गौरैया को दें पर्यावरण, ताकि बचा रहे उसका जीवन भीषण गर्मी में पशु-पक्षियों का जीवन बचाने के लिए रखें दाना-पानी
![]()
ललितपुर। घर के आंगन में बच्चों की तरह पक्षियों की चहचहाहट और उनके संरक्षण के उद्देश्य को लेकर नगर की पर्यावरण प्रेमी संस्था मानव ऑर्गनाइजेशन के तत्वावधान में विश्व गौरैया दिवस के अवसर जनपद कई विद्यालयों में गौरैया दिवस मनाया गया शुरू की है। वर्ष 2012 से गौरैया संरक्षण की दिशा में की जा रही संस्था की पहल रंग ला रही है।
मानव ऑर्गनाइजेशन जहाँ गौरैया को बचाने के लिए निरंतर स्कूली बच्चों, कॉलेजों , विभिन्न ऑफिस आदि में घोंसले प्रदान करती है वहीं भीषण गर्मी में पशु पक्षियों को दाना पानी रखने की भी अपील करती रहती है। विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर पूर्व माध्यमिक विद्यालय पनारी,प्राथमिक विद्यालय,लक्ष्मीपुरा नगर क्षेत्र,प्राथमिक विद्यालय रामराजा मंदिर,उच्च प्राथमिक विद्यालय वस्त्रावन, ब्लॉक बार,प्राथमिक विद्यालय मरौली,प्राथमिक विद्यालय रानीपुरा,राजघाट,शिक्षा कर्नल एकेडमी ललितपुर,नेहरू महाविद्यालय ललितपुर,गौशाला वर्णी कालेज चौराहा ललितपुर में विश्व गौरैया दिवस पर जागरूकता शिविर आयोजित किए गए।
इस दौरान विद्यालय परिवार को संस्था की ओर से घोंसलों का वितरण किया गया, बच्चों द्वारा रचनात्मक चित्र बनाकर गौरैया बचाओ भावना को करुणामय कलाकृतियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया।
पर्यावरणविद् अधिवक्ता पुष्पेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कई रिपोर्टों से यह पता चला है कि गौरैया और मनुष्य का संबंध 11000 वर्ष पुराना है। निरंतर मानव ऑर्गेनाइजेशन के स्वयंसेवक पर्यावरण बचाने के लिए जागरूकता शिविरों का आयोजन कर रहे हैं,यह जागरूकता शिविर निरंतर 30 अप्रैल तक चलेंगे,शहरीय क्षेत्र में पेड़ों की संख्या कम हुई है।
वहीं घरों में पक्षी घोंसला बनाते हैं तो लोग उन्हें हटा देते हैं। ऐसे में पक्षी गर्मी और बारिश के मौसम में परेशान हो रहे हैं। यही कारण है कि पक्षी जंगलों का रुख कर रहे हैं। शहर में पक्षियों की तादाद बढ़ाने के लिए यह बॉक्स बना रहा हूं। ताकि लोग घरों के बाहर इन्हें रखे। इनमें पक्षी रहेंगे और अपना घोंसला बनाएंगे। जिससे हर घर के आंगन में पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देगी। घरों में कृत्रिम घोंसले और छतों पर पानी रखकर गौरैया को विलुप्ति से बचाएं।
भीषण गर्मी में आसमान से आग बरस रही है। गर्मी में मानव हो या फिर पशु-पक्षी सभी को ठंडे जल की तलाश रहती है।
लोगों के लिए तो जगह-जगह प्याऊ व नल के साथ ही पानी की उचित व्यवस्था मिल ही जाती है, लेकिन पक्षियों को पानी के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है।
पर्यावरण सचेतक डॉ सुनील संचय ने बताया कि लोगों की जिम्मेदारी है कि वे पक्षियों के लिए दाना व पानी की उचित व्यवस्था कर अपने जिम्मेदारी का निर्वहन करें। ताकि खुले आसमान और धूप में विचरण करने वाले पंछियों को राहत मिल सके। मैं हमेशा ही पक्षियों के लिए छत पर दाना-पानी तथा अपने आवास के बाहर पशुओं को पानी की व्यवस्था रखता हूँ। यह मेरी प्रतिदिन की दिनचर्या में शामिल है। गर्मियों के मौसम में पक्षियों को दूर-दूर तक पानी नहीं मिलता है। कई बार ऐसी स्थिति में पक्षी प्यास से मर भी जाते हैं।
इस दौरान डॉ. राजीव निरंजन, स्वतंत्र व्यास, सचिन जैन, गौ पुत्र प्रशांत शुक्ला,जीत गुप्ता, हरेंद्र प्रताप सिंह, आकाश झा, बलराम, शैलेंद्र कुमार, कुलदीप द्विवेदी, ऋषि हीरानंदानी, विशाल नामदेव, मुकेश लोधी करमरा, मो.जाकिर, प्रतिभा यादव, सीमा जैन, तारा तिवारी,नंदनी, खुर्शीद बानो, राहुको तिवारी,श्रीमती ममता वाल्मीकि,श्रीमती गीता गोस्वामी, शकुन, चांदनी दीपिका, मोहित पांडे आदि कई प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों का सहयोग रहा।
Mar 20 2024, 19:51