*आलू व सरसों के लिए धूप फायदेमंद, जानिये कैसे*

नितेश श्रीवास्तव

भदोही ‌। कालीन नगरी में कम बारिश के बाद भी ठंड की आमद भी जबरदस्त हुई है। ऐसे में खरीफ में हुए नुकसान की भरपाई की रबी फसलों से बेहतर मुनाफे से किसान आस लगाए बैठे है। हालांकि इधर कुछ दिनों से चल रही पछुआ बयार के कारण सुबह व शाम कोहरा संग पाले का असर देखा जा रहा है। आलू सरसों व कुछ सब्जियों के लिए नुकसानदेह है। इसे लेकर अन्नदाताओं को सतर्क रहना होगा।

जिला कृषि वैज्ञानिक सर्वेश कुमार बरनवाल ने बताया कि अच्छी ठंड गेहूं समेत सभी रबी फसलों के लिए जरूरी होती है। लेकिन क‌ई दिनों तक कोहरा व पाला पड़ने पर नुकसान हो सकता है। पाला सुबह व शाम को देखा जा रहा है। आलू व सरसों मटर की निगरानी सुबह व शाम करने की बात कही। कहा कि पाला से आलू की पर्ती में धब्बे लगने से वह सूखने लगते हैं।

सरसों में माहो का खतरा अधिक हो जाता है। जिससे दाना नहीं पड़ता और उत्पादन प्रभावित हो जाएगा। कहा कि पाल का असर आलू में नजर आने पर काबेडाजिम दवा, हाइथेनेम -45 कापर आक्सीक्लोरइड में से कोई एक दवा ढ़ाई ग्राम व कीटनाशक से बचाव को मोनोक्रोटोफास या रोगार दवा ढ़ाई मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। फसलों पर सल्फर का छिड़काव फायदेमंद है।

*आलू, मटर में पाले का डर*

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। मटर,आलू की फसलों में पाले लगने का डर किसानों को सताने लगा है। मौसम इसी तरह बना रहा तो आलू और मटर को काफी नुकसान होगा।

यह मौसम गेहूं के लिए फायदेमंद है लेकिन अन्य फसलों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। कृषि विज्ञान केन्द्र बेजवां के सब्जी व उद्यान विशेषज्ञ एके चतुर्वेदी ने कहा कि इस मौसम में आलू व मटर में पाला लगने को आशंका बढ़ गई है।‌ पर किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। फसल की सिंचाई करके पाला से बचाया जा सकता है।

ध्यान रहे कि मटर की सिंचाई नहीं करनी है। उसे पाले से बचानेवाली के लिए साफ दवा को दो ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें फसल में जरासा रोगों का लक्षण दिखने पर विशेषज्ञ की सलाह दें।

*12 करोड़ से जिले में बनेगी डिजिटल लाइब्रेरी*

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जिले में करीब 12 करोड़ की लागत से डिजिटल लाईब्रेरी बनाई जाएगी। विभूति नारायण राजकीय इंटर कॉलेज या डीआईओएस कार्यालय के समीप इसका निर्माण होगा। इसके लिए दो से तीन जगह जमीन चिन्हित की गई है। यहां पर छात्र-छात्राओं संग आम लोग भी अपना ज्ञान बढ़ा सकेंगे। वातानुकूलित लाइब्रेरी में एक साथ 500 से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ सकेंगे।

जिले में 193 माध्यमिक एवं इंटर कॉलेज संग 25 से अधिक महाविद्यालय संचालित हैं। वैसे तो काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ई- डिजिटल लाइब्रेरी है, लेकिन इसका लाभ सिर्फ कॉलेज के छात्र-छात्राओं को मिल पाता है। शासन के निर्देश पर अब माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से डिजिटल लाइब्रेरी का निर्माण कराया जाएगा। करीब 10 से 12 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस लाइब्रेरी के लिए जमीन की तलाश की जा रही है।

