विभिन्न सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति का दिया गया संदेश
बेतिया: आज दिनांक 8 दिसंबर 2023 को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में सार्क देशों द्वारा सार्क चार्टर को अपनाने के वर्षगांठ पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया ,जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों , बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ,डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया ,वरिष्ठ पत्रकार सह संस्थापक मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट डॉ अमानुल हक , सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी, पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन एवं डॉ महबूब उर रहमान ने संयुक्त रूप से सार्क के निर्माताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर विश्व शांति ,मानव अधिकारों की रक्षा, मानवता, अहिंसा ,सामाजिक सद्भावना, जलवायु परिवर्तन की रोकथाम, पर्यावरण संरक्षण, बाल मजदूरी उन्मूलन ,सीमा पार बाल व्यापार उन्मूलन ,बाल विवाह ,परस्पर आपसी सहयोग बढ़ाने एवं विभिन्न सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति का संदेश देते हुए कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (South Asian Association for Regional Cooperation – SAARC) चार्टर दिवस प्रतिवर्ष 8 दिसंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष क्षेत्रीय समूह की 39वीं वर्षगांठ है। ढाका, बांग्लादेश में आयोजित पहले सार्क शिखर सम्मेलन में चार्टर पर सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों या बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के शासनाध्यक्षों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि सार्क चार्टर का इतिहास गौरवशाली रहा है।
8 दिसंबर 1985 को, समूह के पहले शिखर सम्मेलन के दौरान, ढाका में सार्क चार्टर को अपनाया गया था। चार्टर पर आठ दक्षिण एशियाई देशों- बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान, मालदीव, नेपाल, भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के नेताओं द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।
जैसा कि इसके चार्टर में उल्लेख किया गया है, सार्क का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने और सामाजिक प्रगति और आर्थिक विकास के माध्यम से उनके जीवन स्तर में सुधार करने के लिए सामूहिक रूप से काम करना है।
Dec 13 2023, 10:19