मृदा संरक्षण हेतु जैविक खेती ही एक विकल्प : परवेज खान
ललितपुर। नेहरू महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई चतुर्थ के संचालित सात दिवसीय विशेष शिविर के छठवे दिन प्राचार्य प्रो.राकेश नारायण के निर्देशन में कार्यक्रम अधिकारी डा.राजीव निरंजन के नेतृत्व में एवं महाविद्यालय के सुखपाल राजपूत के साथ स्वयंसेवकों ने ग्राम टपरियान, पनारी में किसानों के खेत पर जाकर सभी स्वयंसेवकों ने जैविक खेती से संबंधित विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण सूचनाओं को सांझा किया, जैसे जैविक खेती कैसे करे।
पर्यावरण, मृदा और मानव स्वास्थ्य में जैविक खेती के लाभ आदि के बारे ने महत्वपूर्ण जानकरी दी। दोपहर के भोजनोपरांत जैविक खेती विषय पर आयोजित बौद्धिक सत्र में मुख्य अतिथि जिला उद्यान अधिकारी परवेज खान ने स्वयंसेवको को बागवानी और आधुनिक कृषि के माध्यम से स्वरोजगार करने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि स्वयं की नर्सरी तैयार करके, पॉली हाउस में बागबानी, हाईटेक नर्सरी, ड्रिप इरीगेशन, खाद्य प्रसंस्करण के माध्य्म से हम अपने रोजगार के साथ-साथ दूसरे व्यक्तियों को भी रोजगार दे सकते है। पोली हाउस में हम बिना मौसम की शाक सब्जियों की जैविक खेती के माध्यम से हम अपने उत्पाद को मार्केट से ज्यादा रेट में बेच सकते है।
उद्यान विभाग में संचालित योजनायों के बारे में विस्तृत जानकारी और उन्होंने कहा कि जो छात्र-छात्रायें उद्यान विभाग की योजनाओं का लाभ लेना चाहता है वो सीधा मुझसे संपर्क कर सकते है। कृषि अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डा.अरिमर्दन सिंह ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है फिर भी हमारी कृषि से नौजवान दूर जा रहे है।
इसलिए आज हमें सिर्फ अपनी जानकारी बढ़ाने के साथ-साथ अपने जीवन में समयबद्ध एवं अनुशासन में होना पड़ेगा। तभी हम और हमारा देश आर्थिक रूप से समृद्ध हो पायेगा। इन्होंने बताया कि जो कृषि हम कर रहे है उससे और अधिक पैसे कमाने के तरीको के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
कृषि उद्यान विभागाध्यक्ष डा.लक्ष्मीकांत मिश्रा ने बतया कि वर्तमान समय में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के उद्देश्य से अंधाधुंध कीटनाशी, खरपतवारनाशी आदि विभिन्न रसायनों का इस्तेमाल एवं असंतुलित व ज्यादा मात्रा में उर्वरकों का उपयोग बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण मृदा उर्वरता में लगातार गिरावट हो रही है एवं भूमि दूषित हो रही है एवं उत्पादन बढऩे के साथ उत्पाद में गुणवत्ता की कमी हो रही है।
इस तरह से भूमि एव पर्यावरणी प्रदूषण की भी समस्या बढ़ रही है। वर्तमान परिपेक्ष्य में गुणवत्ता परख अधिक उत्पादन प्राप्त करने हेतु जैविक खेती को अपनाने की आवश्यकता है। इसके लिए हमे वर्मीकम्पोस्ट, जैविक खाद, हरी खाद आदि का उपयोग करना पड़ेगा। अतुल मिश्रा और सुखपाल राजपूत ने भी स्वयंसेवको का मार्गदर्शन किया।
संध्यकाल में स्वयंसेवकों ने कैम्प फायर का आयोजन किया। जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य ने की। इसमें सभी स्वयंसेवको ने अपनी अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुति दी जिसकी आये हुए अतिथियो ने बहुत ही प्रशंसा की। इस दौरान हिमांश धर द्विवेदी, डा.जगवीर सिंह, डा.राघवेंद्र, डा.संदीप श्रीवास्तव, डा.अनूप दीक्षित, स्वयंसेवक पालक, प्रिंसी, रवीना, संजना, सीमा, स्नेहा, सोनम, उपमा, सोनम रजक, अंकित, दीपक, प्रकाश, प्रशांत, प्रिंस, रवि, स्वयंसेवक अक्सा, एलिजा, अमृता, अंजलि, चांदनी, दीक्षा, डॉली, जानवी, मुस्कान, नेवी, रिंकी, टिंकी, सौरभ, शिवांग, जय, ललित, राजेश, श्रीराम, अभिषेक, पंकज, अलंकृत, हिमाचल राजा आदि अन्य स्वयंसेवक उपस्थिति रहे। शिवर का संचालन डा.राजीव निरंजन ने किया और अंत मे आभार सुखपाल राजपूत ने किया।
Mar 19 2024, 19:25