दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में कड़ाके की ठंड का यलो अलर्ट, अभी और बढ़ेगा सितम, मौसम विभाग ने चेताया

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पूरे उत्तर भारत में ठंड का कोहराम जारी है।इस समय दिल्ली में न्यूतनतम तापमान छह से सात डिग्री सेल्सियस के बीच है। वहीं अधिकतम तापमान 15 डिग्री के आसपास बना हुआ है। उधर, हरियाणा और पंजाब के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान घने कोहरे की चपेट में है।शीतलहर चल रही हैष जिसने लोगों का जीवन मुहाल हो गया है। मौसम विभाग के मुताबिक अभी इस हालात से राहत के आसार नहीं है। 17-18 जनवरी के बाद इसमें कमी आ सकती है।

पहाड़ों से आने वालीं सर्द हवाओं के कारण पंजाब, हरियाणा समेत पूरा उत्तर भारत भीषण शीतलहर की चपेट में है। धूप नहीं निकलने से ठिठुरन बढ़ गई है। मौसम विभाग ने दिल्ली, पंजाब व हरियाणा में भीषण सर्दी का यलो अलर्ट जारी किया है।

इस हफ्ते नहीं मिलेगी राहत

मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इस सप्ताह किसी हाल में सर्दी से राहत नहीं मिलने वाली। संभावना है कि इस पूरे हफ्ते न्यूनतम तापमान छह से 7 डिग्री के बीच बना रहेगा। वहीं अधिकतनम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। चूंकि अधिकतम तापमान और न्यूतनतम तापमान में अंतर कम होने की संभावना है।ऐसे में हो सकता है कि दिन के समय में भी लोगों को सर्दी से राहत ना मिले. उम्मीद है कि मकर संक्रांति के बाद मौसम में थोड़ा सुधार आएगा।

अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला को ईडी का समन, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आज पूछताछ के लिए बुलाया

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केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तलब किए जानेवाले नेताओं में एक और विपक्षी नेता का नाम जुड़ गया है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने अब नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूछताछ के लिए समन भेजा है।न्यूज एजेंसी पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि उन्हें गुरुवार (11 जनवरी) को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।फारूख अब्दुल्ला से जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कथित वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में उनसे पूछताछ होगी।

ईडी ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर ईडी ने साल 2022 में आरोप पत्र दायर किया था। ईडी ने सीबीआई द्वारा वर्ष 2018 में इसी मामले मे दायर आरोप पत्र के आधार पर केस दर्ज किया था। यह मामला जम्मू-कश्मीर क्रिकेट के फंड के हेरफेर से संबंधित है। इस फंड को क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों सहित कई लोगों ने अपने व्यक्तिगत बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया था। ईडी ने जेकेसीए के पदाधिकारियों के खिलाफ सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीट के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की।

बता दें कि फारूक अब्दुल्ला साल 2001 से 2012 तक जेकेसीए के अध्यक्ष थे।इस चार्जशीट में अब्दुल्ला के साथ-साथ जेकेसीए के तब के अधिकारी अहसान अहमद मिर्जा, मीर मंजूर गजानफर आदि को आरोपी बनाया गया था। ऊपर लगे आरोप की जांच ईडी और सीबीआई दोनों कर रही हैं।फारूक अब्दुल्ला पर आरोप है कि जेकेसीए के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया।

बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित भूमि घटाले से जुड़े मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने समन भेजा था। इसके अलावा दिल्ला आबकारी मामले को लेकर ईडी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को कई बार समन भेजे हैं। विपक्षी दल लगातार केंद्र सरकार के ऊपर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते रहे हैं।

क्या है अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक दर्जा विवाद? सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा किसी खास मजहब का नहीं

