बीजेपी-आरएलडी का गठबंधन पक्का! एनडीए में जाने के सवाल पर बोले जयंत-अब किस मुंह से इनकार करूं मैं

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पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है। इस ऐलान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। जिसका संकेत चौधरी चरण सिंह के पोते और आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने दे भी दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (मरणोपरांत) से सम्मानित किए जाने की घोषणा के बाद उनके पोते और रालोद अध्‍यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने साबित कर दिया है कि वो देश की भावना को समझते हैं। वहीं, बीजेपी के साथ जाने के सवाल पर उन्‍होंने कह दिया कि आज मैं किस मुंह से इंकार करूं।इसके साथ ही अब आरएलडी और बीजेपी गठबंधन की मुहर भी लग गई है।

मोदी सरकार ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर जयंत चौधरी का दिल जीत लिया है। जयंत चौधरी ने कहा कि मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये बहुत बड़ा दिन है। मेरे लिए भावुक और यादगार पल है। मैं राष्ट्रपति, भारत सरकार और विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं। इससे बहुत बड़ा संदेश पूरे देश में गया है।देश की भावनाएं सरकार के इस फैसले से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने साबित किया है कि वे देश की मूलभावना को समझते हैं…जो आजतक पूर्व की सरकार नहीं कर पाई वे फैसला नरेंद्र मोदी ने लिया है।

एनडीए के साथ जाने के बारे में जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्‍होंने कहा कि आज एनडीए के साथ जाने की कोई घोषणा नहीं की है. लेकिन किस मुंह से इनकार किया जाए, कोई कसर रह गई हो तो बताओ. सीटों की कोई बात मैं अभी किसी के साथ नहीं करूंगा। न ही पीएम से करूंगा और न ही बीजेपी के किसी व्‍यक्ति से करूंगा।

चुनाव से जोड़ कर दिए गए बयानों पर जयंत ने कहा कि अगर ये कांग्रेस का आधिकारिक बयान है तो ये छोटी बात है जिसकी मैं निंदा करता हूं। चवन्नी वाले बयान पर जयंत ने कहा कि मैं कोई ट्वीट डिलीट नहीं करूंगा। विपक्ष क्या कहता है इसे भूल जाना चाहिए।सरकार ने दिल जीता है, खरीदने की बात नहीं है।

बता दें कि बीजेपी और आरएलडी में गठबंधन लगभग तय माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक आरएलडी 2 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ये दो सीटें बागपत और बिजनोर होंगी। इसके अलावा एक राज्यसभा सीट भी दी जा सकती है। हालांकि सपा जैसी पार्टियों को अभी भी उम्मीद है कि जयंत सोच समझकर फैसला लेंगे। लेकिन भारत रत्न के ऐलान के बाद अब गठबंधन कंफर्म माना जा रहा है।

उत्तराखंड में मस्जिद और मदरसा तोड़ने पर बवाल, पुलिस टीम पर हमला, इंटरनेट बंद, गोली मारने के आदेश, उत्तराखंड में हाईअलर्ट जारी, पढ़िए, लेटेस्ट

 उत्तराखंड के हल्द्वानी में गुरुवार को अवैध मस्जिद और मदरसा तोड़ने को लेकर बवाल हो गया। मामले में अब तक तनाव कि स्थिति बताई जा रही है। हालांकि सरकार घटना पर काफी गंभीर है और शांति व्यवस्था बहाल करने की पूरी तैयारी कर ली है। दूसरी ओर इस दौरान बुलडोजर कार्रवाई से गुस्साए लोगों ने पुलिस-प्रशासन पर पथराव कर दिया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में गुरुवार को अतिक्रमण हटाने के दौरान हिंसा भड़क गई। इस घटना में कई पुलिसकर्मी और पत्रकार घायल हुए हैं।

नगर निगम की टीम मलिक के बगीचे में अवैध मदरसा और नमाज स्थल को ढहाने पहुंची। उपद्रवियों ने पुलिस और प्रशासन की टीम पर पथराव कर दिया। बवालियों ने थाने के बाहर खड़े वाहन को आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़कर उपद्रवियों को खदेड़ा। जुमे की नमाज के चलते उत्तराखंड को हाईअलर्ट पर रखा गया है। 

सरकार ने की उच्च स्तरीय बैठक

मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई और शांति बनाए रखने की अपील की। डीएम ने बनभूलपुरा इलाके में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया।

दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए। अराजकतत्वों को चिह्नित कर यूएपीए के तहत कार्रवाई की जाएगी। 

पुलिस ने कहा

डीजीपी ने बताया कि पुलिस और प्रशासन की टीम अतिक्रमण हटाने के लिए गई थी। उपद्रवियों ने अवैध हथियारों से फायरिंग भी की। हालात को नियंत्रण में ले लिया गया है। 