विभूति नारायण राजकीय इंटर कॉलेज, डीआईओएस कार्यालय और गोपीगंज में जमीन चिन्हित की गई है। इन्हीं तीन स्थानों में किसी एक स्थान पर लाइब्रेरी का निर्माण किया जाएगा। इसमें 500 छात्र-छात्राएं एक साथ बैठकर अध्ययन कर सकेंगे। इसमें कंप्यूटर एवं एसी लगे होने के साथ कई अन्य सुविधाएं भी होंगी।

जिला विद्यालय निरीक्षक विकायल भारती ने बताया कि शासन के निर्देश पर जमीन का चयन किया जा रहा है। 26 जनवरी से पूर्व ही जमीन को फाइनल कर लिया जाएगा। उसके बाद कार्ययोजना बनाकर भेजा जाएगा। अनुमान जताया कि 10 से 12 करोड़ रूपये खर्च होंगे।

लाईब्रेरी में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर डिजिटल फार्म में किताबें होंगे। अन्य कई तरह की भी किताबें होंगी। इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रिंटेड किताबें, पत्रिकाएं भी होंगी। उनका कहना है कि छात्र-छात्राओं से मामूली शुल्क लिया जाएगा।

मॉडल या जीजीआईसी में बनेगी राजकीय लाइब्रेरी जिले में डिजिटल लाइब्रेरी संग एक राजकीय लाइब्रेरी का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय मॉडल इंटर कॉलेज गिर्दबड़गांव और राजकीय बालिका इंटर कॉलेज महराजगंज को चयनित किया गया है। इन्हीं दो में किसी एक विद्यालय में लाइब्रेरी बनाई जाएगी।

*टमाटर की खेती के लिए समय माकूल होगा बेहतर उत्पादन,जिले में 25 हेक्टेयर में टमाटर की खेती का लक्ष्य*

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जनपद में किसानों का एक तबका तकनीकी खेती की ओर आकर्षित है‌ किसान तकनीकी खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।

इसी कड़ी में जिले के तमाम किसानों ने सब्जियों की खेती कर रहे हैं। जिले के तमाम किसानों ने नवंबर माह में टमाटर की नर्सरी डाली थी। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार नवंबर महीने में डाली गई टमाटर की नर्सरी की रोपाई के लिए यह समय माकूल है।

इन दिनों रोपे गए ग‌ए फसल की पैदावार बेहतर होती है और किसानों की आमदनी डेढ़ गुना बढ़ने की उम्मीद है। जिले में इस साल 25 हेक्टेयर में टमाटर की खेती करने का लक्ष्य है। आमतौर किसान टमाटर की खेती साल में तीन से चार बार करते है।

जिसमें मार्च, सितंब और नवंबर का महीना माकूल माना जाता है। कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के फल व सब्जी विशेषज्ञ डॉ एके चतुर्वेदी ने बताया कि नवंबर महीने में डाली गई टमाटर की नर्सरी के रोपाई के लिए जनवरी महीना उत्तम है।

*मकर संक्रांति मकान की छतों पर गूजता रहा भक्काटा*

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। गोपीगंज नगर व ग्रामीण क्षेत्रो मे मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया परिवार के बड़े बुजुर्ग जहा स्नान ध्यान और दान के साथ खीचड़ी तिलवा ढूड़ी आदि का रसास्वादन करते रहे वही बच्चे और युवा वर्ग रंग विरंगे पंतग लटाई डोरी के साथ सुबह से छतो पर डेरा डाल रखा थाl सुबह से शुरु हुआ भक्काटा का शोर सायंकाल तक जारी रहाl

मकर संक्रांति पर जमकर पंतग उड़ाए गए सुबह से ही अपने अपने मकान की छतो पर जमे लोगो मे पतंग बाजी का जुनून लोगों के सर चढ़ कर बोलता रहाl नगर के गली मोहल्लो से लेकर गांव गिराव तक भक्काटा का शोर गूजता रहा, इस दौरान राह चलते लोगो की नजरे भी आसमान पर टिकी रही विशेष कर युवा बच्चों मे पतंग बाजी को लेकर भारी उत्साह रहाl

