आस्था के आगे शीतलहरी और हाथ कंपकंपा देने वाली ठंड फेल : गया में मिनी पितृपक्ष मेला शुरू, खरमास के दिनों में पिंडदान की है बड़ी मान्यता
गया : बिहार के गया में मिनी पितृपक्ष मेला शुरू हो गया है. यह 29 दिसंबर से शुरू हुआ है और अगले 15 जनवरी तक चलेगा. इन दिनों खरमास है और खरमास में पिंडदान की बड़ी मान्यता होती है. ऐसे में पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना से देश के अनेक राज्यों से बड़ी संख्या में पिंडदानी गया जी को पहुंच रहे हैं. खास बात यह है, कि शीतलहरी और घना कुहासा एवं कंपकंपा देने वाली ठंड के बीच मेले में मिनी पितृपक्ष मेले में काफी संख्या में पिंडानियों की भीड़ आ रही है.
गया के विष्णुपद में इन दिनों में मिनी पितृपक्ष मेला शुरू हो गया है. मिनी पितृपक्ष मेला में अपने पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना को लेकर देश के अनेक राज्यों से भारी संख्या में पिंडदानियों का गया आगमन हो रहा है. यहां रोजाना राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल समेत अधिक कई राज्यों से पिंडदानी आ रहे हैं. इनकी भीड़ आम दिनों के भीड़ की अपेक्षा कई गुणा अधिक होती है.
आस्था के आगे हाथ कंपकंपा देने वाली ठंड फेल नजर आ रही है. बता दें, कि गया में इन दिनों काफी ठंड पड़ रही है. रात भर और अहले सुबह से दोपहर बाद तक घना कुहासा रह रहा है. वहीं शीतलहरी भी काफी चल रही है. इस हाङ कंपा देने वाली ठंड के बीच भी अपने पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना लिए विभिन्न राज्यों के पिंडदानी गया जी को आ रहे हैं. पिंडदानियों की भीड़ गया जी में देवघाट पर सबसे अधिक आ रही है.
बड़ी बात यह है, कि भारी शीतलहरी और कंपकंपा देने वाली ठंड के बावजूद अहले सुबह से ही पिंडदान का कर्मकांड शुरू हो जा रहा है. देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालु अपने पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना को लेकर अहले सुबह से ही पिंडदान का कर्मकांड पूरा करना शुरू कर देते हैं. अहले सुबह से लेकर तकरीबन 4:00 बजे संध्या तक पिंडदान का कर्मकांड चलता है.
इन दिनों खरमास चल रहा है, लेकिन खरमास के दिनों में पिंडदान का बड़ा महत्व है. बताया जाता है कि 29 दिसंबर से लेकर 15 जनवरी तक मिनी पितृपक्ष मेला चलता है. ऐसे में इन दिनों खरमास के समय अपने पितरों को मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान का कर्मकांड करने के लिए भारी तादाद में श्रद्धालु आते हैं. गयापाल पंडा की मानें, तो खरमास के दिनों में पिंडदान का काफी महत्व है. खरमास के दिनों में पिंडदान से पिंडदानी को सुख की प्राप्ति होती है. वहीं, पितरों को सीधे स्वर्ग लोक की प्राप्ति हो जाती है. यही वजह है, कि खरमास के इन दोनों यानी मिनी पितृपक्ष कहे जाने वाले इस मेले में पिंडदानी काफी तादाद में आ रहे हैं.
गयापाल पंडा की माने, तो इन दिनों गंगासागर यात्रा में काफी संख्या में लोग निकलते हैं. देश के विभिन्न राज्यों से इस यात्रा को करने वाले निकलते हैं. ऐसे में गंगासागर जाने या गंगा सागर से लौट के क्रम में लोग अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर गया जी को पहुंचते हैं और पिंडदान का कर्मकांड पूरा करते हैं. महाराष्ट्र के पिंडदानी ने बताया कि खरमास के दिनों में पिंडदान का काफी महत्व है. यही वजह है कि वह इस कंंपकंपाती ठंड में भी अपने परिवार के साथ गया जी को आए हैं और पितरों के मोक्ष की कामना के निमित्त पिंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं. फल्गु नदी के किनारे देवघाट पर पिंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं. वही, गयापाल पांडा गजाधर लाल कटरियार बताते हैं कि मिनी पितृ पक्ष मेले में लाखों श्रद्धालु आते हैं. यह बताते हैं कि गया जी में पितृ पक्ष मेला मुख्य रूप से सितंबर -अक्टूबर के मध्य में होता है. इसके बाद जनवरी के पखवारे में खरमास के दिनों में यानी मिनी पितृपक्ष मेले के रूप में होता है, जब पिंडदानी काफी तादाद में अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर गया जी को पहुंचते हैं.
गया से मनीष कुमार
Jan 02 2024, 21:35