चुनाव आयोग ने तेलंगाना के डीजीपी को सस्पेंड करने की सिफारिश की, नतीजों से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से की थी मुलाकात

तेलंगाना में कांग्रेस को बहुमत मिला है। एक तरफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है तो वहीं दूसरी ओर मतगणना के दौरान राज्य कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात करना डीजीपी को भारी पड़ गया है। सूत्रों का कहना है कि भारत चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अंजनी कुमार को सस्पेंड करने की सिफारिश की है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर तेलंगाना के डीजीपी अंजनी कुमार को निलंबित करने की सिफारिश की है। मुख्य सचिव निलंबन की कार्रवाई जारी करने की प्रक्रिया में हैं। 

दरअसल रविवार सुबह डीजीपी ने राज्य पुलिस के नोडल अधिकारी संजय जैन और नोडल अधिकारी (व्यय) महेश भागवत के साथ वोटों की गिनती के बीच हैदराबाद में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अनुमुला रेवंत रेड्डी से मुलाकात की और फूलों का गुलदस्ता भेंट किया। इस मुलाकात का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भारत चुनाव आयोग ने इसे संज्ञान में लिया है। भारत चुनाव आयोग ने डीजीपी कुमार को निलंबित करने का आदेश दिया है।

 तेलंगाना में मुख्यमंत्री चेहरे की बात करें तो कई ऐसे नेता हैं जिन्हें दावेदार माना जा रहा है। इनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी , सांसद कैप्टन एन. उत्तमकुमार रेड्डी , कोमाटि रेड्डी वेंकट रेड्डी और मल्लू भट्टी विक्रमार्क जैसे नाम शामिल हैं। हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है।

आप सांसद राघव चड्ढा की संसद सदस्यता बहाल, राज्यसभा विशेषाधिकार समिति ने निलंबन किया रद्द

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राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की सदस्यता बहाल हो गई। अब वह फिर से राज्यसभा में नजर आएंगे।राज्यसभा की ओर से आप सांसद का निलंबन वापस ले लिया गया। राघव चड्ढा की सदस्यता बहाल करने के लिए राज्यसभा में प्रस्ताव पारित किया।

सोमवार को संसद में शीतकालीन सत्र शुरू हुआ। इस राज्यसभा में चड्ढा के निलंबन को वापस लेने का प्रस्ताव पारित हुआ। इस मामले में आज राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति की बैठक हुई। बैठक के बाद राज्यसभा अध्यक्ष ने चड्ढा की सदस्यता बहाल करने का फैसला लिया।

सोमवार को राज्यसभा की सदस्यता बहाल होने के तत्काल बाद आप सांसद राघव चड्ढा का भी बयान सामने आ गया है। उन्होंने कहा कि 11 अगस्त को मुझे राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था। मैं अपने निलंबन को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और अब 115 दिनों के बाद मेरा निलंबन रद्द कर दिया गया है। मुझे खुशी है कि मेरा निलंबन वापस ले लिया गया है। सदस्यता बहाली के लिए मैं, सुप्रीम कोर्ट और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को धन्यवाद देना चाहता हूं।

बता दें कि अगस्त में दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी। इस दौरान उन पर पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगा था। सांसदों की बिना सहमति के प्रस्ताव पर नाम लेने के आरोप में उन्हें राज्यसभा से निलंबित कर दिया था। उन्हें इस मामले में जांच पूरी होने तक निलंबित किया था। चड्ढा के निलंबन का प्रस्ताव बीजेपी सांसद पीयूष गोयल ने पेश किया था।

कभी इंदिरा गांधी के थे सिक्योरिटी चीफ, वो पूर्व आईपीएस जो बन सकते हैं मिजोरम के नए सीएम*

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मिजोरम विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती जारी है। प्रदेश में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) बड़ी जीत की तरफ बढ़ रही है।रुझान से साफ है कि जेडएनपी भारी बहुमत से सरकार बनाएगी।उसे 40 में से 27 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं। जबकि सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट 10 सीटों पर सिमट रही है।हाल के एक्जिट पोल में मिजोरम में जेडपीएम के लिए संभावित जीत का अनुमान लगाया गया। एग्जिट पोल में जेडपीएम को 28-35 सीटें हासिल करने का अनुमान जताया गया था। चुनाव रिजल्ट भी एग्जिट पाल सही साबित कर रहे हैं।