नगर निगम की प्रतिक्रिया

नगर आयुक्त ने बताया कि मदरसे का निर्माण पूरी तरह अवैध था। मदरसे को सील कर दिया गया था, जिसे आज ध्वस्त कर दिया गया है। एक महिला पुलिसकर्मी ने बताया कि, पथराव होने पर एक घर में हम लोग घुस गए। 15-20 लोग हम अंदर घुसे हुए थें। उसके बाद बाहर से लोगों ने आग लगाने की कोशिश की और पथराव किया। हम बड़ी मुश्किल से छिपकर जान बचाकर आए हैं। इसके बाद मौके पर फोर्स आई। हर गली, छतों से पथराव हो रहा था। हम लोगों ने एक घर में घुसकर फोर्स को लोकेशन दी। तब फोर्स आई. जिस घर में हम थे और जिस व्यक्ति ने हमारी जान बचाई उसके घर दरवाजे तोड़ दिए गए, शीशे तोड़ दिए गए।

प्रधानमंत्री मोदी MP से करेंगे लोकसभा चुनाव का शंखनाद, जनजातीय रैली को करेंगे संबोधित

लोकसभा चुनाव का शंखनाद करने 11 फरवरी को पीएम नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले झाबुआ आ रहे हैं, यहाँ वे एक विशाल जनजातीय रैली को संबोधित करेंगे, इस रैली के जरिए वे केवल मध्य प्रदेश ही नहीं देश को बताएँगे कि देश का आदिवासी वर्ग पिछली सरकारों द्वारा कितना ठगा गया तथा भारतीय जनता पार्टी ने अब तक आदिवासियों के लिए क्या किया?

मध्य प्रदेश भाजपा पीएम नरेंद्र मोदी के दौरे को लेकर उत्साहित नजर आने लगी है, बकौल प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा केवल झाबुआ ही नहीं पूरे राज्य में प्रधानमंत्री की जनजातीय रैली के जबरदस्त उत्साह है, कार्यकर्ता लाखों के आंकड़े में रैली में पहुंचेंगे, आदिवासी समाज भी पीएम की अगवानी के लिए तैयारी कर रहा है। मीडिया से चर्चा करते हुए वीडी शर्मा ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी झाबुआ से 11 फरवरी को लोकसभा चुनाव की शुरुआत करेंगे, पार्टी उनका ऐतिहासिक स्वागत करेगी, एक सवाल के जवाब में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कभी वोटबैंक की राजनीति नहीं की, उन्होंने सेवाभाव के साथ हमेशा सभी वर्गों के लिए काम किया है और कर रहे हैं।

वीडी शर्मा ने कहा कि पीएम ने और भाजपा ने हमेशा आदिवासी समाज के उत्थान के लिए काम किया है, चाहें पेसा एक्ट कानून हो, आदिवासी गौरव दिवस हो या फिर आदिवासी समाज के क्रांतिकारियों को सम्मान की बात हो, 2023 के विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार से मध्य प्रदेश के आदिवासी समाज ने भारतीय जनता पार्टी को आशीर्वाद दिया वही आशीर्वाद लोकसभा चुनाव के लिए लेने प्रधानमंत्री झाबुआ आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम तय है उसके रद्द होने की सभी प्रकार की ख़बरें भ्रामक हैं।

फेसबुक LIVE के दौरान उद्धव गुट नेता पर की ताबड़तोड़ फायरिंग, फिर हमलावर ने खुद कर लिया सुसाइड

 मुंबई के दहिसर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आ रही है यहाँ ठाकरे ग्रुप के पूर्व नगरसेवक अभिषेक घोसालकर पर तीन गोलियां चलाई गईं। उन्हें तुरंत नजदीकी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, मगर इस फायरिंग में अभिषेक घोसालकर की मौत हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि घोसालकर को गोली मारने वाले आरोपी मौरिस भाई ने स्वयं को भी गोली मार ली। उन्होंने स्वयं को चार बार गोली मारी। उसकी भी मौत हो गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, उनकी मौत भी इसी कारण हुई है। दिलचस्प बात यह है कि आरोपी मौरिस भाई ने सबसे पहले अपने ऑफिशियल फेसबुक अकाउंट पर फेसबुक लाइव किया। उन्होंने कहा कि हम समाज के लिए एक साथ आये हैं। फिर अभिषेक घोसालकर अपनी भूमिका प्रस्तुत करते हैं। फिर घोसालकर अपना भाषण समाप्त करने के बाद अपनी जगह से उठते हैं तथा उन पर करीब से गोली चला दी जाती है। सूत्रों के मुताबिक, मौरिस पर कई गुनाह दर्ज थे तथा वह बलात्कार के आरोप में जेल में सजा भी काट चुका था। अभिषेक क्षेत्र के नगरसेवक रहे हैं। वहीं उनकी पत्नी तत्कालीन नगरसेविका हैं, जबकि अभिषेक के पिता शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के पूर्व MLA रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, एक लम्बे वक़्त से दोनों के बीच वर्चस्व को लेकर तनातनी थी।

