एमपी के हरदा में पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के आरोपी की संपत्ति हुई कुर्क, 30 दिनों बाद होगी नीलाम

मध्य प्रदेश के हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके के मुख्य अपराधी राजेश उर्फ राजू अग्रवाल के 3 स्थानों की संपत्ति प्रशासन ने कुर्क कर ली है। 30 दिन पश्चात् संपत्ति की नीलामी होगी। राजेश एवं सोमेश अग्रवाल की हरदा, खिरकिया एवं हंडिया में जमीनें हैं। वहीं उनके पास कार और दुकानों सहित 18 करोड़ की संपत्ति है, जिसे कुर्क कर लिया गया है। वहीं दूसरे जिलों से भी संपत्ति की जानकारी मांगी गई है।

वही इस सिलसिले में कलेक्टर आदित्य सिंह ने बताया कि राजू अग्रवाल की पटाखा फैक्ट्री से 1 लाख 20 हजार किलो पटाखा सामग्री बरामद की गई, जिसका बाजार में दाम करोड़ों रुपये है। इसे अदालत ने नष्ट करने की अनुमति दे दी है। एनजीटी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइनलाइन के मुताबिक, विशेषज्ञों की देखरेख में प्रोटोकॉल के मुताबिक इसे नष्ट किया जाएगा। कलेक्टर ने बताया कि संपत्ति की नीलामी की राशि से पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद की जाएगी। फैक्ट्री संचालक राजू उर्फ राजेश अग्रवाल को वर्ष 2015 में 10 वर्षों की सजा हो चुकी है तथा 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। आरोपी को विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 की धारा 5 के तहत दंडित किया गया था।

बता दें कि हरदा में 6 फरवरी को हुए धमाके ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया था। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हुई थी तथा लगभग 300 लोग झुलस गए थे। हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह के मुताबिक, NGT के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जा रही है। पीड़ितों को राहत राशि दिलाने के लिए अपराधी राजेश अग्रवाल-सोमेश अग्रवाल की संपत्ति कुर्क कर ली है। नीलामी की प्रक्रिया भी आरम्भ कर दी गई है। फैक्ट्री में ब्लास्ट के चलते आसपास के 59 मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे।

एमपी के हरदा में पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के आरोपी की संपत्ति हुई कुर्क, 30 दिनों बाद होगी नीलाम

मध्य प्रदेश के हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके के मुख्य अपराधी राजेश उर्फ राजू अग्रवाल के 3 स्थानों की संपत्ति प्रशासन ने कुर्क कर ली है। 30 दिन पश्चात् संपत्ति की नीलामी होगी। राजेश एवं सोमेश अग्रवाल की हरदा, खिरकिया एवं हंडिया में जमीनें हैं। वहीं उनके पास कार और दुकानों सहित 18 करोड़ की संपत्ति है, जिसे कुर्क कर लिया गया है। वहीं दूसरे जिलों से भी संपत्ति की जानकारी मांगी गई है।

वही इस सिलसिले में कलेक्टर आदित्य सिंह ने बताया कि राजू अग्रवाल की पटाखा फैक्ट्री से 1 लाख 20 हजार किलो पटाखा सामग्री बरामद की गई, जिसका बाजार में दाम करोड़ों रुपये है। इसे अदालत ने नष्ट करने की अनुमति दे दी है। एनजीटी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइनलाइन के मुताबिक, विशेषज्ञों की देखरेख में प्रोटोकॉल के मुताबिक इसे नष्ट किया जाएगा। कलेक्टर ने बताया कि संपत्ति की नीलामी की राशि से पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद की जाएगी। फैक्ट्री संचालक राजू उर्फ राजेश अग्रवाल को वर्ष 2015 में 10 वर्षों की सजा हो चुकी है तथा 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। आरोपी को विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 की धारा 5 के तहत दंडित किया गया था।

