Jan 05 2024, 16:24
बांग्लादेश में विपक्ष ने किया चुनाव का बहिष्कार, शेख हसीना की चौथी बार ताजपोशी महज़ औपचारिकता?
#bangladesh_election_sheikh_hasina_expected_to_win_fourth_term
बांग्लादेश में सात जनवरी को आम चुनाव होने वाले हैं। लेकिन प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने इन चुनावों में हिस्सा नहीं लेने का फ़ैसला किया है। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि यह फर्जी चुनाव है जहां कोई भी उम्मीदवार जीते, जीत अंतत: शेख हसीना ही की होनी है। चुनाव में विपक्ष के बहिष्कार के चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना को चौथी बार सत्ता हासिल करना महज़ औपचारिकता माना जा रहा है। ऐसे में सवाल है कि क्यों ऑपोजिशन का सबसे महत्त्वपूर्ण खेमा बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी चुनाव नहीं लड़ रही।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी बीएनपी देश की मुख्य विपक्षी पार्टी है। बीएनपी और उसके समर्थक पार्टियों का कहना है कि शेख हसीना की सरकार ना तो निष्पक्ष है और ना ही पारदर्शी। बीएनपी ने आम चुनाव में धांधली और वोटिंग के दौरान हेरफेर के आरोप लगाए हैं। विपक्षी दल बीएनपी के वाइस चैयरमैन तारिक रहमान ने इस चुनाव को शेख हसीना के शासन को मजबूत करने के लिए रचा गया 'दिखावा' बताया है। चुनाव में भाग ना लेने के फैसले पर रहमान ने कहा कि जिस चुनाव के नतीजे पहले से तय हों, उसमें हिस्सेदारी का कोई मतलब नहीं है। चुनाव पारदर्शी तरीके से नहीं हो रहे हैं, ऐसे में उनकी नेता खालिदा जिया और पार्टी के बाकी नेताओं ने बहिष्कार का फैसला लिया है।
आरोप हैं कि चुनाव सिर्फ दिखावे के लिए लड़ा जा रहा है जहां जीते कोई भी, सत्ता शेख हसीना ही की बनती दिख रही है। उसकी वजहें ये हैं कि करीब 220 सीटों पर शेख हसीना के समर्थक नेता ही आमने सामने हैं। यहां बहुत संभव है कि जीतने और हारने वाला हसीना की आवामी लीग का ही हो। ऐसे में विपक्ष का आरोप है कि चुनाव का कोई मतलब नहीं।
बीएनपी और उनके सहयोगी दलों की मांग है कि जब तक नया चुनाव न हो जाए, शेख हसीना को प्रधानमंत्री का पद छोड़ देना चाहिए। विपक्षी पार्टियों की मांग है कि एक अंतरिम सरकार की देखरेख में चुनाव हो और नतीजों के बाद नई सरकार बने। आवामी लीग की मौजूदा सरकार इसके पक्ष में नहीं है।
रहमान की पार्टी बीएनपी ने बीते साल, 2023 में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करते हुए करीब महीने तक विरोध प्रदर्शन किए। ये विरोध प्रदर्शन कई शहरों में हिंसक भी हुए और इनमें कम से कम 11 लोग मारे गए और बीएनपी के हजारों समर्थकों को गिरफ्तार किया गया। प्रदर्शन के बावजूद बीएनपी की शेख हसीना के इस्तीफे और कार्यवाहक सरकार की अगुवाई में चुनाव की बात को नहीं माना गया। जिसके बाद बीएनपी चुनाव से हट गई।
शेख हसीना 2009 से बांग्लादेश की सत्ता में हैं, उन पर 2014 और 2018 के चुनाव में भी धांधली के आरोप लगे बावजूद इसके वो सत्ता पाने में सफल रहीं। इस बार भी उनपर आरोप लग रहे हैं, हालांकि आवामी लीग की चौथी मर्तबा जीत तय है, अगर कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो।इसके लिए हसीना में पूरे इंतजाम किए हैं। दरअसल बांग्लादेश में कुल कुल 300 सीटें हैं। 2018 में 290 सीटें 3 पार्टियों ने जीती थीं- अवामी लीग, बीएनपी और जातीयो पार्टी (जापा)। बीएनपी इस बार नहीं लड़ रही। सत्ताधारी अवामी लीग 298 सीटों पर लड़ रही है। उसके ही 185 नेता बतौर आजाद उम्मीदवार मैदान में हैं। एक अवामी लीग नेता ने बताया कि 90 सीटों पर ये उम्मीदवार भारी हैं। ये खुद को हसीना का वफादार बताते हैं। ऐसे में लोग मानने लगे हैं कि जीते कोई भी, सत्ता का कंट्रोल हसीना के पास ही रहेगा क्योंकि करीब 220 सीटों पर पहले, दूसरे, तीसरे नंबर का कैंडिडेट हसीना समर्थक ही है। तीसरी पार्टी जापा की भूमिका तो और भी चौंकाने वाली है। यह पहले अवामी लीग से गठबंधन करने वाली थी। फिर 16 दिसंबर को अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया, लेकिन इसके बड़े नेता रैलियों में खुद को अवामी लीग से जुड़ा बता रहे हैं।
Jan 06 2024, 14:09