देशव्यापी हड़ताल का कोडरमा जिला में व्यापक असर, सीटू, किसान सभा ने निकाला विशाल जुलूस
751 आंगनबाड़ी केंद्र पूरी तरह से रहा बंद, स्कूलों में मिड डे मील पर भी पड़ा असर निर्माण, ढिबरा मजदूर, ऑटो यूनियन भी हड़ताल में हुआ शामिल
कोडरमा/ झुमरीतिलैया
देश के मजदूरों, किसानों और आम जनता के जीवन जीविका पर केंद्र सरकार की नीतियों के विनाशकारी हमले, किसानों पर हो रहे दमन और तानाशाही शासन के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और सेन्ट्रल ट्रेड यूनियन और स्वतंत्र फेडरेशनों के राष्ट्रव्यापी हड़ताल का कोडरमा जिला में व्यापक असर देखा गया.
झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका यूनियन के बैनर तले जिला में सभी 751 आंगनबाड़ी केंद्रों में लटका रहा ताला, झारखंड राज्य रसोईया संयोजिका यूनियन भी हड़ताल में हुआ शामिल, जिसके कारण दर्जनों स्कूल में मिड डे मील पर प्रभाव पड़ा. झारखंड राज्य निर्माण कामगार यूनियन के बैनर तले सैकड़ों निर्माण मजदूरों ने काम रखा बंद वहीं माईका वर्कर्स यूनियन के हड़ताल में शामिल होने से कई क्षेत्रों में ढिबरा मजदूर भी काम रखा बंद, झारखंड परिवहन मजदूर यूनियन के बैनर तले टैम्पो चालक संघ भी हड़ताल में हुआ शामिल. हड़ताल के समर्थन में रेलवे स्टेशन परिसर से सीटू और किसान सभा के संयुक्त बैनर तले एक विशाल जनाक्रोश रैली निकाली गई जो स्टेशन रोड, झंडा चौक, स्मार्ट बाजार होते हुए महाराणा प्रताप चौक के समीप श्रम अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर विशाल प्रदर्शन व सभा में तब्दील हो गया. जुलूस में तानाशाही मोदी सरकार मुर्दाबाद, किसानों पर दमन बंद करो, फसलों पर एमएसपी लागू करो, मजदूर विरोधी लेबर कोड वापस लो, निजीकरण पर रोक लगाओ, महंगाई पर रोक लगाओ, युवाओं को रोजगार दो आदि नारे लगाए जा रहे थे. इस अवसर पर झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष मीरा देवी की अध्यक्षता में हुई सभा को झारखंड राज्य किसान सभा के संयुक्त सचिव असीम सरकार, परमेश्वर यादव, सीटू के राज्य सचिव संजय पासवान, जिला संयोजक रमेश प्रजापति, निर्माण कामगार यूनियन के अध्यक्ष प्रेम प्रकाश, माइका वर्कर्स यूनियन के महेन्द्र तुरी, ऑटो यूनियन के मो रफीक, रसोईया यूनियन की संध्या पांडेय ने मुख्य रूप से सम्बोधित किया. वक्ताओं ने कहा कि आज देश में उत्पादन व विकास की मुख्य ताकत मजदूर वर्ग की सिर्फ घोर उपेक्षा नहीं बल्कि 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर चार लेबर कोड में बदलकर मजदूरों के कानूनी अधिकारों पर जबरदस्त हमला किया जा रहा है. देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सार्वजनिक उपक्रमों का बहुत बड़ा योगदान है, लेकिन भाजपानीत मोदी सरकार के द्वारा इसे लगातार खत्म किया जा रहा है. जनता पर महंगाई का बुलडोजर चलाया जा रहा है. आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि, बढ़ती छंटनी और बेरोजगारी, महंगी शिक्षा और स्वास्थ्य तथा किसानों के लिए न तो लागत पर कोई सब्सिडी और न ही कानूनी एमएसपी. दूसरी पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली आ रहे हैं तो उन्हें रास्ते में ही सीमेंट का दीवार, कीलें गाड़कर रोक दिया गया है और उन किसानों पर अश्रु गैस, रबर की गोली और पैलेट गण चलाकर उन पर दमन किया जा रहा है और आतंकवादियों के जैसा व्यवहार किया जा रहा है. जो मोदी सरकार की फांसीवादी चरित्र को उजागर करता है. जिसके खिलाफ आगामी आम चुनाव में इसका जवाब दिया जाएगा. रैली प्रदर्शन में वर्षा रानी, शोभा प्रसाद, शकुन्तला मेहता, नागेश्वर दास, सुरेंद्र पांडेय, बसंती देवी, बेबी देवी, सरस्वती देवी, नीलम यादव, प्रभा, रेखा, सुनीता, लीला कुमारी, पुजन कुमारी, ललिता कुमारी, कुमारी, उर्मिला देवी, भीखारी तुरी, ग्यासुद्दीन अंसारी, चन्दन सिहं, विजय शर्मा, राजेन्द्र पासवान, मुनेजा खातुन, अनीता सिहं, मुकेश कुमार यादव, सुरेंद्र राम सहित सैकड़ों सेविका सहायिका, रसोईया, निर्माण, ढिबरा मजदूर, ऑटो चालक आदि शामिल थे. प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री के नाम 21 सूत्री मांग पत्र श्रम अधीक्षक को सौंपा गया. जिसमें सभी स्कीम वर्कर्स/योजना कर्मियों को नियमित करने, न्यूनतम वेतन 26000 रुपये प्रति माह, 12,000 रुपये प्रति माह पेंशन, भविष्य निधि, ईएसआई, ग्रेच्युटी आदि सहित सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ देने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोड वापस करने, किसानों के फसलों पर एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने, शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा देने, किसानों पर किए गए सभी मुकदमा वापस लेने, हिट एण्ड रण कानून वापस लेने, नियमावली के तहत अविलंब ढिबरा खरीदी का काम चालू करने की प्रमुख मांग शामिल है.
Feb 16 2024, 17:19