बता दें कि हरदा में 6 फरवरी को हुए धमाके ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया था। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हुई थी तथा लगभग 300 लोग झुलस गए थे। हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह के मुताबिक, NGT के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जा रही है। पीड़ितों को राहत राशि दिलाने के लिए अपराधी राजेश अग्रवाल-सोमेश अग्रवाल की संपत्ति कुर्क कर ली है। नीलामी की प्रक्रिया भी आरम्भ कर दी गई है। फैक्ट्री में ब्लास्ट के चलते आसपास के 59 मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे।

हिमाचल में सियासी हलचलः कौन हैं कांग्रेस की टेंशन बढ़ाने वाले विक्रमादित्य सिंह? इस्तीफे के बाद सुक्खू सरकार के इस मंत्री के तीखे तेवर

#whoisvikramadityasinghresigns_today

कांग्रेस में आपसी कलह एक बार फिर खुलकर बाहर आ गया है। इस बार हिमाचल प्रदेश की राजनीति में भूचाल आया है। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक के बाद लगातार बड़े झटके लग रहे हैं। तीन राज्यों में मिली हार से पार्टी अभी उभरी भी नहीं थी हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कांग्रेस विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की और बीजेपी के समर्थन में वोट दिया। प्रदेश में कांग्रेस दो खेमों में बंटती नजर आ रही है। इस बीच विक्रमादित्य सिंह ने अपने मंत्री पद से इस्तीफी दे दिया है।

बुधवार को राज्य विधानसभा परिसर में आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने इसका एलान किया। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी के अंदरूनी झगड़ों की बखिया भी उधेड़ डाली। विक्रमादित्य सिंह ने अपना ये इस्तीफा बेहद भावुक तरीके से दिया। वो कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार में लोक निर्माण मंत्री थे। अपने इस्तीफे के दौरान वो काफी इमोशनल नजर आए। उनकी आंखों में आंसू थे। नम आखों के साथ एक शेर के जरिए अपना दर्द बयां किया। उन्होंने सूबे की सुखविंदर सुक्खू के साथ ही कांग्रेस पार्टी पर काफी गंभीर आरोप लगाए।

विधायकों के साथ अनदेखी का आरोप

विक्रमादित्य सिंह ने मुख्यमंत्री सुक्खू पर अपमान का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जनता के प्रति मेरी जावाबदेही है। एक साल के घटनाक्रम में विधायकों की अनदेखी हुई। आवाज दबाई गई। शिलान्यास मामले में मेरे विभाग के अफसरों को नोटिस दिए गए। वह वीरभद्र सिंह के कदमों पर चल रहे हैं। उन्होंने सुक्खू सरकार पर आरोप लगाया कि इसने उनके पिता वीरभद्र सिंह का स्टैच्यू लगाने के लिए जमीन तक नहीं दी। कांग्रेस विधायकों के साथ अनदेखी की गई। नतीजा, कांग्रेस के कई विधायक उनसे नाराज हैं। प्रियंका गांधी, खरगे को दो दिन के घटनाक्रम की जानकारी दे दी है और अब हाईकमान को फैसला लेना है। 

मुझे एक मंत्री के तौर पर अपमानित किया गया-विक्रमादित्य

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हमने पार्टी का हमेशा साथ दिया है। मैं आज सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि मौजूदा समय में मेरा इस सरकार में बने रहना ठीक नहीं है। मैंने यह निर्णय लिया है कि मैं मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे रहा हूं। यह कहते हुए वह भावुक हो गए कि मुझे एक मंत्री के तौर पर अपमानित करने का काम किया गया है, जिस तरह के संदेश विभाग में भेजे जाते हैं, हमें कमजोर करने की कोशिश की गई। सरकार सभी के सामूहिक प्रयास से बनी थी। मैं किसी भी दबाव में नहीं आने वाला।

कौन हैं विक्रमादित्य सिंह?

विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं। उनकी मां प्रतिभा सिंह, मंडी लोकसभा सीट से सांसद हैं।2022 के विधानसभा चुनाव में विक्रमादित्य सिंह ने बीजेपी के रवि कुमार मेहता को हराया और एक बार फिर से विधायक चुने गए। बता दें कि कुछ दिन पहले जब कांग्रेस ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से यह कहते हुए दूरी बना ली थी कि यह भाजपा-आरएसस का इवेंट है तो हिमाचल की कांग्रेस सरकार का ये सुवा मंत्री अयोध्या पहुंचा था। तब उनकी काफी चर्चा हुई थी।विक्रमादित्य सिंह ही नहीं, बल्कि उनके साथी विधायक सुधीर शर्मा ने भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लिया था।

प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री जया प्रदा फरार घोषित, अदालत ने पुलिस को दिया गिरफ्तार करने का आदेश, जानिए पूरा मामला

रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री और पूर्व सांसद जया प्रदा को फरार घोषित कर दिया। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन के दो मामलों में उनका नाम शामिल है। 2019 में जया प्रदा रामपुर से लोकसभा चुनाव लड़ रही थीं। चुनाव प्रचार के दौरान, उन पर आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप लगे थे।

जया प्रदा के खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे, जिनकी सुनवाई रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत में चल रही थी। जया प्रदा को कई बार अदालत में पेश होने के लिए समन भेजा गया था, लेकिन वे कभी भी पेश नहीं हुईं। 27 फरवरी को, अदालत ने उन्हें फरार घोषित कर दिया और पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया।

पुलिस जया प्रदा को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी करेगी। यदि उन्हें गिरफ्तार किया जाता है, तो उन्हें अदालत में पेश किया जाएगा।

अदालत उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई करेगी। यह घटना जया प्रदा के राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ा झटका हो सकती है।

जया प्रदा एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री हैं जिन्होंने हिंदी, तेलुगु, और तमिल फिल्मों में काम किया है। वे 1990 के दशक में राजनीति में शामिल हुईं और रामपुर से सांसद और विधायक दोनों के रूप में कार्य किया है। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्य हैं।

राजीव गांधी की हत्या के दोषी संथान का निधन, रिहाई के बाद घर वापसी की उम्मीद रह गई अधूरी

#rajiv_gandhis_assassination_convict_santhan_passes_away

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए संथान की दिल का दौरा पड़ने से बुधवार को मौत हो गई। संथान ने राजीव गांधी अस्पताल में अंतिम सांस ली। संथन का लिवर फेल होने के कारण 27 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया। उससे पहले तिरुचिरापल्ली के एक शिविर में वह रिहाई के बाद रह रहा था। 55 वर्षीय संथन उर्फ टी. सुतेनदिराराजा एक श्रीलंकाई नागरिक था और उन सात लोगों में से एक था जिसे पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के जुर्म में 20 वर्ष से ज्यादा की जेल की सजा काटने के बाद 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया था।

राजीव गांधी गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल के डीन ई थेरानिरजन ने बताया कि संथन की मौत सुबह सात बजकर 50 मिनट पर हुई। संथन का यकृत खराब था और उसका उपचार किया जा रहा था। थेरानिराजन ने संवाददाताओं से कहा कि संथन को बुधवार तड़के करीब चार बजे दिल का दौरा पड़ा, इसके बाद उसे सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) दिया गया और वेंटिलेटर पर रखा गया था। उन्होंने कहा कि संथन पर उपचार का कोई असर नहीं हुआ और आज (बुधवार) सुबह सात बजकर 50 मिनट पर उसकी मौत हो गई।

सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर, 2022 को राजीव गांधी हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहे 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था। आदेश के अगले दिन नलिनी, श्रीहरन, संथन, रॉबर्ड पायस, जयकुमार और रविचंद्रन को 32 साल बाद जेल से रिहा किया गया था, लेकिन यहां एक पेंच फंस गया था। नलिनी और रविचंद्रन को अपने परिवार के पास मिलने की अनुमति दी गई लेकिन बाकी चार को त्रीची सेंट्रल जेल के स्पेशल कैंप में रख दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि ये चारों श्रीलंकाई नागरिक थे। 2022 में रिहाई के आदेश के बाद उसने घर वापसी की अपील करते हुए एक लेटर भी लिखा था।

