विजय दिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन, मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि।
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1971 में अमर शहीदो,स्वतंत्रता सेनानियों एवं वीर सैनिकों का योगदान" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न। 52वी विजय दिवस पर नायको, अमर शहीदों ,स्वतंत्रता सेनानी एवं वीर सैनिकों को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन, मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि।
विजय दिवस की 52 वी वर्षगांठ पर दिया विश्वशांति अहिंसा पर्यावरण संरक्षण एवं आपसी प्रेम का संदेश ।
आज दिनांक 16 दिसंबर 2023 को विजय दिवस की 52वी वर्षगांठ पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया ,जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ,बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली , डॉ अमित कुमार लोहिया , डॉ अमानुल हक वरिष्ठ पत्रकार सह संस्थापक मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट एवं डॉ महबूब उर रहमान ने संयुक्त रूप से सर्वप्रथम बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीब उर रहमान , स्वर्गीय इंदिरा गांधी,अमर शहीदों स्वतंत्रता सेनानियों एवं भारत के उन हजारों सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने पाकिस्तान के साथ युद्ध में विजय प्राप्त की एवं बांग्लादेश की स्थापना के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भारत की अहम भूमिका रही थी। तब पूर्वी पाकिस्तान में 9 महीने तक खूनी संघर्ष की स्थिति बनी रही।
9 महीनों की खूनी संघर्ष के बाद जनरल नियाजी के साथ करीब 93हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने हथियार डाल दिए थे। इस अवसर पर वक्ताओं ने महात्मा गांधी, बंगबंधु शेख मुजीब उर रहमान, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी, अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्शों एवं मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए विश्व शांति अहिंसा पर्यावरण संरक्षण एवं आपसी प्रेम का संदेश दिया। इस अवसर पर एक कार्यशाला का भी आयोजन किया गया, जिसका विषय था" विजय दिवस 1971 में अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानियों एवं वीर सैनिकों का योगदान"।
इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल ,डॉ शाहनवाज अली डॉ अमानुल हक एवं डॉ महबूब उर रहमान ने संयुक्त रूप से पुनः कहां कि बांग्लादेश की आजादी में भारत की भूमिका अहम रही थी। इसे इंदिरा गांधी के राजनीतिक करियर के महत्वपूर्ण फैसलों में गिना जाता है।
पूर्वी पाकिस्तान जब आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था, मुक्ति वाहिनी की प्रशिक्षण, आश्रय और हथियार जैसी जरूरतें भारत की मदद से ही पूरी हुई। भारत ने तब पूर्वी पाकिस्तान से लाखों की संख्या में आने वाले शरणार्थियों को आश्रय और भोजन भी मुहैया कराया था। एक स्वतंत्र बांग्लादेश के लिए पूरे भारत से सहज समर्थन मिल रहा था। बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, नागालैंड, त्रिपुरा जैसे कई राज्यों ने भी बांग्लादेश की स्वतंत्रता के समर्थन में अपनी विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित किया था।
बांग्लादेश की आजादी को लेकर बुनियाद साल 1952 में ही पड़ गई थी, जब पाकिस्तान की हुकूमत ने उर्दू को पूरे देश की आधिकारिक भाषा बनाने की घोषणा की, लेकिन मुल्क की आजादी को लेकर निर्णायक संघर्ष साल 1971 में नौ महीनों के लिए हुआ, जिसकी शुरुआत 26 मार्च को बांग्लादेश की आजादी की घोषणा के साथ ही हो गई। आजादी के इस जंग के नायक शेख मुजीबउर रहमान थे, जिन्हें पाकिस्तान की सेना ने उसी रात गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के तीन दिन बाद उन्हें कराची ले जाया गया था।
बंधु बंधु शेख मुजीबउर रहमान को करीब नौ महीने तक मियांवाली जेल की कालकोठरी में रखा गया था। इस बीच ढाका की सड़कों पर संघर्ष हुई थी। पाकिस्तानी सेना का दमन मानवाधिकार उल्लंघन के सभी रिकॉर्ड तोड़ रहा था। महिलाओं के साथ दुष्कर्म जैसी जघन्य वारदातें भी सामने आ रही थीं। लेकिन पूर्वी पाकिस्तान में स्वतंत्रता की भावना इस कदर मजबूत थी कि पाकिस्तानी सेना तमाम हथकंडों के बावजूद उन्हें कुचलने में नाकाम रही।
इस दौरान पाकिस्तान के साथ भारत का सशस्त्र संघर्ष औपचारिक तौर पर 3 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना द्वारा भारत पर हमले के साथ शुरू हुआ था। करीब 13 दिनों तक चली जंग 16 दिसंबर, 1971 को खत्म हुई थी, जब पाकिस्तान के जनरल नियाजी के साथ करीब 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने हथियार डाल दिए थे। भारत में यह दिन विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
Dec 17 2023, 16:45