बच्चे पंतग की विभिन्न डिजाइनो पर काफी आकर्षित दिखेlजिम्मेदार विभाग की उदासीनता से प्रतिबंधित चाइनिज मंझा भी खूब बिकाl

*शहीदों की दास्तान सुनाएंगे नगर के चौराहे*

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जिले के प्रमुख तिराहे और चौराहों की पहचान अब शहीदों नाम से होगी। इन शहीद चौक पर संबंधित क्रांतिकारी की मूर्ति लगेगी और उनका संक्षिप्त विवरण लिखा होगा।

जिला प्रशासन की ओर से शहीदों को सम्मान देने और युवाओं को उनकी गाथा से परिचित कराने के उद्देश्य से यह पहल की है।आजादी की लड़ाई और देश के मान सम्मान के लिए जिले के तमाम लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। शहीद सुलभ उपाध्याय, शहीद शीतल पाल और शहीद झूरी सिंह जैसे तमाम लोग आजादी के लिए हंसते-हंसते न्योछावर हो गए।

इनमें से कुछ को लोग जानते हैं लेकिन तमाम ऐसे भी हैं, जिनसे युवा पीढ़ी परिचित नहीं है। गोपीगंज का मिर्जापुर तिराहा शहीदों की दास्तां को बताता है। शहीद और उनके वंशजों को उचित सम्मान देने के लिए जिलाधिकारी ने तिराहे और चौक को उनके नाम करने की योजना बनाई है।

जिलाधिकारी गौरांग राठी ने बताया कि शहीदों को सम्मान देने और उनके स्मृतियों को सहेजने के लिए जिला प्रशासन की ओर से यह पहल की गई है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत गुमनाम शहीदों के नाम पर शहीद चौक का निर्माण होगा। जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी उनके बारे में भलीभांति परिचित हो सके।

मिर्जापुर तिराहे पर बन रहा ‘फांसी इमली’ स्मारक

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) में मिर्जापुर तिराहे पर काली मंदिर के पास अंग्रेजों ने पुराने इमली के पेड़ पर जिले के तीन क्रांतिकारियों को फांसी पर लटका दिया। उदवन सिंह, रामबख्श सिंह, भोला सिंह को फांसी दी गई थी।

वाराणसी-प्रयागराज हाईवे निर्माण के दौरान इमली का पेड़ ढह गया। अब इस जगह की महत्ता को बताने के लिए स्मारक बनाया जा रहा है। यह ‘फांसी इमली’ शहीद स्मारक होगा।

शहीद स्मारकों का भी कराएंगे जीर्णोद्धार

जिले में शहीद झूरी सिंह, शहीद सुलभ उपाध्याय, शहीद शीतल पाल जैसे अनेक वीर योद्धा हुए हैं।

उनकी मूर्तियां चौराहे और तिराहों पर लगाई गई हैं। वहां स्मारक बनाया गया है। मगर उचित देखभाल के अभाव में उनमें से कई स्मारक जीर्ण हो गए हैं। उनका जीर्णोद्धार भी जिला प्रशासन की ओर से किया जाएगा।

2.52 लाख लोगों का नहीं बना गोल्डेन कार्ड

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना जिले में सुस्ती की भेंट चढ़ गई है। इस योजना के तहत पांच साल की लंबी अवधि बीतने के बाद भी अब तक महज 4 लाख 9 हजार 984 लोगों का ही आयुष्मान कार्ड बन पाया है, जबकि जिले में आयुष्मान योजना से आच्छादित होने वाले लाभार्थियों की कुल संख्या 6 लाख 62 हजार 260 हैं।