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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं, इस पर विवाद चल रहा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई।अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के जटिल मुद्दे पर सुनवाई शुरू करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई शिक्षण संस्थान किसी कानून द्वारा विनियमित है। महज इसलिए उसका अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा समाप्त नहीं हो जाता।वहीं, केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि राष्ट्रीय चरित्र को देखते हुए एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता है।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर बहस के दौरान केंद्र सरकार ने ब्रिटिश राज की याद दिलाई। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक राष्ट्रीय संस्थान है। शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपनी लिखित दलील में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विश्वविद्यालय हमेशा से राष्ट्रीय महत्व का संस्थान रहा है, यहां तक कि स्वतंत्रता से पहले भी यह राष्ट्रीय महत्सव का ही थी। इसकी स्थापना 1875 में हुई थी। स्थापना के समय बने दस्तावेजों में ही इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान ही बताया गया है। केंद्र सरकार ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी किसी धर्म विशेष का विश्वविद्यालय नहीं है और ना ही हो सकता क्योंकि राष्ट्रीय महत्व रखने वाला कोई संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता।

केंद्र सरकार का पक्ष सुनने के बाद सीजेआ डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी टिप्पणी दी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अल्पसंख्यक का दर्जा तभी दिया जा सकता है, जब संस्थान किसी अल्पसंख्यक द्वारा स्थापित किया गया हो? क्‍या ऐसा कानून नहीं है कि केवल अपने समुदाय के छात्रों को ही यूनिवर्सिटी-स्कूल या कॉलेज में दाखिला दें? किसी भी समुदाय के स्टूडेंट को दाखिला दे सकते हैं? अनुच्छेद 30 स्थापना, प्रशासन और संचालन की बात करता है, लेकिन इसका कोई स्पष्ट मानक नहीं है, जो 100% प्रशासित करने का अधिकार देता हो। आज भारतीय समाज में कुछ भी निरंकुश नहीं है। मानव जीवन का हर पहलू किसी न किसी तरह से नियमों के अधीन होता है।

बता दें क‍ि पिछले कई दशकों से संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा कानूनी विवाद में फंसा है। साल 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। इसके विरोध में याचिका दायर की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे के विवादास्पद मुद्दे को सात जजों की पीठ के पास भेज दिया था। दरअसल, यूपीए की केंद्र सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2006 के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। उसी को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी हाईकोर्ट के फैसले को अलग से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार की ओर से एक पत्र में कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान है, इसलिए वह अपनी दाखिला नीति में परिवर्तन कर सकता है। तत्कालीन केंद्र सरकार के अनुमति के बाद विश्वविद्यालय ने एमडी–एमएस के विद्यार्थियों के लिए प्रवेश नीति बदलकर आरक्षण प्रदान किया।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इस फैसले के खिलाफ डॉक्टर नरेश अग्रवाल व अन्य इलाहाबाद हाई कोर्ट चले गए, वहां पीठ का फैसला अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के खिलाफ आया। हाई कोर्ट का फैसला अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के खिलाफ था। उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली, जहां आदेश दिया गया कि जब तक कोई फैसला नहीं मिलता तब तक यथा स्थिति बनी रहेगी।

शिंदे गुट ही असली शिवसेना, फैसला पढ़ते हुए स्पीकर ने कहा- सीएम शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव के पास नहीं

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महाराष्ट्र की राजनीति के लिए आज का दिन कापी अहम है।महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला सुनाया। 16 बागी विधायकों के अयोग्यता पर फैसले में स्पीकर राहुल नार्वेकर ने उद्धव गुट को बड़ा झटका दिया है।महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विधायकों की आयोग्यता पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे गुट की पार्टी ही असल शिवसेना है। विधानसभा में फैसला सुनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश में सभी बिन्दुओं पर गहन विचार करते हुए यह फैसला लिया गया है।

राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में सभी घटनाक्रमों पर सिलसिलेवार ढंग से प्रकाश डाला। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 1200 पन्नों के आदेश को पढ़ते हुए कहा कि शिवसेना का 1999 का संविधान की सर्वोपरि है। हम उनका 2018 का संशोधित संविधान स्वीकार नहीं कर सकते। यह संसोधन चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। उन्होंने इस दौरान शिवसेना के संगठन में चुनाव का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि साल 2018 में संगठन में चुनाव नहीं है। हमें 2018 के संगठन नेतृत्व को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि मेरे पास सीमित मुद्दा है और वह यह है कि असली शिवसेना कौन है। दोनों ही गुट अपने असली होने का दावा कर रहे हैं। 

