मुशायरे में राम पर पढ़ी गई रचनाएं/राम जैसे थे,मुझे वैसा बना दे जंगल शकील आजमी
अयोध्या।तुलसी उद्यान में आयोजित रामोत्सव के साहित्य संस्कृति मंच पर राष्ट्रीय मुशायरे "अदब ए राम" में देश के प्रख्यात शायरो के केंद्र में श्रीराम रहे। मुशायरे का आरम्भ शकील आजमी,अंजुम रहबर,मोहन दानिश सहित मंचस्थ शायरों ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
मुशायरे का आगाज करते हुए चिराग शर्मा ने तुम्हे ये ग़म है कि चिट्ठियां नही आती,हमारी सोचो हमें हिचकियां नही आती पढ़कर मुशायरे का शुभारंभ किया।
इसके बाद श्वेता श्रीवास्तव अजल ने कहा कथ्य तो इतना है,सत्य तो इतना है,सब यहां है रामजी के,रामजी सभी के है, तो पांडाल तालियों से गूंज उठा।
दीक्षित दनकौरी ने तरन्नुम में पढ़ा ए गजल पास आ,तुझे गुनगुना लूं तो मुशायरे का माहौल बन गया इसके बाद उनकी गजल के शेर मैं सादा हूं,सज़ा संवरा नही हूं,पर इतना भी गया गुज़रा नही हूं पर श्रोताओं की जमकर दाद मिली।
शारिक कैफी ने शेर उसकी टीस नही जाती है सारी उम्र,पहला धोखा पहला धोखा होता है ।
अच्छे चेहरे अच्छे चेहरे होते है,उनके भी एक अपनावाला होता है,सुनाकर सभी को मंच के साथ जोड़ लिया।
संचालन कर रहे शायर अजहर इकबाल के हर शेर पर लोगो ने खूब वाह वाह किया अपने खास अंदाज में उर्दू और हिंदी के समन्वय के लिए प्रख्यात शायर ने कहा दया अगर लिखने बैठूं, होते है अनुवादित राम,रावण को भी नमन किया ऐसे थे मर्यादित राम से उन्होंने मुशायरे की परिकल्पना को साकार किया। इसके बाद पढ़ा जब भी उनकी गली में भ्रमण होता है,उनके ही दरवाजे पर आत्मसमर्पण होता है। हर युग में जन्म लेते है राम,पैदा हर युग में रावण होता है।
मुंबई से आए गीतकार शकील आजमी ने कहा मैं हूं इंसान तो होने का पता दे जंगल, राम जैसे थे मुझे वैसा बना दे जंगल।
वाल्मिकी बने कोई मेरे लवकुश के लिए,मेरे बच्चो को जीने कि अदा दे जंगल। ऊंचाइयों पर पहुंच चुके इस मुशायरे में मदन मोहन दानिश ने कहा ठहराव में और रवानी में राम है,गोया हमारी प्यास में और पानी में राम है। रावण की झूठी ज़िद में,अहंकार में नही,मंदोदरी की आत्मग्लानि में राम है।
मासूम गाजियाबादी ने भगवान श्रीराम के हवाले से शेर पढ़ा पहले ही तेरे नाम का सदका निकाल कर,तब रखा हैं चिराग हवाओ में निकाल कर। इसके बाद आयी शायरा अंजुम रहबर ने तरन्नुम में सुनाया वो सरयू के धाम वाले है, वो छबीले से श्याम वाले है,सबके दिल में जो बसते है,सब उन्हें सियाराम कहते है।
इसके बाद फहमी बदायूंनी ने अपने गजल के शेर सुनाते हुए कहा जिनसे आगे निकल नही सकता,उनके पीछे चल नही सकता।उसकी तस्वीर चिपका दो छत पर,अब मैं करवट बदल नही सकता।
अध्यक्षता कर रहे फरहत अहसास ने अपनी ग़ज़ल के कुछ शेर राम पर पढ़ते हुए कहा तुलसी के जो राम है,हमारे भी राम है। उनकी तरह हमारे भी सहारे राम है।सारे सफल हमारे,उन्ही के बहाव पर है,दरिया भी राम ही है,किनारे भी राम ही है।
कार्यक्रम के अंत में अयोध्या तीर्थ विकास परिषद के सीईओ, नगर आयुक्त और अंतरराष्ट्रीय रामायण एवम वैदिक शोध संस्थान के निदेशक संतोष कुमार सिंह ने सभी शायरों को शॉल और स्मृति चिन्ह प्रदान करके उनका सम्मान किया। इस अवसर पर सलाहकार कबीर एकादमी, संस्कृति विभाग आशुतोष द्विवेदी, समाजसेवी डा.रानी अवस्थी एक्स,उद्घोषक देश दीपक मिश्र,कवि आलोक श्रीवास्तव,रामायण धर द्विवेदी,समेत साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
Mar 24 2024, 19:23