पांच सालों में अब भी 2 लाख 52 हजार 256 लाभार्थियों का कार्ड नहीं बन पाया है। हालांकि विभाग का दावा है कि जिले में आयुष्मान योजना में लगातार सुधार हो रहा है।गरीबों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए केन्द्र सरकार की ओर से आयुष्मान योजना की शुरुआत 14 अप्रैल 2018 को की गई थी। शुरुआत में योजना के तहत पात्र लोगों को गोल्डन कार्ड बनाने की रफ्तार काफी तेज रही।

आंकड़ों के अनुसार विभाग ने एक साल के अंदर ही 90 हजार से अधिक लोगों का गोल्डन कार्ड बनाने का कार्य पूर्ण कर लिया गया। हालांकि इसके बाद योजना में सुस्ती देखने को मिली। 2020 के कोरोना काल में योजना की रफ्तार और भी कम हो गई।

जिसका नतीजा हुआ कि जिले में पांच साल की अवधि बीतने के बाद अब तक केवल 61.90 फीसदी लोगों का गोल्डेन कार्ड बन सका है। जिले में अब तक दो लाख 52 हजार 256 लोगों का आयुष्मान कार्ड नहीं बन पाया है। योजना में विभागीय सुस्ती का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि बीते तीन महीनों से जन आरोग्य मेले में गोल्डेन कार्ड नहीं बनाए जा रहे हैं, क्योंकि विभाग के पास आरोग्य मेले में कितने कार्ड बन रहे हैं। इसका आंकड़ा बीते तीन महीनों से जारी नहीं किया गया है।

*दो करोड़ की लागत से बनेगी व्यायामशाला*


नितेश श्रीवास्तव

भदोही नगर में व्यायामशाला, खेल मैदान और पार्क की इच्छा पूरी हो जाएगी। जिलाधिकारी गौरांग राठी की सक्रियता से अभयनपुर में दो करोड़ की लागत से व्यायामशाला का निर्माण होगा। इसके लिए आठ बीघा जमीन अधिग्रहित की गई है।

नगर पालिका ने गत दिनों व्यायामशाला का नक्शा बनावाकर जिलाधिकारी को भेजा था। उसे मंजूरी मिल गई है। जून तक व्यायामशाला तैयार करने की योजना है। नगर पालिका होने के बाद भी भदोही एवं आसपास क्षेत्र में न कोई पार्क है और न व्यायामशाला नहीं है। बीडा की प्रमुख कालोनियां नगर पालिका को सौंपने के बाद जमुनीपुर और रजपूरा कालोनी के पार्क नगर पालिका क्षेत्र में आ जाएंगे।

इस दौरान जिलाधिकारी ने व्यायामशाला बनाने के लिए दो माह पूर्व नगर पालिका ने अभयनपुर में आठ बीघा भूमि चिन्हित कर उसका नक्शा बनाने के लिए भेजा था।अधिशासी अधिकारी रविशंकर शुक्ला ने बताया कि लोगों को यहां पार्क, जिम, इनडोर गेम्स, पैदल पथ, बैठने को बेंच आदि के अलावा पास ही खेल मैदान भी विकसित करने की योजना है। इसका नक्शा बनकर आ गया था।

जिलाधिकारी ने उसे मंजूरी दे दी है। एक व्यायामशाला निर्माण के बाद बीडा की कालोनियां मिलते ही उनके पार्कों को भी सुसज्जित किया जाएगा।पार्क का नक्शा बनकर प्राप्त हुआ है। जिसमे आवश्यक फेरबदल करने के निर्देश के साथ वापस भेज दिया गया है। शीघ्र ही नक्शे को अंतिम रूप देकर उसके निर्माण का काम शुरू करा दिया जाएगा।

आशा है कि इसी वर्ष जून तक व्यायामशाला बनकर तैयार हो जाए। गौरांग राठी, डीएम भदोही

*आस्थावानों ने गंगा में लगाई डुबकी, उत्साह के साथ मनीं मकर संक्रांति*

नितेश श्रीवास्तव

भदोही ‌।मकर संक्रांति हिंदू धर्म में बेहद ही खास, शुभ और महत्वपूर्ण पर्व है. जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति का त्योहार सेलिब्रेट किया जाता है. देश के साथ ही इसे नेपाल के लोग भी खूब धूमधाम से मनाते हैं. लोग तिल के लड्डे, दही चूड़ा, खिचड़ी का खूब सेवन करते हैं. इस दिन दान देना भी शुभ होता है।