सुप्रीम कोर्ट और निर्वाचन आयोग के कई फैसलों का दिया हवाला

महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सुप्रीम कोर्ट और निर्वाचन आयोग के कई फैसलों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि दोनों धड़ों (शिवसेना के दो गुटों) द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई आम सहमति नहीं है। नेतृत्व संरचना पर दोनों पार्टियों के विचार अलग-अलग हैं। एकमात्र पहलू बहुमत का है। मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा। उन्होंने कहा कि 2018 का संशोधित संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। शिवसेना का 1999 का संविधान ही मान्य है। चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भी शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। 

उद्धव के पास शिंदे को हटाने का अधिकार नहीं

महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर ने फैसला पढ़ते हुए कहा उद्धव ठाकरे के पास एक नाथ शिंदे को नेता पद से हटाने का अधकिार नहीं है। वह शिंदे को नहीं हटा सकते। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि उद्धव के पास शिवसेना के किसी भी सदस्य को हटाने का अधिकार नहीं है। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिंदे को हटाने के लिए उद्धव को बहुमत की जरूरत थी जो उनके पास नहीं था। वह सिर्फ इसलिए किसी को नहीं हटा सकते कि कोई व्यक्ति उन्हें पसंद नहीं है। इसलिए शिंदे को हटाया जाना गलत था। यदि शिंदे को हटाया जाना था तो इसका फैसला कार्यकारिणी का होना चाहिए था।राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर उद्धव गुट का रुख साफ नहीं है। इसी के साथ 25 जून 2022 के कार्यकारिणी के प्रस्तावों को स्पीकर ने अमान्य करार दिया है। 

बता दें कि जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के कुछ विधायकों के साथ महाराष्ट्र सरकार से बगावत कर दी थी। एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से राज्य के नए मुख्यमंत्री बन गए। शिंदे ने अपने समर्थकों के साथ दावा किया कि उनकी पार्टी ही असली शिवसेना है। इस पर उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए एक याचिका दाखिल की थी। उद्धव ठाकरे की याचिका के बाद ही एकनाथ शिंदे ने ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका दाखिल कर दी थी। कोर्ट ने सारा मामला विधानसभा स्पीकर के पाले में डाल दिया कि स्पीकर ही विधायकों की योग्यता-अयोग्यता का फैसला करेंगे। इसके लिए पहले तो 31 दिसंबर की तारीख तय की गई थी।बाद में इसे बढ़ाकर 10 जनवरी का दिन मुकर्रर कर दिया गया।

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होगी कांग्रेस, कहा-ये बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम

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अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की शिरकत को लेकर जारी कयास पर विराम लग गया है। कांग्रेस ने इस कार्यक्रम को आरएसएस और बीजेपी का इवेंट बताकर किनारा कर लिया है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे।बता दें कि पिछले महीने, कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को इसमें भाग लेने के लिए निमंत्रण मिला था। इसके बाद से ही कांग्रेस के समारोह में शामिल होने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे।

“बीजेपी-आरएसएस ने राम मंदिर को राजनीतिक परियोजना बना दिया”

अब कांग्रेस ने बयान जारी कर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से नकार कर दिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बयान जारी कर कहा है कि भगवान राम हमारे देश में लाखों लोगों द्वारा पूजे जाते हैं। धर्म एक व्यक्तिगत मामला है, लेकिन आरएसएस/बीजेपी ने लंबे समय से अयोध्या में मंदिर का राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाया है। बीजेपी और आरएसएस के नेताओं द्वारा अधूरे मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है। स्पष्ट रूप से चुनावी लाभ के लिए आगे लाया गया है।

”अर्द्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ के लिए”

कांग्रेस के बयान में आगे कहा है कि, स्पष्ट है कि एक अर्द्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए ही किया जा रहा है। 2019 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को स्वीकार करते हुए एवं लोगों की आस्था के सम्मान में मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी एवं अधीर रंजन चौधरी भाजपा और आरएसएस के इस आयोजन के निमंत्रण को ससम्मान अस्वीकार करते हैं।