संथन ने त्रीची जेल के स्पेशल कैंप से लिखे पत्र में कहा था कि वह धूप तक नहीं देख सकता। पत्र के जरिए उसने दुनिया भर के तमिलों से आवाज उठाने की अपील की थी ताकि वह अपने देश लौट सकेय़ चेन्नई में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) ने पिछले शुक्रवार को एक आदेश जारी कर संथन उर्फ सुथेनथिराजा को श्रीलंका वापस जाने की अनुमति दे दी थी, लेकिन बीमारी की वजह से वह नहीं जा सका।

दिल्ली के केजरीवाल सरकार को एक और झटका, एलजी ने अब सोलर पॉलिसी पर लगाई रोक

#lg_vinai_kumar_saxena_stopped_solar_policy_of_delhi_government

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एलजी विनय सक्सेना के बीच तनातनी नई बात नहीं है। एक बार फिर सरकार और एलजी के बीच का गतिरोध सामने आया है। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एक बार फिर आम आदमी पार्टी की सरकार को झटका दिया है। एलजी विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार की सोलर पॉलिसी पर रोक लगा दी है। दरअसल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस कर सोलर पॉलिसी का एलान किया था। दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि इस सोलर पॉलिसी के तहत दिल्ली में बिजली के बिल जीरो हो जाएंगे।

क्या होगा केजरीवाल के वादे का?

केजरीवाल ने कुछ दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस कर के सोलर पॉलिसी का ऐलान किया था। सोलर पॉलिसी से दिल्ली में बिजली के बिल जीरो होते हैं। अरविंद केजरीवाल ने नई सोलर नीति की घोषणा करते हुए बिलजी का बिल जीरो करने का वादा किया था। केजरीवाल ने नई सोलर पॉलिसी का ऐलान करते हुए अपने अधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर जानकारी देते हुए लिखा था कि जो भी नई नीति के तहत अपने छत पर सोलर पैनल लगाएंगे, उनके बिजली का समूचा बिल जीरो हो जाएगा। केजरीवाल से वादा करते हुए कहा कि सोलर पैनल लगाने वालों को हर महीने 700 रुपये से लेकर 900 रुपये तक के फायदे की बात कहीं थी। लेकिन, दिल्ली के विनय कुमार सक्सेना के रोक लगाने के बाद अब ये मामला ठंडे बस्ते में जाता हुआ नजर आ रहा है। नई सोलर पॉलिसी के तहत सरकारी इमारतों पर सोलर पैनल लगाना अनिवार्य किया जाना था जो कम से कम 500 स्क्वायर मीटर के दायरे में फैली हैं।

200 से 400 यूनिट बिजली वालों का बिल भी जोरो

आपको बता दें कि दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली फ्री है। 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वालों से आधा और 400 से ज्यादा यूनिट खर्च करने वालों से पूरा बिजली का बिल वसूला जाता है। लेकिन इस सोलर पॉलिसी के तहत घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने वालों का बिजली बिल जीरो करने की बात कही गई। इस पॉलिसी के लागू होने से 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वालों का बिजली बिल जीरो किया जाता। इसके अलावा सौर ऊर्जा उत्पादक पैसा भी कमा सकते थे। लेकिन अब एलजी की तरफ से इस पॉलिसी को रोके जाने का आदेश दिया गया है।

बीजेपी का दावा-कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस समर्थकों ने लगाए पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे, पुलिस में की शिकायत

#karnataka_bjp_claims_pakistan_zindabad_slogans_raised

कांग्रेस ने कर्नाटक में राज्यसभा चुनाव में जीत दर्ज की है। कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नासिर हुसैन ने राज्यसभा चुनाव में जीत दर्ज की। इसके बाद कर्नाटक बीजेपी ने मंगलवार देर रात नसीर हुसैन के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। पार्टी ने आरोप लगाया कि हुसैन के समर्थकों ने राज्यसभा चुनाव में उनकी जीत का जश्‍न मनाते हुए विधानसभा परिसर में कथित तौर पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए।