किन्तु पिछले कुछ महीनों से मौरिस ने अभिषेक के साथ नजदीकियां बढ़ाना शुरू कर दी थीं। इसी संबंध में मौरिस ने सुनियोजित ढंग से गुरुवार की शाम अभिषेक को अपने दफ्तर बुलाया। जहां दोनों ने फेसबुक लाइव के जरिए अपने गीले शिकवे दूर करने एवं समाज सेवा में साथ काम करने की बातें कीं, किन्तु अभिषेक को यह पता नहीं था कि मौरिस उसे मौत के घाट उतार देगा। फायरिंग की आवाज सुनकर अभिषेक के समर्थक उसकी सहायता को पहुंचे तथा उसे गंभीर अवस्था में नजदीकी चिकित्सालय पहुंचाया। मौरिस द्वारा अभिषेक पर ताबड़तोड़ छह राउंड फायर की गई, जिसमें तीन गोलियां अभिषेक को लगीं। अभिषेक को गोली मारने के बाद अपराधी मोरिस अपने दफ्तर की पहली मंजिल पर गया और लगभग 10-15 मिनटों बाद खुद को गोली मार ली। पुलिस द्वारा जानकारी दी गई कि इस गोली कांड में दोनों ही लोगों की मौत हो गई। वही अब पुलिस द्वारा मामले की जाँच की जा रही है।

लोकसभा चुनाव से पहले कुनबा बढ़ाने में जुटी बीजेपी, एनडीए में वापसी को तैयार कई दल

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लोकसभा चुनाव में बस चंद दिनों का वक्त बचा है। अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में पहले चरण के लिए मतदान हो सकते हैं। हालांकि, चुनावी तारीखों का ऐलान बाकी है। लेकिन दो घड़े में बंटी देश की पार्टियों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है।वर्तमान में देखा जाए तो देश में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला होता दिखाई दे रहा है। लेकिन एक ओर जहां भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए अपने कुनबे को मजबूत करता दिखाई दे रहा है। तो दूसरी ओर इंडिया गठबंधन लगातार बिखर रहा है।

लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए का कुनबा बढ़ना तय माना जा रहा है। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से नाता तोड़कर अलग हो चुके एक-एक सहयोगी दलों की वापसी शुरू हो चुकी है। नीतीश कुमार की जेडीयू, ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा की वापसी हो चुकी है। वहीं, यूपी में बीजेपी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच बातचीत अंतिम चरण में पहुंचने चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकदल को यूपी में बिजनौर और बागपत लोकसभा सीटों की पेशकश की है।पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा जहां बिजनौर में बसपा से हार गई थी, वहीं उसने बागपत सीट जीत ली थी। चौधरी बागपत से राष्ट्रीय लोक दल के उम्मीदवार थे। गठबंधन की सुगबुगाहट के बीच रालोद ने भी 11 फरवरी को अयोध्या आने के यूपी सरकार के निमंत्रण को स्वीकार करने का फैसला किया है।

वहीं, भगवा पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए तेलुगू देशम पार्टी और पंजाब में शिरोमणि अकाली दल नेतृत्व के साथ भी सीट बंटवारे पर बातचीत शुरू कर दी है।आंध्र प्रदेश में एक साथ होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले उनकी पार्टी के एनडीए में लौटने की अटकलों के बीच तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू बुधवार को नई दिल्ली पहुंचे। उनके केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने की उम्मीद थी। माना जा रहा है कि टीडीपी और भाजपा के बीच एक बार फिर से गठबंधन हो सकता है। हालांकि, बीजेपी अब तक टीडीपी और आंध्र में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी वाईएसआरसीपी दोनों से समान दूरी बनाकर चल रही है। नायडू के साथ दिल्ली आए टीडीपी नेता के एक करीबी सहयोगी ने कहा कि टीडीपी-जन सेना पार्टी (जेएसपी) गठबंधन और भाजपा के बीच कुछ समय से बातचीत चल रही है।

किसान आंदोलन के दौरान शिरोमणि अकाली दल बीजेपी से गठबंधन तोड़कर अलग हो गई थी। इसका सियासी नुकसान पंजाब में बीजेपी और अकाली दल दोनों को ही उठाना पड़ा है था। पंजाब में दोनों ही दल अपने सियासी वजूद को बचाए रखने की चुनौती से जूझ रही है। प्रकाश सिंह बादल को श्रद्धांजलि देने के लिए पीएम मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक पहुंचे थे, जिसके चलते सियासी कयास लगाए जाने लगे। 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी जिस तरह अपने पुराने सहयोगी दलों को दोबारा से साथ लेने की कवायद कर रही है, उसे देखते हुए अकाली दल के भी एनडीए में वापस आने की उम्मीद दिख रही है। इसकी पटकथा लिखी जा चुकी है बस औपचारिक घोषणा होना बाकी है।

