च उर्वरक, परिवहन और बीज लागत के माध्यम से उच्च खाद्य लागत का जोखिम विशेष रूप से चिंताजनक है क्योंकि एशिया के अधिकांश हिस्सों में, यह अत्यधिक उच्च खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति है जो शीर्ष-पंक्ति उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को केंद्रीय बैंक लक्ष्य सीमा तक पीछे हटने से रोकती है।