कई जगहों पर तो लोग पतंग भी उड़ाते हैं. सूर्य देव की पूजा-आराधना की जाती है. खुशियों के इस त्योहार में लोग एक-दूसरे को बधाई संदेश भी भेजते हैं.मकर संक्रांति पर्व पर सोमवार को आस्थावानों ने गंगा में डुबकी लगाई। गांव से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक गंगा स्नान को उत्साह रहा।श्रद्धालुओं ने अन्नदान कर पुण्यलाभ लिया। भीषण ठंड में भी आस्थावानों की भीड़ लगी रही।

काशी-प्रयाग के मध्य स्थित सेमराधनाथ गंगा घाट पर माघ मेला शुरू हो गया है। यहां पर प्रथम स्थान के चलते बड़ी संख्या में कल्पवासियों व श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्यलाभ लिया भजन-कीर्तन का दौर शुरू हो गया है, लेकिन धीरे-धीरे आस्था की धूनी रमने लगी है। मंकर सक्रांति पर भक्तों ने गंगा स्नान कर दान दिया।

अल सुबह से ही शुरू हुआ स्नान-ध्यान करने का क्रम पूरे दिन चलता रहा। कलिजरा, बेरासपुर समेत अन्य घाटों पर भक्तों का तांता लगा रहा। इसके साथ ही बाबा सेमराधनाथ धाम के कुंएं में विराजमान देवाधिदेव महादेव का जलाभिषेक किया।

*अलौकिक छटा बिखेरती निकली साईं पालकी यात्रा*

नितेश श्रीवास्तव

भदोही।अलौकिक छटां बिखरते उसमें सवार साईंबाबा की पालकी सैकड़ों की भीड़ के साथ निकली, और जयकारा गूंजा तो समूची कालोनी साईंमय नजर आई। मौका था रविवार को साईं सेवा ट्रस्ट की ओर से निकाली गई शोभायात्रा का।शोभा यात्रा में जहां भक्ति गीतों की धुन गूंज रही थी वहीं थिरकते भक्तजन लोगों के आकर्षण के केंद्र रहे।

गाजे – बाजे के साथ निकली शोभायात्रा में शामिल सैकड़ों की संख्या में साईंभक्तों ने साईबाबा मंदिर से यात्रा प्रारम्भ कर कालोनी और आसपास के इलाकों में भ्रमण किया।इसके बाद यात्रा घोपइला स्थित साईं मंदिर पर ही पहुंचकर समाप्त हुई। शोभायात्रा में शामिल महिला पुरुष से लेकर युवा व बच्चें तक भक्ति गीतों की धुन पर नाचते व थिरकते व जयकारा लगाते चल रहे थे।

सुरक्षा की व्यवस्था में पर्याप्त पुलिस बल भी साथ-साथ चल रही थी तो ट्रस्ट के लोग भी सुरक्षा व्यवस्था में लगे रहें।ज्ञानपुर में साईंबाबा की निकली शोभायात्रा में शामिल भक्तों को प्रसाद वितरित किए जाने की धूम मची रही। रास्ते में कई स्थानों पर लोग खिचड़ी से लेकर अन्य सामग्री तैयार कर लोगों को प्रसाद के रूप में वितरित करते रहे।

श्रद्धालुओं ने भी प्रसाद ग्रहण कर साईंबाबा का आशीर्वाद लिया। साईं यात्रा में महिला श्रद्धालुओं की भागीदारी खूब रही। भक्ति की बयार पूरी तरह से बह रही थी। कतार में चल रहे भक्तों में महिलाओं की संख्या अधिक थी। भक्ति गीतों पर वह भी नाचतेगाते और गुनगुनाते चल रहीं थीं।