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अपने सियासी कुनबा बढ़ाने में जुटी है। जिसके लिए नए साथी जोड़ने के साथ-साथ एनडीए का साथ छोड़कर गए दल की वापसी कराई जा रही है। इसके पीछे वजह है कि बीजेपी ने 2024 के चुनाव में 370 और एनडीए ने 400 पार सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। जिसे हासिल करने के लिए ही एनडीए का कुनबा बढ़ाने का तानाबाना बुना जा रहा है।

चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न के ऐलान से पोता जयंत चौधरी हुए गदगद, बोले- दिल जीत लिया, अब तो पक्का हुआ गठबंधन

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केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह को भारतरत्न देने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया। सरकार की ओर से किए गए इस ऐलान के के बाद उनके पोते जयंत चौधरी ने इस पर खुशी जताई है।राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोद के सोशल मीडिया पोस्ट पर जवाब देते हुए लिखा है- 'दिल जीत लिया!'लोकसभा चुनाव से पहले चरण सिंह को भारतरत्न देकर बीजेपी ने अपना इरादा साफ कर दिया है। वेस्टर्न यूपी के जाट नेता जयंत चौधरी इंडिया में बने रहेंगे या एनडीए के पार्टनर बनेंगे, इस पर भी कन्फ्यूजन लगभग खत्म हो गया है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान कर दिया। इस ऐलान के बाद चौधरी चरण सिंह के पोते और आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी काफी खुश हुए। उन्होंने पीएम मोदी का आभार जताते हुए कहा कि आपने दिल जीत लिया। आरएलडी की तरफ से कहा गया कि ”यह सम्मान देश के किसान-कमेरे, दलित, वंचित एवं शोषित वर्ग के लोगों को मिला है, जिनके उद्धार के लिए चौधरी साहब का संपूर्ण जीवन समर्पित रहा। यह सम्मान देश के लहलहाते खेत-खलिहानों को मिला है, जहाँ चौधरी साहब की आत्मा बसती थी।

इस बयान के बाद आरएलडी का एनडीए का हिस्सा बनने का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि जयंत चौधरी जल्द ही इंडिया ब्लॉक को छोड़कर एनडीए में शामिल हो सकते हैं जिसके लिए आखिरी दौर की बातचीत चल रही है।

बीजेपी के 10 साल देश के कार्यकाल में 7 विभूतियों को भारत रत्न, अब तक किन-किन को मिल चुका है ये सम्मान, जानिए पूरी डिटेल

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केंद्र सरकार ने पूर्व पीएम नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। इससे पहले भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ था। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को 26 जनवरी के दिन भारत रत्न दिये जाने का ऐलान किया था। इस साल अब तक पांच दिग्गजों को भारत रत्नसे सम्मानित किए जाने का ऐलान किया जा चुका है। वहीं, नरेंद्र मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल देश की 7 विभूतियों को भारत रत्न से नवाजा है।आइए बताते हैं कि अब तक किन लोगों को ये सम्मान मिल चुका है।

बीजेपी सरकार ने 2015 में वाजपेयी और पं. मदन मोहन मालवीय को सम्मान

बीजेपी साल 2014 में सत्ता में आई थी। इसके बाद से देश 10 लोगों को इस सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। सत्ता में आने के बाद सबसे पहले, साल 2015 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को यह अवार्ड दिया था। पूर्व पीएम बीजेपी के संस्थापक और संघ से जुड़े थे। उसी साल बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के संस्थापक पं. मदन मोहन मालवीय को भी देश के सर्वोच्च अवार्ड से नावाजा गया था।

बीजेपी सरकार ने 2019 में देश की 3 विभूतियों को मिला सम्मान

साल 2019 में देश की 3 विभूतियों को मोदी सरकार ने ‘भारत रत्न’ पुरस्कार से नवाजा. कांग्रेस के कद्दावर नेता, देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को इस पुरस्कार से नवाजा था। इसके अलावा भारत के एक सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाले नाना जी देशमुख और असम के भारतीय पार्श्व गायक, गीतकार, संगीतकार, कवि और फिल्म निर्माता भूपेन हजारिका को भारत रत्न पुरस्कार दिया गया था।

2024 में जो कि चुनावी साल भी है इस वर्ष भी पांच विभूतियों को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया। पहले बिहार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (मरणोपरांत) को और फिर भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा की गई है। इसके बाद आज पूर्व पीएम नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया। यानी अब तक 10 साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने कुल 10 लोगों को भारत रत्न से नवाजा है।