मिजोरम में रूझानों को देखते हुए जेडपीएम में जस्न का माहौल है। इस बीच सभी की निगाहें 74 वर्षीय शख्स पर हैं, जो पहले एक आईपीएस अफसर रह चुके हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी लालदुहोमा ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट की तरफ से मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं। राजनीति में लालदुहोमा की यात्रा असाधारण है। एक आईपीएस अधिकारी रहे लालदुहोमा राजनीति में आए। वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिक्योरिटी टीम के नेतृत्वकर्ता भी रहे।

लालदुहोमा मिजोरम के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। वह पिछले कुछ साल से मिजोरम के विकास और राज्य को कांग्रेस और एमएनएफ से मुक्ति दिलाने की बात कहते आ रहे हैं। लालदुहोमा 1977 में आईपीएस बने और गोवा में एक स्क्वाड लीडर के रूप में काम किया। इस दौरान उन्होंने तस्करों पर कई कार्रवाई की। इससे वह नेशनल मीडिया में छाने लगे। इनके अच्छे काम को देखते हुए 1982 में इन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी के रूप में तैनाती दी गई।

दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद

इंदिरा गांधी की सुरक्षा में रहने के दो साल बाद ही लालदुहोमा ने 1984 में राजनीति में आने का फैसला किया। वह 1984 में सांसद बने। चार साल बाद ही 1988 में कांग्रेस की सदस्यता छोड़ने के कारण उन्हें लोकसभा से अयोग्य करार दे दिया गया। इस तरह लालदुहोमा दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बन गए

कांग्रेस छोड़ने के बाद अपनी पार्टी बनाई

कांग्रेस छोड़ने के बाद पूर्व आईपीएस लालडुहोमा ने जोराम नेशनलिस्ट पार्टी नाम से एक दल बनाया, जिसके जरिए वे राज्य की राजनीति में सक्रिय हुए। वहीं दूसरी ओर, राज्य के पांच अन्य छोटे दलों के साथ लालडुहोमा की पार्टी ने गठबंधन कर लिया। जिसके बाद वह गठबंधन राजनीतिक पार्टी में तब्दील हो गया, जो 2017 में जेडपीएम (ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट) पार्टी के नाम से अस्तित्व में आया।

मिजोरम में जेडपीएम को प्रचंड बहुमत, मुख्यमंत्री जोरमथांगा और डिप्टी सीएम त्वानलुइया हारे

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पू्र्वोत्तर राज्य मिजोरम में विधानसभा चुनाव के नतीजे आज घोषित हो रहे हैं। सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट और जेडपीएम के बीच कांटे की टक्कर है।अभी तक 13 सीटों पर नतीजे सामने आ चुके हैं। जेडपीएम ने 12 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है। वहीं अन्य दो सीटें अलग अलग पार्टी के पाले में गई हैं। एक सीट पर एनएमएफ और एक सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की है।

आइजोल पूर्व-1 निर्वाचन क्षेत्र में जेडपीएम के लालथनसांगा ने मौजूदा मुख्यमंत्री जोरमथांगा को हरा दिया है। सीएम को 2101 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है। वहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एवं मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के उम्मीदवार आर. लालथंगलियाना साउथ तुईपुई सीट से जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के उम्मीदवार जेजे लालपेखलुआ से हार गए। लालपेखलुआ को 5,468 मत मिले, जबकि लालथंगलियाना को 5,333 वोट मिले। कांग्रेस उम्मीदवार सी लालडिंतलुआंगा को 2,958 वोट मिले।मिजोरम के ग्रामीण विकास मंत्री लालरुआतकिमा आइजवाल पश्चिम-द्वितीय सीट पर जेडपीएम की लालंघिंगलोवा हमर से चुनाव हार गए।

जेडपीएम के मुख्यमंत्री उम्मीदवार लालदुहोमा ने कहा है कि कल या परसों मैं राज्यपाल से मिलूंगा। शपथ ग्रहण इसी महीने होगा। उन्होंने कहा कि मिजोरम वित्तीय संकट का सामना कर रहा है।यही हमें निवर्तमान सरकार से विरासत में मिलने जा रहा है। हम अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने जा रहे हैं। वित्तीय सुधार जरूरी हैं और उसके लिए हम संसाधन जुटाने जा रहे।

शीतकालीन सत्र को लेकर पीएम मोदी की विपक्ष को नसीहत, बोले- हार का गुस्सा संसद में न निकालें