बीजेपी एमएलसी एन. रविकुमार और पार्टी विधायक व मुख्य सचेतक डोड्डानगौड़ा पाटिल ने हुसैन और उनके समर्थकों के खिलाफ विधान सौध पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया है, “27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव के बाद नसीर हुसैन और उनके कई समर्थक शाम को मतगणना क्षेत्र के पास एकत्र हुए थे। पता चला कि शाम करीब 7 बजे रिटर्निंग ऑफिसर ने घोषणा की कि नसीर हुसैन विधिवत निर्वाचित हो गए हैं।“ इसके बाद कांग्रेस नेता के कहने पर नसीर हुसैन के समर्थकों ने अचानक अपने नेता की जय-जयकार करते हुए जोर-जोर से 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए।

बीजेपी नेता आर अशोक ने शेयर किया वीडियो

बीजेपी के विधायक और कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए आरोप लगाया है कि नासिर हुसैन के समर्थकों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि ये सीधे तौर पर सीएम सिद्दारमैया की तुष्टिकरण राजनीति का नतीजा है। उन्होने कहा कि ये राजनीतिक का खतरनाक खेल है जिसने टुकड़े-टुकड़े गैंग और राष्ट्रविरोधी तत्वों को बढ़ावा दिया है।

नसीर ने दी सफाई

नसीर हुसैन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट की। उन्होंने कहा, आज, जब हमारी पार्टी के कुछ समर्थक, कार्यकर्ता और कुछ लोग तीन उम्मीदवारों की जीत का जश्न मना रहे थे तब मैं उनके बीच में था। कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा 'नसीर हुसैन जिंदाबाद', 'नसीर खान जिंदाबाद', 'नसीर साहब जिंदाबाद' और 'कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद' जैसे नारे लगाए गए।उन्होंने आगे कहा, 'अचानक जब मैं वहां से अपने घर के लिए निकल रहा था तो मुझे मीडिया ने फोन कर बताया कि किसी ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए हैं। मैं यहां यह कहना चाहूंगा कि जब मैं लोगों के बीच था तो बहुत सारे नारे लगाए जा रहे थे, लेकिन मैंने पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा कभी नहीं सुना, लेकिन जो कुछ भी है हमने पुलिस से कहा है कि वे इसकी जांच करें।

चार में से तीन सीटें कांग्रेस के खाते में

गौरतलब है, कर्नाटक की चार सीटों पर हुए मंगलवार को राज्यसभा चुनाव के नतीजों में तीन सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है, जबकि एक सीट भाजपा के खाते में गई। कर्नाटक में कांग्रेस के तीनों उम्मीदवार अजय माकन, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और जीसी चन्द्रशेखर क्रमश: 47, 46 और 46 वोटों से जीते। हालांकि, अब जीत के जश्न को लेकर अब बवाल मच गया है।

हिमाचल में सियासी संकटः क्या लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी बनाने जा रही सरकार?

#himachal_pradesh_political_crisis

राज्यसभा चुनाव में हार के बाद हिमाचल की कांग्रेस सरकार संकट में है। हिमाचल के राज्यसभा चुनाव में 9 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। कांग्रेस के 6 बागी, 3 निर्दलियों ने बीजेपी उम्मीदवार को वोट दिया और इस तरह कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए।इसके बाद आनन-फानन में बैठक का दौर कांग्रेस की तरफ से शुरू किया गया। सीएम सुक्खू ने विधायकों के साथ बैठक की। वहीं बागी विधायकों ने पार्टी के आलाकमान को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वो पार्टी से नहीं बल्कि सीएम सुक्खू से नाराज हैं।

कांग्रेस को सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार नहीं-जयराम ठाकुर