अब तक कुल कितने लोगों को मिल चुका है यह सम्मान आइए जानते हैं

1. चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1954): स्वतंत्र भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल, सी राजगोपालाचारी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता और स्वतंत्र पार्टी के संस्थापक थे। भारतीय राजनीति और साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया गया।

2. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954): प्रतिष्ठित दार्शनिक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति, राधाकृष्णन को शिक्षा में योगदान के लिए यह सम्मान दिया गया था। उनके जन्मदिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

3. डॉ. सीवी रमन (1954): रमन प्रभाव की खोज के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. सीवी रमन के काम को विश्व स्तर पर मान्यता मिली थी। उनके शोध ने भारतीय वैज्ञानिक प्रगति के लिए आधारशिला रखी थी।

4. डॉ. भगवान दास (1955): एक दार्शनिक, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् डॉ. भगवान दास महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थे। भारतीय शिक्षा और दर्शन में उनके योगदान ने उन्हें यह सम्मान दिया गया था।

5. डॉ. एम विश्वेश्वरैया (1955): एक प्रख्यात इंजीनियर और राजनेता, भारत में इंजीनियरिंग और शिक्षा के क्षेत्र में विश्वेश्वरैया का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने मैसूर के प्रसिद्ध कृष्णराज सागर बांध का डिजाइन तैयार किया था।

6. पंडित जवाहरलाल नेहरू (1955): स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री चाचा नेहरू के नाम से मशहूर पंडित जवाहरलाल नेहरू को महान नेता के तौर पर याद किया जाता है। उनकी नीतियों ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास की नींव रखी थी।

7. पंडित गोविंद बल्लभ पंत (1957): भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख व्यक्ति और एक प्रमुख राजनीतिक नेता थे। भारतीय इतिहास में उनका योगदान महत्वपूर्ण था। जिसमें गृह मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भी शामिल था।

8. डॉ धोंडो केशव कर्वे (1958): एक समाज सुधारक और शिक्षक थे। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अपना जीवन समर्पित किया, और भारत में पहली महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।

9. डॉ बिधान चंद्र रॉय (1961): एक चिकित्सक, स्वतंत्रता सेनानी और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री रहे डॉ बिधान चंद्र रॉय ने स्वास्थ्य और शिक्षा में उल्लेखनीय योगदान दिया।

10. पुरूषोत्तम दास टंडन (1961): एक स्वतंत्रता सेनानी और हिंदी भाषा के वकील थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

11. डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1962): भारत के पहले राष्ट्रपति रहे डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान सभा के एक प्रमुख नेता थे। उनके नेतृत्व ने भारतीय गणराज्य को सफल बनाने में मदद की।

12. डॉ. ज़ाकिर हुसैन (1963): एक प्रतिष्ठित शिक्षक और भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। उन्हें भारतीय शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए याद किया जाता है। उन्होंने दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। जिसे आज जामिया मिलिया इस्लामिया के नाम से जाना जाता है।

13. डॉ. पांडुरंग वामन काणे (1963): संस्कृत के विद्वान डॉ. पांडुरंग वामन काणे को उनकी किताब "धर्मशास्त्र का इतिहास" के लिए जाना जाता है। उन्हें भारतीय कानूनी और सांस्कृतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान के लिए यह सम्मान मिला।

14. लाल बहादुर शास्त्री (मरणोपरांत, 1966): भारत के दूसरे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री को 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व और उनके नारे "जय जवान जय किसान" के लिए जाना जाता है।

15. इंदिरा गांधी (1971): भारत की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन हुए। 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व को याद किया जाता है।

16. वीवी गिरि (1975): वीवी गिरि भारत में श्रम अधिकारों के समर्थक और भारत के चौथे राष्ट्रपति थे। उनका भारतीय श्रम कानून और प्रशासन में योगदान महत्वपूर्ण रहा है।

17. के कामराज (मरणोपरांत, 1976): भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के कामराज कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। उनके नेतृत्व और "कामराज योजना" में उनकी भूमिका ने स्वतंत्रता के बाद पार्टी को दोबारा खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान महत्वपूर्ण था।

18. मदर टेरेसा (1980): गरीबों और बीमारों के प्रति दयी और सेवा के लिए मदर टेरेसा को यह सम्मान दिया गया। कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के काम के बाद उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पहचान मिली।

19. आचार्य विनोबा भावे (1983): महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी और भूदान आंदोलन के आरंभकर्ता थे। आचार्य भावे ने भूमि सुधार और अहिंसक प्रतिरोध के लिए काफी प्रयास किये थे।