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संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है।चार राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मीडिया से बात की।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षियों को बाहर की पराजय का गुस्सा सदन में नहीं निकालने की नसीहत दे डाली।  

सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलने देने की अपील

पीएम मोदी ने कहा कि ठंड शायद विलंब से चल रही है और धीमी गति से आ रही है, लेकिन राजनीतिक गर्मी तेजी से बढ़ रही है. पीएम ने चार राज्यों के विधानसभा चुनाव को उत्साह वर्धक बताया। कल ही चार राज्यों के चुनाव के नतीजे सामने आए हैं। परिणाम बहुत ही उत्साहजनक हैं। खासकर उन लोगों के लिए उत्साहजनक हैं, जो देश के आम लोगों के कल्याण और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूरे देश ने नकारात्मकता को सिरे से नकार दिया है। इसलिए वो विपक्ष से अनुरोध करते हैं कि वो नकारात्मकता को छोड़कर सकारात्मकता के साथ सदन में आए और सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलने दें।

हार का गुस्सा निकालने की बजाए उससे कुछ सीख लें-पीएम मोदी

पीएम ने कहा कि संसद के पहले विपक्ष के नेताओं से बात होती है इस बार भी हुई है। पीएम ने कहा कि लोकतंत्र का ये मंदिर जनाकांक्षाओं और विकसित भारत बनाने का मंच है। ऐसे में सभी लोग यहां तैयारी के साथ आए और उत्तम सुझाव दें। पीएम ने कहा कि विपक्ष में बैठे साथियों के लिए ये गोल्डन अवसर है, ऐसे में वो हार का गुस्सा निकालने की बजाए उससे कुछ सीख लें, पीएण ने कहा कि बाहर का गुस्सा सदन के अंदर नहीं निकालना चाहिए।

विपक्ष के लिए सुनहरा अवसर-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, अगर मैं वर्तमान चुनाव नतीजों के आधार पर कहूं, तो ये विपक्ष में बैठे हुए साथियों के लिए सुनहरा अवसर है। इस सत्र में पराजय का गुस्सा निकालने की योजना बनाने के बजाय, इस पराजय से सीखकर, पिछले नौ साल में चलाई गई नकारात्मकता की प्रवृत्ति को छोड़कर इस सत्र में अगर सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ेंगे तो देश उनकी तरफ देखने का दृष्टिकोण बदलेगा।

बता दें कि कांग्रेस सिर्फ तेलंगाना की 64 सीटें जीत सकी। जबकि मध्य प्रदेश में भाजपा प्रचंड बहुमत पाकर 163 सीटें जीतने में सफल रही। वहीं राजस्थान में भाजपा को 115 सीटों पर जीत मिली। छत्तीसगढ़ में भाजपा 54 सीटें जीतकर सत्ता कब्जाने में सफल रही है। मिजोरम में आज नतीजे साफ हो जाएंगे।

सांप्रदायिक हिंसा में बेटा खोया, बीजेपी ने बनाया था उम्मीदवार, अब सात बार के विधायक को दी मात

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राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव के परिणाम आ गए हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बन रही है। वहीं तेलंगाना में कांग्रेस को जीत मिली है। हर बार की तरह इस बार भी कई चौंकाने वाले रिजल्ट देखने को मिले।खासकर छत्तीसगढ़ में भाजपा ने बंपर जीत हासिल की है। चुनाव परिणाम से पहले तक कांग्रेस राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व में आसान जीत की उम्मीद लगाए बैठी थी। हालांकि, परिणाम ठीक इसके उलट आया। छत्तीसगढ़ चुनाव परिणाम में सबसे ज्यादा चर्चा साजा विधानसभा सीट की रही।छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले की साजा सीट पर काफी रोचक मुकाबला देखने को मिला। यहां के साधारण किसान ईश्वर साहू ने छह बार के विधायक और मंत्री रविंद्र चौबे को हराकर चौंका दिया।

