मीरजापुर: पत्रकारों को फर्जी मुकदमें में जेल भेजने को लेकर कलमकारों में आक्रोश
मिर्जापुर। खून की कालाबाजारी की खबर पत्रकार के लिए मुसीबत बन गई है। विडियो वॉयरल होने के बाद पुलिस आरोपी ब्लड बैंक संचालक को बचाने के लिए लोकतंत्र की नींव खोदते हुए पत्रकार को ही दोषी करार देकर जेल की सलाखों के भीतर कर दिया है।
जानकारी के अनुसार हलिया थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति को पिछले दिनों तबियत खराब होने पर नगर के नामचीन चिकित्सक को दिखाया गया था। डाक्टर द्वारा दवा जांच के बाद मरीज को खून चढ़ाने के लिए बोला गया, मरीज के परिजन ब्लड की तलाश में शहर कोतवाली के मिशन कंपाउंड स्थित एक निजी ब्लड बैंक में गए, जहां ब्लड के एवज में तीमारदारों से रुपए की डिमांड की गई, मरीज के तीमारदारों ने काफी मिन्नत की लेकिन ब्लड बैंक संचालक ने एक न सुनी। थक हारकर मरीज के परिजनों ने पैसा देकर ब्लड खरीदा जिसका विडियो साथ में मौजूद पत्रकार सूरज दुबे व उसके साथी चंदन दुबे ने बना लिया।
दोनों पत्रकारों ने खून की कालाबाजारी का विडियो शासन प्रशासन को भेजकर शिकायती पत्र देकर जांच कराने की अपील कि, लेकिन प्रशासन द्वारा कोई जांच नही कराई गई लगभग दो सप्ताह बाद ब्लड बैंक संचालक ने दोनों पत्रकारों के विरुद्ध धमका कर पैसा मांगने का आरोप लगाते हुए थाने में तहरीर दिया जिसपर पुलिस ने झटपट मुकदमा कायम करते हुए दोनों पत्रकारों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
इतना ही नहीं पुलिस द्धारा रसूखदार डाक्टर के दबाव में आकर दर्ज़ एफआईआर में बिना किसी जांच पड़ताल के धारा भी बढ़ा दिया गया, ताकि पत्रकारों को आसानी से जमानत भी न मिल सकें।
पत्रकारों के ऊपर इस तरह से एक तरफा की गई कार्यवाही से अन्य पत्रकारों में काफी रोष देखने को मिला, भारी संख्या में लामबंद हुए पत्रकारों ने डीआईजी मिर्जापुर से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा पत्रकारों ने डीआईजी से एक तरफा कार्यवाही करने के लिए शहर कोतवाल को हटाने पत्रकारों के ऊपर दर्ज़ किए गए मुकदमे की उच्चस्तरीय जांच तथा खून की कलाबाजारी करने वाले डाक्टर के विरुद्ध मुक़दमा दर्ज कराने की मांग की है।
बॉक्स में
पहले भी विवादों में घिर चुके है ब्लड बैंक संचालक
जिस निजी ब्लड बैंक के संचालक ने पत्रकारों के ऊपर मुक़दमा दर्ज़ कराया है वो पहले भी कई तरह के विवादों में घिर चुके है। मंडलीय चिकित्सालय से लेकर आसपास के इलाकों में ब्लड बैंक संचालक डाक्टर का दबदबा है, पति, पत्नी, भाई, बहू सभी प्राइवेट डाक्टर है। अस्पताल, पैथालोजी से लेकर कई प्रतिष्ठान डाक्टर व उनके परिवार के लोगों द्धारा चलाए जाते है।
निजी ब्लड बैंक संचालक डाक्टर के ब्लड बैंक में पैसा लेकर खून बेचने का यह पहला वाकया नहीं है इससे पहले भी खून बेचने, गलत रिपोर्ट देने मनमाना पैसा वसूलने का आरोप लगाया जा चूका है। मंडलीय चिकित्सालय के सामने ब्लड बैंक संचालक डाक्टर के पैथालॉजी के चलते भयंकर जाम की स्थिती से जिले के तमाम अधिकारी, नेता, मंत्री सभी वाकिफ है लेकिन धनबल, बाहुबल के चलते कोई भी डॉक्टर से जुड़े प्रतिष्ठानों के विरुद्ध आवाज नहीं उठाता है।
Feb 18 2024, 16:19