20. खान अब्दुल गफ्फार खान (1987): महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी, गफ्फार खान एक पश्तून स्वतंत्रता कार्यकर्ता थे। उन्होंने अहिंसक तरीकों से ब्रिटिश शासन का विरोध किया था। वह "सीमांत गांधी" के नाम से भी जाने जाते थे।

21. एमजी रामचंद्रन (मरणोपरांत, 1988): फिल्म अभिनेता से राजनेता बने, मुख्यमंत्री के रूप में तमिलनाडु के विकास और कल्याण योजनाओं में एमजीआर का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

22. डॉ. बीआर अंबेडकर (मरणोपरांत, 1990): भारतीय संविधान को बनाने वाले डॉ. बीआर अंबेडकर सामाजिक न्याय के लिए जाने जाते थे। उन्होंने हाशिये पर पड़े लोगों के अधिकारों की वकालत की और देश में जातिगत भेदभाव खत्म करने की पुरजोर कोशिश की थी।

23. नेल्सन मंडेला (1990): दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद विरोधी क्रांतिकारी, राजनेता और रंगभेद को खत्म करने और नस्लीय मेल-मिलाप को बढ़ावा देने के मंडेला को दुनिया भर में जाना गया। 

24. राजीव गांधी (मरणोपरांत, 1991): भारत के सबसे युवा प्रधान मंत्री रहे राजीव गांधी का कार्यकाल भारत को सूचना युग में ले जाने के लिए काफी महत्वपूर्ण था।

25. सरदार वल्लभभाई पटेल (मरणोपरांत, 1991): सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश की आजादी के संघर्ष और उसके बाद भारतीय संघ में रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके चलते ही उन्हें लौह पुरुष भी कहा जाता है।

26. मोरारजी देसाई (1991): भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण नेता और भारत के चौथे प्रधान मंत्री, देसाई को शांति और अहिंसा को बढ़ावा देने वाले नेता के रूप में जाना जाता था।

27. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (मरणोपरांत, 1992): भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक वरिष्ठ नेता और भारत के पहले शिक्षा मंत्री, भारत में एक शैक्षिक नींव स्थापित करने में मौलाना अबुल कलाम का बड़ा योगदान है।

28. जेआरडी टाटा (1992): भारत के सर्वकालीन महान उद्योगपतियों में से एक जेआरडी टाटा ने भारत की पहली एयरलाइन की स्थापना की थी. वह टाटा ग्रुप के सबसे लंबे समय तक चेयरमैन रहे हैं।

29. सत्यजीत रे (1992): भारत के बड़े प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सत्यजीत रे का भारतीय सिनेमा योगदान काफी ज्यादा है। उनके काम को ऑस्कर समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। उन्हें भारत का सबसे महान फिल्मकार कहा जाता है।

30. गुलजारीलाल नंदा (1997): गुलजारीलाल नंदा दो बार भारत के कार्यवाहक प्रधान मंत्री रहे थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में श्रम मुद्दों और आर्थिक नीतियों पर खूब काम किया था।

31. अरुणा आसफ अली (1997): भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बॉम्बे गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए इन्हें याद किया जाता है।

32. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (1997): "भारत के मिसाइल मैन" कहे जाने वाले डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक थे।पहले उन्होंने वैज्ञानिक और फिर बाद में राष्ट्रपति के तौर पर देश के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया। 

33. एमएस सुब्बुलक्ष्मी (1998): कर्नाटक की गायिका सुब्बुलक्ष्मी का भारतीय शास्त्रीय संगीत में काफी महत्वपूर्ण था। दुनिया भर में उनके प्रदर्शन ने भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचाया था।

34. चिदम्बरम सुब्रमण्यम (1998): चिदम्बरम सुब्रमण्यम को भारत की हरित क्रांति में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है। उनकी कृषि नीतियों और पहलों ने भारत की खाद्य सुरक्षा और कृषि क्षेत्र में काफी सुधार किया था।

35. जयप्रकाश नारायण (मरणोपरांत, 1999): एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिक नेता थे। जयप्रकाश नारायण ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और बाद में "संपूर्ण क्रांति" आंदोलन के जरिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

36. प्रोफेसर अमर्त्य सेन (1999): अर्थशास्त्र में अमर्त्य सेन के काम को दुनिया भर गहरा प्रभाव छोड़ा। अर्थशास्त्र में उनके योगदान के चलते उन्हें नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था।

37. लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई (मरणोपरांत, 1999): भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति और असम के पहले मुख्यमंत्री थे। गोपीनाथ बोरदोलोई के प्रयास असम को भारत के साथ एकजुट रखने में काफी महत्वपूर्ण थे।

38. पंडित रविशंकर (1999): एक महान सितार वादक और संगीतकार पंडित रविशंकर को भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर लाने के लिए जाना जाता है।उनके काम ने दुनिया भर के कई संगीतकारों को प्रभावित किया है।