अडानी ने भारतीय नौसेना के लिए बनाया आत्मनिर्भर मानवरहित अत्याधुनिक ड्रोन, जानिए क्या है इसकी विशेषता

भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने आज यानी 10 जनवरी 2024 को हैदराबाद में पहले स्वदेश निर्मित दृष्टि 10 स्टारलाइनर (Drishti 10 Starliner) अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) यानी ड्रोन का शिलान्यास किया। इस अनमैन्ड एरियल व्हीकल यानी ड्रोन का निर्माण अडाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस द्वारा हुआ है।

अडाणी ने भारतीय नौसेना के लिए बनाया आधुनिक ड्रोन

 भारत की सुरक्षा के लिए अडाणी द्वारा बनाए गए इस दृष्टि 10 स्टारलाइनर मानव रहित हवाई वाहन के फ्लैग-ऑफ सेरेमनी का नेतृत्व मुख्य अतिथि एडमिरल आर हरि कुमार ने किया। इस बीच उनके साथ नौसेना के 75 सैनिक भी मौजूद थे। उन्होंने भारतीय नौसेना की जरूरतों के हिसाब से अपने रोडमैप का जिक्र करते हुए रक्षा और सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भरता को सफल और सक्षम बनाने के लिए अडाणी ग्रुप की जमकर तारीफ भी की है।

उन्होंने कहा है कि, "समुद्री बल में आत्मनिर्भर बनने के लिए ISR टेक्नोलॉजी एक बड़ा बदलाव लाने वाला कदम भी कहा जा रहा है। दृष्टि 10 के आने से हमारी नौसेना की शक्तियां बढ़ने वाली है। यह हमारे लिए किसी सपने का सच होने जैसा ही है भारत में ही मौजूद 60 फीसद से भी अधिक समानों की सहायता से इस UAV का निर्माण किया गया है। इस नई UAV के बारे में कहा गया कि इसे नौसेना के समुद्री अभियानों में शामिल किया जाने वाला है, और इसके लिए यह UAV हैदराबाद से पोरबंदर के लिए उड़ान भरने वाला है।

अडाणी की प्रेस रिलीज़ के मुताबिक UAV की खास बातें

इस यूएवी को अडाणी डिफेंस और एयरोस्पेस के द्वारा बनाया गया है। इसे इंडिया में बनाया गया है, यानी यह मेड इन इंडिया UAV है। इसे बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली चीजों में से कुल 60% चीजें भी भारतीय ही बतायी जा रही है। इस UAV में 450 Kg पेलोड क्षमता है।

यह एक मानव रहित UAV है, यानी इस ड्रोन को चलाने के लिए किसी इंसान की भी आवश्यकता नहीं है। यह बारिश समेत सभी तरह के मौसम में उड़ान भर पाएगा। यह 36 घंटे तक मजबूती से टिके रहने में सक्षम है।

यह एक अत्याधुनिक इंटेलिजेंस, सर्विलांस एंड रिकॉनेसंस (ISR) मंच है। यह सभी हवाई क्षेत्रों में उड़ान भर पाएगा।

अडाणी एंटरप्राइजेज के वाइस प्रेसिडेंड ने कहा कि, "अडाणी के लिए थल, वायु और नौसेना सीमाओं की सुरक्षा, खुफिया, निगरानी और निर्यात के मामले में भारत को ग्लोबल मैप पर लाना प्रमुख प्राथमिकता है।

कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, मणिपुर में भारत जोड़ों न्याय यात्रा की नहीं मिली मंजूरी, अब मचेगा सियासी बवाल

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कांग्रेस ने की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' 14 जनवरी से शुरू होने जा रही है। हालांकि, इससे पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, भारत जोड़ो यात्रा की सफलता के बाद कांग्रेस पार्टी ने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ करने का फैसला किया है, जो कि मणिपुर से शुरू होनी है और मुंबई में खत्म होगी। हालांकि, मणिपुर के जिस ग्राउंड से यात्रा शुरू होनी है, उसके लिए मणिपुर सरकार ने मंजूरी देने से मना कर दिया है।

मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक के मेघचंद्र ने यात्रा की मंजूरी के लिए पार्टी नेताओं की एक टीम के साथ, बुधवार सुबह मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया को बताया कि मुलाकात के दौरान सीएम ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया। के मेघचंद्र ने कहा, ‘सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार यात्रा की अनुमति नहीं दे सकती है।

यात्रा का राजनीतिकरण ना करें- वेणुगोपाल

वहीं मणिपुर सरकार के फैसले पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, यह राजनीतिक प्रयास नहीं है और यात्रा का राजनीतिकरण ना करें। वेणुगोपाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘मणिपुर पीसीसी प्रेसिडेंट ने न्याय यात्रा की अनुमति चीफ सेक्रेटरी से मांगी थी। उन्होंने कहा की 5 दिन में जवाब देंगे, लेकिन जब जवाब नहीं आया तो खुद पीसीसी प्रेसिडेंट सचिव के पास अनुमति मांगने गए तो उन्होंने फिर कल शाम का वादा किया है। इसके बाद आज हमारे लोग सीएम से मिले तो उन्होंने भी कहा यात्रा को अनुमति नहीं दे सकते। ये यात्रा राजनीतिक नहीं है, राहुल गांधी वहां राजनीति करने नहीं जा रहे, वो शांति का संदेश देने जा रहे हैं। हम कोई तमाशा नहीं करना चाहते लेकिन ये ठीक नहीं।

इन राज्यों सो होकर गुजरेगी बारत जोड़ो न्याय यात्रा

बता दें कि कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा मणिपुर से शुरू होकर नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से होते हुए महाराष्ट्र में समाप्त होगी। वेणुगोपाल ने कहा था कि पार्टी अध्यक्ष खड़गे इस यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। भारत जोड़ो न्याय यात्रा का मकसद आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय है। इस यात्रा में राहुल युवाओं, महिलाओं और हाशिए पर पड़े लोगों से मुलाकात करेंगे। बस यात्रा से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा जाएगा। यात्रा में कुछ छोटे हिस्से को रुक-रुककर पैदल भी कवर किया जाएगा।

भारत जोड़ो यात्रा रही थी सफल

इससे पहले राहुल गांधी ने 7 सितंबर 2022 से 30 जनवरी 2023 तक भारत जोड़ो यात्रा की थी। 145 दिनों की यात्रा तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू होकर जम्मू-कश्मीर में खत्म हुई थी। तब राहुल ने 3570 किलोमीटर की यात्रा में 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों को कवर किया था।श्रीनगर में यात्रा के समापन के मौके पर शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में राहुल ने कहा था- मैंने यह यात्रा अपने लिए या कांग्रेस के लिए नहीं बल्कि देश की जनता के लिए की है। हमारा उद्देश्य उस विचारधारा के खिलाफ खड़ा होना है जो इस देश की नींव को नष्ट करना चाहती है।यात्रा के दौरान राहुल ने 12 सभाओं को संबोधित किया था, 100 से ज्यादा बैठकें और 13 प्रेस कॉन्फ्रेंस की थीं।

भारत जब अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा तब तक यह एक विकसित देश होगा', वाइब्रेंट गुजरात समिट में बोले PM मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में सम्मिलित होने आए तमाम देशों का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि हमने लक्ष्य रखा है कि जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष मानएगा तब तक यह विकासशील नहीं बल्कि विकसित देश होगा। उन्होंने कहा कि आज इसलिए ये 25 वर्षों का कार्यकाल भारत का अमृत काल है। ये नए सपने नए संकल्प एवं नित्य नूतन सिद्धियों का काल है। इस अमृत काल में ये पहली बार वाइब्रेंट गुजरात समिट। इसलिए इसका महत्व और बढ़ गया है। इस समिट में आए 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भारत की इस विकास यात्रा के अहम सहयोगी हैं। मैं आप सभी का स्वागत करता हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज से कुछ वक़्त पहले भारत विश्व की पांचवें नवंबर की अर्थव्यवस्था थी मगर आगामी दिनों में अब भारत विश्व की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था हो जाएगी। और ये मोदी की गारंटी है। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोस्तों, UAE के राष्ट्रपति बिन जैद का इस आयोजन में सम्मिलित होना हमारे लिए बेहद खुशी की बात है। वाइब्रेंट गुजरात के इस समिट में उनका यहां चीफ गेस्ट के तौर पर होना है भारत एवं UAE के दिनों दिन मजबूत होते आत्मीय संबंधों का प्रतीक है। भारत का लेकर उनका विश्वास एवं उनका सहयोग बहुत ही गर्मजोशी से भरा हुआ है। वाइब्रेंट समिट अब ग्लोबल प्लेटफॉर्म बन गई है। इस समिट में भी भारत औऱ UAE ने फूड पार्क के लिए, रिन्यूलेबल रीसोर्स के लिए कई समझौते किए हैं। 