साजा विधानसभा सीट पर हुई दिलचस्प लड़ाई में बीजेपी उम्मीदवार ने कांग्रेस उम्मीदवार को हरा दिया। हैरानी की बात ये है कि कांग्रेस पार्टी से सात बार के विधायक रहे रवींद्र चौबे का मुकाबला पहली बार चुनाव लड़ रहे ईश्वर साहू से था। दरअसल, ईश्वर साहू वो शख्स हैं, जिनके बेटे की आठ अप्रैल 2023 को हुई सांप्रदायिक हिंसा में हत्या हुई थी।उन्हें बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था। ये अलग बात है कि उन्होंने आज तक सरपंच का भी चुनाव नहीं लड़ा है। उनके सामने 1990 से चुनाव लड़ रहे और नेता प्रतिपक्ष रह चुके रवींद्र चौबे थे। ये उनका आठवां चुनाव था। लेकिन रवींद्र चौबे का ना तो अनुभव काम आया ना पार्टी की साख। 

रविंद्र चौबे को 5297 वोटों से हराया

छत्तीगसढ़ की साजा सीट पर करीब 60 हजार साहू वोटर हैं जो कि निर्णायक साबित होते हैं। भाजपा ने इन वोटरों को ईश्वर साहू के पक्ष में करने की पूरी कोशिश की। जब चुनाव के परिणाम आए तो ईश्वर साहू को कुल 101789 वोट मिले। उन्होंने कांग्रेस के रविंद्र चौबे को 5297 वोटों से हराया है। 

सांप्रदायिक हिंसा में खो चुके हैं बेटा

साजा में इसी साल अप्रैल में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। स्कूली मारपीट से शुरू हुई इस घटना ने जल्द ही सांप्रदायिक दंगों का रूप धर लिया था। इस घटना में दो मुस्लिम और एक हिंदू व्यक्ति की मौत हुई थी। दोनों पक्षों की तरफ से आगजनी की घटनाएं हुईं। घर जलाए गए। इन हिंसक झड़पों में भुवनेश्वर साहू की हत्या हुई। भाजपा ने भुवनेश्वर साहू के पिता ईश्वर साहू को टिकट दिया था।ईश्वर साहू लगातार वोट के बदले अपने बेटे के लिए इंसाफ देने की बात कहते रहे। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि ईश्वर साहू भावनात्मक ढंग से यह चुनाव को लड़े।

बीजेपी बोली- लोकतांत्रिक लड़ाई में अन्याय का बदला लिया

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष ने भी ईश्वर साहू की जीत की चर्चा की है। उन्होंने लिखा है- "ये छत्तीसगढ़ भाजपा के विधानसभा उम्मीदवार ईश्वर साहू हैं। इन्होंने कांग्रेस के 7 बार के विधायक रविंद्र चौबे को हराया है। इनका बेटा भीड़ की हिंसा में मारा गया और हमेशा की तरह कांग्रेस दंगाइयों का समर्थन कर रही थी। आज ईश्वर ने लोकतांत्रिक लड़ाई में अन्याय का बदला लिया। बधाई हो।

मिजोरम में जेडपीएम का जलवा, रुझानों में मिला बहुमत

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मिजोरम की सभी 40 विधानसभा सीटों पर 7 नवंबर को मतदान हुआ था और आजा यानी 4 दिसंबर को चुनाव के नजीते घोषित किए जाएंगे। मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है। सुबह 10 बजे तक सामने आए रुझानों में जेडपीएम बहुमत के आंकड़े को पार चुकी है। बहुमत के लिए 21 सीटों की जरूरत है। हालांकि, जेडपीएम 24 सीटों पर आगे चल रही है। सत्तारूढ़ एमएनएफ 13 और कांग्रेस एक सीट पर आगे है। अन्य दल दो सीटों पर आगे चल रहे हैं।

मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) की सरकार है। 2018 के विधानसभा चुनाव में मिजो नेशनल फ्रंट ने बहुमत हासिल करते हुए 26 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। बाद के उपचुनावों में दो और सीटों पर जीत दर्ज की थी। मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के अध्यक्ष और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने भरोसा जताया कि उनकी पार्टी सत्ता बरकरार रखने में कामयाब रहेगी।

मिजोरम के मुख्यमंत्री और एमएनएफ के प्रमुख जोरमथंगा आईजोल ईस्ट से लड़ रहे हैं। बीजेपी के राज्य प्रमुख वनलालहमुका डम्पा और कांग्रेस की मिजोरम इकाई के प्रमुख लालसावता आइजोल पश्चिम-3 निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं। जेडपीएम अध्यक्ष लालदुहोमा सेरछिप सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। मिजोरम के 11 जिलों में से सबसे ज्यादा 55 उम्मीदवार आइजोल जिले की 12 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि सबसे कम तीन उम्मीदवार हनाथियाल जिले की एकमात्र सीट पर चुनावी मैदान में हैं।