39. लता मंगेशकर (2001): "भारत कोकिला" के नाम से मशहूर लता मंगेशकर की आवाज़ भारतीय संगीत के इतिहास में कभी ना भूलने वाली आवाज है। उन्होंने एक हजार से ज्यादा हिंदी फिल्मों और अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं में कई हजार गाने रिकॉर्ड किए।

40. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (2001): शहनाई के उस्ताद कहे जाने वाले बिस्मिल्लाह खान के संगीत ने दुनिया भर पर राज किया। भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनके चलते ही शहनाई को दुनिया भर में पहचान मिली।

41. पंडित भीमसेन जोशी (2009) : भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे महान व्यक्तियों में एक पंडित भीमसेन जोशी की गायन शैली सबसे अलग थी। जिसके चलते भारत ही नहीं दुनिया भर में याद किया जाता है।

42. प्रोफेसर सीएनआर राव (2014): प्रोफेसर सीएनआर राव के शोध और प्रकाशनों ने रासायनिक विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

43. सचिन तेंदुलकर (2014): भारत में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सर्वकालिक महान क्रिकेटरों में से एक सचिन तेंदुलकर के नाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कई रिकॉर्ड हैं। 

44. अटल बिहारी वाजपेई (2015): एक राजनेता और कवि के रूप में अटल बिहारी वाजपेई का अलग स्थान है। भारत के प्रधान मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल आर्थिक सुधारों और भारत-पाकिस्तान संबंधों में सुधार की दिशा में प्रयासों के लिए जाना जाता है।

45. पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत, 2015): एक शिक्षक और स्वतंत्रता कार्यकर्ता, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में उनकी अहम भूमिका रही। भारत में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

46. नानाजी देशमुख (मरणोपरांत, 2019): एक सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता रहे नानाजी देशमुख को भारत में ग्रामीण विकास और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।

47. डॉ. भूपेन हजारिका (मरणोपरांत, 2019): डॉ. भूपेन हजारिका को असम और पूरे भारत में संगीत को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए याद किया जाता है। 

48. प्रणब मुखर्जी (2019): प्रणब मुखर्जी को एक शानदार स्टेट्समैन कहा जाता था। कांग्रेस की सरकार में उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में काफी शानदार काम किया। उन्होंने भारत के 13 राष्ट्रपति के रूप में भी अपना कार्यकाल पूरा किया था।

49. कर्पूरी ठाकुर (मरणोपरांत, 2024 में सम्मानित किया जाएगा): कर्पूरी ठाकुर बिहार के एक प्रमुख राज नेता थे। जो सामाजिक न्याय और वंचितों के हक की लड़ाई के लिए जाने जाते थे।

50. लाल कृष्ण आडवाणी (2024 में सम्मानित किया जाएगा): लालकृष्ण आडवाणी जैन संघ से भाजपा बनने तक के सफर में एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में साथ रहे हैं। उनका भारतीय राजनीति और भारतीय जनता पार्टी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

51. चौधरी चरण सिंह(2024 में सम्मानित किया जाएगा): देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था।

52. पीवी नरसिम्हा राव(2024 में सम्मानित किया जाएगा): प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव गारू का कार्यकाल महत्वपूर्ण उपायों द्वारा चिह्नित किया गया था, जिसने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला।इसके अलावा, भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान अहम है।

53. डॉ. एमएस स्वामीनाथन(2024 में सम्मानित किया जाएगा): कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए।

चरण सिंह, नरसिम्हा राव, एम एस स्वामीनाथ को भी भारत रत्न, पीएम मोदी ने की घोषणा

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देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। नरेंद्र मोदी सरकार ने आज दो पूर्व पीएम चरण सिंह और नरसिम्हा राव को भी भारत रत्न देने का ऐलान किया है। मोदी सरकार ने इसके अलावा मशहूर कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न देने का ऐलान किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर ये जानकारी साझा की।

पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था।पीएम मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, चौधरी चरण सिंह ने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।

प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का ऐलान करते हुए कहा कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव गरू को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। एक प्रतिष्ठित स्कॉलर और राजनेता के रूप में नरसिम्हा राव गरू ने तमाम क्षमताओं में भारत की बड़े पैमाने पर सेवा की। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है। उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में सहायक था।