उन्होंने कहा कि भारत के लिए गर्व की बात है कि हमारी जी 20 प्रेसिंडेंसी में अफ्रीकन यूनियन को स्थाई सदस्यता प्राप्त हुई है। प्रेसीडेंट यूसी के इस यात्रा से भारत एवं अफ्रीका की घनिष्ठा और बढ़ी है। चेक रिपब्लिक लंबे वक़्त से वाइब्रेंट समिट से जुड़ा हुआ है। भारत एवं चेक के बीच ऑटोमोबाइल, मैन्यूफेंक्चरिंग सेक्टर और अन्य सेक्टर में निरंतर सहयोग बढ़ रहा है। आपकी इस यात्रा से दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बार की थीम है गेटवे टू द फ्यूचर। 21वीं सदी की दुनिया का फ्युचर, हमारे साझा प्रयासों से ही बनेगा। भारत ने इसके लिए रोडमैप भी दिया है। भारत आईटी यूटी जैसे मल्टीनेशनल के साथ भागेदारी को और मजबूत कर रहा है। वन वर्ल्ड, वन फैमिली का सिद्धांत विश्व कल्याण के लिए अनिवार्य है। भारत आज विश्व मित्र की भूमिका में आगे बढ़ रहा है। भारत ने दुनिया को विश्वास दिया है कि हम साझा लक्ष्य तय कर सकते हैं। अपने लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। विश्व कल्याण के लिए भारत की प्रयास, प्रतिबद्धिता एवं भारत का परीश्रम आज की दुनिया को अधिक सुरक्षित बना रहा है।

वे मौके जब मालदीव के लिए “संकटमोचक” बना भारत, जानें कब-कब की मदद

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भारत और मालदीव के रिश्ते इन दिनों चर्चा में है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद मालदीव सरकार के उप मंत्रियों द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी। जिसके बाद से दोनों देशों के बीच के रिश्ते तल्ख होते दिख रहे हैं। भारत की आपत्ति के बाद मालदीव सरकार ने इन उप मंत्रियों को निलंबित कर दिया था।हालंकि, इससे पहले दोनों देशों के सम्बंधों में खटास की शुरुआत हो चुकी थी। इसकी शुरूआत खुद राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू ने की थी। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में इंडिया आउट का भारत विरोधी नारा दिया और सत्ता हासिल कर ली। 

अपने चुनाव प्रचार में “इंडिया आउट” का नारा देने वाले मुइज़्ज़ू के नवंबर, 2023 में राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और मालदीव के संबंधों पर सवाल उठे हैं, लेकिन ऐतिहासिक तौर पर दोनों देश के बीच दोस्ताना संबंध रहे हैं। आपत्तिजनक टिप्पणियों के बाद मालदीव की पूर्व रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी का दिया ये बयान इसकी तस्दीक करता है, जिसमें वे कहती हैं कि भारत हमारे लिए 911 कॉल की तरह है और जब भी हमें जरूरत होती है, हम भारत से मदद मांगते हैं। तो बचाव के लिए भारत के लोग हमारे पास तुरंत आ जाते हैं। भारत हमारा उस तरह का दोस्त है जब हमें तकलीफ होती है वे मदद के लिए आते हैं। मारिया अहमद दीदी के बयान से साफ जाहिर है कि बारत हमेसा से मालदीव का मददगार रहा है। भारत हमेशा से मालदीव के अच्छे और बुरे समय में उसके साथ खड़ा रहा है। भारत 1965 में इस द्वीप राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था और उसने मालदीव के साथ राजनयिक संबंध भी स्थापित किए थे।

