औरंगाबाद आरजेडी के विधान पार्षद प्रो. रामबली सिंह ने अपनी ही पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद के खिलाफ कही यह बड़ी बात
औरंगाबाद आरजेडी के विधान पार्षद प्रो. रामबली सिंह ने अपनी ही पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद के खिलाफ बड़ी बात कही है। साथ ही उन्होने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ भी खुलकर बोला।
कर्पूरी चर्चा के बहाने हो रही नीतीश की चर्चा
रामबली ने रविवार को औरंगाबाद के दाउदनगर में चंद्रवंशी चेतना मंच द्वारा जरासंध जयंती पर आयोजित 'जाति गणना व अति पिछड़ा वर्ग की स्थिति' विषयक परिचर्चा में बतौर मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि जेडीयू पूरे राज्य में कर्पूरी चर्चा करा रही है।
इस चर्चा के बहाने नीतीश की चर्चा हो रही है। इससे कर्पूरी ठाकुर की मंशा पूरी नहीं हो रही है। अगर कर्पूरी ठाकुर की आत्मा कहीं जीवित होगी तो वह कराह रही होगी।
कर्पूरी ठाकुर ने पहली बार देश में वर्गीकृत आरक्षण देने का किया था साहस-
जननायक कर्पूरी ठाकुर ने जिन मूल्यों की रक्षा के लिए 1978 में आरक्षण का वर्गीकरण किया था और पहली बार देश में वर्गीकृत आरक्षण देने का साहस किया था, उसे चकनाचूर कर दिया गया। 2015 में अपेक्षाकृत संपन्न जातियों को इसमें शामिल कर दिया गया। ऐसे तो जब लालू प्रसाद यादव जब मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने 19 जातियों को शामिल किया और जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो लगभग 15 जातियों को इसमें शामिल कर दिया गया। यह लगातार सिलसिला चल रहा है। आज भी उन्हीं की सरकार है।
तीन संपन्न जातियों को अति पिछड़ा में घुसेड़ने का खामियाजा भगत रहा सम-
कहा कि 2015 में जिन तीन संपन्न जातियों को मूल अति पिछड़ा वर्ग में शामिल कर दिया गया, उसका खामियाजा आठ वर्षों से अति पिछड़ा समाज भुगत रहा है।
समझ सकते हैं कि कर्पूरी चर्चा करने का क्या मतलब है। बिहार में जो सबसे बड़ी समस्या है, उसे कर्पूरी ठाकुर के बाद दूसरा कोई उठाने वाला नहीं है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अपने लिए नहीं तो अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए सोचें। मैंने सत्तारुढ़ में रहते हुए जनांदोलन का रास्ता अख्तियार किया।
तीन जतियों को अति पिछड़ा में धुसेड़ा गया पर लालू की नीतीश से बात करने की नही हुई हिम्-
उन्होंने राज्य सरकार द्वारा जाति गणना के अधिकृत आंकड़े को प्रस्तुत करते हुए कहा कि अति पिछड़ा की आबादी 36 प्रतिशत होते हुए भी मात्र 13 प्रतिनिधित्व नौकरियों में है।
नीतीश कुमार ने तीन जातियों को अतिपिछड़ा में घुसा दिया। जब इस मुद्दे को लेकर वह लालू प्रसाद यादव के पास गए तो उनकी हिम्मत नहीं हुई कि वे नीतीश कुमार से इस मुद्दे पर बात करें।
अति पिछड़ो का हक मार रहे अगड़े व पिछड-कहा कि अति पिछड़ा का हक अगड़ा या पिछड़े वर्ग के लोग मार रहे हैं। मंडल कमीशन के लागू होने के लगभग तीन दशक बाद भी काफी विसंगतियां हैं। रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट लागू नही कर रहे मोदी-राज्य अतिपिछड़ा पिछड़ा आयोग के सदस्य अरविंद निषाद ने कहा कि केंद्र सरकार ने जस्टिस रोहिणी कमिशन बनाया।
कमेटी द्वारा रिपोर्ट भी सौंपा जा चुका है लेकिन मोदी सरकार उसे लागू करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है। उन्होंने रोहिणी आयोग के अनुशंसाओं को लागू करने, अति पिछड़ा वर्ग का वर्गीकरण करने, नौकरी तथा शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण देने की मांग की। वही गया टाउन से महागठबंधन के पूर्व प्रत्याशी निरंजन उर्फ डिंपल चंद्रवंशी ने कहा कि हमारा आरक्षण मारा जा रहा है।
इसके पूर्व कार्यक्रम में विषय प्रवेश कराते हुए परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे हैं निशांत राज ने कहा कि जातिगत सर्वेक्षण में चंद्रवंशी समाज की संख्या पूर्व की अपेक्षा कम दिखाई गई है। उन्होंने केंद्रीय सूची का भी विखंडन करने की आवश्यकता जताई। परिचर्चा का संचालन कपिलेश्वर विद्यार्थी ने किया।कार्यक्रम में ये रहे मौजूद-इस मौके पर बेलवा पंचायत के मुखिया प्रदीप चंद्रवंशी, डॉ. अरविंद कुमार सिंह, प्रीतम सिंह, मनोज सिंह, रामावतार सिंह, सिद्धनाथ सिंह, दिलीप सिंह, प्रमोद यादव, विकास कुमार दीपक कुमार आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
Dec 28 2023, 17:23