प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए।

पाकिस्तान में वोटों की गिनती जारी, नवाज और इमरान की पार्टी में कांटे की टक्कर

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पाकिस्तान में आम चुनाव के नतीजों का आज दिन है। आम चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है।नेशनल एसेंबली के चुनाव में इमरान समर्थित उम्मीदवार बड़ी जीत की ओर बढ़ रहे हैं।पाकिस्तानी चुनाव अधिकारी के मुताबिक, इमरान खान की पार्टी से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे 12 समर्थक चुनाव जीत चुके हैं। जबकि नवाज शरीफ की पार्टी इमरान खान से आगे निकल गई है।नवाज शरीफ की पार्टी ने13 सीटों पर जीत हासिल कर लिया है। वहीं, बिलावल भुट्टो की पीपीपी- 8 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के मुखिया और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को लाहौर के एनए-130 सीट से जीत मिली हैष उन्होंने पीटीआई समर्थित उम्मीदवार यासमीन राशिद को हराया है। नवाज शरीफ ने 1,71,024 वोटों के साथ चुनाव जीता है। नवाज शरीफ मनसेहरा सीट से चुनाव हार गए हैं। निर्दलीय उम्मीदवार शहजादा गस्तासाप ने उन्हें करारी शिकस्त दी। शहजादा गस्तासाप को 74,713 वोट मिले, जबकि नवाज को 63,054 वोट से संतोष करना पड़ा।

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 336 सीटें हैं, जिनमें से 266 उम्मीदवारों के लिए प्रत्यक्ष मतदान प्रक्रिया के जरिए चुनाव हुए हैं। इनमें 70 सीटें आरक्षित हैं - 60 महिलाओं के लिए और 10 गैर-मुसलमानों के लिए है। पाकिस्तान में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी या गठबंधन को कम से कम 172 सीटों पर जीत दर्ज करना जरूरी है।

मालदीव में कौन ले रहा भारतीय सैनिकों की जगह? विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

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"इंडिया आउट" कैंपन चलाकर मालदीव की सत्ता में आए मोहम्मद मुइज्जू को एक बार फिर भारत के साथ समझौता करना पड़ा है।मोहम्मद मुइज्जू जब से मालदीव के नए राष्ट्रपति बने हैं, तब से भारत के साथ इस देश के रिश्तों में काफी तनाव बढ़ गया है। उन्होंने आते ही 'इंडिया आउट' कैंपेन का मुद्दा जोरों-शोरों से उठाया। मुइज्जु ने कहा कि उन्हें किसी अन्य देश की मौजूदगी यहां पर नहीं चाहिए।हालांकि ऐसा होता नहीं दिख रहा है। नई दिल्ली में शुक्रवार को भारत-मालदीव कोर ग्रुप की दूसरी बैठक हुई। इस दौरान मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर लंबी चर्चा हुई। बैठक में इस स्तर पर सहमति बनी कि भारत मालदीव में तैनात सैनिकों की जगह असैनिक समूह को तैनात करेगा।इसकी घोषणा विदेश मंत्रालय की ओर से की गई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दिल्ली में एक साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, मालदीव में मौजूदा कर्मियों की जगह सक्षम भारतीय तकनीकी कर्मियों को रखा जाएगा। भारत तीनों एविएशन प्लेटफार्म से अपने सैनिकों को हटाने के लिए मान गया है। 10 मार्च तक एक प्लेटफार्म से और 10 मई तक बचे हुए दो प्लेटफार्म से सैन्यकर्मियों को रिप्लेस कर दिया जाएगा।

इसके अतिरिक्त, विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में एक और बात पर जोर दिया। कहा कि दोनों देशों ने मालदीव के लोगों को मानवीय और मेडवैक सेवाएं प्रदान करने वाले भारतीय विमानन प्लेटफार्मों के निरंतर संचालन को सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक समाधानों पर पारस्परिक रूप से सहमति व्यक्त की है। साथ ही दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय कोर ग्रुप की अगली बैठक मालदीव की राजधानी माले में आयोजित होने पर सहमति बनी थी।

बताया जाता है कि मुइज्जू मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाकर चीन के असैनिक समूह को तैनात करना चाहते थे, लेकिन वह अपने देश में ही विपक्षी दलों के घोर विरोध से घबराए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक मुइज्जू ने सिंगापुर में काम करने वाली एक चीनी कंपनी के असैन्य समूह को भारतीय सेना की जगह तैनात करने की योजना बना चुके थे, लेकिन भारत के दबाव के कारण मुइज्जू को अपना निर्णय बदलना पड़ा। एक रिपोर्ट के मुताबिक मुइज्जू ने शपथग्रहण के बाद से ही भारत द्वारा दिए गए हेलीकॉप्टर, डॉर्नियर विमान और ऑफशोर पेट्रोलिंग शिप का संचालन बंद कर दिया था। इसकी वजह से मालदीव में मेडिकल इवैक्यूएशन सर्विस बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इलाज के अभाव में मालदीव में हाल में ही एक बच्चे की मौत हुई थी, जिसके बाद मोहम्मद मुइज्जू पर भारत के हेलीकॉप्टर, विमान और ऑफशोर पेट्रोलिंग शिप के संचालन को लेकर दबाव बढ़ गया है।