जब तख्तापलट से बचाने के लिए भारत ने चलाया 'ऑपरेशन कैक्टस'

1988 की एक घटना दोनों देशों के संबंधों में मील का एक पत्थर मानी जाती है। उस वक्त मालदीव में एक विद्रोह हुआ था, जिसे भारत की फ़ौज की मदद से नाकाम किया गया था। उस अभियान का नाम था - 'ऑपरेशन कैक्टस'। 3 नवंबर, 1988 को मालदीव के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम भारत यात्रा पर आने वाले थे। उनको लाने के लिए एक भारतीय विमान दिल्ली से माले के लिए उड़ान भर चुका था। अभी वो आधे रास्ते में ही था कि भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी को अचानक एक चुनाव के सिलसिले में दिल्ली से बाहर जाना पड़ गया। राजीव गांधी ने ग़यूम से बात कर ये तय किया कि वो फिर कभी भारत आएंगे। लेकिन ग़यूम के ख़िलाफ़ विद्रोह की योजना बनाने वाले मालदीव के व्यापारी अब्दुल्ला लुथूफ़ी और उनके साथी सिक्का अहमद इस्माइल मानिक ने तय किया कि बग़ावत को स्थगित नहीं किया जाएगा। उन्होंने श्रीलंका के चरमपंथी संगठन 'प्लोट' (पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ तमिल ईलम) के भाड़े के लड़ाकुओं को पर्यटकों के भेष में स्पीड बोट्स के ज़रिए पहले ही माले पहुंचा दिया था। देखते ही देखते राजधानी माले की सड़कों पर विद्रोह शुरू हो गया और सड़कों पर भाड़े के लड़ाकू गोलियां चलाते हुए घूमने लगे। इस मुश्किल वक्त में मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम, एक सेफ हाउस में जा छिपे। राष्ट्रपति गयूम ने उन्हें और उनकी सरकार बचाने के लिए भारत से मदद मांगी। अब तक राजधानी माले के हुलहुले हवाई अड्डे और टेलीफोन एक्सचेंज पर सैकड़ों विद्रोहियों कब्जा कर चुके थे। ऐसी स्थिति में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मालदीव में भारतीय सेना भेजने का फैसला किया और कुछ ही देर में 6 पैरा के 150 कमांडो से भरे विमान ने आगरा के खेरिया हवाई अड्डे से मालदीव के लिए उड़ान भर दी। थोड़ी देर में दूसरा विमान उतरा मालदीव पहुंचा और उसने आनन फानन में एटीसी, जेटी और हवाई पट्टी के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर नियंत्रण कर लिया। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने राष्ट्रपति के सेफ हाउस को सुरक्षित किया। कुछ ही घंटों में भारतीय सैनिकों ने मालदीव की सरकार गिराने की कोशिश को नाकाम कर दिया। 

ऑपरेशन सी वेव्स

साल 2004 के आखिर में समुंद्र के अंदर भूकंप आया था, जिसने मालदीव के तटों को तबाह कर दिया था। इस वक्त भी भारत मालदीव की मदद के लिए आगे आया और उसने 'ऑपरेशन सी वेव्स' चलाया। तभी भारत से हर प्रकार की राहत सामग्री मालदीव भेजी गई। हेलीकॉप्टरों की मदद से लोगों को रेस्क्यू किया गया। इतना ही नहीं, पैसों की तंगी से जूझ रहे मालदीव को भारत ने 10 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी। इसके बाद भी भारत ने करोड़ों रूपये की मदद की। 

