संशोधित शालाओं में ही ज्वाइन करेंगे शिक्षक
बिलासपुर- सहायक शिक्षकों के पदस्थापना मामले में हाई कोर्ट ने संशोधित शालाओं में ही शिक्षकों को ज्वाइन करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले संशोधन पर राज्य सरकार ने निरस्तीकरण की कार्रवाई कर दी थी। इसके खिलाफ कई शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई थी। प्रदेश के सहायक शिक्षकों को शिक्षक के पद पर पदोन्नति दी गई है। इसके बाद उनका पदांकन कर विभिन्न स्कूलों में पोस्टिंग दी गई थी। सैकड़ों शिक्षकों को दूरस्थ स्कूलों में पदस्थ किया गया था। इसके खिलाफ शिक्षा विभाग में आवेदन देकर अपनी पदस्थापना संशोधित करवाते हुए पास के स्कूलों के लिए आदेश जारी करा लिया था।
संशोधन आदेश के एवज में लाखों के लेनदेन के आरोपों के बाद राज्य सरकार ने संशोधन आदेश को चार सितंबर को एक आदेश जारी कर निरस्त कर दिया था और शिक्षकों को एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया था। संशोधन आदेश निरस्तीकरण को लेकर शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से अलग अलग याचिका लगाई थी। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद चंदेल की सिंगल बेंच में हुई।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश जारी किए थे। यथास्थिति बनाए रखने के निर्देशों के चलते शिक्षक पदांकन वाली शालाओं में ज्वाइन कर पा रहे थे और न ही संशोधित स्कूलों में। इसके चलते शिक्षकों को वेतन भी जारी नहीं हो पा रहा था। एक बार फिर शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
तीन नवंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को सात सदस्यीय कमेटी बनाने निर्देश जारी किए थे। कमेटी में प्रमुख सचिव शिक्षा डीपीआइ व पांचों संभाग के संयुक्त संचालक शिक्षा को शामिल करने कहा था। प्रभावित शिक्षकों के द्वारा 15 दिनों के भीतर कमेटी के समक्ष अभ्यावेदन देने और 45 दिनों में निराकरण के निर्देश दिए गए थे। तब तक शिक्षकों के वेतन की वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के लिए पुराने स्कूलों में ज्वाइन करने कहा था।
महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने इसकी व्याख्या करते हुए सरकार को अभिमत दिया था कि पूर्व कि शाला का अर्थ प्रमोशन के बाद हुई पदांकन वाली पहली पोस्टिंग है न की संशोधन वाली पोस्टिंग। महाधिवक्ता के अभिमत के खिलाफ रिट याचिका लगाकर 100 से अधिक शिक्षकों ने महाधिवक्ता द्वारा गलत व्याख्या करने व इस आदेश को संशोधित करने की मांग की थी।
गुरुवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब पिछली सुनवाई में सरकार के संशोधन आदेश निरस्तीकरण के फैसले को ही रद कर दिया गया है तब उस आदेश के पालन में पहली पोस्टिंग वाले स्कूलों में ज्वाइनिंग देने का प्रश्न ही नहीं उठता। कोर्ट ने राज्य सरकार को 10 दिनों के भीतर संशोधित शालाओं में शिक्षकों को ज्वाइनिंग देने निर्देश जारी किए हैं।
Dec 08 2023, 15:38