संसद का शीतकालीन सत्र आज से, पेश होंगे 19 विधेयक

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विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है। 22 दिसंबर तक चलने वाला संसद का शीतकालीन सत्र इस बार गरम रह सकता है।तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली हार से निराश विपक्ष एकजुट होकर सत्तारूढ़ भाजपा पर बेरोजगारी, महंगाई, मणिपुर हिंसा और जांच एजेंसियों के इस्तेमाल को लेकर हमला बोलेगी। वहीं शानदार जीत से उत्साहित भाजपा आक्रामक तरीके से विपक्ष पर पलटवार करेगी।

19 दिनों तक चलने वाले इस सत्र में कुल 15 बैठकें होंगी। इस सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं क्योंकि सत्र के पहले ही दिन ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा से जुड़ी एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पेश की जाएगी। इस रिपोर्ट में महुआ को सस्पेंड करने की सिफारिश की है।अगर लोकसभा इस रिपोर्ट को अनुमोदित कर देती है तो मोइत्रा की सदस्यता खत्म हो जाएगी।

इसके अलावा संसद के शीतकालीन सत्र में कई विधेयकों को पेश किया जा सकता है। शीतकालीन सत्र में सरकार तेलंगाना में सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी स्थापित करने और जम्मू कश्मीर और पुड्डुचेरी विधानसभा में महिलाओं को आरक्षण देने वाले विधेयक समेत 7 नए विधेयकों को सदन में पेश कर सकती है।इसके अलावा IPC, CRPC और आपराधिक प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम को रिप्लेस करने वाले प्रस्तावित कानून भी पेश किए जाएंगे। शीतकालीन सत्र में भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 समेत तमाम विधेयकों पर भी चर्चा कर सकती है।

विचारधारा की लड़ाई जारी रहेगी, 3 राज्यों में करारी हार के बाद बोले राहुल गांधी

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मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिल गया है। वहीं कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस को चार राज्यों में सिर्फ एक तेलंगाना में ही जीत मिली है। चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्‍होंने कहा कि जनादेश को हम विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं। विचारधारा की लड़ाई जारी रहेगी। तेलंगाना में कांग्रेस पहली बार सरकार बनाने जा रही है। इसपर उन्‍होंने कहा कि प्रजालु तेलंगाना बनाने का वादा हम जरूर पूरा करेंगे।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का जनादेश हम विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं - विचारधारा की लड़ाई जारी रहेगी। तेलंगाना के लोगों को मेरा बहुत धन्यवाद - प्रजालु तेलंगाना बनाने का वादा हम ज़रूर पूरा करेंगे। सभी कार्यकर्ताओं को उनकी मेहनत और समर्थन के लिए दिल से शुक्रिया।

प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, तेलंगाना की जनता ने इतिहास रचते हुए कांग्रेस पार्टी के पक्ष में जनादेश दिया है। यह प्रजाला तेलंगाना की जीत है। यह प्रदेश की जनता और कांग्रेस पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता की जीत है।

सनातन का श्राप ले डूबा..'! कांग्रेस नेताओं ने खुलेआम स्वीकारा- हिन्दू धर्म के अपमान और जातिवादी कार्ड के कारण हारी पार्टी

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव परिणामों के शुरुआती रुझानों से जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) खेमे में खुशी की लहर है, वहीं कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। संकेतकों के अनुसार, भाजपा तीन राज्यों में सरकार बनाने के लिए तैयार है जबकि कांग्रेस तेलंगाना में सत्तारूढ़ BRS को मात दे रही है। अब, कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन ने पार्टी के भीतर से अपनी नाराजगी व्यक्त करने और सवाल उठाने की आवाज उठाई है। प्रमुख कांग्रेस नेता और प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीतिक सलाहकार, आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा है कि ये आंकड़े हिंदू धर्म के विरोध और पार्टी की हिंदू विरोधी मानसिकता का परिणाम हैं।