बूंद-बूंद के लिए तरह रहे मालदीप की ‘ऑपरेशन नीर’ से की मदद

जब-जब मालदीव में मुश्किल आई तो भारत ने दोनों हाथों से मदद की। साल 2014 में चलाया गया ‘ऑपरेशन नीर’ इसका एक उदाहरण है। 2014 में मालदीव में पानी का संकट खड़ा हो गया। संकट ऐसा था कि मालदीव को भारत से मदद मांगनी पड़ी। भारत सरकार ने मालदीव को उस संकट से निकाला। मालदीव की राजधानी माले का आरओ प्लांट खराब होने यहां पीने के पानी का संकट पैदा हो गया। पूरे शहर में बूंद-बूंद पानी के लिए त्राहि मच गई। मालदीव ने भारत सरकार मदद मांगी।उस समय विदेशी मंत्री थीं सुषमा स्वराज और विदेश सचिव थे जयशंकर। इंडियन एयरफोर्स की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, माले शहर को रोजाना 100 टी पीने के पानी की जरूरत थी। वहां मदद भेजने की जिम्मेदारी भारतीय वायु सेना को सौंपी गई। भारतीय वायु सेना ने तीन सी-’17 और तीन आई एल-76 वायुयानों की तैनाती की। पैक किया हुआ पानी दिल्ली से अराक्कोणम और वहां से माले के लिए रवाना किया। सेना ने वायुयानों के जरिए 5 से 7 सितंबर के बीच 374 टन पीने का पानी वहां पहुंचाया।

कोविड में ऑपरेशन संजीवनी चलाया

इसके अलावा भी भारत में कई मौकों पर मालदीव को मदद भेजी। कोविड के दौरान भारत ने ऑपरेशन संजीवनी चलाया। मालदीव सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने परिवहन विमान C-130J से दवाओं और इलाज से जुड़ी जरूरी चीजों को मालदीव तक पहुंचाया। इतना ही नहीं, इससे पहले भारतीय सेना ने वायरल टेस्ट लैब बनाने के लिए 14 सदस्यीय मेडिकल दल मालदीव भेजा था। भारत सरकार ने 5.5 टन जरूरी दवाएं मालदीव को उपहार के रूप में दी थीं।

खूब बच्चे पैदा करो, मकान PM मोदी देंगे', राजस्थान में बोले भाजपा के मंत्री बाबूलाल खराड़ी, खुद भी की है दो शादियां

 राजस्थान सरकार के मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने लोगों से कहा है कि उन्हें बहुत सारे बच्चे पैदा करने चाहिए। उन्हें चिंता करने की आवश्यकता इसलिए नहीं है, क्योंकि मकान पीएम नरेंद्र मोदी देंगे तथा गैस भी सस्ती मिलेगी। बता दें कि उदयपुर जिले की झाडोल सीट से दूसरी बार MLA बाबूलाल खराड़ी की दो पत्नियां और 8 बच्चे हैं। राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी का बयान इसलिए भी चर्चा में बना हुआ है, क्योंकि उन्होंने स्वयं 2 शादियां की हैं। उनकी पहली पत्नी का नाम तेजू देवी एवं दूसरी पत्नी का नाम मणि देवी है। दोनों पत्नियों से उनके 8 बच्चे हैं।

राजस्थान सरकार में मंत्री खराड़ी बचपन से ही RSS में रहे हैं। इससे पहले वह 2003 और 2008 में भी चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि, 2013 में मोदी लहर के बड़ा भी खराड़ी विधानसभा चुनाव हार गए थे। इसके पश्चात् से वह निरंतर 2 बार चुनाव जीत चुके हैं। बाबूलाल का बड़ा बेटा देवेंद्र B.Tech कर चुके हैं। वहीं, 3 बेटे कॉलेज एवं स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि उनकी चारों बेटियां भी कॉलेज में पढ़ाई कर रही हैं। खराड़ी जब मंत्री बने थे तो उनके परिवार ने बताया था कि उनके मंत्री बनने का पता TV पर समाचार देखकर चला।

मंत्री बनने वाले खराड़ी को बड़े नेताओं के साथ RSS का भी समर्थन है। उनका सरल व्यवहार एवं सादगी भी अक्सर ख़बरों में रहती है. वह दो कमरों के कच्चे मकान में रहते हैं। प्रदेश के सबसे पिछड़े कोटड़ा जैसे क्षेत्र से आने वाले खराड़ी को जनजाति मंत्री बनाया गया है। आदिवासी क्षेत्र में रहने वाले खराड़ी को भारतीय जनता पार्टी ने 1987 में कोटड़ा का युवा मंडल अध्यक्ष बनाया गया था। तत्पश्चात, 1995 में वह जिला परिषद सदस्य बने और वर्ष 2000 में प्रधान बने।