जल के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते : सुशील कुमार पांडेय
मीरजापुर। जिला विज्ञान क्लब द्वारा 8 अप्रैल को जल अच्छे स्वास्थ्य का द्योतक है, जल ही जीवन है विषय पर आॅन लाइन गोष्ठी आयोजित की गई।जिसमें 157 बाल वैज्ञानिकों एवं विज्ञान संचारको ने प्रतिभागिता की। विषय विशेषज्ञ के रूप में जिला समन्वयक सुशील कुमार पांडेय, डॉक्टर एसी मिश्र, डॉक्टर पंकज सिंह, डॉक्टर सुभाष सिन्हा, डॉक्टर रश्मि ने अपने विचार व्यक्त किए। जिला विज्ञान क्लब समन्यवक सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि जल के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते है और बिना पानी के इस धरती पर कोई रह भी नहीं सकता है। जीवों में संचालित सभी प्रकार की महत्वपूर्ण जैविक क्रियाएं जल की उपस्थिति में ही संचालित होती है। जल को प्रकृति का संचालक भी कहा जाता है। यह हमारे भोजन का मुख्य भाग है। एक औसत व्यक्ति तीन दिन से ज्यादा प्यासा नही रह सकता है। हमारा भोजन जल में ही पकाया जाता है। एक व्यक्ति प्रति दिन लगभग 2.5 लीटर जल पीता है जिसकी मात्रा गर्मी में बढ़ जाती है। मनुष्य को पेय जल की मात्रा शारीरिक क्रिया कलापों पर निर्भर करती है।
अधिक श्रम करने वाले व्यक्ति को अधिक जल पीने की आवश्यकता पड़ती है।सामान्यता एक गिलास जल (200 मिली) से 200 कैलोरी ऊर्जा प्रदान होती है। डॉक्टर एसी मिश्र ने बताया कि जल अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है। जल शुद्ध होगा तो स्वास्थ्य भी उत्तम होगा। इसलिए यह जानना आवश्यक है कि हम जो जल पी रहे है क्या वह शुद्ध है और पीने लायक है। दुनिया की एक बड़ी आबादी को आज भी स्वच्छ जल नही मिल पा रहा है जो जल हम तक पहुंच रहा है वह भी संक्रमित है और जल जन्य बीमारियों के किटाणुओ से युक्त है। इसके कारण दस्त, चर्मरोग, हेपेटाइटिस, कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ रही है।
डॉक्टर पंकज सिंह ने कहा कि जल हमारे शरीर के लिए पोषक पदार्थ है और ऊर्जा प्रदान करता है।यह हमारे शरीर के जोड़ों एवम सभी अंतरंग भागो के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जल की पर्याप्त मात्रा शरीर के व्यर्थ एवं विषैले पदार्थ को बाहर निकालने में सहायक है। भोजन के पूर्व अधिक जल पीना लाभदायक नहीं होता है। अजीर्ण, मिचली, पेट दर्द और उल्टी जैसे लक्षणों में भोजन न करके केवल जल का सेवन औषधि का कार्य करती है।भोजन के लगभग 3 घंटे बाद सेवन किया हुआ जल पाचन में बाधा उत्पन्न न करने के कारण बलदायक होता है। भोजन के बीच में घूट घूट सेवन किया हुआ जल रुचि उत्पन्न करने के कारण अमृत के समान होता है और भोजन करके तुरंत सेवन किया हुआ जल पाचक रसो को पतला करके पाचन तंत्र में भोजन को जल्दी आगे बढ़ाने के कारण विष सम अहितकर होता है।
डॉक्टर रश्मि ने कहा कि गर्भवती एवं दुग्धपान कराने वाली महिलाओं के लिए जल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।गर्भावस्था की अवधि में शिशु विकास के अलग अलग चरणों में जल की विभिन्न मात्राओं की आवश्यकता पड़ती है। यह उन्हे ऊर्जा प्रदान करने के साथ साथ कब्ज,रक्तस्राव, इलेक्ट्रोलाइट, असंतुलन और गर्भ क्षति रोकने में मदद करती है। डॉक्टर सुभाष सिन्हा ने कहा कि जल की कमी हमारे शरीर में चक्कर आना, थकान और कमजोरी महसूस होने जैसे लक्षण पैदा करते है। यदि शरीर में 2 प्रतिशत जल की कमी हो जाए तो प्यास लगती है भूख लगती है, त्वचा शुष्क हो जाती है, मुंह सूखने लगता है, ठंड लगती है और मूत्र का पीलापन बढ़ जाता है। यदि शरीर में 5 प्रतिशत जल की कमी होने पर हृदय की धड़कन बढ़ जाती है, मल मूत्र त्याग में परेशानी होती है, मशपेशियो में जकड़न हो जाती है, थकान बढ़ जाती है, मिचली और सिरदर्द जैसे लक्षण उत्पन्न होते है। यदि शरीर में 10 प्रतिशत तक की कमी हो जाए तो तत्काल चिकित्सकीय सुविधा प्राप्त करनी चाहिए। ऐसे में चक्कर आना, मशपेशियों में अकड़न, उल्टी, नाडी तेज चलना, शरीर का सिकुड़ना, धुंधला दिखाई देना,सांस लेने में परेशानी, स्मृति दोष, सीने में दर्द जैसे लक्षण उत्पन्न होते है। गोष्ठी के समापन सत्र में जिला समन्वयक ने सभी से अनुरोध किया कि आप सभी जल बचाए और संरक्षित भी करे। जिससे पानी की प्रचुरता बनी रहे और अगली पीढ़ी को स्वच्छ पानी मिले।
Apr 07 2024, 20:04