मीडिया से बातचीत करते हुए एक सवाल के जवाब में प्रमोद कृष्णम ने कहा कि यह तय करना जल्दबाजी होगी कि कांग्रेस का सफाया हो गया है या नहीं। उन्होंने कहा कि, 'हालाँकि जहाँ ट्रेन चली है वहाँ अंधेरा है। यह कांग्रेस पार्टी के कार्यों का परिणाम है, जो पहले महात्मा गांधी की शिक्षाओं का पालन करती थी, लेकिन अब कार्ल मार्क्स की शिक्षाओं का पालन करती है। सनातन धर्म का विरोध करके कोई भी पार्टी भारत में राजनीति नहीं चल सकती। कांग्रेस इसे ध्वस्त करने के इरादे की घोषणा करने वालों का समर्थन करती है।' इसे महात्मा गांधी का अनुकरण करने वाली पार्टी के रूप में संदर्भित नहीं किया जाएगा। वह एक सच्चे धर्मनिरपेक्षतावादी थे।” बता दें कि, तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को ख़त्म करने की बात कही थी, और कई कांग्रेस नेताओं ने उनका समर्थन किया था। इस मुद्दे पर राहुल गांधी से भी उम्मीद की गई थी कि, वे अपने नेताओं को सनातन के खिलाफ न बोलने के लिए समझाएंगे, लेकिन उन्होंने इसे तवज्जो देना ही उचित नहीं समझा। उस समय राहुल गांधी 'मोहब्बत की दूकान' का नारा दे रहे थे, लेकिन उन्होंने अपने ही नेताओं को भारत की बहुसंख्यक आबादी के धर्म के खिलाफ नफरती बयान देने से नहीं रोका, इससे जनता के बीच गलत सन्देश गया। क्योंकि, किसी अन्य धर्म पर टिप्पणी होने पर राहुल फ़ौरन बयान देते दिखाई देते हैं, लेकिन सनातन पर उनकी चुप्पी कई लोगों को अखरी थी।

 

प्रमोद कृष्णम ने एक ट्वीट में भी यही भावना व्यक्त की, जिसमे उन्होंने लिखा, "सनातन का श्राप ले डूबा," क्योंकि कांग्रेस ने धर्म का अनादर किया। आध्यात्मिक गुरु और राजनेता प्रमोद कृष्णम ने बताया कि कांग्रेस ने उन्हें 2018 में स्टार प्रचारक के पद पर बिठाया था, जिसके बाद उन्होंने तीनों राज्यों में जीत हासिल की, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि, 'तब कांग्रेस ने पहली बार किसी हिंदू धार्मिक नेता को अपना प्रचार अभियान बनाया था। कांग्रेस के रणनीतिकारों की कोई मजबूरी रही होगी कि मुझे इन चुनावों में जिम्मेदारी नहीं दी गई। कुछ कांग्रेसी भगवान राम का जिक्र ही नहीं करना चाहेंगे। वे सनातन पर कोई चर्चा नहीं चाहते। जो हिंदू धर्म को गाली देता है, उसे पार्टी में सबसे बड़ा नेता बना दिया जाता है।'

उन्होंने चुनाव परिणाम पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि, ''हमें उम्मीद है। हालाँकि, हर समय मैंने कहा कि सनातन का विरोध मत करो। मैंने उनसे कहा कि वे भाजपा से लड़ें, भगवान राम से नहीं। मैंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री भारत के हैं, सिर्फ भाजपा के नहीं। उनका अपमान मत करो। प्रधानमंत्री का सम्मान करें। चाहे कोई भी प्रधानमंत्री हो, लोग अपना अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। कांग्रेस में कुछ ऐसे नेता हैं जो हिंदुत्व से नाराज़ हैं और इसे कमज़ोर करने के लिए जाति की राजनीति को बढ़ावा देते हैं।'

कांग्रेस के एक अन्य महत्वपूर्ण समर्थक तहसीन पूनावाला, जिन्हें नियमित रूप से समाचार बहसों में पार्टी का समर्थन करते देखा जाता है, ने चुनाव परिणामों के लिए कांग्रेस के हिंदू विरोधी रुख और अन्य पिछड़ा वर्ग के मुद्दे को आगे बढ़ाने को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने "सचिन पायलट के साथ हुए अन्याय" को उठाया और कहा कि इससे राजस्थान में पार्टी को नुकसान हुआ। भाजपा चैहाटीगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस से सत्ता छीनने में सफल रही है और अगले पांच वर्षों तक मध्य प्रदेश में शासन जारी रखेगी। दिलचस्प बात यह है कि पूर्व पंद्रह वर्षों से अधिक समय से मध्य भारतीय राज्य में सत्ता में है। तेलंगाना में राजनीतिक जनादेश हासिल करने के लिए कांग्रेस ने के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति को उखाड़ फेंका है।