इधर, भाजपा विधायक दल ने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से मुलाकात की और सदन में वित्तीय बजट के लिए मत विभाजन की मांग की। जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्यपाल से मिलकर हमने मौजूदा घटनाक्रम की जानकारी दी। इस सरकार को सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। जयराम ठाकुर ने कहा, 'पिछले कुछ समय से विधानसभा में जो घटनाक्रम चल रहा है उसकी जानकारी हमने राज्यपाल को दी है। राज्यसभा चुनाव में जो परिणाम आया, जो वर्तमान स्थिति है उसे देखें तो कांग्रेस को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस हमारी वजह से नहीं, अपनी वजह से संकट में है।'

हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि विधानसभा में हमारी बात नहीं सुनी जा रही है। जब भी हम वित्तीय विधेयक के दौरान मतविभाजन की मांग करते हैं तो इसकी अनुमति नहीं दी जाती है। हमारी अनुमति के बिना सदन को स्थगित कर दिया जा रहा है।

बीजेपी बनाएगी सरकार-हर्ष महाजन

हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव जीतने वाले बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कहा कि बीजेपी राज्य में अपनी सरकार बनाने जा रही है। कांग्रेस के कुछ और विधायक हमारे संपर्क में हैं। मुझे उनके कुछ विधायकों और मंत्रियों के फोन आए। अगले कुछ घंटों में स्थिति बदलने वाली है और आप देखेंगे कि बीजेपी जल्द ही अपनी सरकार बनाएगी। अगले 10-20 सालों तक कांग्रेस यहां सत्ता में नहीं आने वाली है।

विधानसभा में भाजपा-कांग्रेस का नंबरगेम

हिमाचल में विधानसभा की कुल 68 सीटें हैं। कांग्रेस के पास 40 और भाजपा के पास 25 विधायक हैं। 3 निर्दलीय जीते थे। कल राज्यसभा चुनाव में 6 कांग्रेसी विधायकों ने भाजपा कैंडिडेट को वोट किया था। साथ ही निर्दलीय भी भगवा दल के साथ गए। बहुमत का आंकड़ा 35 है। अगर कांग्रेस के 6 विधायक भाजपाई हुए तो सुक्खू सरकार अल्पमत में आ जाएगी। इसके लिए फिलहाल बजट पास कराना ही अग्निपरीक्षा की तरह है। अगर डिविजन का फैसला होता है यानी बजट को पास कराने के लिए सदन पक्ष और विपक्ष के वोट में बंटता है तो सुक्खू सरकार गिर सकती है। इसकी वजह कांग्रेस के 6 बागी विधायक हैं जो फिलहाल उसकी पहुंच से बाहर और भाजपा शासित हरियाणा में बैठे बताए जा रहे हैं।

क्या कहता है नियम?

दरअसल, हिमाचल विधानसभा में अभी बजट सत्र चल रहा है। इस दौरान नो कॉन्फिडेंस मोशन यानी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। ऐसे में बीजेपी का फोकस बजट पास न होने देने पर है। अगर किन्हीं कारणों से बजट पास नहीं होता है तो सरकार अपने आप गिर जाती है। ऐसी स्थिति पैदा होने पर मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ता है और सरकार गिर जाती है।

इस वर्ष आठ मार्च को मनाया जाएगा महाशिवरात्रि का त्योहार, यहां जानिए शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या है अंतर

सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के त्योहार को बहुत विशेष माना जाता है। महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है। वही इस साल 8 मार्च के दिन महाशिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस व्रत को स्त्री या पुरुष कोई भी रख सकता है हर महीने मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि का व्रत अमोघ फल देने वाला माना जाता है।

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर

1. तिथि:

शिवरात्रि: हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है।

महाशिवरात्रि: यह साल में एक बार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है।

2. महत्व:

शिवरात्रि: यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।

महाशिवरात्रि: यह सबसे महत्वपूर्ण शिवरात्रि मानी जाती है।

3. मान्यताएं:

शिवरात्रि: इस दिन भगवान शिव का तांडव नृत्य हुआ था।

महाशिवरात्रि: इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।

4. पूजा:

शिवरात्रि: इस दिन भक्त भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और भजन गाते हैं।

महाशिवरात्रि: इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की पूजा करते हैं।

5. व्रत:

शिवरात्रि: इस दिन भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं।

महाशिवरात्रि: इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व होता है।

6. उत्सव:

शिवरात्रि: इस दिन कई शिवालयों में विशेष उत्सव आयोजित किए जाते हैं।

महाशिवरात्रि: यह सबसे बड़ा शिव उत्सव होता है।

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि दोनों ही भगवान शिव को समर्पित महत्वपूर्ण दिन हैं। महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण शिवरात्रि मानी जाती है।

मार्च में लागू हो सकता है “सीएए”, आचार संहिता लागू होने से पहले मोदी सरकार ले सकती है ये बड़ा फैसला

#caawillbeimplementedinmarchnotificationwillbeissuedbefore_elections

भारतीय नागरिकता (संशोधन) अधिनियम संसद में पांच साल पहले पास हो चुका है, लेकिन बाद में देश भर में विरोध प्रदर्शन के चलते इसे लागू नहीं किया गया था। हालांकि अब चर्चा है कि केन्द्र सरकार जल्द ही सीएए देश में जल्द ही लागू कर सकती है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लगने से पहले इसकी अधिसूचना जारी हो सकती है। आदर्श आचार संहिता जारी होने से पहले गृह मंत्रालय किसी भी समय सीएए नियमों को अधिसूचित कर सकता है।

हाल ही में केंद्रीय गृह मत्री अमित शाह ने ऐलान किया था कि आम चुनाव से पहले सीएए लागू होगा। अमित शाह ने कहा था, ''लोकसभा चुनाव से पहले सीएए को लागू करने को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। मैं ऐसे मैं साफ कर देना चाहता हूं कि सीएए से किसी भी शख्स की नागरिकता नहीं ली जाएगी। बता दें कि सीएए के तहत केंद्र की मोदी सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित उन गैर-मुस्लिम प्रवासियों – हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई – को भारतीय नागरिकता प्रदान करना चाहती है, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे।

सीएए लागू करने को लेकर तैयारी पूरी

बता दें कि सीएए लागू करने को लेकर पूरी तैयारी की जा चुकी है। इसके लिए एक पोर्टल भी तैयार कर लिया गया है।पात्र पड़ोसी देशों से आने वाले विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और आवेदक अपने मोबाइल फोन से भी आवेदन कर सकते हैं। आवेदकों को वह वर्ष बताना होगा, जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। गृह मंत्रालय इसकी जांच कर नागरिकता जारी कर देगा। बता दें कि नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास है।

क्या है सीएए

सीएए यानी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को 2019 में संसद से पारित किया गया है। इसका उद्देश्य 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देना है। इसका फायदा उन हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को मिलेगा जो इन तीनों पड़ोसी देशों में प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आए हैं। खास बात ये है कि इन्हें भारतीय नागरिकता लेने के लिए किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी। कानून के तहत नागरिकता मिलते ही ऐसे व्यक्तियों को देश के मौलिक अधिकार भी मिल जाएंगे। मुस्लिमों को इस कानून से बाहर रखा गया है।

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद भी नहीं हुआ लागू

दिसंबर, 2019 में संसद द्वारा सीएए पारित किये जाने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद देश के कुछ हिस्सों में व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें कई मौतें हुईं। असम में पहली बार विरोध प्रदर्शन 4 दिसंबर, 2019 को शुरू हुआ, जब विधेयक संसद में पेश किया गया था। जल्द ही यह दिल्ली सहित प्रमुख शहरों में फैल गया। विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप 27 मौतें हुईं, इनमें से 22 मौतें अकेले उत्तर प्रदेश में हुईं। एक हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया और आंदोलनकारियों के खिलाफ 300 से अधिक मामले दर्ज किये गये।